SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF MEGA CANCER SCREENING CAMP BY WORLD CANCER CARE CHARITABLE SOCIETY AT BATHINDA ON NOVEMBER 22, 2024.
- by Admin
- 2024-11-22 18:00
कैंसर जागरूकता और स्क्रीनिंग अभियान के अवसर पर
राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 22.11.2024, शुक्रवार | समयः दोपहर 12:30 बजे | स्थानः बठिंडा
सभी को नमस्कार!
आज हम सब यहां एक बहुत ही महत्वपूर्ण उद्देश्य से एकत्रित हुए हैं। यह उद्देश्य मालवा क्षेत्र में अपनी जड़ें फैला चुकी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लोगों को लड़ने में हर संभव सहायता प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें जागरूक करना है।
सभ्यता काल के बाद से, हमने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अविश्वसनीय प्रगति की है। हाल की शताब्दियों में, हमनें विज्ञान से अनेक प्रकार की बीमारियों का इलाज किया है। पहले कई जानलेवा बीमारियाँ हुआ करती थीं जिनका अब सफाया किया जा चुका है और वे अब नहीं हैं। हालाँकि, कैंसर की बीमारी से हम पूरी तरह पार नहीं पा सके हैं।
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही मन में डर का भाव पैदा हो जाता है। जब पता चलता है कि परिवार के किसी सदस्य को यह बीमारी हो गई है, यह बताने में भी डरते हैं कि उसे कैंसर की बीमारी हो गई है। पूरे परिवार में एक अनिश्चितता और निराशा का माहौल बन जाता है।
कैंसर ने दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोगों की जान ली है। लगभग 100 से अधिक कैंसर होते हैं जिनमें मुख्य रूप से ब्लड कैंसर, ब्रैस्ट कैंसर, स्किन कैंसर, आंतों का कैंसर आदि शामिल हैं। भारत में 2022 में 14.6 लाख लोग इसकी चपेट में आए और 2025 तक यह संख्या बढ़कर 15.7 लाख होने की संभावना है। हम इतने सारे रोगियों और उनके परिवारों के दर्द और पीड़ा की कल्पना कर सकते हैं।
फिर भी हमें निराश नहीं होना। निराश हो भी कैसे सकते हैं, जब हम अनेक बीमारियों का सफल इलाज कर चुके हैं? कई सफलताओं के इतिहास से प्रेरणा लेकर वैज्ञानिक निरंतर संघर्षरत हैं। शीघ्र और समय से निदान हो जाने से अधिक से बहुत लोग ठीक किए गए हैं। धीमे किन्तु बढ़ते कदमों से ही हम कैंसर पर विजय पा लेंगे।
मैं वर्ल्ड कैंसर केयर और एस-बी-आई कार्ड द्वारा आयोजित इस विशेष कैंसर जागरूकता और स्क्रीनिंग अभियान के आयोजकों की सराहना करता हूं जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मैं संस्था के वैश्विक एंबेसडर डॉ. धालीवाल और उनकी पूरी टीम की सराहना करना चाहता हूँ, जिन्होंने निस्वार्थ सेवा भाव से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के खिलाफ इस व्यापक अभियान को संभव बनाया है।
मुझे बताया गया है कि इस संगठन की शुरूआत लंदन में वर्ष 2014 में हुई थी। डॉ. कुलवंत सिंह धालीवाल जी द्वारा अपनी माता जी का कैंसर के कारण स्वर्गवास होने के बाद इस संस्था की शुरूआत की गई थी। लंदन में शुरू होने के बाद से अब यह संस्था लगभग पूरी दुनिया में अपनी उपस्थित दर्ज करवा चुकी है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के अन्तर्गत कार्य करती है।
वर्ल्ड कैंसर केयर (World Cancer Care) एक गैर-लाभकारी संस्था है जो पंजाब और भारत के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर स्क्रीनिंग कैंप, मोबाइल डायग्नोस्टिक वैन, मुफ्त इलाज और परामर्श, जागरूकता अभियान, कीटनाशकों और पर्यावरण प्रदूषण पर जागरूकता, कैंसर मरीजों और परिवारों को सहायता, सरकारी व निजी भागीदारी और मुफ्त चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए समर्पित है। यह संगठन विशेष रूप से उन क्षेत्रों में सक्रिय है जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं और कैंसर के मामलों की संख्या अधिक है।
