SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF LAUNCHING OF COFFEE TABLE BOOK POSHAN UTSAV AT PUNJAB RAJ BHAVAN CHANDIGARH ON NOVEMBER 29, 2024.

पोषण उत्सव’ पुस्तक के लोकार्पण समारोह के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 29.11.2024, शुक्रवारसमयः शाम 4:00 बजेस्थानः पंजाब राजभवन

 

सभी को नमस्कार!

आज का दिन अत्यंत हर्ष और गर्व का है, क्योंकि हम सभी यहां पोषण उत्सव पुस्तक के विमोचन के इस विशेष अवसर पर एकत्रित हुए हैं। मैं दीनदयाल शोध संस्थान को साधुवाद देना चाहता हूं कि उसने भारत की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए इतना विशाल काम किया है।

इस पुस्तक के संपादक श्री अतुल जैन जी ने मुझे बताया कि उनकी टीम ने देशभर का दौरा किया, 26 राज्यों में सामग्री इकट्ठी की, आम लोगों से उनकी लोक संस्कृति का ज्ञान हासिल किया, और उसी के आधार पर यह प्रकाशन तैयार किया है।

दीनदयाल शोध संस्थान से आप संभवतः परिचित ही होंगे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की असामयिक व रहस्यमयी मृत्यु के पश्चात उनके दो अनन्य सहयोगियों, नानाजी देशमुख व श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानवदर्शन को कालजयी बनाने की दृष्टि से 1968 में संस्थान की स्थापना की थी। इन साढ़े पांच दशकों में संस्थान ने बौद्धिक व जमीनी स्तर पर नई ऊंचाइयां हासिल की हैं।

मैं स्वयं इस संस्थान से भलीभांति परिचित हूं। नानाजी के सानिध्य में सीखने का भी बहुत मौका मिला। गोंडा, चित्रकूट व बीड़ में संस्थान के समग्र ग्राम विकास के युगानुकूल मॉडल खड़े करने के लिए 2019 में नानाजी को भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया।

इस काल में गांवों में काम करते समय संस्थान के कार्यकर्ताओं ने देशज ज्ञान की बहुत सी परंपराओं को देखा, समझा और उनका संकलन भी किया।

कितना महान है अपना देश और यहां के आमजन। धन से भले ही निर्धन हों, लेकिन मन से बहुत ही धनवान हैं भारत के लोग। हर चीज़ को बांट कर खाना इनके स्वभाव में है।

यही मर्म है इस पूरी पुस्तक का। बांट कर खाना, सूखी रोटी में भी आनंद लेना, ये भारत की  संस्कृति रही है। संपादकों ने इस पुस्तक को बिल्कुल सही नाम दिया है - पोषण उत्सव अपने यहां तो हर उत्सव भोजन से जुड़ा है, और हर भोजन उत्सव-स्वरूप है।

लोकगीतों के माध्यम से पोषण का ज्ञान अगली पीढ़ी को सौंपना, अपने देश की माताओं, बहनों, दादी, नानी को बखूबी आता था। गीत गुनगुनाते हुए वे बहुत सहजता से, सरलता से, और बहुत सुरीलेपन के साथ ये ज्ञान साझा करती थीं।

देश के मंदिरों, गुरुद्वारों में प्रसाद के माध्यम से पोषण आम भक्तों के लिए कैसे सुनिश्चित होता था, इसका खूबसूरत वर्णन किया गया है इस पुस्तक में। गुरुद्वारों में सिर्फ सिख समाज ही नहीं, विभिन्न वर्गों व संप्रदायों के लोग एक ही पंगत में गुरु जी का लंगर छकते हैं। इस पुस्तक में इस पर एक पूरा चैप्टर है।

पंजाब में सरसों का साग और मक्की की रोटी के गीत मिलते हैं, तो राजस्थान में दाल बाटी चूरमे का स्वाद इन गीतों में झलकता है।

