SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF VIKSIT BHARAT 2047 OF NEW INDIA AT NEW DELHI ON JANUARY 19, 2025.
- by Admin
- 2025-01-20 12:05
भारत 24 द्वारा अयोजित ‘विकसित भारत 2047’ कार्यक्रम के अवसर पर
राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 19.01.2025, रविवार समयः सुबह 10:00 बजे स्थानः नई दिल्ली
आप सभी को मेरा नमस्कार!
‘‘विकसित भारत 2047’’ कार्यक्रम में आप सभी को संबोधित करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। वास्तव में यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे आज हमारे महान राष्ट्र भारत की प्रगति पर गहन चर्चा करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इसके हेतु मैं ‘भारत 24 न्यूज़ चैनल’ को सादर धन्यवाद देता हूं।
‘विकसित भारत 2047’ देश की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पश्चात 2047 तक भारत को पूर्णरूपेण विकसित राष्ट्र और विश्वगुरू बनाने का महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण है, एक रोडमैप है। इसका उद्देश्य मुख्यतः देश के सभी नागरिकों के बीच समावेशी आर्थिक और सामाजिक भागीदारी को बढ़ावा देना है।
इस पहल में आर्थिक समृद्धि, सामाजिक उन्नति, पर्यावरणीय स्थिरता, प्रभावी और पारदर्शी शासन, एवं विकास के अन्य विविध पहलुओं को समाहित किया गया है। इसका मुख्य लक्ष्य हर भारतीय को समान अवसर प्रदान करना, सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करते हुए एक समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र का निर्माण करना है।
आज हम अमृत काल के प्रारंभिक चरण में खड़े हैं, जो भारत की आज़ादी के शताब्दी वर्ष तक के 25 वर्षों की यात्रा है। यह हमारे लिए एक अनूठा अवसर है कि हम एक ऐसे भारत की कल्पना करते हुए इसका निर्माण करने का भरसक प्रयत्न करें जो एक अरब से अधिक लोगों की आकांक्षाओं को साकार करता हो।
‘विकसित भारत 2047’ केवल एक लक्ष्य नहीं, अपितु एक नई सोच, नए प्रयास, और स्वर्णिम भविष्य के निर्माण की दिशा में प्रयासरत भारत की सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह एक ऐसे भारत का द्योतक होगी, जो हर क्षेत्र में अग्रणी होगा।
1947 में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने हमें एक स्वतंत्र भारत का उपहार दिया। उन्होंने हमें परतंत्रता की बेड़ीयों से मुक्ति दिलाई क्योंकि ‘पराधीन सपनेहु सुख नाहि के’ अर्थात पराधीन व्यक्ति कभी भी सुख नहीं पा सकता। अतः अब हमारा दायित्व है कि हम इस आज़ादी को सशक्त भारत और विकसित भारत में परिवर्तित करें।
भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जो अपनी विशाल जनसंख्या, प्रगतिशील नीतियों और विविधतापूर्ण औद्योगिक आधार के बल पर वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को लगातार सुदृढ़ कर रहा है।
भारत का पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना उसकी क्षमता, दृढ़ता और नीतिगत सुधारों का परिणाम है। हालांकि चुनौतियाँ मौजूद हैं, किन्तु अवसरों की कोई कमी नहीं है।
मित्रो,
भारत सरकार ने 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं। इन प्रमुख पहलों में:
1. क्वांटम प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने हेतु ‘राष्ट्रीय क्वांटम मिशन’;
2. उन्नत साइबर-फिजिकल सिस्टम के विकास हेतु ‘राष्ट्रीय अंतःविषय साइबर-फिजिकल सिस्टम मिशन’;
3. पूर्व-प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्तर तक सभी के लिए समान और समावेशी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु ‘समग्र शिक्षा कार्यक्रम’;
4. युवाओं को राष्ट्र निर्माण में भागीदारी के लिए प्रेरित करने और नेतृत्व और सामाजिक सेवाओं में उनकी भागीदारी बढ़ाने हेतु युवाओं के लिए ‘मेरा युवा भारत’ (MY Bharat) पहल;
5. स्वास्थ्य सेवा नवाचार, महामारी तैयारी, और स्वदेशी चिकित्सा समाधानों के विकास के लिए विभिन्न पहलें;
6. सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति, जीवन और व्यवसाय करने में सुगमता, उन्नत बुनियादी ढांचे, और सामाजिक कल्याण पहलों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएँ;
