Speech of Hon'ble Governor Punjab and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of 2nd Round of Anti Drugs Awareness efforts on competition of Joshi Foundation Ten Years of Anti Drugs Awareness Campaign Punjab and Chandigarh

नशा-विरोधी जागरूकता कार्यक्रम के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 09.01.2025, गुरूवारसमयः सुबह 11:00 बजेस्थानः पंजाब राजभवन

नमस्कार! 

आज देशहित से जुड़े इस महत्वपूर्ण आयोजन केअवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर अत्यंत हर्षऔर संतोष का अनुभव कर रहा हूं।

यह आयोजन पंजाब राजभवन द्वारा जोशी फाउंडेशन, सांपला फाउंडेशन, गरेवाल फाउंडेशन और खन्ना फाउंडेशनके सहयोग से संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा हैजो नशे की गंभीर सामाजिक समस्या के समाधान कीदिशा में हमारे सामूहिक प्रयास का प्रतीक है।

आज का यह अवसर न केवल हमारे समाज के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए भी अत्यंतमहत्वपूर्ण है। यह आयोजन नशे के चंगुल में फँसे हमारेयुवाओं को इससे बाहर निकालने और उन्हें उनके सपनों कोसाकार करने में मदद करने में सहायक हो सकता है। इससमस्या का समाधान केवल सरकार की नीतियों औरकानूनों से नहीं हो सकता। हमारे शैक्षणिक संस्थानों केसाथ-साथ सामाजिक संगठनों की भूमिका इसमें अत्यंतमहत्वपूर्ण है।

देवियो और सज्जनों,

नशों की लत आज समाज के लिए एक गंभीर संकट बनचुकी है। यह समस्या न केवल युवाओं के भविष्य कोअंधकारमय बना रही है, बल्कि परिवारों, समुदायों, औरराष्ट्र की प्रगति में भी बाधा उत्पन्न कर रही है।

इसके अलावा, आजकल कैमिकल नशों, विशेष रूप सेचिट्टा और अन्य कैमिकल नशों का चलन हमारे युवाओं मेंव्यापक रूप से फैल चुका है, जो एक अत्यंत गंभीर औरचिंताजनक विषय बन गया है। इन नशों की तीव्र लत केकारण हमारे युवा चोरी, लूटपाट जैसी आपराधिकगतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं। साथ ही, यह लत उन्हें अपनेपरिवार के सदस्यों के प्रति अत्यधिक हिंसक बना देती है, जिससे वे कई बार जान-माल को भी हानि पहुँचा बैठते हैं।

नशे की चपेट में आकर युवा अपनी ऊर्जा, सपने, औरसंभावनाओं को खो देते हैं। यह स्थिति हम सभी के लिएचिंतन और एकजुट प्रयासों का आह्वान करती है।

नशा न सिर्फ पंजाब के लिए चुनौती है, बल्कि पूरे देशऔर पूरे विश्व के लिए चुनौती है। पंजाब, जो हमेशा सेअपनी वीरता, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, और मेहनतकशलोगों के लिए जाना जाता है, आज नशे की समस्या से जूझरहा है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम इसचुनौती का सामना करें और एक नशा मुक्त समाज कानिर्माण करें।

नशों से सबसे अधिक प्रभावित हमारे युवा हो रहे हैंविशेष तौर पर स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के विद्यार्थीइसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। इसलिए, नशों का हमारेशिक्षण संस्थानों में प्रवेश कर जाना एक अत्यंत ही गंभीरविषय है।

इसी कारण से आज पंजाब के विभिन्न शैक्षणिकसंस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ नशा उन्मूलन पर विचारकरने हेतु आप सबको बुलाया गया।

 

प्रिय शिक्षाविदो,

शिक्षा केवल ज्ञान प्रदान करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह व्यक्तित्व निर्माण, नैतिकता और सामाजिकजिम्मेदारी का आधार है। शिक्षकों और शिक्षाविदों काप्रभाव छात्रों पर सबसे अधिक होता है। वे न केवलविद्यार्थियों को सही और गलत की पहचान कराते हैं, बल्किउनके जीवन को सकारात्मक दिशा भी देते हैं।

नशे के खिलाफ इस लड़ाई में शिक्षाविदों की भूमिकासबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे जागरूकता फैलाने वालेपहले मार्गदर्शक हैं। बच्चे और युवा अपने शिक्षकों सेसबसे अधिक प्रेरित होते हैं। आप उन्हें नशे के दुष्प्रभावोंऔर स्वस्थ जीवनशैली के महत्व के बारे में जागरूक करसकते हैं।

शिक्षाविदों से मिलने वाली नैतिक शिक्षा और मूल्यों कासमावेश युवाओं को नशे जैसी बुरी आदतों से दूर रखने मेंमदद करता है। शिक्षाविद परिवारों और समाज के बीचसंवाद स्थापित कर नशे की समस्या के समाधान मेंमहत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