मैं राजस्थान का रहने वाला हूं और पंजाब की तरह वह भी वीरों की भूमि है। दोनों राज्यों में अपने महापुरुषों ने आततायियों से लड़ते हुए किस तरह से पौष्टिक भोजन की कल्पना की, कोई सैनिक भूखा न रहे, इसके लिए कैसा भोजन उन्होंने तैयार किया, इसका खूबसूरत वर्णन इस पुस्तक में किया गया है।

देवियो और सज्जनों,

मुझे बताया गया है कि इससे पहले कर्नाटक और केरल के राजभवनों में भी इस पुस्तक का क्षेत्रीय लोकार्पण हो चुका है।

‘पोषण उत्सव’ पुस्तक न केवल पोषण और स्वास्थ्य के प्रति हमारी जिम्मेदारी को समझाने का माध्यम है, बल्कि समाज को एक नई दिशा देने की प्रेरणा भी है। यह पुस्तक हमारी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक होने के साथ-साथ समाज में पोषण और स्वास्थ्य के महत्व को समझाने का एक प्रेरणादायक माध्यम भी है।

हम सभी जानते हैं कि भारत जैसे देश में, जहाँ जनसंख्या विविधता से भरी हुई है, वहां कुपोषण और भुखमरी जैसी समस्याएं अभी भी गंभीर रूप से मौजूद हैं। हमारे बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर में सुधार करना, सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है।

पोषण उत्सव पुस्तक इस दिशा में एक अद्वितीय पहल है। इसमें न केवल पोषण के वैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, बल्कि यह भी बताया गया है कि हमारी पारंपरिक भोजन प्रणालियाँ कितनी लाभकारी हैं।

यह पुस्तक भोजन पर एक एटलस के रूप में डिजाइन की गई है, जो सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जानकारी प्रदान करती है। इसका उद्देश्य प्राचीन पोषण परंपराओं को फिर से जीवित करना, ज्ञान के आदान-प्रदान और अंतर-पीढ़ीगत शिक्षण की सुविधा प्रदान करना है।

मित्रों,

भारत में प्राचीन पोषण प्रणाली वैदिक काल, आयुर्वेद, और पारंपरिक खानपान पर आधारित थी।

इस प्रणाली में न केवल शरीर को पोषण प्रदान करने का ध्यान रखा गया, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दी गई। इसे संतुलित आहार और जीवनशैली के नियमों के साथ जोड़ा गया।

आयुर्वेद, जोकि भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, भोजन को ‘‘औषधि’’ के रूप में देखती है। इसके अनुसार, व्यक्ति का आहार उसकी प्रकृति (वात, पित्त, कफ) के अनुसार होना चाहिए। यह प्राचीन प्रणाली न केवल शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक थी, बल्कि मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य भी स्थापित करती थी।

मिलेट्स, जिन्हें हम मोटा अनाज, श्री अन्न, या छोटे अनाज के नाम से भी जानते हैं, में ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी, और सांवा जैसे अनाज आते हैं। ये अनाज प्राचीन समय से हमारे आहार का हिस्सा रहे हैं और आयुर्वेद में भी इन्हें ‘‘सुपोषण देने वाला भोजन’’ कहा गया है।

आज के समय में जंक फूड और अस्वस्थ आहार के कारण हम कई प्रकार की बीमारियों से घिर गए हैं। ऐसे में मिलेट्स हमारे लिए एक स्वस्थ और टिकाऊ विकल्प हैं। सरकार भी मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएँ चला रही है। संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को ‘‘अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष’’ घोषित किया था, जिससे इनकी महत्ता और भी बढ़ गई है।

मित्रों, मिलेट्स न केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। हमें अपने आहार में इन पोषण से भरपूर अनाजों को शामिल करना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए।

पोषण का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है। यह न केवल हमारे शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करता है, बल्कि हमारे पूरे समाज और राष्ट्र की उन्नति का आधार भी है। सही पोषण के अभाव में बच्चे कमजोर और बीमार हो जाते हैं, जिससे उनका संपूर्ण विकास बाधित होता है।

इसी तरह, महिलाओं और गर्भवती माताओं में कुपोषण एक गंभीर समस्या है, जो अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है।

