SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF NAHSA MUKAT PUNJAB – SARV DHARAM SAMMELAN AT PUNJAB RAJ BHAVAN CHANDIGARH ON JANUARY 12, 2025.
- by Admin
- 2025-01-13 07:05
नशों के खिलाफ जंग के अन्तर्गत सर्वधर्म सम्मेलन केअवसर पर
राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 12.01.2025, रविवार | समयः सुबह 11:00 बजे | स्थानः पंजाब राजभवन |
आदरणीय धर्मगुरुओं, समाजसेवियों, शिक्षाविदों, और सभी सम्मानित उपस्थितजनों,
सर्वप्रथम मैं आप सभी का इस सम्मेलन में स्वागत करता हूं और इस महत्वपूर्ण पहल में सम्मिलित होने के लिए धन्यवाद देता हूं।
आज का यह सर्वधर्म सम्मेलन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारतीय संस्कृति के मूल आधार - हमारे धर्म और धर्मगुरुओं-की सक्रिय भागीदारी को सामने लाता है। इस सम्मेलन का उद्देश्य न केवल नशे की समस्या के दुष्प्रभावों को उजागर करना है, बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करना भी है कि वे इस गंभीर संकट के समाधान के लिए एकजुट होकर कार्य करें।
धर्मगुरुओं की भूमिका इस पहल में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उनके लाखों-करोड़ों अनुयायी उनके द्वारा कहे शब्दों को ईश्वर के शब्द मानते हैं और उन्हें ईश्वर का दर्जा देते हैं और साथ ही उनके कहे अनुसार अपने जीवन का निर्वहन भी करते हैं। इसलिए, यह सम्मेलन भारतीय संस्कृति व मूल्यों को केंद्र में रखते हुए समाज को नशामुक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।
धर्मगुरु समाज के मार्गदर्शक होते हैं। उनका संदेश सीधे लोगों के दिलों तक पहुंचता है। यदि वे अपने प्रवचनों और शिक्षाओं के माध्यम से नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाएं, तो यह आंदोलन बहुत प्रभावी हो सकता है।
धर्मगुरु अपने प्रवचनों और सत्संगों के माध्यम से नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैला सकते हैं। वे जीवन के उद्देश्य, सकारात्मक सोच, और आत्मविश्वास के महत्व को समझाकर युवाओं को सशक्त बना सकते हैं। धार्मिक स्थलों को जागरूकता अभियान का केंद्र बनाया जा सकता है, जहाँ नशा मुक्ति के संदेश दिए जाएँ।
इसके अलावा, धार्मिक त्योहारों और आयोजनों में नशा मुक्ति के संदेश को प्रमुखता से स्थान दिया जा सकता है। इन अवसरों पर नशा विरोधी शपथ और कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है। धर्मगुरु यह समझा सकते हैं कि नशे की बजाय ध्यान, योग, प्रार्थना और अन्य रचनात्मक गतिविधियों से कैसे आत्मसंतोष और मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है।
हर धर्मगुरु अपने अनुयायियों को यह सिखाएं कि नशा धर्म और मानवता दोनों के लिए हानिकारक है। धार्मिक स्थलों, स्कूलों और कॉलेजों में नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाएं।
आदरणीय उपस्थितजनों,
मेरा मानना है कि, हमारे धार्मिक शिक्षण संस्थान समाज को नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा देने का केंद्र होते हैं। इन संस्थानों के माध्यम से नशे की समस्या को जड़ से खत्म करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है। उनकी शिक्षाएँ और कार्यक्रम समाज के हर वर्ग को प्रभावित कर सकते हैं, विशेषकर युवाओं और बच्चों को।
धार्मिक शिक्षण संस्थान नशे के दुष्प्रभावों पर आधारित पाठ्यक्रम और कार्यक्रम तैयार कर सकते हैं। वे नैतिक मूल्यों, संयम, और आत्मनियंत्रण की शिक्षा देकर लोगों को नशे से दूर रहने की प्रेरणा दे सकते हैं। बच्चों और युवाओं को यह सिखाया जा सकता है कि नशा उनके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास को कैसे नुकसान पहुँचाता है।
धार्मिक शिक्षण संस्थान सामुदायिक सभाएँ, संगोष्ठियाँ और कार्यशालाएँ आयोजित कर सकते हैं, जहाँ नशा मुक्ति का संदेश दिया जाए। इन आयोजनों में नशे के खिलाफ शपथ दिलाई जा सकती है और प्रेरक कहानियाँ साझा की जा सकती हैं।
युवाओं को नशे से बचाने के लिए उन्हें रचनात्मक और आध्यात्मिक गतिविधियों में संलग्न करना आवश्यक है। धार्मिक शिक्षण संस्थान खेल, संगीत, ध्यान और योग जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को सकारात्मक दिशा में प्रेरित कर सकते हैं।
सभी धर्म और समुदाय एक साथ मिलकर नशा उन्मूलन के लिए प्रतिबद्धता जताएं। नशा करने वालों को तिरस्कार की बजाय मदद और पुनर्वास प्रदान करें। यह संदेश दिया जा सकता है कि मानसिक शांति और जीवन का आनंद पाने के लिए नशा नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता आवश्यक है।