इस परियोजना में बाबा फरीद ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट, बठिंडा जैसी संस्थाओं की भी अहम भूमिका है, जिनके माध्यम से आज आसपास के 50 गाँवों से लोग यहाँ आकर अपने स्वास्थ्य की मुफ्त जांच करवा सकते हैं।
इस अभियान के लिए एसबीआई कार्ड का सहयोग भी काबिले तारीफ है। इस परियोजना के अंतर्गत मालवा क्षेत्र के विभिन्न जिलों में 100 कैंसर स्क्रीनिंग कैंप लगाए गए हैं, जिसमें 40,000 से अधिक लोगों की जांच की गई और विभिन्न प्रकार के टेस्ट जैसे मैमोग्राफी, पैप-स्मियर, पीएसए, ओरल और बोन कैंसर की मुफ्त जाँच की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
आज तक इस संगठन ने पूरे भारत में 10,000 से अधिक निःशुल्क कैंसर जांच शिविर आयोजित किए हैं, जिससे 50 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं। विश्व भर में इस संगठन से लगभग 5 लाख दानदाता सदस्य जुड़े हैं। इसके माध्यम से दी जाने वाली निःशुल्क जाँच सेवाएं, जो अक्सर निजी अस्पतालों में अत्यधिक महंगी होती हैं, आम जनता के लिए एक बड़ी राहत है।
वर्ल्ड कैंसर केयर जैसे संगठनों के प्रयास पंजाब में कैंसर की समस्या को कम करने और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
मित्रों,
आज के इस अवसर पर मैं श्री गुरू नानक देव जी के इन कल्याणकारी शब्दों को भी दोहराना चाहूंगाः ‘‘पवन गुरू पानी पिता माता धरत महत्त’’ यदि जगत गुरू श्री गुरू नानक देव जी द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के सम्मान और संरक्षण से जुड़े दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करते हुए हम अपने जीवन का निर्वहन करें तो दुनिया में अधिकतर बीमारियों से मनुष्य को मुक्ति मिल सकती है।
आज दुनिया में फैली अधिकतर बीमारियों का कारण हमारे प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन और इनका प्रदूषित होना ही है, फिर चाहे वह वायु प्रदूषण हो, जल प्रदूषण हो या फिर भूमि प्रदूषण।
19वीं सदी में शुरू हुई औद्योगिक क्रांति ने निस्संदेह मानव जीवन में अकल्पनीय प्रगति और विकास लाया, लेकिन इसके साथ ही कुछ गंभीर दुष्प्रभाव भी उत्पन्न हुए हैं। इसका प्रमुख और बड़ा दुष्प्रभाव है पर्यावरण प्रदूषण। औद्योगिक क्रांति के दौरान बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना हुई, जो आज भी वायु, जल, और भूमि को प्रदूषित कर रहे हैं। जहरीला धुआं, कारखानों का अपशिष्ट और प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
औद्योगिक विकास के दौर में हम इतने अंधे हो गए कि हमने सतत विकास की ओर ध्यान न देकर अपने पदार्थवादी सुखों की पूर्ति हेतु प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया और प्रकृति का संतुलन ही बिगाड़ कर रख दिया, जिसका परिणाम यह हुआ कि आज हमें कैंसर जैसी विभिन्न जानलेवा बीमारियों सहित जलवायु परिवर्तन जैसे संकटों का सामना करना पड़ रहा है।
आज हम देख रहे हैं कि उद्योगों और अस्पतालों द्वारा अपना गंदा पानी बिना ट्रीट किए भूमि के अंदर या फिर नदी-नालों में फेंका जा रहा है। इसका स्पष्ट उदाहरण हमारी सतलुज नदी है जो पंजाब से गुज़रती है और जिसका पानी हरि-के-पत्तन तक जाते-जाते पूरी तरह से काला और दूषित हो जाता है, जिसे देखकर सर शर्म से झुक जाता है।
यदि प्राकृतिक संसाधनों के इस अंधाधुंध दोहन और दूषण को नहीं रोका गया तो केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर मौजूद हर प्रकार के जीव-जन्तुओं के अस्तित्व को खतरा पैदा हो जाएगा।
