SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF CLOSING CEREMONY OF KASHMIRI YOUTH EXCHANGE PROGRAMME AT ISSER, SECTOR 81, MOHALI ON NOVEMBER 21, 2024.

कश्मीरी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 21.11.2024, गुरूवार |  समयः सुबह 10:00 बजे  | स्थानः IISER सेक्टर-81, मोहाली

आज यहाँ उपस्थित सभी सम्मानित जनों को नमस्कार!

आज, कश्मीरी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम जैसी उत्कृष्ट पहल के समापन के अवसर पर आप सभी को संबोधित करना मेरे लिए गर्व और सम्मान की बात है। 

बीते छह दिनों में, आप सभी ने एक असाधारण यात्रा की है-एक ऐसी यात्रा जो न केवल आपके ज्ञान को समृद्ध करती है, बल्कि उन लोगों को भी प्रेरित करती है, जिन्होंने आपकी ऊर्जा और उत्साह को देखा है।

इस अवसर पर मैं हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का भी आभार व्यक्त करना चाहूंगा, जिनके दूरदर्शी नेतृत्व और युवाओं को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता ने इस कार्यक्रम को संभव बनाया। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में, युवा मामलों और खेल मंत्रालय निरंतर ऐसी पहल कर रहा है, जो भारतीय युवाओं को जोड़ने, उन्हें बढ़ने और नेतृत्व करने के अवसर प्रदान करती है।

नेहरू युवा केंद्रों की स्थापना वर्ष 1972 में ग्रामीण युवाओं को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेने के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व और कौशल के विकास के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। 

वर्ष 1987-88 में, इन केंद्रों के कामकाज की देखरेख के लिए भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन के रूप में नेहरू युवा केंद्र संगठन की स्थापना की गई थी। 

यह संगठन स्वैच्छिकता, स्वयं सहायता और सामुदायिक भागीदारी के सिद्धांतों पर युवाओं की शक्ति को दिशा देता है। संगठन का उद्देश्य जमीनी स्तर पर अच्छे नागरिक और युवा नेतृत्व के लिए दीर्घकालिक रणनीति विकसित करना है। इसके द्वारा युवा क्लबों का गठन किया जाता है और उन्हें खेल और सांस्कृतिक तथा स्थानीय विकास गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

नेहरू युवा केन्द्र संगठन के देशभर में कुल 624 केन्द्र हैं। 

मोहाली स्थित नेहरू युवा केन्द्र की शुरूआत 2012 में हुई थी। तब से लेकर अब तक 20 हजार से अधिक स्वयंसेवक इस केन्द्र से जुड़ चुके हैं। नेहरू युवा केन्द्र मोहाली पूरे वर्ष खेल टूर्नामेंट, सामुदायिक विकास पर जागरूकता कार्यक्रम, महिला सशक्तिकरण, सांस्कृतिक कार्यक्रम, युवा उत्सव, स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण, नेतृत्व कार्यक्रम आदि जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करता है।

देवियो और सज्जनों,

यह छह-दिवसीय आदान-प्रदान कार्यक्रम सिर्फ एक आयोजन नहीं था। यह एक ऐसा मंच था, जहां शिक्षा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आपसी समझ को बढ़ावा मिला। इसने जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग, कुपवाड़ा, बारामुला, बड़गाम, श्रीनगर और पुलवामा जिलों से आए 132 प्रतिभाशाली युवाओं को एक साथ लाने का अवसर प्रदान किया, ताकि वे पंजाब की समृद्ध विरासत को समझ सकें और अपने साथियों के साथ सार्थक संवाद कर सकें।

यह कार्यक्रम हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत, “विविधता में एकता” का जीवंत उदाहरण है। यह हमें दिखाता है कि कैसे अलग-अलग पृष्ठभूमि, भाषाएँ और जीवनशैली वाले लोग एक साथ आ सकते हैं और एकता की भावना को प्रबल कर सकते हैं।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर और पंजाब के युवाओं को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और शांति के प्रस्तावक के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक ज्ञान और अनुभव से लैस करना है।

मैं यहां यह दोहराना चाहूंगा कि इस पहल का एक प्रमुख उद्देश्य हैः कश्मीर में शांति को बढ़ावा देना। शांति केवल संघर्ष की अनुपस्थिति नहीं है; यह वह स्थिति है, जहां अवसर, प्रगति और समृद्धि का विकास होता है।

