SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF KHO KHO WORLD CUP 2025 AT NEW DELHI ON JANUARY 18, 2025.
- by Admin
- 2025-01-20 12:00
‘खो-खो विश्व कप 2025’ के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 18.01.2025, शनिवार समयः शाम 05:15 बजे स्थानः नई दिल्ली
सभी को नमस्कार!
आज यहां खो-खो के पहले विश्व कप 2025 में उपस्थित होना मेरे लिए गर्व और आनंद का विषय है। यह आयोजन केवल खेल का उत्सव नहीं है, बल्कि एक ऐसा मंच है जो विभिन्न देशों और संस्कृतियों को जोड़ता है, और खेल भावना, भाईचारे और प्रतिस्पर्धा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। खो खो विश्व कप का यह आयोजन न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
इस अवसर पर, मैं श्री सुधांशु मित्तल जी, अध्यक्ष, खो खो फेडरेशन ऑफ इंडिया, की विशेष रूप से प्रशंसा करना चाहता हूँ। उनके नेतृत्व, दूरदृष्टि और अथक प्रयासों के बिना यह सपना साकार नहीं हो सकता था। उन्होंने न केवल इस खेल को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है, बल्कि इसके वैश्विक पहचान दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई है। उनकी प्रेरणा और प्रतिबद्धता हम सभी के लिए अनुकरणीय है।
मुझे बताया गया है कि इस विश्व कप में 23 देशों की 20 पुरुष और 19 महिला टीमें, 6 महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करते हुए, शामिल हुई हैं। यह खो खो के वैश्विक विस्तार और इसकी बढ़ती लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण है।
खो खो हमारे देश की मिट्टी से उपजा एक अद्भुत खेल है, जो अब वैश्विक मंच पर अपनी चमक बिखेर रहा है। यह न केवल खिलाड़ियों की मेहनत और समर्पण का प्रमाण है, बल्कि उन सभी लोगों की अटूट कोशिशों का परिणाम है, जिन्होंने इस खेल को ‘मिट्टी से मैट’ तक पहुँचाने का सपना देखा था।
हाल के वर्षों में खो-खो ने अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को पार करते हुए छह महाद्वीपों और 55 से अधिक देशों तक पहुंच बनाई है। ‘अल्टीमेट खो-खो लीग’ जैसे सफल आयोजनों के साथ, इस खेल की लोकप्रियता आसमान छू रही है।
इस खेल ने इंडिया स्पोर्ट्स अवार्ड्स 2024 जैसे पुरस्कार अर्जित किए हैं। खो-खो के रोमांचकारी गेमप्ले, रणनीतिक गहराई और अनूठे टीम वर्क ने दुनिया भर में लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
देवियो और सज्जनों,
हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम ने देश को कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर जागरूक किया है। इस कार्यक्रम में उन्होंने न केवल देशवासियों से संवाद स्थापित किया, बल्कि भारत की समृद्ध परंपराओं, संस्कृति, और विरासत को सहेजने और उसे प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। इसी कड़ी में उन्होंने भारतीय खेलों, विशेष रूप से पारंपरिक खेलों को अपनाने और उन्हें वैश्विक मंच तक ले जाने पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि हमारी परंपराएं और खेल न केवल मनोरंजन का माध्यम हैं, बल्कि ये हमारे समाज के मूल्यों, सहकारिता, और सामूहिक प्रयासों का प्रतीक भी हैं। उनके इसी दृष्टिकोण से प्रेरणा लेते हुए खो-खो जैसे पारंपरिक खेल को बढ़ावा देने के लिए इस आयोजन को आयोजित किया गया है जो हमारे पारंपरिक स्वदेशी खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
खो-खो विश्व कप 2025 का यह आयोजन केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपराओं, और स्वदेशी खेलों को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस आयोजन न केवल खेल प्रेमियों को प्रेरित किया है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रदर्शित किया है।
इस आयोजन का उद्देश्य न केवल खेल प्रेमियों को प्राचीन भारतीय खेलों से जोड़ने का प्रयास है, बल्कि इसका एक दीर्घकालिक उद्देश्य इस खेल को भविष्य के ओलंपिक खेलों (2032 या 2036) का हिस्सा बनाना भी है। यह आयोजन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो खो-खो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने और इसे ओलंपिक खेलों में शामिल करने की प्रक्रिया को गति प्रदान करेगा।
इस आयोजन ने यह संदेश दिया है कि खो-खो में वह क्षमता है, जो इसे वैश्विक खेल जगत का अभिन्न हिस्सा बना सकती है। ओलंपिक खेलों में खो-खो को शामिल करना केवल खेल की पहचान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सम्मान होगा और यह आयोजन उस सपने को साकार करने की दिशा में एक मजबूत आधारशिला है। खो-खो को ओलंपिक खेलों में शामिल करना न केवल भारत, बल्कि उन सभी देशों के लिए गर्व की बात होगी, जो इस खेल को अपनाते हैं।
देवियो और सज्जनो,
खो-खो मैदानी खेलों के सबसे प्राचीनतम रूपों में से एक है जिसका उद्भव प्रागैतिहासिक भारत में माना जा सकता है। मुख्य रूप से आत्मरक्षा, आक्रमण व प्रत्याक्रमण के कौशल को विकसित करने के लिए इसकी खोज हुई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि खो-खो की उत्पत्ति भारत के महाराष्ट्र क्षेत्र में हुई थी और प्राचीन काल में इसे रथों पर खेला जाता था और इसे राठेरा कहा जाता था।
खो-खो के वर्तमान संस्करण की शुरुआत 1914 में प्रथम विश्व युद्ध के समय हुई थी। पुणे के डेक्कन जिमखाना क्लब ने सबसे पहले खो-खो के लिए औपचारिक नियम और कानून बनाए। इनसे खेल को एक संरचित रूप मिला।
देवियो और सज्जनों,
खेल पुरातन काल से ही भारत की सभ्यता का हिस्सा रहे हैं। रामायण काल हो, महाभारत काल हो या वेदों-पुराणों का समय हो खेल प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से जनजीवन का हिस्सा रहे हैं। खेल केवल मनोरंजन के लिए नहीं खेले जाते थे बल्कि शारीरिक व मानसिक स्फूर्ति के विकास का साधन थे।
घुड़सवारी, तलवारबाजी, तिरंदाजी, कुश्ती, मल्लखम्भ, रथों की दौड़, तैराकी, चौसर इत्यादी खेलों का प्राचीन भारत में प्रचलन था। अर्जुन, एकलव्य, भीम, गुरू द्रोणाचार्य, कौन नहीं परिचित इन नामों से!
