SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF FOUNDATION DAY OF NAGALAND AND ASSAM AT PUNJAB RAJ BHAVAN ON DECEMBER 2, 2024.

असम और नागालैंड स्थापना दिवस के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांक:02.12.2024,  सोमवारसमयःशाम 4:00 बजेस्थानः पंजाब राजभवन

    

सभी को मेरा नमस्कार!

आज हम यहां ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ के अंतर्गत असम और नागालैंड का स्थापना दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। असम और नागालैंड दिवस के इस शुभ अवसर पर, मैं आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ। 

यह दिन इन दोनों राज्यों के इतिहास, संस्कृति, और इनकी उपलब्धियों को याद करने का अवसर है।

इन दोनों राज्यों का स्थापना दिवस हमें उस गौरवशाली दिन की याद दिलाता है, जब ये राज्य अस्तित्व में आये। यह दिन केवल एक भौगोलिक सीमा का निर्माण नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर, समृद्ध परंपराओं और एकजुटता का प्रतीक है।

मित्रों,

भारत, जिसे ‘‘अनेकता में एकता’’ का प्रतीक माना जाता है, दुनिया का एक ऐसा देश है जहाँ भाषा, धर्म, संस्कृति, परंपराएँ, और जीवनशैली में अनगिनत विविधताएँ हैं। 

यहाँ हर कुछ किलोमीटर की दूरी पर भाषा, खान-पान और पहनावे में परिवर्तन देखने को मिलता है, फिर भी यह देश राष्ट्रवाद एकता के सूत्र में बंधा हुआ है। 

इसी दृष्टिकोण से हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्रीय एकता दिवस के उपलक्ष्य में 31 अक्टूबर 2015 को “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की महत्वकांक्षी योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य मौजूदा सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में एकता को बढ़ावा देना है। 

‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना की मजबूती के लिए हर प्रदेश में ‘राज्य स्थापना दिवस’ मनाना, अपने आप में महत्वपूर्ण है। 

स्थापना दिवस का यह कार्यक्रम कला, संगीत, नृत्य, आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने का काम कर रहा है, उनके बीच सांस्कृतिक और भाषाई आदान-प्रदान को बढ़ावा दे रहा है। 

देवियो और सज्जनों,

भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं और 19,500 से अधिक बोलियाँ बोली जाती हैं जो इसे दुनिया का सबसे बहुभाषी देश बनाती हैं। हर राज्य का अपना एक सांस्कृतिक रंग है। 

धर्म और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में भी भारत विश्व में अद्वितीय है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी, और यहूदी समुदाय यहाँ सौहार्दपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। यह विविधता हमें सहिष्णुता और भाईचारे का संदेश देती है।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्तमान समय तक, विविधता में एकता का दर्शन हमारी राष्ट्रीय एकता का मूल आधार रहा है। जब भी देश पर कोई संकट आया है, हर धर्म, जाति, और भाषा के लोग एक साथ खड़े हुए हैं।

भारत में हर धर्म और समुदाय के त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। दीवाली, ईद, क्रिसमस, गुरुपर्व, और बौद्ध पूर्णिमा जैसे त्योहारों का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि वे सभी के लिए एक साथ आने का अवसर प्रदान करते हैं।

कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरा भारत एक है जो उस गुलदस्ते की भांति है जो अलग-अलग रंग और सुगंध के फूलों को समेटे हुए है।

आज जब हम असम और नागालैंड राज्यों का स्थापना दिवस मना रहे हैं, तो इन राज्यों की कुछ विशेषताओं से मैं आपको परिचित करवाना चाहूंगा।

असम

मैं तो असम का राज्यपाल रहा हूं। इसलिए मैं तो इस प्रदेश से भलिभांति परिचित हूं।

असम विविधताओं से भरी भूमि है, जिसे उसकी हरियाली, शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी और मेहनती लोगों ने अद्वितीय बनाया है। चाय के बागानों से लेकर बिहू उत्सव की उल्लासपूर्ण धुनों तक, सत्त्रिया नृत्य और अहोम साम्राज्य के गौरवशाली इतिहास तक, असम ने हमेशा भारत की संस्कृति और परंपराओं में एक विशेष स्थान बनाया है।

आज का दिन हमें महान स्वर्गदेव सुकाफा की याद दिलाता है, जिन्होंने अहोम साम्राज्य की नींव रखी थी। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व ने असम में एकता और सौहार्द्र की संस्कृति को जन्म दिया, जो आज भी हमें प्रेरित करती है।

असम भारत की विविधता का प्रतीक है, जहाँ अनेक समुदाय, भाषाएँ और परंपराएँ शांतिपूर्ण ढंग से सह-अस्तित्व में रहती हैं। असम की भूमि जैव विविधता का भंडार है और साथ ही कला, साहित्य और हस्तशिल्प का केंद्र भी।

यहाँ के पर्यटन स्थलों में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, तिलिंगा मंदिर, माजुली द्वीप, कामाख्या मंदिर प्रमुख हैं।

इस राज्य में सबसे अधिक चाय का उत्पादन होता है जो देश-विदेश में बहुत पसंद की जाती है। यहाँ चाय के बागान सबसे अधिक देखने को मिलते हैं।

असम ने दुनिया को ज्योति प्रसाद अग्रवाल, भूपेन हजारिका और विष्णु प्रसाद राभा जैसे महान कलाकार दिए हैं, जिन्होंने असम की सांस्कृतिक संपदा को विश्व मंच तक पहुँचाया।

