SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF 22nd annual event of Swami Mohan Dass Model School at Jalandhar on November 30, 2024.

स्वामी मोहन दास मॉडल स्कूल के वार्षिक समारोह पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 30.11.2024, शनिवारसमयः शाम 3:45 बजेस्थानः जालंधर

सभी को मेरा नमस्कार!

यह मेरे लिए हर्ष का विषय है कि मैं स्वामी मोहन दास मॉडल स्कूल के 22वें वार्षिक समारोह के अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित हुआ हूं। आज, हम विद्यालय की स्थापना के 21 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, जो इसके उत्कृष्ट विकास और स्थायी आकर्षण का प्रमाण है।

यह विद्यालय 2003 में श्रद्धेय स्वामी मोहनदास जी महाराज द्वारा स्थापित किया गया था, जिसे सीबीएसई बोर्ड की मान्यता प्राप्त है ।

यह संस्थान महाराज जी एवं प्रमुख गद्दीनशीन गुरु माँ सोमा देवी जी के समर्पण, कड़ी मेहनत और अटूट कृपा के माध्यम से फल-फूल कर हमारे समुदाय में ज्ञान और चरित्र का प्रतीक बन गया है।

देवियो और सज्जनों,

श्री श्री 1008 योगीराज महामंडलेश्वर स्वामी मोहन दास जी महाराज का जन्म 18 नवंबर, 1920 में बुजा, नजदीक सीकर, राजस्थान में हुआ था। बुद्धिजीवी होने के साथ-साथ दयालु हृदय के मालिक स्वामी मोहन दास जी महाराज ने किसी भी प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ इत्यादि में बढ़-चढ़कर योगदान दिया और जरूरतमंदों की सहायता की।

महाराज जी के दिशानिर्देश अनुसार हर बसंत पंचमी के दिन सामूहिक विवाह करवाए जाते हैं। उनके द्वारा चार आश्रम जालंधर, जयपुर, हरिद्वार और कनाडा में स्थापित किए गए हैं।

स्वामी मोहन दास जी महाराज की भावना और कृपा इस संस्थान को हर दिन आशीर्वाद दे रही है, और उनकी विरासत आश्रम के समर्पण, ज्ञान और प्रेम के साथ नेतृत्व करने वाली सम्मानित गुरु माँ सोमादेवी जी के मार्गदर्शन से जीवित है।

इस स्कूल द्वारा प्रदान की जाने वाली शैक्षणिक, खेल और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों की सहायता से इसके विद्यार्थी नई ऊँचाइयाँ हासिल करके डॉक्टर, इंजीनियर आदि के रूप में चमक रहे हैं। इन छात्रों को एक सफल भविष्य के लिए आवश्यक मूल्यों, ज्ञान और कौशल के साथ पोषित किया जा रहा है।

मित्रों,

किसी राष्ट्र की ताकत और जीवन शक्ति उसके युवाओं के हाथों में होती है। युवा सकारात्मक परिवर्तन के अग्रदूत हैं। उनमें बेहतर भविष्य को आकार देने के लिए आवश्यक ऊर्जा, उत्साह और रचनात्मकता होती है।

19वीं सदी के भारतीय दार्शनिक, आध्यात्मिक नेता, और महान विचारक स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि युवा भारत और दुनिया के उत्थान के लिए प्रेरक शक्ति होते हैं। भारत विश्व का सबसे युवा राष्ट्र है। विश्व की 65 प्रतिशत युवा आबादी हमारे देश में निवास करती है। हमारी युवा पीढ़ी भारत का असली धन हैं।

इसमें दो राय नहीं कि बच्चों के व्यवहारिक और शैक्षणिक विकास में अभिभावकों और गुरुजनों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।

मित्रों,

छात्रशक्ति में ही राष्ट्र की शक्ति निहित है, जो तभी संभव है, जब विद्यार्थी कुशल व्यक्तित्व और कुशल नेतृत्व का गुण धारण करेंगे। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्वशक्ति के रूप में अग्रसर है और भारत के युवाओं के लिए स्वयं को साबित करने का यही श्रेष्ठ अवसर है।

आज जो विद्यार्थी हैं, वे ही कल भारत के नागरिक होंगे। इसलिए देश का संपूर्ण दायित्व विद्यार्थियों के ही ऊपर है, क्योंकि भारत की उन्नति और उसका उत्थान उन्हीं की उन्नति और उत्थान पर निर्भर करता है।

मित्रों,

प्रौद्योगिकी वर्तमान समाज के लिए एक वरदान है। प्रौद्योगिकी के कारण हमारी जीवन शैली में कई बड़े बदलाव आए हैं। हमारे कार्य करने के तरीके सुगम हो गए हैं। हालाँकि, प्रौद्योगिकी के नकारात्मक प्रभावों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।

