SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF NATIONAL INTEGRATION TOUR-2025, CITIZENS APPRECIATION PROGRAMME BY AKHIL BHARTIYA VIDYARTHI PARISHAD PUNJAB AT CHANDIGARH ON JANUARY 31, 2025.

एबीवीपी द्वारा आयोजित ‘नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम’ के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 31.01.2025,  शुक्रवारसमयः शाम 04:00 बजेस्थानः चंडीगढ़

         

सभी को मेरा नमस्कार!

आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पंजाब द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित होना मेरे लिए अत्यंत गर्व और आनंद का विषय है। ‘‘स्टूडेंट एक्सपीरियंस इन इंटर-स्टेट लिविंग’’ (SEIL) यानी ‘अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन’ कार्यक्रम जैसे मंच न केवल हमारे राष्ट्र की विविधता को समझने का अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और एकता की भावना को भी सशक्त बनाते हैं।

आज का यह अवसर अत्यंत विशेष है, क्योंकि हम SEIL कार्यक्रम के अंतर्गत हमारे पूर्वोत्तर भारत के युवाओं का इस सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ में स्वागत कर रहे हैं। यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि ‘‘राष्ट्रीय एकात्मकता’’ की भावना को जीवंत करने वाला एक प्रयास है। 

चंडीगढ़ एक ऐसा शहर है, जो अपने आप में भारत की विविधता को समेटे हुए है। यह न केवल संस्कृति और परंपरा का संगम है, बल्कि यहां की सोच और विचारधारा हमारे देश की प्रगति का प्रतीक है। मैं चंडीगढ़ के हर नागरिक और यहां के मेज़बान परिवारों का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने इस पहल को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।

बड़े ही हर्ष और गर्व का विषय है कि वर्ष 1949 में स्थापित, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है, जिसने अपनी स्थापना के बाद से ही देश की एकता और अखंडता को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का उद्देश्य केवल छात्रों के अधिकारों की रक्षा करना नहीं, बल्कि उन्हें राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का सक्रिय हिस्सा बनाना है। संगठन का मूलमंत्र-‘‘छात्र शक्ति, राष्ट्र शक्ति’’ - यह स्पष्ट करता है कि यह संगठन छात्रों की शक्ति को राष्ट्रीय शक्ति में बदलने का कार्य करता है।

भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, जहां विभिन्न भाषाएं, धर्म, और   संस्कृतियां सह-अस्तित्व में हैं, एबीवीपी ने “कश्मीर हो या हो गुवाहाटी अपना देश अपनी माटी” के विचार पर चलते हुए अपने कार्यों और पहलों के माध्यम से युवाओं को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया है। 

बड़े ही संतोष का विषय है कि एबीवीपी ने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि भारत के युवाओं में राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रीय एकता की भावना प्रबल हो। साथ ही आपका संगठन छात्रों के बीच संवाद, सह-अस्तित्व और आपसी समझ को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय सम्मेलन और संगोष्ठियां, सांस्कृतिक और सामाजिक जागरूकता के कार्यक्रम, सीमावर्ती और दूरदराज क्षेत्रों में कार्य जैसे अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है। 

इस तरह के कार्यक्रम करवा कर एबीवीपी ने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विचार को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हर छात्र भारतीय संस्कृति और विविधता को आत्मसात करे और देश की एकता को मजबूती प्रदान करे, संगठन का यह प्रयास वास्तव में सराहनीय है। इसी कड़ी में आपके संगठन का आज का यह ‘अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन’ फ्लैगशिप कार्यक्रम अत्यंत प्रभावशाली है।

मुझे बताया गया है कि आपके संगठन के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की स्थापना 1965 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तत्कालीन सदस्यों के प्रयास से हुई। इसकी नींव संगठन के मार्गदर्शक आचार्य गिरिराज किशोर जी के नेतृत्व में रखी गई। मेरा मानना है कि ‘अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन’ कार्यक्रम की स्थापना एक ऐसा अद्वितीय प्रयास था, जो हमारे देश के युवाओं के बीच भाईचारे और एकता के बंधन को मजबूत करने के लिए समर्पित है।

‘अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन’ के प्रमुख प्रयासों और उपलब्धियों की बात की जाए तो, इसके द्वारा आयोजित वार्षिक अध्ययन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम ने अब तक 2000 से अधिक छात्रों के जीवन को छुआ है।

इस कार्यक्रम की एक विशेषता यह है कि हर छात्र को स्थानीय परिवार के साथ रखा जाता है। यह परिवार उन्हें मेहमान के रूप में नहीं, अपितु अपने सदस्य के रूप में अपनाता है। इससे जहां छात्रों को स्थानीय संस्कृति और रहन-सहन को समझने का अवसर मिला है, वहीं मेज़बान परिवारों ने भी भारत की सांस्कृतिक विविधता को महसूस किया है। 

आज तक, इस कार्यक्रम से 4000 से अधिक मेज़बान परिवार जुड़े हैं। यह अपने आप में हमारे देश के लोगों की विशाल हृदयता का प्रमाण है।

