SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF 46TH ANNUAL FUNCTION OF LUDHIANA MANAGEMENT ASSOCIATION AT LUDHIANA ON DECEMBER 17, 2024.

 

एल.एम.ए. लुधियाना के वार्षिक पुरस्कार समारोह के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 17.12.2024,  मंगलवारसमयःदोपहर 1:00 बजेस्थानः लुधियाना

         

सभी को नमस्कार!

मुझे लुधियाना मैनेजमेंट एसोसिएशन (एलएमए) के 46वें वार्षिक उत्सव एवं पुरस्कार समारोह के अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है। मैं आप सभी को इस विशेष अवसर पर शुभकामनाएँ और बधाई देता हूँ और विशेष रूप से सभी पुरस्कार विजेताओं को उनकी अनुकरणीय उपलब्धियों और उद्योग व समाज में योगदान के लिए हार्दिक बधाई देता हूं। 

आज, जब हम इस मंच पर लुधियाना मैनेजमेंट एसोसिएशन के उत्कृष्ट योगदान और सफलता की कहानियों का उत्सव मना रहे हैं, मैं इस संगठन के सदस्यों और इससे जुड़े सभी व्यक्तियों को उनके प्रयासों और उपलब्धियों के लिए दिल से सराहना करना चाहता हूँ।

मुझे बताया गया है कि लुधियाना मैनेजमेंट एसोसिएशन उत्तर भारत के प्रमुख प्रबंधन संगठनों में से एक है, जो प्रबंधन और नेतृत्व विकास के क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। 

इसकी स्थापना 1978 में ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA), नई दिल्ली की एक संबद्ध इकाई के रूप में की गई थी जिसमें 750 से अधिक प्रमुख उद्योगपति, उद्यमी, वरिष्ठ अधिकारी और पेशेवर शामिल हैं। एल.एम.ए. लुधियाना को 2011 में और फिर 2015 में ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ LMA पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

एल.एम.ए. संगठन का नेतृत्व कई प्रतिष्ठित उद्योगपतियों ने किया है। इनमें इसके पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय श्री बृजमोहन लाल मुंजाल (अध्यक्ष, हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड), श्री एस.पी. ओसवाल (अध्यक्ष, वर्धमान टेक्सटाइल्स लिमिटेड), श्री राजिंदर गुप्ता (ट्राइडेंट ग्रुप) और श्री सुनील कांत मुंजाल (अध्यक्ष, हीरो कॉरपोरेट सर्विसेज लिमिटेड तथा पूर्व अध्यक्ष, सीआईआई) जैसे दिग्गज शामिल हैं।

मुझे ज्ञात हुआ है कि एल.एम.ए. विभिन्न प्रशिक्षण और प्रबंधन विकास कार्यक्रम आयोजित करता है। इसके अलावा यह, क्षेत्र में प्रबंधन शिक्षा का प्रसार करने के लिए अग्रणी स्थानीय उद्योगपतियों और प्रबंधन पेशेवरों द्वारा ज्ञान और अनुभवों को साझा करता है, जो लुधियाना और इसके आसपास के कई औद्योगिक और व्यापारिक संगठनों में प्रबंधन के व्यावसायीकरण में सहायक सिद्ध हुआ है। 

एलएमए हर साल छह पुरस्कार प्रदान करके प्रबंधन अधिकारियों, उद्यमियों और संगठनों की उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता है जो संगठन के वार्षिक दिवस समारोह में प्रदान किए जाते हैं। 

लुधियाना, जो पहले से ही एक औद्योगिक केंद्र था, को एल.एम.ए. ने व्यावसायिक प्रबंधन और नेतृत्व की नई दिशा प्रदान की है।

देवियो और सज्जनो,

भारत का आर्थिक इतिहास उल्लेखनीय रहा है। पहली शताब्दी से 18वीं शताब्दी के बीच की अधिकतर अवधि में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी और सबसे उन्नत थी। 

लेकिन, ब्रिटिश शासन के आगमन ने सब कुछ बदल दिया। ब्रिटिश आर्थिक नीतियों ने उन्हें भारत के बड़े बाजार और संसाधनों पर एकाधिकार दे दिया। उदाहरण के लिए, भारतीय कपड़ा उद्योग की वस्तुओं पर उच्च टैरिफ जैसी संरक्षणवादी नीतियों ने हमारी बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया। कपास को बिना टैरिफ के ब्रिटिश कारखानों में आयात किया जाता था जो कपड़ा बनाते थे और उन्हें वापस भारत में बेचते थे।

इस तरह की आर्थिक बर्बादी के परिणामस्वरूप विश्व अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी 1700 में 24.4 प्रतिशत से घटकर 1947 में स्वतंत्रता के समय 4.2 प्रतिशत रह गई।