7. भारत को आत्मनिर्भर और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’;
8. घरेलू उत्पादन और उद्योगों को बढ़ावा देने सहित देश में विनिर्माण को प्रोत्साहित करने हेतु ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’; डिजिटल तकनीक को गांव-गांव तक पहुंचाने सहित सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाने हेतु ‘डिजिटल इंडिया अभियान’;
9. युवाओं को उद्योग आधारित कौशल प्रदान करने साहित रोजगार के अवसर बढ़ाने हेतु ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’;
10. हर घर को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने सहित स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण हेतु ‘हर घर जल और स्वच्छ भारत मिशन’
11. शिक्षा प्रणाली में सुधार और रोजगारपरक शिक्षा पर जोर देने सहित डिजिटल शिक्षा और शोध को बढ़ावा देने हेतु ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’;
12. सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे हरित ऊर्जा स्रोतों के विकास सहित जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु ‘ग्रीन एनर्जी और पर्यावरण संरक्षण’;
13. स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के अन्तर्गत आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा और नए अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना;
14. बुनियादी ढांचे का विकास के अन्तर्गत हाईवे, रेलवे, और हवाई अड्डों का तेजी से निर्माण और स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शहरी विकास;
15. महिला सशक्तिकरण के अन्तर्गत ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना और महिलाओं के लिए स्वरोजगार और सुरक्षा उपाय;
16. सामाजिक समरसता को बढ़ावा देते हुए समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर और सामाजिक कल्याण योजनाएँ जैसे ‘उज्ज्वला योजना’ और ‘जन धन योजना’ आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।
ये पहलें 2047 तक भारत को एक विकसित, सशक्त, और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व मंच पर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। चंद्रयान और मंगलयान जैसे मिशन न केवल भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का प्रतीक हैं, बल्कि यह दिखाते हैं कि सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने साकार किए जा सकते हैं।
भविष्य में, भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है, जिससे यह दुनिया के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अग्रणी भूमिका निभाने वाला देश बनेगा।
देवियो और सज्जनो,
2047 तक एक विकसित भारत का हमारा सपना केवल एक दृष्टि नहीं है, बल्कि यह एक प्रतिबद्धता है कि हम अपने देश को एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करेंगे, जो इस गौरवशाली देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों में निहित है।
उस समय तक, भारत एक ऐसा देश होगा जहां हर नागरिक को विश्व-स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पर्याप्त आर्थिक अवसर प्राप्त होंगे। यह एक ऐसा देश होगा जहां गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी अतीत की बातें बन चुकी होंगी। एक ऐसा राष्ट्र जो प्रौद्योगिकी, नवाचार और सतत विकास में विश्व का नेतृत्व करेगा। एक ऐसा समाज जो समावेशिता, समानता और न्याय पर आधारित हो।
हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदृष्टि इस यात्रा में मार्गदर्शक है। उन्होंने “आत्मनिर्भर भारत” और “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के मंत्र को अपनाकर भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने का संकल्प लिया है। इसके अंतर्गत उनके नेतृत्व में, हमने ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से उद्योग और नवाचार में एक नई ऊर्जा देखी है।
