Speech of Hon'ble Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of 20th Convocation of Dr. B.R.Ambedkar, NIT, Jalandhar on November 16, 2024.

डॉ. बी.आर. अंबेडकर एनआईटी जालंधर के 20वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 16.11.2024 शनिवारसमयः सुबह 11:30 बजेस्थानः एनआईटी जालंधर

मंच पर उपस्थित सम्मानित गणमान्य व्यक्ति, सम्मानित संकाय सदस्य, गौरवान्वित माता-पिता औरसबसे महत्वपूर्ण, डॉ. बी.आर. अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकीसंस्थान, जालंधर के स्नातक छात्र व देवियो और सज्जनो!

डॉ. बी आर अम्बेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानजालन्धर के 20वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर मुख्यअतिथि बनना मेरे लिए गौरव की बात है।

मैं स्नातक करने वाले विद्यार्थियों को हार्दिक बधाईदेता हूँ, तथा पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को विशेषबधाई देता हूँ। मैं सभी गौरवान्वित माता-पिता को भी बधाईदेता हूँ, मैं संकाय कर्मचारियों और प्रशासन को भी बधाईदेता हूँ, जिन्होंने देश के युवाओं को उद्योग, राष्ट्र, पर्यावरणऔर समग्र रूप से समाज के लिए बहुमूल्य योगदान देने हेतुसक्षम व्यक्तियों के रूप में तैयार करने के लिए अपनी दृढ़प्रतिबद्धता दिखाई है।

डॉ. बी.आर. अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर 1987 में क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप मेंअपनी स्थापना के बाद से, यह संस्थान भारत केइंजीनियरों, विचारकों और नेताओं को आकार देने के लिएप्रतिबद्ध है।

प्रारंभ में 260 छात्रों के प्रवेश के साथ जालंधर मेंपंजाब का 17वां क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापितकरने का विचार सामने आया।

153 एकड़ के परिसर में 50 प्रतिशत सीटें पंजाब केलिए और शेष 50 प्रतिशत सीटें अन्य राज्यों के छात्रों केलिए आरक्षित थीं, जिससे कि लघु भारत का अहसास होसके।

इसकी शुरूआत क्षेत्र में तकनीकी संस्थानों कोअकादमिक नेतृत्व प्रदान करने के लिए केंद्र और राज्यसरकार के संयुक्त उद्यम के रूप में शुरू हुई। यह यात्रा वर्ष1989 में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर से संबद्धतीन शाखाओं-इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशनइंजीनियरिंग, इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग और टेक्सटाईलटेक्नोलॉजी में 100 छात्रों के प्रवेश के साथ शुरू हुई।

भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा 17अक्टूबर 2002 को इसे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कादर्जा दिया गया।

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2004 में इसे “राष्ट्रीय महत्व केसंस्थान” के रूप में मान्यता दी गई है।

संस्थान के 17 शैक्षणिक विभाग कंप्यूटर विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, सिविल, मैकेनिकल, बायोटेक्नोलॉजी औरकेमिकल इंजीनियरिंग सहित विभिन्न विषयों में कार्यक्रमोंकी एक मजबूत श्रृंखला प्रदान करते हैं।

प्रिय स्नातको,

दीक्षांत समारोह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है - जीवन के एक चरण से दूसरे चरण में परिवर्तन का दिन, जोअनंत अवसरों से भरा है।

सीखना आजीवन होता है। सीखना कभी बंद न करें।आपको हमारे महान विचारक विवेकानंद जी की बुद्धिमानसलाह पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा था कि, ‘‘उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक लक्ष्य प्राप्त न होजाए।’’

मित्रों,

हम सब जानते हैं कि आज का युग तकनीकी उन्नति, नवाचार और वैश्विक बदलाव का युग है। ऐसे में युवाओंका सही दिशा में मार्गदर्शन करना और उन्हें उद्योगों कीजरूरतों के अनुसार तैयार करना न केवल उनके व्यक्तिगतविकास के लिए, बल्कि राष्ट्र की समृद्धि के लिए भी अत्यंतआवश्यक है।

आज से कुछ दशकों पहले, पारंपरिक उद्योगों काप्रमुख आधार मैन्युफैक्चरिंग, कारीगरी और भौतिक श्रमहुआ करता था।

लेकिन आज, जैसे-जैसे समय बदल रहा है, उद्योगों मेंभी न केवल प्रक्रियाएँ बदल रही हैं, बल्कि उनकी संरचनाऔर कार्यशैली भी पूरी तरह से विकसित हो चुकी है।कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डेटा साइंस, ऑटोमेशन, रोबोटिक्स, और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसे उभरते क्षेत्रों नेपारंपरिक क्षेत्रों को एक नई दिशा दी है।

अब हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि आर्टिफिशियलइंटेलिजेंस (एआई) के युग में प्रवेश कर चुके हैं जो पहले सेही मुख्यधारा की तकनीक बन चुकी है। विकसित देशों मेंलगभग 60 प्रतिशत नौकरियां, तथा कम विकसित औरविकासशील देशों में 26-40 प्रतिशत नौकरियां पहले हीकृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़ी हुई हैं।