इस एकता के संदेश को अपने समुदायों में वापस ले जाएं। अपने अनुभवों से दूसरों को प्रेरित करें और विश्वास तथा समझ के सेतु का निर्माण करने में मदद करें।

प्रिय प्रतिभागियों, 

दुनिया के किसी भी देश में इतनी विविधता नहीं है जितनी हमारे भारत में है। एक ज़माने में हम पर शासन करने वाले अंग्रेज़ों को हमारी विविधता हमारी दुर्बलता लगती थी, लेकिन रचनात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो विविधता में एकता हमारी विशेषता और सबसे बड़ी शक्ति है। सबके साथ जीने के हमारे संस्कार ही भारत की विशेषता है। हमारी अलग संस्कृतियां, भाषाएं, वेशभूषाएं और खानपान होते हुए भी हम सब भारतीय हैं।

आप सभी युवा अद्वितीय और अडिग भावना के प्रतीक हैं। कश्मीरी युवा अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत से आगे बढ़ रहे हैं। शिक्षा, खेल, और कला के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियाँ सराहनीय हैं। चाहे वह शैक्षिक संस्थानों में उत्कृष्ट प्रदर्शन हो, या अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीतना हो, कश्मीरी युवाओं ने यह साबित किया है कि यदि उन्हें सही अवसर दिए जाएँ, तो वे असाधारण कर सकते हैं।

कश्मीर, जिसे अक्सर ‘धरती पर स्वर्ग’ कहा जाता है, अद्वितीय सुंदरता और गहन सांस्कृतिक महत्व की भूमि है। इसकी शांत डल झील, राजसी हिमालय और हरी-भरी घाटियाँ सदियों से कवियों, कलाकारों और दार्शनिकों को प्रेरित करती रही हैं। 

इस क्षेत्र ने हिंदू, सिख, बौद्ध और इस्लामी प्रभावों को एक समृद्ध ताने-बाने में पिरोया है जो भारत की विविधता में एकता का उदाहरण है।

यह कोई रहस्य नहीं है कि जम्मू-कश्मीर ने अपनी चुनौतियों का सामना किया है। कश्मीर के युवाओं के प्रतिनिधि के रूप में, आपके पास अपने क्षेत्र के भविष्य को आकार देने की शक्ति है। आप परिवर्तन और प्रगति के ध्वजवाहक हैं, और इस कार्यक्रम में आपकी भागीदारी शांति, विकास और सद्भाव के प्रति आपकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

साथियों,

हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा है, ‘‘भारत का युवा उसकी सबसे बड़ी ताकत है’’। एक मजबूत, एकीकृत और समृद्ध भारत के निर्माण की जिम्मेदारी आप सभी के कंधों पर है।

भारत में 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों की है, जो भारत को विश्व का सबसे युवा देश बनाता है। यह ‘‘युवाओं का देश’’ कहलाने का मुख्य कारण है।

भारत की युवा जनसंख्या देश की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, बशर्ते उन्हें शिक्षा, रोजगार और संसाधनों के सही अवसर मिलें।

हमारा यह कर्तव्य है कि हम युवा शक्ति को गुणात्मक शिक्षा के माध्यम से कुशल और दक्ष बनाएं, उनका उचित मार्गदर्शन करें। उन्हें प्रशिक्षित करें तथा उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि वे अपने और दूसरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर सकें। सरकार को चाहिए कि वह उनके लिए अधिक योजनाएँ बनाए, और समाज को यह सुनिश्चित करना होगा कि हम उन्हें भटकने से बचाएँ।

प्रिय युवा साथियों,

आप युवा गण ‘‘शक्ति एवं साहस’’ के पुंज हैं। आपमें वह सारे समर्थ्य हैं जिनसे आप अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। देश की युवा पीढ़ी ही ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ की परिकल्पना को सार्थक बना सकती है। इस दिशा में इस प्रकार के कार्यक्रम एक मजबूत कड़ी का काम कर रहे हैं।

याद रखें, आज आपके कार्य न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश के भविष्य को आकार देंगे। भारत सरकार ने युवाओं के विकास के लिए शिक्षा, रोजगार, और कौशल विकास की कई योजनाएँ चलाई हैं। आपके पास स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं के जरिए अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका है।