इसके अलावा उद्योगों की बढ़ती संख्या, जलवायु परिवर्तन और अन्य कारकों के चलते हमारे ग्रह की सुरक्षा कवच ओज़ोन लेयर को भी खतरा पैदा हो गया है। यह सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट (UV) विकिरण को अवशोषित करती है।
लेकिन जब ओज़ोन परत क्षीण होती है, तो UV-B विकिरण की मात्रा बढ़ जाती है। और यही वह बिंदु है जहाँ कैंसर का खतरा बढ़ता है। इसलिए, हमें समझना चाहिए कि ओज़ोन परत का संरक्षण केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कहीं ऐसा न हो की जलवायु परिवर्तन और बिगड़ते पर्यावरण संतुलन के कारण आने वाले समय में हमारी पीढ़ियों को विभिन्न प्रकार की विकृतियों का सामना करना पड़े।
इसके अलावा मोबाइल टॉवर विकिरण, जो रेडियोफ्रीक्वेंसी (RF) विकिरण का उत्सर्जन करता है, स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इसका मुनष्य पर बूरा प्रभाव पड़ रहा है, विशेषकर कैंसर के संदर्भ में। इसके अलावा मोबाइल टॉवरों का दुष्प्रभाव हमें पक्षियों पर भी देखने को मिल रहा है। पक्षियों की कई ऐसी प्रजातियां हैं जो अब हमें शायद ही देखने को मिलती हों, जिनमें गौरैया (चीड़िया) मुख्य रूप से शामिल है।
इसलिए, स्वास्थ्य पर मोबाइल टॉवर विकिरण के दीर्घकालिक प्रभावों को समझने और इसके निवारण के लिए निरंतर शोध आवश्यक है।
मित्रों,
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (आईसीएमआर-एनसीआरपी) के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में कैंसर के मामले 2021 में 39,521 से बढ़कर 2024 में 42,288 हो गए। यह 7 प्रतिशत की वृद्धि है।
कैंसर यूं तो पूरे देश के लिए ही बड़ी चुनौती है, लेकिन पंजाब में इसकी स्थिति पड़ोसी राज्यों के मुकाबले काफी खराब है।
यहां की मालवा बेल्ट इससे बुरी तरह प्रभावित है। मालवा क्षेत्र के सात जिले बठिंडा, फरीदकोट, मोगा, मुक्तसर, लुधियाना, फिरोजपुर और मानसा के किसानों को पिछले काफी समय से कैंसर और अन्य रोगों से जूझना पड़ रहा है।
भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग की नवंबर 2023 की रिपोर्ट के अनुसार पिछले चार वर्षों में पंजाब में प्रतिदिन कैंसर से 76 मौतें हो रहीं हैं। रोज कैंसर के 107 नए कैंसर के मामले सामने आते हैं।
इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च द्वारा चंडीगढ़, संगरूर, मानसा और मोहाली में किए गए एक सर्वेक्षण में कैंसर का सबसे आम कारण शराब और सिगरेट का सेवन, रसायनों का उपयोग और प्रदूषित पानी का इस्तेमाल है।
पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य होने के कारण किसान अधिक उत्पादन पाने के लिए आवश्यकता से अधिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं, जिसके कारण कैंसर फैल रहा है।
हम सभी को मिलकर अपने किसान भाईयों को कृषि में उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को नियंत्रित करने और जैविक खेती व प्राकृतिक पद्धतियों को बढ़ावा देने के प्रति जागरूक करना चाहिए। यह न केवल हमारी मिट्टी और पर्यावरण को बचाएगा, बल्कि हमारी सेहत और आने वाले समय के लिए भी लाभकारी होगा।
कैंसर जैसी नामुराद बिमारी की मालवा इलाके सहित पंजाब भर में तेजी से जड़ें फैल रही हैं। हालात ऐसे हैं कि जिस ट्रेन से लोग पंजाब से राजस्थान कैंसर का इलाज करवाने के लिए जाते हैं, उसे अब कैंसर ट्रेन के नाम से जाना जाता है।
केन्द्र सरकार प्रयास कर रही है कि पंजाब में कैंसर के मरीजों का बेहतर इलाज हो, इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा मोहाली के न्यू चंडीगढ़ स्थित मुल्लांपुर में होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर खोला गया है। इसका एक सेटेलाईट सेंटर पंजाब के संगरूर जिले में भी स्थापित है जहां कैंसर का उपचार किया जा रहा है।