स्वतंत्रता के बाद के दशकों में भारत एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है। स्वतंत्रता के बाद के पहले चार दशकों में औद्योगिकीकरण आत्मनिर्भरता और आयात प्रतिस्थापन पर केंद्रित रहा। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और संयुक्त क्षेत्र की इकाइयों के साथ-साथ निजी क्षेत्र ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई। इसके अलावा हरित क्रांति ने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया।

इसके बाद उदारीकरण और आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया के साथ आईटी, आईटी सेवाओं और दूरसंचार जैसे नए व्यवसायों के उभरने के साथ आर्थिक विकास में तेज़ी आई है। इक्कीसवीं सदी में पूंजी और निवेश भौगोलिक बाधाओं से परे जाकर स्टार्ट-अप में प्रवाहित हुए हैं, जिनमें से कुछ स्टार्ट-अप्स तो कुछ ही वर्षों में अरबों डॉलर के उद्यम बन गए हैं। 

हमने कोविड-19 के कहर को देखा है, और हम सभी इस बात से सहमत हैं कि हमारे सभी उद्यमों को लंबे समय तक संधारणीय बने रहने की आवश्यकता है। 

हमें युवाओं को नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी प्रदाता बनने के लिए प्रोत्साहित करने की भी आवश्यकता है, मुख्य रूप से ज्ञान आधारित संगठन बनाकर। इसके लिए कॉलेज या विश्वविद्यालय स्तर पर संकाय को छात्रों के बीच उद्यमिता को प्रोत्साहित करना चाहिए और हमें इनके मार्गदर्शन के साथ वित्तीय सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए। 

आज, जब भारत वैश्विक चुनौतियों के बीच आर्थिक सुधार और विकास के मार्ग पर अग्रसर है, लुधियाना इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पूर्ण तैयार है। 

‘विकसित भारत@2047’ हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का एक ऐसा सपना है, जो हर भारतीय को सशक्त, आत्मनिर्भर, और उन्नत जीवन जीने का अवसर प्रदान करता है। यह दृष्टिकोण न केवल भारत को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण शक्ति बनाने का प्रयास है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को भी मजबूत करता है और इस प्रयास में पंजाब विशेषकर लुधियाना की भी भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है।

‘विकसित भारत’ का सपना तभी साकार होगा, जब हर भारतीय अपनी भूमिका निभाएगा और इस मिशन को अपना लक्ष्य बनाएगा।

मित्रों,

इस तेजी से विकसित हो रहे आर्थिक परिदृश्य में, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई नीतियों और कार्यक्रमों ने नवाचार और विकास के लिए व्यापक अवसर खोले हैं। मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, स्वच्छ भारत अभियान और डिजिटल इंडिया जैसी पहलें एक स्थायी और ज्ञान-आधारित भविष्य के लिए आधार प्रदान करती हैं। 

मेक इन इंडिया, का उद्देश्य लुधियाना जैसे औद्योगिक केंद्रों द्वारा स्थानीय निर्माण को सशक्त बनाने और वैश्विक गुणवत्ता के ऐसे उत्पाद बनाना है, जिन पर ‘‘मेड इन इंडिया’’ का अंकित चिह्न हम सबको गौरव का अनुभव करवाए।

साथियों,

21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करते हुए, हमारे लिए ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलाव करना अनिवार्य है। पंजाब, अपने मेहनती कार्यबल और मजबूत औद्योगिक आधार के साथ, इस बदलाव का नेतृत्व कर सकता है। इसके लिए हमें शिक्षा और कौशल विकास, नवाचार और स्टार्टअप्स, अनुसंधान एवं विकास और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी नामक चार स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो इस बदलाव को मजबूत आधार प्रदान कर सकते हैं। 

भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है, ऐसे में शिक्षा और कौशल विकास अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। मैं यहाँ उपस्थित उद्योग जगत के दिग्गजों से अपील करता हूँ कि वे शैक्षिक संस्थानों के साथ मिलकर उद्योग से संबंधित पाठ्यक्रम तैयार करने और मार्गदर्शन के अवसर प्रदान करने में सहयोग करें। 

यहां मैं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख भी करना चाहूंगा, जो भारत को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करती है।यह नीति छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा के साथ व्यावहारिक कौशल सिखाने पर जोर देती है। 

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में जो गतिशीलता देखी जा रही है, वह प्रेरणादायक है। 

मैं एल.एम.ए. की सराहना करता हूँ कि आपने अपने पुरस्कार कार्यक्रम के माध्यम से युवा नवप्रवर्तकों को पहचानने का कार्य किया है। आइए, हम इनक्यूबेटर और एक्सेलरेटर के निर्माण हेतु साझेदारी की भी तलाश करें जो विशेष रूप से कृषि-तकनीक, स्वच्छ ऊर्जा और उन्नत विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में सहयोगात्मक विचारों को बढ़ावा देते हैं।