प्रिय आदरणीयजनों,
यदि पंजाब राजभवन की बात की जाए तो यह भी नशों के विरूद्ध जंग में अपने दायित्व को समझते हुए नशा उन्मुलन के प्रयास में निरंतर जुटा हुआ है।
इसके द्वारा 10-11 दिसंबर 2024 को जालंधर जिले में ‘पीपल्स वॉक अगेंस्ट ड्रग्स’ नामक पैदल यात्रा का आयोजन, 9 जनवरी को पंजाब राजभवन में लगभग 50स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों की भागीदारी वाला एक विशेष कार्यक्रम, 11 दिसंबर को ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ के अन्तर्गत लुधियाना में ‘नशा मुक्त भारत युवा रैली’ का आयोजन आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।
इसके अलावा, आगामी 7 फरवरी 2025 को पंजाब राजभवन में पंजाब के सभी वाइस चांसलरों के साथ नशे के खिलाफ लड़ाई से संबंधित एक महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा।
माननीय उपस्थितजनों,
हमारा देश विविधताओं का अनूठा संगम है, जहां विभिन्न धर्म, परंपराएं और संस्कृतियां सद्भावपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं। हर धर्म यह सिखाता है कि जीवन अनमोल है, इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, और इसे नष्ट करना सबसे बड़ा पाप है। साथ ही हर धर्म हमें संयम, नैतिकता, और एक स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
हिंदू धर्मः गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आत्मा परमात्मा का अंश है, और उसे विनाशकारी आदतों के जाल में फंसाकर दूषित करना अपने अस्तित्व का अपमान करना है।
इस्लामः कुरान शरीफ में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हर वह चीज जो इंसान को अपने होश से दूर ले जाती है, हराम है। नशा हमें ईश्वर से दूर करता है।
ईसाई धर्मः बाइबल में कहा गया है, ‘‘तुम्हारा शरीर परमेश्वर का मंदिर है।’’ इसे दूषित करना एक अपराध है।
सिख धर्मः गुरु ग्रंथ साहिब में नशे को ‘‘मानसिक और शारीरिक गुलामी’’ कहा गया है। सिख धर्म ने नशा मुक्त जीवन को प्राथमिकता दी है।
जैन धर्म और बौद्ध धर्मः इन धर्मों में अहिंसा और आत्म-संयम पर जोर दिया गया है। नशा हमें आत्म-संयम से दूर करता है और हमारे अंदर हिंसा और अज्ञानता का संचार करता है।
गुरुओं, पीरों और ऋषि-मुनियों की धरती पंजाब, जो न केवल अध्यात्म की भूमि रही है, बल्कि मानवता, प्रेम और नैतिकता के मार्गदर्शन की पवित्र स्थली भी है, आज नशे की समस्या के कारण गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमें इसे फिर से उसका खोया हुआ गौरव दिलाना है और इसे फिर से ‘रंगला पंजाब’ बनाना है।
हमें यह सुनिश्चित करना है कि हमारा राज्य और हमारा देश नशा मुक्त हो और हमारी युवा शक्ति सकारात्मक उद्देश्यों के लिए समर्पित हो। इस दिशा में राज्य सरकार ने नशे की समस्या से निपटने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
माननीय उपस्थितजनों,
नशे की समस्या केवल पंजाब तक सीमित नहीं, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक चुनौती बन गई है। यह समस्या न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संरचना को भी कमजोर कर रही है।
नशा, चाहे वह किसी भी प्रकार का हो, हमारी युवा पीढ़ी, समाज और परिवारों को खोखला कर रहा है। यह समस्या केवल किसी एक धर्म, जाति, वर्ग, या देश की नहीं है। यह सभी सीमाओं को पार कर समाज के हर कोने में फैल रही है। इसे समाप्त करने के लिए हमें सभी धर्मों, समाजों और वर्गों को मिलकर कार्य करना होगा।
नशों की तीव्र लत के कारण हमारे युवा चोरी, लूटपाट जैसी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं। साथ ही, यह लत उन्हें अपने परिवार के सदस्यों के प्रति अत्यधिक हिंसक बना देती है, जिससे वे कई बार जानमाल को भी हानि पहुँचा बैठते हैं। इससे परिवार टूट रहे हैं, अपराध दर बढ़ रही है, और समाज में अस्थिरता फैल रही है।
युवा, जो देश का भविष्य हैं, नशे की लत में पड़कर अपनी ऊर्जा और संभावनाओं को बर्बाद कर रहे हैं। नशा न केवल मानसिक संतुलन को बिगाड़ता है बल्कि अपराध और हिंसा को भी बढ़ावा देता है। नशे की लत के कारण व्यक्ति और परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद हो जाते हैं।
मादक पदार्थों की लत न केवल किसी व्यक्ति के पतन का कारण बनती है, बल्कि इसके प्रभाव से जुड़े हर व्यक्ति के जीवन और मानसिक स्थिति पर भी गहरा आघात पहुंचता है। नशे की इस आदत के चलते प्रभावित व्यक्ति के परिवारों को अत्यधिक दुख और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