‘अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन’ के उद्देश्यों की बात करें तो, इनमें एक राष्ट्र, एक जन, एक संस्कृति का आदर्श, अनुभवात्मक स्तर पर भावनात्मक एकता को बढ़ावा देना, हमारे राष्ट्र की मौलिक एकता के प्रति दृढ़ विश्वास, भौगोलिक सीमाओं के बावजूद जीवनशैली की समानताओं को उजागर करना, देश के दूरदराज क्षेत्रों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना, और युवाओं को भारत की विविधता में एकता को अनुभव करने का अवसर प्रदान करना मुख्य रूप से शामिल है।

इन विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा एबीवीपी न केवल युवाओं को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों के लिए प्रेरित करता है, बल्कि उन्हें सामाजिक और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने में भी योगदान देता है। 

जहां तक मुझे ज्ञात है, तो प्राकृतिक आपदाओं और कठिन परिस्थितियों में, एबीवीपी ने हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है। इस संगठन ने राहत कार्यों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि देश के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह जरूरतमंदों की मदद करे और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझे। 

प्रिय युवाओं,

मैं आपको बताना चाहता हूं कि आप इस अद्भुत यात्रा के माध्यम से जो अनुभव करेंगे, वह आपके जीवन के अनमोल क्षण होंगे। यहां की संस्कृति, रहन-सहन, और विचारधारा आपके दिल और दिमाग पर अमिट छाप छोड़ेंगे। इसी तरह, आप अपने साथ अपने क्षेत्रों की अनूठी संस्कृति और परंपरा लेकर आए हैं, जो हमें और समृद्ध करेगी।

मैं ‘अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन’ कार्यक्रम के सभी सदस्यों, मेज़बान परिवारों, और विशेष रूप से उन सभी युवाओं को शुभकामनाएँ देता हूँ, जो इस कार्यक्रम का हिस्सा बने हैं। यह कार्यक्रम केवल एक शुरुआत है; यह हमें यह याद दिलाता है कि भले ही हमारे देश में भाषाएं, परंपराएं और रहन-सहन अलग हो, लेकिन हमारी आत्मा एक है। 

आज, इस मंच से मैं उन सभी परिवारों का हृदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, जिन्होंने ‘अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन’ जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी अमूल्य भूमिका निभाई है। आप सभी ने न केवल अपने घरों के दरवाजे खोले, अपितु अपने दिलों को भी देश की एकता और अखंडता के लिए समर्पित किया।

देवियो और सज्जनो,

यहां मैं, पंजाब के राज्यपाल होने के नाते, इस अवसर पर पंजाब की समृद्ध परंपरा और अतुलनीय आतिथ्य का विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूंगा। पंजाब, जिसे भारत का ‘अन्नदाता’ कहा जाता है, न केवल अपने लहलहाते खेतों और मेहनती किसानों के लिए जाना जाता है, बल्कि अपनी गर्मजोशी और दिल खोलकर स्वागत करने वाली संस्कृति के लिए भी प्रसिद्ध है।

पंजाब का आतिथ्य उसकी मिट्टी में बसा है। ‘पगड़ी संभाल’ और ‘गुरु की कृपा’ जैसे सिद्धांतों का पालन करने वाले इस प्रदेश के लोग न केवल अपने घरों के दरवाजे, बल्कि अपने दिलों के दरवाजे भी हर आगंतुक के लिए खोलते हैं। यहां की संस्कृति में हर अतिथि को ‘गुरु का पाहुना’ माना जाता है, जो इस बात का प्रमाण है कि पंजाब के लोग सेवा और स्वागत में कितने निपुण हैं।

हमारे गुरुद्वारों की लंगर परंपरा, जिसमें जाति, धर्म, और वर्ग से ऊपर उठकर सभी को भोजन परोसा जाता है, पंजाब के अतिथि सत्कार का सर्वोत्तम उदाहरण है। चाहे वह श्री हरिमंदिर साहिब हो, आनंदपुर साहिब हो, या अन्य ऐतिहासिक गुरुद्वारे, यहां हर व्यक्ति को समान भाव से सम्मानित किया जाता है।

इसके अलावा, पंजाब की संस्कृति, संगीत, और भोजन भी इस आतिथ्य की भावना को और गहराई देते हैं। 

मुझे गर्व है कि पंजाब, जिसने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर हर महत्वपूर्ण आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई है, आज भी अपने आचरण और स्वभाव से भारत की आत्मा को प्रकट करता है। पंजाब का आतिथ्य मात्र एक परंपरा नहीं है, यह एक संदेश है कि हम सभी एक हैं और हमारे हृदय में सभी के लिए समान प्रेम है।

इस मंच के माध्यम से मैं आप सभी से यह कहना चाहूंगा कि पंजाब न केवल भौगोलिक रूप से भारत के उत्तर में स्थित है, बल्कि यह अपनी संस्कृति, समृद्धि और गर्मजोशी के साथ पूरे देश के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। यहां का हर निवासी अपने कार्यों और व्यवहार से ‘‘अतिथि देवो भवः’’ के आदर्श को साकार करता है।