वैश्विक स्तर पर, उनकी दूरदर्शिता ने भारत को एक सशक्त और निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित किया है। उनके द्वारा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर “वसुधैव कुटुंबकम्” के सिद्धांत को प्रस्तुत कर भारत ने वैश्विक नेतृत्व में एक नई पहचान बनाई है।
शिक्षा नीति 2020
साथियो,
विकसित भारत की दिशा में पूरी तन्मयता के साथ आगे बढ़ते हुए हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार द्वारा देश में नई शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है। यह नीति शिक्षा के हर स्तर पर गुणवत्ता, समावेशिता, और प्रासंगिकता को बढ़ावा देने का प्रयास करती है, जिससे समाज के हर वर्ग को लाभ हो और राष्ट्र विकास के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़े।
नई शिक्षा नीति 2020 भारत को एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था और समाज में बदलाव लाने की दिशा में एक मजबूत आधारशिला है। यह नीति विद्यार्थियों को केवल रोजगार योग्य नहीं, बल्कि नवाचार, सामाजिक जिम्मेदारी, और वैश्विक स्तर पर नेतृत्व के लिए तैयार करती है और विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
स्वास्थ्य
इसके अलावा स्वास्थ्य एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है। हमारा उद्देश्य सभी के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करना है। इसी दिशा में आयुष्मान भारत योजना और इसी तरह की योजनाओं का विस्तार और सुदृढ़ीकरण हर भारतीय को इसका यथोचित लाभ पहुंचाने के लिए किया जाना चाहिए।
महिला सशक्तिकरण
किसी भी देश की प्रगति का आकलन इस बात से किया जा सकता है कि वहां की महिलाएं कितनी सशक्त और स्वतंत्र हैं। विकसित भारत 2047 का सपना तभी साकार हो सकता है, जब समाज के सभी वर्ग, विशेष रूप से महिलाएं, इस लक्ष्य की प्राप्ति में समान रूप से योगदान करें।
महिलाओं का सशक्तिकरण न केवल एक सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी है, वरन् यह आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रगति का प्रमुख आधार भी है। ‘विकसित भारत 2047’ का सपना तभी साकार होगा, जब महिलाएं इस यात्रा की केंद्र बिंदु होंगी।
जलवायु परिवर्तन
जब हम वैश्विक नेता बनने की आकांक्षा रखते हैं, तो हमें इसकी पूर्ति हेतु जिम्मेदारी की भावना से काम करना होगा। जलवायु परिवर्तन हमारे समय की सबसे विकट चुनौतियों में से एक है और इसे लेकर भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। 2047 तक, हम एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना करते हैं जो स्वच्छ ऊर्जा पर चलता हो, जहां शहर हरित और स्मार्ट हों और जहां विकास और संरक्षण के बीच संतुलन बना रहे।
सौर और पवन ऊर्जा के विकास के साथ-साथ सतत जीवनशैली को बढ़ावा देना हमारे पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की कुंजी होगी। पर्यावरण की रक्षा केवल हमारा कर्तव्य नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक उपहार है।
प्रौद्योगिकी
इसके अलावा प्रौद्योगिकी भारत के युग परिवर्तक का प्रेरक बल होगी। भारत की प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रगति ने उसे वैश्विक मंच पर एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित किया है।
2047 तक, जब देश अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, प्रौद्योगिकी का प्रभाव हर क्षेत्र में गहरा होगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, जैव प्रौद्योगिकी, और अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे क्षेत्रों में भारत को न केवल अग्रणी बनना होगा, बल्कि सतत और सृजनात्मक प्रयासों के माध्यम से वैश्विक नवाचार का केंद्र भी स्थापित करना होगा।
इस संबंध में डिजिटल इंडिया ने पहले ही एक मजबूत आधारशिला रख दी है। 2047 तक डिजिटल विभाजन को खत्म कर हर नागरिक को इंटरनेट और डिजिटल संसाधनों तक समान पहुंच प्रदान की जाएगी।
डिजिटल इंडिया ने भारत को एक नई दिशा में अग्रसर किया है, जहां तकनीकी प्रगति और समावेशी विकास का मेल दिखता है। स्मार्ट शहरों और डिजिटल अवसंरचना का विकास 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की यात्रा को गति प्रदान करेगा।