हमें यह समझने की आवश्यकता है कि इस लड़ाई कोकेवल कानून और प्रशासन के भरोसे नहीं छोड़ा जासकता। हमें हर स्तर पर, विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में, एक ठोस रणनीति तैयार करनी होगी।

हमें चाहिए कि हम अपने विद्यालयों और महाविद्यालयोंमें नशा मुक्ति के लिए विशेष सत्रों और कार्यशालाओं काआयोजन करें। छात्रों के साथ नियमित संवाद करें। उनकीसमस्याओं को समझें और उन्हें नशे से दूर रखने के लिएसकारात्मक मार्गदर्शन दें।

साथ ही हमें चाहिए कि हम हमारी नई शिक्षा नीति कोपूर्ण रूप से अमल में लाएं जोकि पाठ्यक्रम में नैतिक औरसामाजिक मूल्यों, खेलों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों औरकौशल विकास पर जोर देती है। यह नई शिक्षा नीति बच्चोंको शिक्षित करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि युवाओं कोदेश के अच्छे नागरिक बनाने और रोज़गार प्रदान करने परकेन्द्रित है। इससे हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के विकसित भारत के सपने को साकार किया जासकता है।

शिक्षाविदों के साथ इस संवाद का उद्देश्य नशे केखिलाफ एक सशक्त रणनीति बनाना है। मैं विश्वास करताहूँ कि आपकी शिक्षा, अनुभव, और मार्गदर्शन से हम इसलड़ाई में सफलता अवश्य प्राप्त करेंगे।

देवियो और सज्जनों,

नशे की शुरूआत पहले व्यक्ति के जीवन को खोखलाकरती है और फिर परिवार, समाज और देश को खोखलाकरती है। इन युवाओं को सुधारने की दिशा में हम सभी कोमिलकर कार्य करना है।

राज्यपाल के नाते शपथ लेने के कुछ दिनों उपरांतपंजाब में नशे का भयावह रूप देखकर मैंने संकल्प कियाकि अपने कार्यकाल में पंजाब से नशा खत्म करने हेतु हरसंभव प्रयास पूरी दृढ़ता से करूंगा।

इसी संकल्प को आगे ले जाते हुए मैंने पिछले दिनों नसिर्फ बॉर्डर जिलों में नशे के विरोध में कार्यक्रम किए बल्किसामाजिक संस्थाओं और व्यक्तियों द्वारा आयोजित नशाविरोधी मार्च में भी भाग लिया।

पंजाब से अगर नशा खत्म करना है तो यह परिवार, समाज और सरकार के संयुक्त प्रयासों से संभव हो सकताहै और इसमें परिवार की जिम्मेदारी सबसे अधिक होती है।

महिलाएँ परिवार और समाज की रीढ़ होती हैं। नशे कीसमस्या से निपटने में उनकी भूमिका केवल मार्गदर्शन तकसीमित नहीं है; वे प्रेरणा, सहारा और समाधान का केंद्र हैं।यदि महिलाएँ अपने परिवारों में सक्रिय भूमिका निभाएँ, तोनशा मुक्त समाज का सपना अवश्य साकार हो सकता है।

सबसे ज्यादा मां-बाप और परिवारों को अपनीजिम्मेदारी निभानी होगी और नशे के प्रति जागरूकता काएहसास करना होगा। अपने जीवन यापन के खर्चों की दौड़में मां-बाप बच्चों को संस्कार देना भूल गए हैं। मां-बाप कोअपने बच्चों के साथ समय बिताना होगा, उनको संस्कारदेने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे, ताकि जीवन केकिसी भी मोड़ पर वह नशे की तरफ रूख ना करें।

बच्चा अगर नशे की तरफ जाता है तो सबसे पहले उसकेजीवन में जो बदलाव आना शुरू होता है वह घर में मां-बापही समझ पाते हैं, उन्हीं को दिखता है। तो अगर मां-बापथोड़े से भी जागरूक हों तो बच्चे को नशे की शुरुआत मेंपकड़ लेंगे और बिना दवाई बिना किसी इलाज के उसे नशेसे बचा सकते हैं।

मां-बाप को अपने बच्चों को समय देना चाहिए, और उन्हेंअच्छे उदाहरण प्रस्तुत करने चाहिए। माता-पिता को अपनाआचरण इतना शुद्ध रखना चाहिए कि उनके बच्चे उन्हें एकआदर्श नागरिक के रूप में देखें और उनसे प्रेरणा लें।

समाज की जिम्मेदारी की बात की जाए तो समाज केभीतर एक नशा विरोधी माहौल बनाना अत्यंत आवश्यकहै। नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए बड़े पैमानेपर विभिन्न अभियान चलाए जाने चाहिए। हर गांव औरशहर के मोहल्लों में नशा विरोधी मंच स्थापित कर, रात केसमय पहरा देने की व्यवस्था करनी चाहिए।

इसके अलावा, नशा तस्करी में सजा पा चुके लोगों औरउनके परिवारों का सामाजिक बहिष्कार किया जानाचाहिए, ताकि समाज में नशे के प्रति कठोर संदेश जाए। 