युवा इन तकनीकी सुविधाओं से अत्यधिक आकर्षित हो रहे हैं। विशेषकर वे सोशल मीडिया पर अपना अत्यधिक और बहुमूल्य समय नष्ट कर रहे हैं। इसलिए मेरा आप सभी विद्यार्थियों को परामर्श है कि आप अपने सुरक्षित और सफल भविष्य के लिए प्रौद्योगिकी और तकनीकों का बुद्धिमतापूर्वक उपयोग करें तथा ज्ञान और कौशल अर्जित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करें।

सफलता आपको कभी भी 1 दिन में नहीं मिलती है, लेकिन एक दिन जरूर मिलती है। जिस तरह दिन और रात एक जैसे नहीं होते, उसी तरह हमारे जीवन के सफर में भी कई उतार-चढ़ाव आते हैं।

यहां मैं आपके साथ मकड़ी से जुड़ी एक कहानी साझा करना चाहता हूं जो शायद आपने पढ़ी ही होगी। एक बार राजा ब्रूस लड़ाई में हार गए और डर के कारण एक गुफा में छिप गए। गुफा की दीवार पर राजा को एक मकड़ी दिखाई दी, जो बार-बार छत पर चढ़ने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह बार-बार नीचे गिर जाती थी। राजा को यह देखकर आश्चर्य हुआ और उन्हें मकड़ी से बहुत प्रेरणा मिली। राजा ने सोचा कि अगर एक छोटी मकड़ी बिना उम्मीद खोए बहादुरी से ऐसा कर सकती है, तो मैं भी ऐसा कर सकता हूँ। राजा ने फिर से अपनी सेना खड़ी करने का फ़ैसला किया और युद्ध में जीत हासिल की।

अतः सफल वे ही होते हैं, जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार आगे बढ़ते रहते हैं। अपनी सोच और कार्यों में सकारात्मक रहें और अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहें।

देवियो और सज्जनो,

छात्रों को 21वीं सदी की समस्याओं को हल करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके तेज़ी से सोचने, और नवाचार करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

यहाँ नई शिक्षा नीति का उल्लेख करना उचित है, जिसे तेजी से बदलती दुनिया के लिए शिक्षा को प्रासंगिक बनाने के लिए पेश किया गया है। एक तरह से, नई शिक्षा नीति ने शिक्षा को कला/विज्ञान/वाणिज्य आदि में सख्त बंधन से मुक्त कर दिया है। नई शिक्षा नीति छात्रों को अधिक लचीला, अनुकूलनीय और अंतःविषय प्रकृति का होने की अनुमति देती है।

यह नैतिकता और मानवीय और संवैधानिक मूल्यों जैसे सहानुभूति, दूसरों के प्रति सम्मान, स्वच्छता, शिष्टाचार, लोकतांत्रिक भावना, सेवा की भावना, सार्वजनिक संपत्ति के प्रति सम्मान, वैज्ञानिक स्वभाव, स्वतंत्रता, जिम्मेदारी, बहुलवाद, समानता और न्याय पर जोर देती है।

शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का एक शक्तिशाली साधन होता है। छात्रों को दी जाने वाली शिक्षा गुणवत्तापूर्ण, आधुनिक समय की नैतिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाने वाली और हमारे नैतिक गुणों के अनरूप होनी चाहिए और साथ ही शिक्षकों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित भी होना चाहिए।  

याद रखें कि एक छात्र का अपने शिक्षक के साथ संबंध शैक्षणिक सफलता को प्रभावित कर सकता है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है, ‘आचार्य देवो भवः’, यानी, ‘शिक्षक भगवान है’। एक और लोकप्रिय श्लोक है, ‘गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा’, जो यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि छात्रों के जीवन में शिक्षक की प्रमुख भूमिका होती है।

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर कहते थे कि ‘‘जब मैं कुछ भी सिखाता हूँ, तो मैं प्रेमपूर्वक सिखाता हूँ’’। इसलिए शिक्षक के पेशे का रहस्य, उसकी सफलता का रहस्य, या जीवन में उसके द्वारा अर्जित सम्मान का रहस्य प्रेम के माध्यम से शिक्षण के प्रति उसका दृष्टिकोण होता है।

बंधुओं,

सरकार भी शिक्षा के विकास के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रही है। पंजाब के स्कूलों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था लागू करने के लिए कई महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम उठाए गए हैं। नई शिक्षा नीति के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी, कौशल विकास पर आधारित शिक्षा पर अधिक जोर दिया जा रहा है ताकि युवा पीढ़ी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी शिक्षा और कौशल का उपयोग देश व समाज के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में कर सके।