साथियो,
हालांकि भारत ने आर्थिक विकास, तकनीकी नवाचार और सामाजिक सुधारों के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन गरीबी और बेरोजगारी जैसी चुनौतियाँ आज भी देश के विकास पथ में बड़ी बाधाएँ बनी हुई हैं। ये समस्याएँ न केवल आर्थिक विकास को बाधित करती हैं, बल्कि सामाजिक असमानता और अस्थिरता को भी बढ़ावा देती हैं।
भारत जैसे विशाल देश में, जहां जनसंख्या बड़ी और संसाधन सीमित हैं, इन समस्याओं का समाधान बहु-आयामी और दीर्घकालिक प्रयासों के माध्यम से ही संभव है।
इसके लिए विदेशी और घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए उद्योग-अनुकूल नीतियाँ बनाई जानी चाहिएं, छोटे और मझोले उद्यमों (MSMEs) के लिए औद्योगिक क्लस्टरों का विकास किया जाना चाहिए।
साथ ही, मेक इन इंडिया और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत विनिर्माण क्षेत्र, डिजिटल इंडिया पहल के तहत आईटी और स्टार्टअप सेक्टर, नवीकरणीय ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन, और सतत विकास परियोजनाओं, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों आदि में रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
इसके अलावा कौशल-अंतर को समाप्त करते हुए युवाओं को उद्योग की जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। तकनीकी शिक्षा और प्रशिक्षण हेतु अधिक से अधिक तकनीकी संस्थानों और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की जानी चाहिए।
इसके अतिरिक्त दीर्घकालिक नीतियों के अन्तर्गत शिक्षा और नवाचार पर जोर दिया जाना चाहिए, अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करते हुए बच्चों और युवाओं के लिए नई तकनीकों की शिक्षा की शुरूआत की जानी चाहिए, और समावेशी और सतत विकास के अन्तर्गत ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समान विकास सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
हमें समाज के हर वर्ग को गरीबी और बेरोजगारी के उन्मूलन में भागीदार बनाना होगा। गैर-सरकारी संगठनों और सामुदायिक संगठनों का सहयोग लेना होगा। गरीबी और बेरोजगारी से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राथमिकता देनी होगी।
देवियो और सज्जनो,
भारत का ग्लोबल लीडर के रूप में उदय उसकी दुनिया में सार्थक योगदान देने की क्षमता से चिह्नित होगा। “वसुधैव कुटुंबकम्” - दुनिया एक परिवार है - का हमारा प्राचीन दर्शन हमारी कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का मार्गदर्शन करेगा।
2047 तक, भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए, शांति, सुरक्षा और विकास पर वैश्विक नीतियों को सक्रिय रूप से आकार देना चाहिए। हमारी सॉफ्ट पावर, संस्कृति, आध्यात्मिकता और योग के माध्यम से, दुनिया भर में दिल जीतना जारी रखेगी।
देवियो और सज्जनो,
वीरों एवं रणबांकुरों की पावन धरा, पंजाब के राज्यपाल के रूप में, मुझे इस यात्रा में हमारे राज्य की भूमिका पर गर्व है। पंजाब का समृद्ध इतिहास, जीवंत संस्कृति और उद्यमशीलता की भावना भारत की प्रगति को गति देगी।
पंजाब, जो देश का ‘‘कृषि प्रधान राज्य’’ कहलाता है, अब अपने संसाधनों के सतत उपयोग और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए नई राह तैयार कर रहा है।
जल संरक्षण, वनीकरण, और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के प्रयास न केवल प्रदेश के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा हैं। यह न केवल पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करेगा, अपितु भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और समृद्ध पर्यावरण का निर्माण करेगा।
उन्नत कृषि तकनीकों, सटीक कृषि और स्थायी प्रथाओं को अपनाकर हम अपने कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं। साथ ही, हमें अपने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को सशक्त बनाना होगा, आधारभूत संरचना में निवेश करना होगा और वैश्विक निवेश आकर्षित करना होगा ताकि एक जीवंत और विविध अर्थव्यवस्था का निर्माण हो सके।
