Speech of Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of Awards on Educators during 4th Edition of FAP Awards - 2024 at Chandigarh University on November 17, 2024.
- by Admin
- 2024-11-17 17:55
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित एफएपी नेशनल अवार्ड 2024 के अवसर पर
राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 17.11.2024 रविवार समयः सुबह 11:00 बजे स्थानः सीयू, मोहाली, पंजाब
सभी को नमस्कार!
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित आज के इस पुरस्कार समारोह में उपस्थित होना मेरे लिए अत्यंत हर्ष का विषय है क्योंकि यह समारोह हमारे राष्ट्र के भविष्य निर्माता माने जाते विद्यार्थियों का मार्गदर्शन कर उनको सही दिशा प्रदान करने वाले हमारे अध्यापकों, प्रिंसिपलों और खेल प्रशिक्षकों सहित उनके स्कूलों को पुरस्कृत करने के लिए आयोजित किया गया है।
सर्वप्रथम, मैं सभी अध्यापकों, प्रिंसिपलों, खेल प्रशिक्षकों और विद्यालयों का हृदय से धन्यवाद करता हूँ, जिनके कठिन परिश्रम, समर्पण और उत्साह से बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव हो पाता है। और साथ ही आज सम्मानित किए गए सभी अध्यापकों, प्रिंसिपलों, खेल प्रशिक्षकों और विद्यालयों को बधाई भी देता हूं।
यह सम्मान आपकी देश के प्रति आपकी जिम्मेदारी का निर्वहन और देश के भविष्य को आकार देने वाले बच्चों के जीवन को सकारात्मकता प्रदान करने के प्रति आपकी प्रतिबद्धता का भी सम्मान है।
मित्रों,
FAP (फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स एंड एसोसिएशन ऑफ पंजाब) नेशनल अवार्ड का गठन पंजाब संघों के एक संघ द्वारा प्राइवेट स्कूलों और इनके प्रिंसिपलों और अध्यापकों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं और योगदान के लिए, सम्मानित करने और मान्यता देने के उद्देश्य से किया गया था।
इस नेशनल अवार्ड का यह चौथा संस्करण है, जिसकी शुरुआत 2020 में हुई थी। इन पुरस्कारों की शुरूआत राज्य पुरस्कारों के रूप में हुई थी, जिनमें शुरू में केवल पंजाब के प्रतिभागी शामिल होते थे। इस वर्ष, इन पुरस्कारों को 17 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों से व्यापक भागीदारी प्राप्त हुई है।
आज कुल 846 पुरस्कार दिए गए हैं जिनमें 328 अध्यापक, 250 प्रिंसिपल, 50 खेल प्रशिक्षक और 218 स्कूल शामिल हैं। जिन श्रेणियों में इन्हें पुरस्कृत किया गया है, उनमें स्पोर्ट्स अचीवमेंट अवार्ड, प्राइड ऑफ इंडिया अवार्ड, बेस्ट टीचर अवार्ड (स्कूलों द्वारा मनोनीत), एकेडमिक अचीवमेंट अवार्ड, लाइफटाइम प्रिंसिपल अवार्ड, सोशल अचीवमेंट अवार्ड, एमओसी चैंपियन एंड मैक्सिमम पार्टिसिपेशन अवार्ड, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (टीचर) और बेस्ट टीचर अवार्ड (डायरेक्ट) शामिल हैं।
मित्रों,
फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स एंड एसोसिएशन ऑफ पंजाब (FAP) की बात करें तो, यह एक रजिस्टर्ड और नॉन प्रॉफिट संगठन है। इसका मुख्य उद्देश्य पंजाब राज्य में एजुकेशन स्टैंडर्ड को अगले आयाम तक पहुंचाना और अपने सदस्य संगठनों के अधिकारों की रक्षा करना है।
यह संगठन पिछले 4 वर्षों से प्राइवेट सेक्टर में स्कूली शिक्षा में उत्कृष्टता को मान्यता देने के उद्देश्य से नेशनल अवॉर्ड का आयोजन कर रहा है।
मित्रों,
मैं इस अवसर पर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के संस्थापक और राज्यसभा के सदस्य श्री सतनाम सिंह संधू को विशेष मुबारकबाद देता हूं जो इस समारोह के आयोजन हेतु अग्रणी भूमिका निभाते आ रहे हैं।