पोषण केवल आहार तक सीमित नहीं है; यह एक स्वस्थ और सशक्त जीवन की नींव है। एक स्वस्थ समाज की कल्पना तभी की जा सकती है, जब हर नागरिक सही पोषण प्राप्त करे। हमारी सरकार और समाज ने मिलकर पोषण अभियान के माध्यम से देशभर में पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक अभूतपूर्व प्रयास किया है।

जैसा कि आप सभी जानते हैं, हमारा देश यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है कि हमारे बच्चे सुरक्षित, देखभाल और प्यार भरे माहौल में बड़े हों।

सही पोषण से न केवल बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है, बल्कि यह उनकी शिक्षा और उत्पादकता पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।

इसके लिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार द्वारा देश भर में पोषण अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत मार्च 2018 में पोषण माह अभियान की शुरूआत की गई है जिसके अन्तर्गत हर साल सितंबर महीने को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है। यह पहल समाज में पोषण के महत्व को समझाने और पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है।

अच्छा स्वास्थ्य एक पूर्ण जीवन के लिए अनिवार्य शर्त है। मुझे खुशी है कि सरकार ने पोषण अभियान के माध्यम से इस चिंता को दूर करने की पहल की है।

आप सभी जानते हैं कि बच्चे किसी राष्ट्र का भविष्य होते हैं और उनका स्वास्थ्य राष्ट्र के विकास और समृद्धि के लिए एक शर्त है। यह सुनिश्चित करना सभी की जिम्मेदारी है कि हमारे बच्चों को सर्वोत्तम बचपन मिले।

हमारा देश अपने आर्थिक और सामाजिक विकास लक्ष्यों को पूरा करने की आकांक्षा रखता है और इसे पूरा करने के लिए कुपोषण एक प्रमुख क्षेत्र है जिस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। गर्भवती महिलाओं, माताओं और बच्चों के समग्र विकास और पर्याप्त पोषण को सुनिश्चित करने के लिए लोगों की भागीदारी आवश्यक है।

हमारे देश की पारंपरिक भोजन पद्धति में पहले से ही संतुलित और पोषण युक्त आहार का महत्व बताया गया है। दाल, चावल, हरी सब्जियाँ, फल, दूध, और सूखे मेवे जैसे खाद्य पदार्थ हमारी थाली में पोषण का खजाना लेकर आते हैं। हमें बस यह समझने की जरूरत है कि जंक फूड और अस्वास्थ्यकर आदतों से बचते हुए सही और संतुलित आहार का चयन करें।

आखिरकार, स्वस्थ नागरिक ही एक मजबूत समाज, मजबूत अर्थव्यवस्था और एक विकसित राष्ट्र का आधार होते हैं। और स्वस्थ शरीर और मन का मूल आधार है सही पोषण। यदि हम एक स्वस्थ, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत का सपना देखते हैं, तो हमें पोषण को प्राथमिकता देनी होगी।

मित्रों, मैं इस पुस्तक के लेखकों और प्रकाशकों को बधाई देना चाहूंगा, जिन्होंने इतने सरल और प्रभावी तरीके से इस महत्वपूर्ण विषय को प्रस्तुत किया है।

यह पुस्तक न केवल हमारी जानकारी बढ़ाएगी, बल्कि हमें एक स्वस्थ समाज के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित भी करेगी।

पुस्तक में वर्णित कहानियाँ, तथ्य, और प्रेरणादायक विचार निश्चित रूप से हर वर्ग और हर आयु के लोगों के लिए उपयोगी साबित होंगे। यह बच्चों के लिए पोषण के महत्व को समझने में सहायक होगी और माता-पिता को यह सिखाएगी कि कैसे अपने परिवार के लिए सही आहार सुनिश्चित किया जाए।

अंत में, मैं सभी से निवेदन करता हूँ कि इस पुस्तक को पढ़ें, इससे सीखें और इस संदेश को अपने आसपास के लोगों तक पहुँचाएँ। क्योंकि जब हर व्यक्ति पोषण के महत्व को समझेगा, तभी हम एक स्वस्थ, सशक्त, और प्रगतिशील भारत का सपना साकार कर पाएंगे।

धन्यवाद,

जय हिंद!