हमारे युवा, जो प्रतिभा और ऊर्जा से भरपूर हैं, इस परिवर्तन के केंद्र में होंगे। उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कौशल विकास के अवसर और नवाचार के लिए एक मंच प्रदान करके, हम उनके राष्ट्र-निर्माण में योगदान को सक्षम कर सकते हैं।
विकसित भारत 2047 की परिकल्पना में पंजाब की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह राज्य न केवल कृषि और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में अग्रणी है, अपितु औद्योगिक, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रगति में भी इसका योगदान असाधारण है। विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने में पंजाब कैसे योगदान देगा, इसे निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता हैः
1. कृषि और खाद्य सुरक्षा में नेतृत्व
हरित क्रांति में राज्य की भूमिका ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया। 2047 तक, पंजाब उन्नत कृषि तकनीकों, जैविक खेती, जल संरक्षण, और फसल विविधीकरण के जरिए खाद्य सुरक्षा को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
2. उद्योग और आर्थिक विकास
लुधियाना जैसे औद्योगिक शहर और अमृतसर, जालंधर जैसे व्यापारिक केंद्र पंजाब की आर्थिक प्रगति का आधार हैं। 2047 तक, पंजाब अपने औद्योगिक बुनियादी ढांचे को उन्नत कर, टेक्सटाइल, मशीनरी और स्टार्टअप्स के क्षेत्र में वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर होगा।
3. नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण
पंजाब सौर और बायोमास ऊर्जा में अग्रणी बनने की क्षमता रखता है। राज्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए वनीकरण, जल प्रबंधन, और प्रदूषण नियंत्रण जैसे कदम ‘विकसित भारत 2047’ के हरित लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेंगे।
4. स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार
पंजाब के शैक्षिक संस्थान और स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही उन्नत हैं। 2047 तक, यह राज्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की सार्वभौमिक पहुंच को सुनिश्चित करते हुए मानव संसाधन स्रोतों के दोहन द्वारा इन क्षेत्रों में देश का नेतृत्व करेगा।
5. संस्कृति और विरासत का संरक्षण
पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जिसमें भांगड़ा, पावन गुरबाणी, और लोक परंपराएं शामिल हैं, भारत की सांस्कृतिक शक्ति का अभिन्न अंग है। 2047 तक, पंजाब अपनी सांस्कृतिक पहचान को और सशक्त बनाते हुए वैश्विक मंच पर भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ावा देने में अत्यधिक योगदान देगा।
6. खेल और युवा सशक्तिकरण
पंजाब ने हॉकी और कबड्डी जैसे खेलों में विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। गत वर्ष 2024 के पैरिस ओलम्पिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय पुरूष हॉकी टीम के अधिकतर खिलाड़ी पंजाब से ही संबंधित हैं। इसके साथ ही राज्य ‘खेलो इंडिया’, खेडां वतन पंजाब दीयां’ और अन्य खेल योजनाओं के जरिए देश को नई खेल प्रतिभाएं प्रदान करेगा और 2047 तक खेल महाशक्ति बनने की यात्रा में योगदान देगा।
7. समानता और समावेशिता
पंजाब में महिलाएं, युवा, और कमजोर वर्ग समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 2047 तक, राज्य सामाजिक न्याय और समानता के आदर्शों को लागू करके समावेशी विकास के मॉडल को पेश करेगा।
इसके अतिरिक्त विकसित भारत 2047 के स्वप्न को साकार रूप देने में, पंजाब के पर्यटन उद्योग का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। पंजाब की समृद्ध संस्कृति, जैसे भांगड़ा, गिद्दा, लोक संगीत, और पारंपरिक भोजन, पर्यटकों को आकर्षित करती है। अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, दुर्गयाना मंदिर, जलियांवाला बाग़, वाघा बॉर्डर और विरासत-ए-खालसा जैसे स्थल ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखते हैं।