मुझे बताया गया है कि वर्ष 2012 में स्थापित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी को हाल ही में घोषित QS एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में लगातार दूसरे वर्ष भारत की नंबर 1 प्राइवेट यूनिवर्सिटी होने का प्रतिष्ठित दर्जा दिया गया है। साथ ही इसे 2024 NIRF रैंकिंग (राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क) में भारत की टॉप यूनिवर्सिटी में 20वां स्थान दिया गया है।
इस उपलब्धि के लिए भी संधू साहब को बहुत-बहुत बधाई।
मित्रों,
भारत में शिक्षा को मानव विकास का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ माना गया है। हमारे देश में शिक्षा मुख्य रूप से सरकारी और निजी विद्यालयों द्वारा प्रदान की जाती है। इनमें सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ निजी विद्यालयों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भारत में स्कूली शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने में सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र के स्कूलों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पंजाब में कुल 27 हजार सात सौ एक सरकारी और निजी स्कूल हैं, जिनमें से 7 हजार नौ सौ अठहत्तर निजी स्कूल हैं, जो 28 प्रतिशत बनता है। वर्तमान में, पंजाब के सरकारी और निजी स्कूलों में कुल 61 लाख 47 हजार पांच सौ विद्यार्थी नामांकित हैं, जिनमें से 28 लाख 64 हजार तीन सौ सत्तानवे विद्यार्थी निजी स्कूलों में पढ़ते हैं।
हालांकि, हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि निजी विद्यालयों की उच्च फीस सभी वर्गों के लिए सुलभ नहीं है। हमें यह प्रयास करना चाहिए कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे तक पहुंचे, चाहे वह सरकारी विद्यालय हो या निजी।
निजी विद्यालय भारत के शिक्षा तंत्र का एक अभिन्न हिस्सा हैं। वे छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान कर उन्हें भविष्य के लिए तैयार करते हैं। शिक्षा एक ऐसा हथियार है जो किसी भी राष्ट्र की प्रगति में योगदान देता है, और सरकारी व निजी विद्यालय इसमें एक मजबूत भूमिका निभाते हैं।
मित्रों,
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत के लिए पिछला एक दशक ऐतिहासिक रहा है और भारतीय संस्थानों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने, विद्यार्थियों को विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करवाने के लिए कई साहसिक निर्णय लिए जा रहे हैं।
मोदी जी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति के तहत रिसर्च और इनोवेशन पर अत्यधिक ध्यान देने के चलते, भारत ने ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में बड़ी प्रगति की है। 2014 में, भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें स्थान पर था, जो 2025 में बढ़कर 39वें स्थान पर पहुंच गया।
इस दौरान दायर किए गए पेटेंट की संख्या में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 2023 में 83 हजार का आंकड़ा छू गया।
यह 10 वर्षों में एक महत्वपूर्ण वृद्धि रही है, जहां भारत ने 2014 में केवल 42 हजार सात सौ पेटेंट दायर किए थे। पिछले 5 वर्षों में 1.3 मिलियन अकादमिक रिसर्च पब्लिशिंग के साथ भारत 2023 में वैश्विक रूप से चौथे स्थान पर है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के नेतृत्व में सरकार द्वारा संस्थानों के लिए पेटेंट आवेदन शुल्क में 80 प्रतिशत की कटौती जैसे दूरदर्शी निर्णय के कारण, ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