इसके अलावा नशा-मुक्ति केंद्र से जो बच्चे वापस आतेहैं उन्हें नशे से पूर्ण रूप से बाहर निकालने के लिए समाजको उनकी सहायता करनी चाहिए।

शादी विवाह जैसे खुशी के अवसरों पर नशे को बढ़ावादेने वाले गीतों को बजाना बंद किया जाना चाहिए। संभवहो तो ऐसे अवसरों पर शराब का प्रचलन भी बंद कियाजाना चाहिए।

इसके अलावा हमारे सामाजिक संगठन समाज के हरवर्ग तक पहुंच सकते हैं। ये संगठन नशे के खिलाफजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को इसके दुष्प्रभावों सेअवगत करा सकते हैं। इनका नेटवर्क जमीनी स्तर पर कामकरने के लिए उपयुक्त है, जिससे प्रभावी बदलाव लाया जासकता है।

यदि हम सरकार की जिम्मेदारी की बात करें तो सरकारको जागरूक रहने की जरूरत है खासकर पुलिस को।पुलिस अपना काम अगर पूरी निष्ठा समर्पण के साथ करेतो मुझे पूरा विश्वास है की कहीं भी नशे की एक ग्रामपुड़िया भी बिक नहीं सकती।

सबसे बड़ी बात है कि जब कोई नशा लेने वाला ही नहींहोगा, खरीदने वाला ही नहीं होगा तो नशा बिकेगा कैसे।

तो इसलिए माता-पिता, समाज और सरकार, तीनों कीजिम्मेदारी बनती है कि वे नशों के विरूद्ध लड़ाई लड़ते हुएयुवाओं को नशों की इस दलदल से बाहर निकालें क्योंकिस्वस्थ युवा ही एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। 

हमारे भारत देश को विश्व गुरु बनाने में युवा शक्ति काअत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन अफसोस है किआज का युवा नशीले पदार्थों और विभिन्न सामाजिकबुराइयों के शिकंजे में फंसकर अपने मार्ग से भटक गया है।

हमें नशीली दवाओं का दुरूपयोग रोकने और मादकपदार्थों के सेवन के दुष्प्रभावों से युवाओं को अवगत करनाहोगा। हमारे युवा हमारा आज ही नहीं बल्कि हमारा कलभी हैं। देश की बागडोर इन्हें संभालनी है। हम इन्हें नशे कीदलदल में धंसने नहीं दे सकते।

नशा एक सामाजिक बीमारी है। यह देश के लिए खतराहै। इस अभियान के द्वारा लोगों को नशा मुक्त करने कालक्ष्य को सामने रख कर स्कूल से लेकर कॉलेज, विश्वविद्यालय के छात्रों व सामाजिक संस्थाओं में लोगोंको नशे से होने वाले दुष्परिणाम के बारे में सेमिनार, मोटिवेशन वर्कशॉप इत्यादि के जरिये जागरूक करनाहोगा।

नशा मुक्ति एक बड़ी चुनौती है, यह कठिन जरूर है, लेकिन असंभव नहीं है। नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या अभीभी पर्याप्त नहीं है, लेकिन नशा मुक्ति के लिए काउंसलिंगऔर परामर्श के माध्यम से उपचार संभव है।

मित्रों,

नशे की लत के शिकार व्यक्ति अपराधी नहीं, बल्किसहायता के पात्र हैं। हमें उनके प्रति संवेदनशील रहकर उन्हेंपुनः सामान्य जीवन में वापस लाने के लिए हर संभव प्रयासकरना चाहिए।

सभी सामाजिक संस्थाओं को एक साथ मिलकर नशे केखिलाफ बड़ी आवाज उठानी होगी। सरकारी स्तर पर इसेसमाप्त करने के लिए कई अभियान चलाये जा रहे हैं। परंतुसफलता तभी मिल सकती है जब जन-जागृति हो।

माता-पिता को अपने बच्चों के साथ संवाद बढ़ाना होगा, शिक्षकों को नैतिक शिक्षा पर जोर देना होगा, औरसामुदायिक नेताओं को इस अभियान को हर व्यक्ति तकपहुँचाना होगा।

आइए, हम सब यह संकल्प लें कि हम पंजाब को नशामुक्त बनाएंगे। यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी अगलीपीढ़ी को एक स्वस्थ, सशक्त, और उज्ज्वल भविष्य प्रदानकरें।

मैं एक बार फिर पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से आएशिक्षाविदों और सभी संगठनों को उनके समर्पण औरप्रयासों के लिए बधाई देता हूँ। आज की यह पहल निश्चितरूप से समाज में सकारात्मक बदलाव लाएगी और एक नईदिशा प्रदान करेगी।

मैं आप सभी को इस पहल में शामिल होने और नशामुक्त पंजाब बनाने के लिए आपके प्रयासों के लिएधन्यवाद देता हूँ।

धन्यवाद,

जय हिंद!