अगर हम इतिहास के पन्नों को पलट कर देखेंगे तो पता चलेगा कि असम के लोगों ने अनेकों बार तुर्कों, अफगानों, मुगलों के आक्रमणों का मुक़ाबला किया, और आक्रमणकारियों को पीछे खदेड़ा। 

अपनी पूरी ताकत झोंककर मुगलों ने गुवाहाटी पर कब्ज़ा कर लिया था। लेकिन, लचित बोरफुकन जैसे योद्धा आए, और अत्याचारी मुगल सल्तनत के हाथ से गुवाहाटी को आज़ाद करवा लिया।

औरंगजेब ने हार की उस कालिख को मिटाने की हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन वो हमेशा-हमेशा असफल ही रहा। 

वीर लचित बोरफुकन ने जो वीरता दिखाई, जो साहस दिखाया, वो मातृभूमि के लिए अगाध प्रेम की पराकाष्ठा भी थी। लचित बोरफुकन जैसा साहस, उनके जैसी निडरता, यही तो असम की पहचान है। 

स्वाधीनता संग्राम और भारत के नवनिर्माण में अमूल्य योगदान देने वाले भारत-रत्न, लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई की स्मृति को भी मैं सादर नमन करता हूं।

आज असम शिक्षा, प्रौद्योगिकी, पर्यटन और उद्योग के क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है। यह असम के लोगों की कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का परिणाम है।

नागालैंड

नागालैंड की बात करूं तो इसका गठन 1 दिसंबर 1963 को इसे असम से अलग करके ही किया गया था। नागालैंड का उद्घाटन करते समय, डॉ. एस. राधाकृष्णन ने नागा लोगों की प्रशंसा करते हुए कहा था, ‘‘आपमें न केवल निष्ठा, वीरता और अनुशासन के गुण हैं, बल्कि मेहनत की आदत, सौंदर्य की सहज भावना और कलात्मक कौशल भी है... मुझे उम्मीद है कि सभी नागा लोग उन्हें मिले नए अवसरों का पूरा लाभ उठाएंगे और देश की समृद्धि और प्रगति के निर्माण में हिस्सा लेंगे।’’

नागालैंड न केवल अपनी भौगोलिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ की विविध परंपराएँ और समुदायों के बीच की एकता इसे और भी खास बनाती हैं। अपने पहाड़ों, सुरम्य परिदृश्य, जंगलों और हरियाली के कारण, नागालैंड को अक्सर ‘‘पूर्व का स्विट्जरलैंड’’ कहा जाता है।

नागालैंड भारत का एक अनमोल हिस्सा है। नागा संस्कृति अपने संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प और त्योहारों के लिए जानी जाती है। विशेष रूप से, हॉर्नबिल महोत्सव ने नागालैंड को वैश्विक पहचान दी है। गीत और नृत्य, दावतें और त्यौहार नागा जीवन का अभिन्न अंग हैं।

नागालैंड की सबसे बड़ी विशेषता इसकी विविधता है। यहाँ की विभिन्न जनजातियाँ अपने अद्वितीय रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ हमारे देश की सांस्कृतिक माला में एक सुंदर मोती की तरह हैं।

देवियो और सज्जनो,

किसी भी राज्य का विकास केवल सरकार के प्रयासों से ही नहीं होता, बल्कि इसमें हर नागरिक का योगदान महत्वपूर्ण होता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने राज्यों की शांति, सद्भावना, और अखंडता को बनाए रखें।

हर राज्य का विकास भारत की समग्र प्रगति में योगदान देता है। राज्यों का दायित्व है कि वे अपनी विशिष्टता के अनुसार कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में काम करें। 

इसके अलावा मैं समझता हूं कि राज्यों को अपने क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर, भाषा, और परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने का काम निरंतर करते रहना चाहिए क्योंकि विविधता ही भारत की असली ताकत है।

साथ ही राज्यों की शिक्षा नीति और स्वास्थ्य सेवाएँ जैसे महत्वपूर्ण पहलु सीधे नागरिकों के जीवन को प्रभावित करते हैं। राज्यों का कर्तव्य है कि वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करें। 

राज्य सरकारों का एक प्रमुख कर्तव्य कानून और व्यवस्था बनाए रखना भी है। 

शांति और स्थिरता केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक का दायित्व है। जब हम मिलकर समाज में शांति और सद्भावना बनाए रखने की कोशिश करते हैं, तो हम अपने देश को प्रगति और समृद्धि की ओर ले जाते हैं।

हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा, जब हर राज्य अपनी जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ निभाए। हर राज्य का विकास भारत के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मैं राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने में देश के प्रत्येक राज्य की भूमिका की सराहना करता हूं और आशा करता हूं कि असम और तेलंगाना दोनों राज्य 2047 के भारत को साकार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

मेरा पूर्ण विश्वास है कि हमारा देश अपने लक्ष्यों को जल्द पूरा करते हुए श्रेष्ठ भारत बनेगा।

अंत में मैं कहना चाहूंगा कि अनेकता ही हमारी ताकत है, और इस विविधता में निहित एकता ही भारत की असली पहचान है। आइए, इस विविधता को संजोकर रखें और इसे भारत की शक्ति बनाएं।

इसी कामना के साथ एक बार फिर आज के इस अवसर की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!