2014 में शिक्षा क्षेत्र के लिए केवल 79 हजार चार सौ इक्यावन करोड़ रूपये का आवंटन किया गया था, लेकिन 2024-25 में प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने शिक्षा के लिए एक लाख पच्चीस हजार छः सौ अड़तीस करोड़ रूपये का अभूतपूर्व बजट आवंटित किया है, जो स्वतंत्र भारत के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक है जो लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
मित्रों,
प्राचीन काल से ही शिक्षा भारत के विकास की धुरी रही है और हमारे पूर्वजों ने सैकड़ों साल पहले दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों का निर्माण किया और सबसे बड़े पुस्तकालयों की स्थापना की।
नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों और पुस्तकालयों ने भारतीय संस्कृति और शिक्षा को न केवल भारत में बल्कि समूचे विश्व में फैलाने का कार्य किया। इन विश्वविद्यालयों के माध्यम से भारतीय सभ्यता ने दर्शन, विज्ञान, चिकित्सा, गणित, और साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
एक अच्छी शिक्षा प्रणाली एक प्रबुद्ध समाज का आधार होती है जिस पर एक प्रगतिशील, लोकतांत्रिक समाज का निर्माण होता है और जहां कानून का शासन होता है, उच्च स्तर की शिष्टता होती है और दूसरों के साथ-साथ स्वयं के अधिकारों के प्रति भी सम्मान होता है।
जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, यह एक समग्र शिक्षा है जिसे हमारे मूल्यों को आकार देने में एक निर्णायक भूमिका निभानी होगी। यहाँ, मैं नैतिक दिशा-निर्देशों को फिर से स्थापित करने में स्कूलों में हमारे शिक्षकों की एक महत्वपूर्ण भूमिका देखता हूँ।
शिक्षकों को हमारे युवाओं को मातृभूमि के प्रति प्रेम, कर्तव्य का पालन, सभी के लिए करुणा, बहुलवाद के प्रति सहिष्णुता, महिलाओं के प्रति सम्मान, जीवन में ईमानदारी, आचरण में आत्म-संयम, कार्य में जिम्मेदारी और अनुशासन जैसे आवश्यक सभ्यतागत मूल्यों को आत्मसात करने में मदद करनी चाहिए।
समान्यतः एक समाज और राष्ट्र की प्रगति उसकी शिक्षा प्रणाली पर निर्भर करती है। हमारे शिक्षक, प्रिंसिपल, खेल प्रशिक्षक और विद्यालय न केवल बच्चों को शिक्षा देते हैं, बल्कि वे हमारे भविष्य को भी आकार देते हैं।
शिक्षकों की बात करें तो यह केवल ज्ञान के स्त्रोत नहीं होते, बल्कि वे जीवन के अनमोल पाठों के गुरु भी होते हैं। वे हमें न केवल पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं, बल्कि हमें अच्छे नागरिक, एक बेहतर इंसान बनने की दिशा में भी मार्गदर्शन करते हैं। उनके द्वारा दिए गए मार्गदर्शन से ही बच्चे अपने जीवन में सफलता की ऊँचाइयों को छूने में सक्षम होते हैं।
यदि प्रिंसिपलों की बात करें तो यह विद्यालय के मार्गदर्शक होते हैं। उनका नेतृत्व विद्यालय के संपूर्ण वातावरण को सकारात्मक बनाता है। वे शिक्षकों को बच्चों को एक अच्छी दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित करते हैं, और विद्यालय की पूरी व्यवस्था को संजीवनी शक्ति प्रदान करते हैं। प्रिंसिपल का कार्य केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि विद्यार्थियों की मानसिक और शारीरिक वृद्धि की दिशा में भी महत्वपूर्ण होता है।
और यदि खेल प्रशिक्षकों की बात करें तो यह न केवल खिलाड़ियों को खेल सिखाते हैं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास, अनुशासन और टीमवर्क की भावना भी विकसित करते हैं। खेलों में उनकी भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी किसी कक्षा में शिक्षक की। वे बच्चों को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
और शिक्षकों, प्रिंसिपलों व खेल प्रशिक्षकों के सुमेल से सुसज्जित हमारे विद्यालय केवल कक्षा तक सीमित नहीं होते, वे बच्चों को ज्ञान के साथ-साथ संस्कार, अनुशासन और दूसरों के प्रति जिम्मेदारी के गुणों से भी सम्पन्न करते हैं।