आज, कंपनियां सिर्फ श्रमिक नहीं, बल्कि उन युवा, सृजनशील और तकनीकी दक्षताओं से संपन्न व्यक्तियों कीतलाश कर रही हैं, जो न केवल पारंपरिक कामों को अंजामदे सकें, बल्कि भविष्य की तकनीकी और डिजिटलचुनौतियों का सामना भी कर सकें। ऐसे में, युवाओं के लिएयह आवश्यक है कि वे न केवल अपने वर्तमान कौशलों कोअपडेट करें, बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूपनई-नई क्षमताओं का विकास भी करें।

उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए यह जरूरी है कि वेअपना ध्यान ‘ज्ञान-संचालित शिक्षा’ से हटाकर‘क्षमता-संचालित शिक्षा’ पर केंद्रित करें। सरल‘ज्ञान-इंजेक्शन’ देने के बजाय, संस्थानों को समकालीनकौशल विकसित करने और अपने छात्रों के दृष्टिकोण कोउचित आकार देने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकताहै।

शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग की माँगों के बीचतकनीकी कौशल का अंतर है। इस अंतर को दूर करने केलिए हमारे पाठ्यक्रमों को उद्योग मानकों के साथ संरेखितकरने की आवश्यकता हैं। वर्तमान तकनीकी प्रगति कोदर्शाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने के लिएशिक्षा और उद्योग के बीच सहयोग आवश्यक है। यहसंरेखण रोजगार क्षमता को बढ़ाएगा, नवाचार को बढ़ावादेगा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।

युवाओं को सही तरीके से उद्योगों के लिए तैयार करनेके लिए शैक्षिक संस्थानों और उद्योगों के बीच साझेदारी भीआवश्यक है। अगर शैक्षिक संस्थान और उद्योग एक साथमिलकर पाठ्यक्रम तैयार करें और उसमें उद्योग की जरूरतोंके अनुसार सुधार करें, तो यह युवाओं के लिए अधिकलाभकारी साबित होगा। इससे न केवल छात्रों को अधिकव्यावहारिक ज्ञान मिलेगा, बल्कि वे जब उद्योगों में जाएंगे, तो उनके लिए कामकाजी माहौल में सामंजस्य स्थापितकरना आसान होगा।

इसके अलावा, तकनीकी शिक्षा हमारी मातृभाषा मेंसुलभ होनी चाहिए। जब छात्र किसी परिचित भाषा मेंजटिल अवधारणाओं से जुड़ते हैं, तो उनकी समझ गहरीहोती है और सीखना अधिक प्रभावी होता है। इसकासमर्थन करने के लिए, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए किसंदर्भ सामग्री और पाठ्यपुस्तकें छात्रों की मातृभाषा मेंउपलब्ध हों, जिससे शिक्षा अधिक सुलभ और प्रासंगिकहो।

मित्रों,

अब अर्थव्यवस्थायें स्मार्ट बन रही हैं क्योंकि येउच्च-स्तरीय कौशल द्वारा संचालित हो रही हैं। कौशल औरदृष्टिकोण दो ऐसे आधारभूत तत्व हैं, जिन्होंने भविष्य केकार्य के नए नियमों को ध्यान में रखते हुए आधुनिक समयमें ज्ञान और शैक्षणिक पर्याप्तता पर प्रभुत्व प्राप्त कर लियाहै। ये नए उच्च-स्तरीय कौशल न केवल नौकरी पाने केलिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भविष्य में काम करने के लिए भीइन कौशलों की आवश्यकता होगी, जिसमें आपको मशीनोंऔर रोबोटों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी।

आधुनिक युग में अध्ययन की प्रक्रिया निरंतर है, पृथकनहीं है, तथा केवल कक्षाओं तक ही सीमित नहीं है।अध्ययन का स्थान कक्षाओं से आगे तक फैला हुआ है।इसके लिए छात्रों की उच्च, सक्रिय और निरंतर सहभागिताकी आवश्यकता होती है। यह दृष्टिकोण न केवल उनकीरोजगार क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि उनकी शिक्षा कोआनंददायक भी बनाएगा।

शैक्षिक संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा किनए कौशल विकसित करते समय शिक्षा के मूल मूल्यों सेकिसी भी तरह समझौता नहीं किया जाएगा। शैक्षणिकसंस्थान समाज के चरित्र को आकार देने में महत्वपूर्णभूमिका निभाते हैं, जिसमें व्यक्ति ईमानदारी, कृतज्ञता, संयम, विनम्रता, अच्छाई, सच्चाई और बुद्धिमत्ता को दर्शातेहैं।

मित्रों,

2047 तक विकसित भारत की ओर देखते हुए, हमें यहपहचानना होगा कि विकसित भारत का यह दृष्टिकोणहमारे युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर प्रदानकरने पर निर्भर करता है।

वित्तीय पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, प्रत्येकनागरिक के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा इस लक्ष्य को प्राप्तकरने के लिए आवश्यक है।  