इसके अलावा पंजाब सरकार द्वारा कैंसर के रोगियों को उपचार के लिए ‘‘मुख्यमंत्री कैंसर राहत कोष’’ और ‘‘मुख्यमंत्री गंभीर रोग योजना’’ के माध्यम से आर्थिक मदद भी प्रदान की जा रही है और साथ ही ‘आयुष्मान भारत-सरबत सेहत बीमा योजना’ जैसी विभिन्न योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।
देवियों और सज्जनों,
प्रायः यह देखा गया है कि अधिकांश कैंसर रोगियों को इस बीमारी के बारे में तब पता चलता है, जब यह काफी बढ़ गई होती है। इस कारण, इसका इलाज करना भी काफी कठिन हो जाता है। यदि समय पर रोकथाम के उपाय किए जाएं और लोगों को सही जानकारी उपलब्ध कराई जाए तो कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, समय पर कैंसर के बारे में पता चल जाने से विश्वभर में 30 प्रतिशत से भी अधिक कैंसर रोगियों के जीवन को बचाया जा सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि कैंसर के कारणों के बारे में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं। मैं देख पा रहा हूं कि आप जैसी संस्थाएं इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
मैं चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े सभी लोगों का आह्वान करता हूँ कि वे निष्ठाभाव से लोगों के कल्याण के लिए कार्य करें। यही उनका मुख्य ध्येय होना चाहिए।
इसी वर्ष देश की माननीय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी ने उद्योग भागीदार इम्यूनोएसीटी के सहयोग से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बंबई और टाटा मेमोरियल अस्पताल के सहयोग से विकसित की गई भारत की पहली ‘सीएआर-टी सेल थेरेपी’ नामक जीन चिकित्सा-पद्धति की शुरूआत की है जो कैंसर के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक बड़ी सफलता है।
सीएआर-टी सेल थेरेपी को चिकित्सा विज्ञान की सबसे अभूतपूर्व प्रगति में से एक माना जाता है। कुछ समय से यह विकसित देशों में उपलब्ध है, लेकिन यह बेहद महंगी थेरेपी है और दुनिया के अधिकांश रोगियों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। मैं समझता हूं की भारत में लाँन्च की गई इस थेरेपी की लागत अन्य जगहों की तुलना में 90 प्रतिशत कम है।
इसके अलावा, यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल का भी एक उदाहरण है; और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। पिछले एक दशक में भारत में इस थेरेपी का विकास और अक्तूबर 2023 में इसे दी गई मंजूरी से भारतीय वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के कौशल का पता चलता है।
मित्रों,
इस कार्यक्रम के माध्यम से केवल कैंसर से जूझ रहे मरीजों की मदद ही नहीं की जा रही है, बल्कि समाज को एक नई सोच, एक नई दिशा भी प्रदान की जा रही है। यह संदेश हर घर तक पहुँचाना जरूरी है कि ‘‘रोकथाम उपचार से बेहतर है’’।
मैं आप सभी से निवेदन करता हूँ कि इस नेक उद्देश्य में अपना सहयोग दें। आपकी जागरूकता और सहयोग से ही इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है और कैंसर के खिलाफ इस लड़ाई में जीत हासिल की जा सकती है।
मैं आशा करता हूँ कि यह अभियान समाज को एक नई दिशा देगा, और वर्ल्ड कैंसर केयर जैसी संस्थाएं भविष्य में भी इसी जोश और समर्पण के साथ हमारे समाज की सेवा करती रहेंगी।
आइए, हम सभी मिलकर यह प्रण लें कि हम इस बीमारी को हर घर, हर दिल से दूर रखेंगे और एक स्वस्थ, मजबूत समाज का निर्माण करेंगे।
सर्वे भवन्तु सखिनः । सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु । मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ।
धन्यवाद,
जय हिन्द!