पंजाब के पास वैश्विक अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) केंद्र के रूप में उभरने की पूरी क्षमता है, विशेष रूप से कृषि, वस्त्र उद्योग, और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में। मैं लुधियाना के उद्योगपतियों से अपील करता हूँ कि वे विश्वविद्यालयों के साथ अनुसंधान साझेदारी में निवेश करें और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियाँ विकसित करने में योगदान दें। 

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। डिजिटल इंडिया के माध्यम से, हम ग्रामीण क्षेत्रों में किफायती डिजिटल उपकरण और कौशल प्रदान कर सकते हैं, जिससे छोटे उद्योगों को वैश्विक बाजारों तक पहुँचने में सशक्त बनाया जा सकता है। 

देवियो और सज्जनों,

मेरा मानना है कि किसी भी व्यवसाय की सफलता केवल मुनाफे पर आधारित नहीं होती, बल्कि यह इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह समाज, ग्राहक, कर्मचारी, और अन्य हितधारकों के प्रति कितना जिम्मेदार और नैतिक है।

पंजाब के औद्योगिक केंद्र के रूप में लुधियाना ने अपनी अनुकूलनशीलता, नवाचार और नेतृत्व क्षमता को निरंतर प्रदर्शित किया है। सच कहूं तो मुझे लुधियाना शहर में आकर बहुत खुशी हो रही है जिसे अक्सर ‘उद्यमियों का विश्वविद्यालय’ कहा जाता है। 

अपने सशक्त लघु उद्योगों से लेकर कपड़ा, सहायक उत्पादों और इंजीनियरिंग के केंद्र के रूप में वैश्विक पहचान तक, यह शहर दृढ़ता और दूरदृष्टि का प्रतीक है। 

मुझे यह जानकर खुशी हुई कि इस एल.एम.ए. में उद्यमियों, शिक्षाविदों, अभ्यासरत प्रबंधकों और छात्रों का अच्छा मिश्रण है। हमें ऐसे और अधिक संगठन बनाने की आवश्यकता है ताकि हम ज्ञान के दायरे को तोड़ सकें तथा सीखने और उद्यमिता का समर्थन करने के लिए एक अधिक मजबूत तंत्र बना सकें।

मैं इस अवसर पर यहां उपस्थित सभी उद्योगपतियों/व्यवसाइयों से आग्रह करता हूं कि वे अनुसंधान व डोनेशन के माध्यम से तथा विचारों और ज्ञान के आदान-प्रदान हेतु मंच तैयार करके राज्य/केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के अनुसंधान और विकास प्रयासों को मजबूत बनाने में योगदान दें।

मुझे यह देखकर दुख होता है कि पंजाब के युवा खाड़ी देशों जैसे प्रतिकूल परिस्थितियों वाले देशों में काम करने के लिए तैयार रहते हैं, वहां छोटे-मोटे काम कर रहे हैं और जान जोखिम में डाल रहे हैं। हमें इस प्रवृत्ति को उलटने की जरूरत है। ज्ञान आधारित संगठनों में आवश्यक कौशल प्रदान करके ऐसा किया जा सकता है। 

मैं एल.एम.ए. के माध्यम से आप सभी से युवाओं को प्रशिक्षण देने में और युवाओं, विशेषकर सीमावर्ती जिलों के साथ-साथ हमारे ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को उद्योग द्वारा अपेक्षित कौशल प्राप्त करने में मदद करने हेतु आगे आने का आह्वान करता हूं।

सीमावर्ती जिलों में, जहां औद्योगिक विकास की संभावनाएं मौजूद हैं, हम उद्योगों को बढ़ावा देते हुए रोज़गार के अवसर पैदा कर सकते हैं। ऐसा करने से न केवल हम युवाओं को नशों से दूर रख सकते हैं बल्कि आने वाली पीढ़ी का उज्ज्वल भविष्य भी सुनिश्चित कर सकते हैं।

मेरा यहां पर आप सभी से एक विनम्र अनुरोध कि आप विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखते हुए हमारे प्राकृति संसाधनों हवा, पानी और मिट्टी को प्रदूषित होने से बचाएं। 

यहां मैं लुधियाना शहर से गुजरने वाले बुढ्ढा नाला का उल्लेख करना चाहूंगा, जो सतलुज नदी में जाकर मिलता है। मेरा आप सभी से आग्रह है कि इस नाले में उद्योगों के गंदे पानी को जाने से रोकें और पर्यावरण को दूषित होने से बचाएं। भले ही आज हम पर्यावरण प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को अनदेखा कर रहे हैं लेकिन आने वाले समय में हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को इसका खमियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।

मित्रों, 

आइए, हम मिलकर पंजाब को एक ज्ञान-आधारित और स्थायी अर्थव्यवस्था का ऐसा शानदार उदाहरण बनाएं जो देश और दुनिया को प्रेरित करे।

एक बार फिर, मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूँ और लुधियाना मैनेजमेंट एसोसिएशन का इस उत्कृष्ट आयोजन के लिए धन्यवाद करता हूँ। आपकी उत्कृष्टता और सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयास वास्तव में सराहनीय हैं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!