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 शिक्षा परसार्वजनिक व्यय बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देती है, जिसका लक्ष्य जीडीपी का 6 प्रतिशत है। यह महत्वाकांक्षीलक्ष्य केवल सरकार, शैक्षणिक संस्थानों और समुदाय केबीच सहयोग से ही प्राप्त किया जा सकता है।

हमें ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जहाँ युवा महिलाएँअपने सपनों को पूरा करने के लिए सशक्त महसूस करें, खासकर STEM (Science Technology Engineering & Mathematics) क्षेत्रों में। महिला छात्रों के लिएछात्रवृत्ति, मेंटरशिप कार्यक्रम और जागरूकता अभियानजैसी पहल लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और शिक्षा मेंबाधाओं को तोड़ने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

मित्रों,

हमारे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, अर्थशास्त्रियों और अन्यपेशेवरों ने आज वैश्विक मंच पर भारत को एक प्रमुखस्थान दिलाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। हमने दुनियाको अपनी बुद्धिमता दिखाई है। भारतीय जहाँ भी जाते हैं, अपनी छाप छोड़ते हैं।

उदाहरण के लिए गूगल और अल्फाबेट इंक केसी.ई.ओ, सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ़्ट के सी.ई.ओ. सत्यनडेला, आईबीएम के सी.ई.ओ. अरविंद कृष्णा, अडोबसिस्टम के सी.ई.ओ. शांतनु नारायण आदि सभी भारतीयमूल के ही हैं जिन्होंने विश्व पटल पर अपनी अनूठी छापछोड़ी है।

इसके अलावा पंजाबियों की बात करें तो विश्व बैंकसमूह के अध्यक्ष अजय बंगा, भारती एयरटेल के संस्थापकव अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल, फ़्लिपकार्ट के पूर्वसी.ई.ओ. और अध्यक्ष सचिन बंसल, ज़ोमैटो के संस्थापकऔर सीईओ दीपिंदर गोयल आदि जैसे दिग्गजों ने देशसहित पूरी दुनिया में पंजाबियों को एक अलग ही पहचानदिलाई है।

इन सबके संघर्ष और सफलता की कहानियाँ हम सभीके लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। इन्होंने न केवल अपनेव्यक्तिगत प्रयासों से सफलता हासिल की, बल्कि भारतीयसमाज और भारत के नाम को भी वैश्विक स्तर पर गर्व सेप्रस्तुत किया है।

इसके अलावा भारत ने मंगलयान और चन्द्रयान जैसेसफल अभियानों से अंतरिक्ष क्षेत्र में जो उपलब्धियाँ हासिलकी हैं, वे न केवल हमारे वैज्ञानिक कौशल को प्रदर्शितकरती हैं, बल्कि हमारे देश के सामर्थ्य और आत्मनिर्भरताको भी स्पष्ट करती हैं।

भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र अब केवल देश की सीमाओंतक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि यह वैश्विक विज्ञान औरप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रेरणा स्रोत बन चुका है। भारतने सूचना प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी-सक्षम सेवाओं में भीखुद को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।

मेरे प्यारे युवा मित्रों,

आप उस मानव संसाधन का प्रतिनिधित्व करते हैं जोहमारे भारत को 2047 तक ले जाएगा, जब राष्ट्र अपनीस्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा।

आज जब आप यहां से स्नातक होकर निकल रहे हैं, तोयाद रखें कि आपका कर्तव्य है कि आप अपने समाज कीजरूरतों का भी ध्यान रखें। एक वैदिक श्लोक है किः

विद्यां ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्।

पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम्।।

अर्थात - ज्ञान विनम्रता पैदा करता है; विनम्रता सेसौभाग्य आता है; सौभाग्य से मनुष्य धर्म करता है; धर्म कापालन करने से व्यक्ति को सुख प्राप्त होता है”।

मित्रों,

हमारे युवा राष्ट्र और समाज का भविष्य हैं। हम शक्तिके इस विशाल भण्डार को मात्र यंत्रवत और यांत्रिकप्राणियों तक सीमित नहीं कर सकते। उनमें आलोचनात्मकचिंतन और दार्शनिक आश्चर्य व्यक्त करने की भी समानक्षमता होनी चाहिए।

यह सब शैक्षणिक संस्थानों की उभयपक्षीय संस्कृतिके माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। हमें निःस्वार्थएवं सक्षम शैक्षणिक नेताओं की आवश्यकता है। स्वार्थीऔर अक्षम नेता हमेशा अपनी स्थिति बचाने का प्रयासकरते हैं और इसलिए, शिक्षार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण केबाधक होते हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों में टीम संस्कृति कीआवश्यकता है, न कि पदानुक्रमित नौकरशाही संस्कृतिकी, ताकि शिक्षार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जासके।

मैं आपके उज्ज्वल भविष्य और जीवन में सफलता केलिए अपनी शुभकामनायें देता हूँ।

मुझे पूरी उम्मीद है कि आज के दीक्षान्त समारोह केस्नातक भारत को उसके विज़न 2047 की ओर आगे लेजाने के लिए उच्च-स्तरीय समकालीन कौशल, आलोचनात्मक सोच, लचीलापन, रचनात्मकता औरउद्यमशीलता क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे।

धन्यवाद,

जय हिन्द!