आधुनिक युग में खेलों का महत्व चरम पर पहुंच गया है।
मित्रों,
हर व्यक्ति के जीवन में खेल का अमूल्य महत्व होता है। खेल धर्म-जाति, ऊंच-नीच से ऊपर उठकर टीम भावना पैदा करता है। यह नेतृत्व कौशल, लक्ष्य निर्धारण और जोखिम लेने के लिए आत्म विश्वास बढ़ाता है। खेल हमारे देश के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
खेल शारीरिक स्वास्थ्य और व्यक्तित्व के विकास लिए महत्वपूर्ण हैं। यह हमारे जीवन में अनुशासन, टीम वर्क, और मानसिक मजबूती भी लाता है। खेलों के माध्यम से धैर्य, आत्म-नियंत्रण और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।
साथ ही, खेल नेतृत्व गुणों को उभारते हैं, जो जीवन के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण होते हैं। जब हम किसी खेल में सफलता प्राप्त करते हैं, तो यह हमारे आत्मसम्मान को बढ़ाता है।
खेल सामाजिक जीवन को भी समृद्ध करते हैं। खेलों के माध्यम से हम नए लोगों से मिलते हैं, दोस्ती बढ़ती है और सामूहिकता की भावना विकसित होती है। यह हमें समाज में एक बेहतर नागरिक बनने में मदद करता है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कई अवसरों पर कहा है, ‘‘खेल एक ऐसी सॉफ्ट पावर है, जो दुनिया का ध्यान भारत की ओर आकर्षित कर सकती है।’’ खेलों में वह शक्ति है, जो किसी भी राष्ट्र को वैश्विक मंच पर खेल महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठित कर सकती है।
खेलों में सफलता के साथ राष्ट्रीय गौरव जुड़ा है और इसमें देश को जाति, पंथ, धर्म से परे देश को एक सूत्र में बांधने और एक खुशहाल और स्वस्थ समाज के निर्माण करने की क्षमता होती है।
साथियो,
हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है पिछले तकरीबन एक दशक में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं। साल 2014 के मुकाबले देश का खेल बजट लगभग 3 गुना बढ़ाया गया है।
खेलो इंडिया जैसी योजनाओं के तहत युवा खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण, सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। पूरे देश में आधुनिक खेल बुनियादी ढांचा उपलब्ध करवाया जा रहा है, ताकि खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और वे अपनी प्रतिभा को निखार सकें।
इसके अलावा अब खेलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बनाया गया है। खेल को उसी श्रेणी में रखा गया है जैसे विज्ञान, कॉमर्स, गणित या दूसरी पढ़ाई; अब वह अतिरिक्त गतिविधि नहीं माने जाएंगे बल्कि खेलों का उतना ही महत्व होगा जितना बाकी विषयों का।
अब जब हम माननीय प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत 2047 की राह पर अग्रसर हैं तो मेरा पूर्ण विश्वास है कि 2047 तक हम खेल के क्षेत्र में भी विश्व गुरू बनेंगे और यह आप जैसे हमारे युवा खिलाड़ियों के संकल्प और समर्पण के चलते ही संभव हो पाएगा।
देवियो और सज्जनों,
मैं सभी खिलाड़ियों, टीमों और आयोजकों को बधाई देना चाहता हूँ। आप सभी ने यह साबित किया है कि जब मेहनत और जुनून साथ हों, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता। यह विश्व कप खेल भावना, मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।
मैं उन सभी खिलाड़ियों की सराहना करता हूँ जिन्होंने यहाँ तक पहुँचने के लिए कड़ी मेहनत की। आप सभी ने न केवल अपनी-अपनी टीमों का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि अपने देश की संस्कृति और खेल भावना को भी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।
मैं इस आयोजन को सफल बनाने के लिए आयोजकों, प्रायोजकों, और स्वयंसेवकों का भी आभार व्यक्त करता हूं। आपकी मेहनत और समर्पण के बिना इस स्तर का आयोजन संभव नहीं हो सकता था। यह आयोजन खेलों के प्रति आपकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस खो-खो विश्व कप के समापन के बाद, हमें यह याद रखना है कि यह केवल एक अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। अब समय है कि हम इस खेल को और अधिक प्रोत्साहित करें, इसे स्कूलों, कॉलेजों और गांवों तक पहुंचाएं, और इसे विश्व स्तर पर और अधिक लोकप्रिय बनाएं।
मैं खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और आयोजकों से आग्रह करता हूं कि वे इस खेल के विकास में अपनी भूमिका निभाते रहें और इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाएं।
आइए, हम सब मिलकर इस खेल को और भी ऊँचाइयों तक ले जाने का संकल्प लें और खेलों के माध्यम से एक स्वस्थ, सशक्त और समृद्ध समाज का निर्माण करें।
धन्यवाद,
जय हिंद!