मित्रों,
मुझे यह देखकर भी खुशी होती है कि सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के स्कूल, छात्रों को आवश्यक कौशल प्रदान करने पर जोर देते हैं, जिससे वे अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद रोजगार प्राप्त करने योग्य बन सकें।
देश में शिक्षा के प्रसार में निजी क्षेत्र का योगदान सरकारी क्षेत्र की भांति ही सराहनीय रहा है। कई परोपकारी ट्रस्ट स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए आगे आए हैं। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि इनमें से कुछ संस्थान दुनिया के विभिन्न देशों से भी छात्रों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
मजबूत और गुणवत्ता-उन्मुख शिक्षा प्रणाली युवाओं में मूल्यों, अनुशासन, समर्पण और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता की भावना पैदा करने की दिशा में शिक्षण संस्थानों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए स्कूलों को मूल्य आधारित, समग्र शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो प्रत्येक छात्र की क्षमता और उच्चतम गुणों को सामने लाए। याद रखें, मूल्यों के बिना शिक्षा कोई शिक्षा नहीं है।
छात्रों की क्लासरूम प्रोग्रामों के साथ-साथ क्षेत्रीय गतिविधियों, सामाजिक जागरूकता और सामुदायिक सेवा जैसी पहलों में भी सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए।
यदि हम अपने विद्यार्थियों को भविष्य की ज़रूरतों के अनुरूप तैयार करना चाहते हैं, तो हमें स्कूल स्तर पर ही विभिन्न कौशलों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्रणाली को नई दिशा देने की जरूरत है।
हमें बच्चों के ज्ञान और कौशल को देखते हुए स्कूल स्तर पर ही उनकी करियर काउंसलिंग पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान शिक्षाविद् डॉ. राधाकृष्णन ने कहा था, ‘‘शिक्षा उस प्रकार के समाज को ध्यान में रखकर प्रदान की जानी चाहिए जिसका हम निर्माण करना चाहते हैं। हम मानवीय गरिमा और समानता के मूल्यों पर निर्मित एक आधुनिक लोकतंत्र के लिए काम कर रहे हैं। ये केवल आदर्श हैं, हमें इन्हें जीवंत शक्तियाँ बनाना है। भविष्य के हमारे दृष्टिकोण में इन महान सिद्धांतों को शामिल किया जाना चाहिए’’।
आइए, हम सब “All for Education and Education for All” के लिए एकजुट हों।
इसी क्रम में कदम आगे बढ़ाते हुए हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दो दिन पहले ही राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर देशभर के आदिवासी क्षेत्रों में 7 सौ से अधिक एकलव्य स्कूल खोलने की घोषणा की जिसमें से इस अवसर पर उन्होंने 10 स्कूलों का उद्घाटन भी किया।
आइए, हम सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावना को ध्यान में रखें, क्योंकि यह विकसित भारत के लिए ‘सबका प्रयास’ का समय है।
अंत में, मैं कहना चाहूँगा कि सभी की मेहनत और समर्पण से ही हमारा समाज प्रगति की ओर बढ़ेगा। समाज सशक्त होगा तो प्रदेश सशक्त होगा और प्रदेश सशक्त होगा तो देश सशक्त होगा और शिक्षा ही वह ताकत है, जो एक देश को सशक्त बनाती है। हम सभी को मिलकर इस दिशा में और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि 2047 के विकसित भारत के सपने को साकार किया जा सके।
आप सभी को इस सम्मान समारोह में भाग लेने के लिए धन्यवाद! और इन शिक्षकों, खेल प्रशिक्षकों, प्रिंसिपलों और विद्यालयों को भविष्य में भी इसी तरह की सफलता मिले, यही मेरी शुभकामनाएँ हैं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!