आपकी ऊर्जा, साहस और जोश देश को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकता है। आपसे मेरा आग्रह है कि अपनी क्षमता का उपयोग करें और ‘‘विकसित भारत’’ के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दें। याद रखें, जब कश्मीर के युवा आगे बढ़ेंगे, तो भारत का हर कोना विकास की रोशनी से चमक उठेगा।

मेरे प्यारे युवाओं,

आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता के लिए समस्त नागरिकों के साथ युवाओं को प्रेरित करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जिस तरह से लक्ष्य साधक चार ‘एल’ यानी लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ से जुड़ी बारीकियों पर जोर देते हुए इकोनॉमी, इंफ्रास्ट्रक्चर, सिस्टम, डेमोग्राफी और डिमांड जैसे पांच पिलर्स को मजबूती देने का आह्वान किया है, उससे यह स्पष्ट है कि इन नौ शब्दों की सीढ़ियों के सहारे आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

पिछले कई दशकों की ऐतिहासिक निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना एक आदर्श बदलाव से कहीं अधिक है। स्वच्छ भारत अभियान, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, डिजिटल इंडिया और आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रमों ने न केवल राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाया है, बल्कि इन कार्यक्रमों ने अपने-अपने तरीके से आत्मनिर्भरता को पोषित किया है।

मेरा सभी युवाओं से यह भी कहना है कि आप पूरे मनोयोग से आगे बढ़ने का संकल्प लें, सरकार की कौशल विकास एवं प्रशिक्षण योजनाओं में सक्रिय भागीदार बनें, अपनी अभिरुचि वाले स्टार्टअप शुरू करने के लिए सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ उठाएं। स्वयं एक कुशल उद्यमी के रूप में आत्मनिर्भर बनें, दूसरों को रोजगार प्रदान करें और अपने कौशल एवं उद्यमशीलता से राष्ट्र की समृद्धि में अधिकाधिक योगदान दें।

मित्रों,

आप सभी जानते हैं कि हमारा देश आजादी के अमृत काल में प्रवेश कर चुका है। भारत विश्व गुरु बनने की राह पर चल रहा है। मुझे पूरा विश्वास है कि वर्ष 2047 में जब हम अपनी स्वतंत्रता का शताब्दी वर्ष मनाएंगे तब भारत विश्व गुरु के रूप में अपना दायित्व निभा रहा होगा।

इस अवसर पर, मैं युवा मामलों और खेल मंत्रालय का हार्दिक धन्यवाद करना चाहूंगा, जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अथक परिश्रम किया।

मैं पंजाब के लोगों और IISER (Indian Institute of Science Education & Research) मोहाली के अधिकारियों को भी विशेष धन्यवाद देना चाहता हूँ, जिन्होंने इन प्रतिभागियों का खुले दिल से स्वागत किया और उन्हें अपनी समृद्ध संस्कृति और गर्मजोशी का अनुभव कराया। पंजाब की मेहमानवाजी ने निश्चित रूप से इस कार्यक्रम को और भी यादगार बना दिया है।

और अंत में, मैं इस कार्यक्रम के हर प्रतिभागी का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। बीते छह दिनों में आपने जो उत्साह, सहयोग और प्रतिबद्धता दिखाई है, वही इस पहल की असली ताकत है।

जैसा कि हम इस कार्यक्रम का समापन कर रहे हैं, मैं आपसे यह आग्रह करता हूँ कि इसे अपनी यात्रा का अंत न मानें, बल्कि एक नई शुरुआत समझें। यहां बनी मित्रताएं, साझा किए गए विचार, और जो अनुभव आपने अर्जित किए हैं, वे आपके समुदायों में स्थायी प्रभाव डालने के उपकरण हैं।

एकता, शांति और सहयोग के इन पाठों को आगे बढ़ाएं। कश्मीर में, पंजाब में, और पूरे भारत में सद्भाव के दूत बनें।

आप सभी को मेरी ओर से शुभकामनाएँ। आपका मार्ग सफलता से भरा हो, और आप जहां भी जाएं, वहां प्रेरणा का स्रोत बनें।

धन्यवाद, 

जय हिंद!