इन सबके अतिरिक्त पाकिस्तान से सटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा से होने वाली नशों और हथियारों की तस्करी से निपटने के लिए सीमा पर एंटी ड्रोन सिस्टम लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा, पंजाब के 6 सीमावर्ती जिलों में ग्राम स्तरीय सुरक्षा समितियों को गठित किया गया है जो सुरक्षा व खुफिया एजंसियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
सीमावर्ती जिलों में सुरक्षा और सामाजिक सुधार की मदद से न केवल तस्करी पर रोक लगेगी, बल्कि नशे के खिलाफ एक मजबूत और संगठित लड़ाई लड़ी जा सकेगी। यह पहल युवाओं को सही दिशा प्रदान कर उन्हें राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाएगी और ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को साकार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगी।
और इन सबसे महत्वपूर्ण पहलू है हमारे देश की सुरक्षा क्योंकि सुरक्षा के अभाव में विकास संभव ही नहीं है। एक सुरक्षित राष्ट्र ही अपने नागरिकों को समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन प्रदान कर सकता है और वैश्विक मंच पर अपनी साख मजबूत कर सकता है।
जब देश की सुरक्षा की बात आती है, तो पंजाब ने हमेशा एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस राज्य का इतिहास और वर्तमान इसकी साहसिकता और राष्ट्रभक्ति के अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। सीमावर्ती राज्य होने के नाते, पंजाब ने न केवल अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने में, बल्कि भारत की सुरक्षा को मजबूत बनाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है।
पंजाब ने भारतीय सेना, वायु सेना, और नौसेना को बड़ी संख्या में सैनिक और अधिकारी प्रदान किए हैं जो कि उच्चतम पदों पर भी आसीन रहे हैं। पंजाब रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, और अन्य सैन्य इकाइयां भारत की सुरक्षा का मुख्य आधार हैं। कारगिल युद्ध, 1965 और 1971 के युद्धों में पंजाब के सैनिकों की अभूतपूर्व वीरता और बलिदान की शौर्यगाथा इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।
स्वतंत्रता संग्राम में भी पंजाब का योगदान अभूतपूर्व रहा है। शहीद ए आज़म भगत सिंह, उधम सिंह, करतार सिंह सराभा जैसे वीर स्वतंत्रता सेनानी पंजाब की भूमि से निकले, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की आजादी की नींव रखी।
कुल मिला कर देखा जाए तो पंजाब ‘विकसित भारत 2047’ के निर्माण में केवल एक सहभागी नहीं, बल्कि एक अग्रणी भूमिका निभाएगा। यह राज्य अपनी कृषि, उद्योग, संस्कृति, और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान के माध्यम से भारत की प्रगति को न केवल दिशा देगा, बल्कि इसे प्रेरणा भी प्रदान करेगा। पंजाब का विकास और इसकी समस्याओं का समाधान भारत के समग्र विकास का प्रतीक होगा।
अंत में, मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप 2047 के भारत के निर्माण में अपनी भूमिका पर विचार करें। चाहे आप एक उद्यमी हों, छात्र हों, किसान हों या पत्रकार, आपका योगदान मायने रखता है।
विशेष रूप से मीडिया, इस यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारत 24, राष्ट्र-निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ, इस यात्रा में उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकता है। नवाचार, लचीलापन और प्रगति की कहानियों को उजागर करके, आप लाखों लोगों को एक विकसित भारत बनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
भारत को एक विकसित राष्ट्र में परिवर्तित करने के लिए मजबूत आर्थिक विकास अत्यंत आवश्यक है। 2047 तक, हमारी अर्थव्यवस्था विश्व की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में होनी चाहिए, जो नवाचार, उद्यमिता और एक मजबूत औद्योगिक एवं कृषि आधार पर आधारित हो।
आज इस सम्मेलन से निकलते समय, आइए हम यह संकल्प लें कि हम एक नए भारत के निर्माण में अपना योगदान देंगे - एक ऐसा भारत जो समृद्ध, समावेशी और दुनिया के लिए आशा की किरण हो।
धन्यवाद, जय हिंद!