परिवार का कोई सदस्य यदि मादक पदार्थों की लत का शिकार हो जाता है, तो उसकी देखभाल की चिंता उस परिवार के लिए एक भारी बोझ और अभिशाप बन जाती है। यह स्थिति न केवल उस परिवार की शांति और संतुलन को भंग करती है, बल्कि समाज के ताने-बाने को भी कमजोर करती है।
भारत जैसे विशाल और युवा जनसांख्यिकीय संरचना वाले देश में मादक पदार्थों का दुरुपयोग एक अत्यंत गंभीर और चिंताजनक समस्या है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। इससे न केवल व्यक्ति और परिवार बल्कि समूचे राष्ट्र के विकास और प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
विशेष रूप से युवा पीढ़ी इस गंभीर खतरे की चपेट में तेजी से आ रही है। उत्तेजना, जिज्ञासा, या नए अनुभवों की तलाश में युवा अक्सर नशीली दवाओं के प्रलोभन में फंस जाते हैं। इस आयु वर्ग के व्यक्तियों पर दोस्तों या साथियों का दबाव मादक पदार्थों के सेवन के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बन सकता है।
अक्सर युवाओं को मादक पदार्थों के प्रयोग के संभावित खतरों और स्वास्थ्य पर होने वाले गंभीर प्रभावों के बारे में गलत जानकारी दी जाती है, या वे इन जोखिमों के प्रति पूरी तरह से अनभिज्ञ होते हैं।
इसके अलावा, नशे से जुड़े स्वास्थ्य और सामाजिक परिणामों के प्रति जागरूकता की कमी भी इस समस्या को और गहरा बना देती है। यह स्थिति न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है बल्कि उनके परिवारों और समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।
नशा युवाओं को शिक्षा, रोजगार और समाज सेवा जैसे क्षेत्रों में योगदान देने से रोकता है। इससे उत्पादकता में गिरावट आती है और राष्ट्र की प्रगति धीमी हो जाती है।
इसलिए, नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाना और युवाओं को इस प्रलोभन से बचाने के लिए सशक्त कार्यक्रम चलाना अत्यावश्यक है। इस मुद्दे को तत्काल प्रभाव से संबोधित करना न केवल हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सशक्त समाज का निर्माण करने के लिए अनिवार्य भी है।
देवियो और सज्जनों,
समाज में नशे की समस्या को खत्म करने के लिए सबसे पहले इसकी जड़ों को समझना होगा। स्कूलों, कॉलेजों, और धार्मिक स्थलों पर इस विषय पर संवाद और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं।
नशे के शिकार व्यक्तियों को दंडित करने की बजाय, उन्हें पुनर्वास केंद्रों के माध्यम से एक नई दिशा देने की जरूरत है।
परिवार और समुदाय को नशे के खिलाफ लड़ाई में मुख्य भूमिका निभानी होगी। यह उनका कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों और युवाओं को सही मार्गदर्शन दें।
मादक पदार्थों की अवैध तस्करी को रोकने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा।
आज का यह सर्वधर्म सम्मेलन हमें यह संदेश देता है कि जब हम सब मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी चुनौती इतनी बड़ी नहीं होती जिसे हम हल न कर सकें। नशा मुक्त समाज का निर्माण केवल सरकार या किसी एक संस्था का काम नहीं है; यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
मैं आप सभी धर्मगुरुओं और समाज के सभी स्तंभों से अपील करता हूं कि आप इस आंदोलन को अपनी शक्ति और आशीर्वाद दें। अपनी शिक्षाओं और नेतृत्व के माध्यम से समाज को नशा मुक्त बनाने में योगदान दें।
हमारा सपना है एक ऐसा समाज, जहां हर व्यक्ति स्वस्थ, खुशहाल और नशा मुक्त हो। धर्म, जाति, भाषा, और भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठकर हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि नशा हमारे समाज से जड़ से खत्म हो।
यही समय है, सही समय है जब हम हमारे समाज में नशा-मुक्ति से जुड़े आदर्शों को मजबूत करें। मुझे पूरा भरोसा है कि देश इस दिशा में हर संभव प्रयास जारी रखेगा। मुझे यह विश्वास भी है कि भारत के भविष्य निर्माण की इस यात्रा में आप सभी संतों का सहयोग देश के संकल्पों को मजबूत बनाएगा, भारत को विकसित बनाएगा।
आइए, हम सभी मिलकर इस मंच से यह संकल्प लें कि नशे को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे। धर्म और समाज के मार्गदर्शक के रूप में हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित, स्वस्थ, और नशा मुक्त समाज का निर्माण करें।
आइए, हम सब मिलकर एक स्वस्थ, सशक्त और उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं।
धन्यवाद,
जय हिंद!