यहां मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि पंजाब की स्कूली शिक्षा संरचना देश के कई अन्य राज्यों की तुलना में बहुत अच्छी है और आमतौर पर स्कूल बच्चों के घरों के करीब ही हैं। देश के उन राज्यों में जहां कई किलोमीटर तक कोई स्कूल नहीं है और बच्चों को स्कूल तक लाने-ले जाने का कोई साधन नहीं है, वहां पंजाब में बच्चों को स्कूल आने-जाने में कोई समस्या नहीं है।

हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश में शिक्षा का प्रसार करने के लिए जनजातीय इलाकों में 700एकलव्य स्कूल खोलने की घोषणा की है, जिसमें 10 स्कूल शुरू भी हो चुके हैं।

हालाँकि, पंजाब में सरकारी स्कूलों के साथ-साथ सामाजिक और धार्मिक हस्तियों द्वारा संचालित ट्रस्टों द्वारा भी शिक्षा के प्रसार के लिए बड़े पैमाने पर स्कूल खोले गए हैं। इसके अलावा, निजी संस्थाओं द्वारा भी स्कूलों का संचालन किया जा रहा है, जहाँ बच्चों को आधुनिक सुविधाएँ प्रदान कर उन्नत शिक्षा प्रदान की जा रही है।

लेकिन यहां मैं बताना चाहूंगा कि शिक्षा का अधिकार किसी एक वर्ग तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी धर्मों, सभी जातियों और हर अमीर और गरीब व्यक्ति को शिक्षा का समान अधिकार है। हमें इसे सच करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए कि देश के गरीब से गरीब परिवार का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।

एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भले ही आज हमारे देश में लड़कियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की प्रगति में योगदान दे रही हैं, लेकिन अभी भी हमारे समाज में लड़कियों को शिक्षित करने के लिए बड़े कदम उठाने की जरूरत है। हमें विशेष रूप से पिछड़े इलाकों में लड़कियों के लिए सरकारी और निजी संस्थान स्थापित करने चाहिए।

हम अच्छी शिक्षा के बिना अधूरे हैं, क्योंकि शिक्षा हमें सही सोचने वाला और सही निर्णय लेने वाला बनाती है।

मेरे प्रिय विद्यार्थियों,

शिक्षा केवल ज्ञानार्जन करना नहीं है। इसका अर्थ खुश रहने, दूसरों को खुश करने, समाज में रहने, चुनौतियों का सामना करने, दूसरों की मदद करने, बड़ों की देखभाल करने, दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करने के तरीकों को सीखना भी है।

संविधान निर्माता एवं राष्ट्र-निर्माता बाबासाहब आंबेडकर का मानना था कि चरित्र, शिक्षा से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। वे मानते थे कि ऐसा शिक्षित व्यक्ति जिसमें चरित्र और विनम्रता न हो, हिंसक जीव से भी अधिक खतरनाक होता है। उसकी शिक्षा से यदि गरीबों की हानि हो तो वह व्यक्ति समाज के लिए अभिशाप है।

मेरा आप सभी से आग्रह है कि आप जहां भी हों, कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे आपके चरित्र पर कोई लांछन आए। उच्चतम नैतिक मूल्य आपके व्यवहार और कार्य-शैली का हिस्सा हों। आपके जीवन के हर पहलू में सत्यनिष्ठा हो। आपका हर कार्य न्यायपूर्ण और नीति संगत हो।

प्रिय विद्यार्थियों,

हमने वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखा है। आपकी पीढ़ी के योगदान के बल पर ही यह राष्ट्रीय लक्ष्य प्राप्त करना संभव हो सकेगा। मैं आशा करता हूं कि आप राष्ट्र निर्माण में यथाशक्ति सर्वाधिक योगदान देंगे।

मैं स्वामी मोहन दास मॉडल स्कूल को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। यह संस्था दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की करती रहे और सफलता के नए शिखर छूए। मैं कामना करता हूं कि स्वामी मोहन दास जी महाराज का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे और इस विद्यालय और चारों आश्रमों को बेहतर उपलब्धियों और उज्ज्वल भविष्य की ओर मार्गदर्शन करता रहे।

इस अद्भुत अवसर पर पूरे स्वामी मोहन दास मॉडल स्कूल समुदाय को धन्यवाद और बधाई। आगे की यात्रा और भी अधिक संतुष्टिदायक और गौरवशाली हो।

धन्यवाद,

जय हिन्द!