मित्रो,

भारत की पहचान उसकी विविधता में निहित एकता है, और इसे जीवंत करने वाली भावना है ‘समरसता’। समरसता का अर्थ है, हर भिन्नता को स्वीकारते हुए, समानता और सद्भाव का भाव। आपने इस कार्यक्रम के माध्यम से यह दिखाया कि चाहे भाषा, परंपराएं, या जीवनशैली कितनी भी भिन्न क्यों न हो, हम सब एक परिवार के सदस्य हैं। 

आपने इन छात्रों को अपने परिवार का हिस्सा बनाकर न केवल उनका स्वागत किया, बल्कि उन्हें यह अनुभव कराया कि ‘भारत में कोई पराया नहीं है’। 

आज, जब समाज में कुछ लोग हमारे देश की एकता को खंडित करने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसे में आपका योगदान और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। समरसता केवल एक शब्द नहीं, अपितु वह भावना है, जो हमें अफवाहों और विभाजनकारी विचारों से बचाती है।

सोशल मीडिया के इस युग में, जहां अफवाहें तेजी से फैलती हैं और लोगों को भटकाने की कोशिशें होती हैं, ऐसे में ‘अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन’ जैसे कार्यक्रम देश की विविधता को समझने और आपसी विश्वास बढ़ाने का सशक्त माध्यम बनते हैं। 

आपने इन छात्रों को यह सिखाया कि भारत की ताकत उसकी विविधता और संस्कृति में निहित है। आपने इन युवाओं को न केवल अपनी संस्कृति को समझने का अवसर दिया, बल्कि उनके भीतर राष्ट्रीय एकात्मकता की भावना को भी सुदृढ़ किया।

यह केवल एक मेज़बानी नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में आपका अमूल्य योगदान है। आपने यह दिखाया है कि समरसता केवल विचार नहीं, अपितु एक जीवन शैली है, जिसमें हर किसी को समान सम्मान और अपनापन दिया जाता है।

भारत की भूमि केवल भौगोलिक सीमाओं का एक क्षेत्रफल नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, हमारी पहचान, और हमारे सपनों की आधारशिला है। कश्मीर के बर्फीले पहाड़ हों या गुवाहाटी की ब्रह्मपुत्र की धारा, गुजरात के रण का विस्तार हो या तमिलनाडु के समुद्र तट - यह सब हमारे भारत की विविधता और उसकी समृद्ध विरासत का हिस्सा हैं। इन्हें सहेजना और संजोना हमारा कर्तव्य है।

आज के समय में जब समाज को विभाजित करने और आपसी मतभेदों को बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं, यह याद रखना अत्यंत आवश्यक है कि हमारी असली ताकत हमारी एकता में निहित है। हमारे देश की विविधता में अनेकता का जो रंग है, वही हमारी सांस्कृतिक विरासत का आधार है।

हमारी भाषाएं अलग हो सकती हैं, हमारे पहनावे अलग हो सकते हैं, हमारे रीति-रिवाज और त्योहार भी भिन्न हो सकते हैं। फिर भी, यह सारी विविधता एक गहरे मूल विचार पर आधारित है, और वह है हमारी साझा पहचान, हमारी एकता।

चाहे वह कश्मीर की वादियों में गूंजने वाला संतूर हो, या असम में मनाया जाने वाला बिहू त्योहार, यह सब हमारे देश की अनमोल सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। इसी प्रकार, राजस्थान का कालबेलिया नृत्य हो या केरल का कथकली, यह केवल क्षेत्रीय पहचान का प्रतीक नहीं, अपितु पूरे भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रमाण हैं।

यह समझना भी जरूरी है कि हमारी विविधता ही हमारी ताकत है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी मतभेद हमारे इस बंधन को तोड़ने में सफल न हो। 

हमारी विविधता में न केवल सौंदर्य है, बल्कि यह हमें दुनिया के सामने एक आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करती है कि कैसे विभिन्न    संस्कृतियां, परंपराएं और विचारधाराएं एकता की भावना के साथ एक साथ फल-फूल सकती हैं।

आइए, हम अपनी एकता और अखंडता की भावना को और अधिक सुदृढ़ करें, ताकि हर भारतीय के दिल में यह भावना गहराई तक बस जाए कि ‘कश्मीर हो या गुवाहाटी, यह माटी हमारी अपनी है।’ यह मात्र एक वाक्य नहीं, बल्कि एक ऐसा संकल्प है जो हमारे देश की आत्मा को प्रतिबिंबित करता है।

 

जब हर नागरिक यह महसूस करेगा कि देश के हर कोने की माटी में उसकी अपनी गंध है, हर नदी का पानी उसकी अपनी पहचान है, और हर पर्वत, हर जंगल, और हर गांव उसके अपने घर का हिस्सा है, तभी हम सही मायने में ‘एक भारत’ के उस सपने को साकार कर पाएंगे, जो हमारे पूर्वजों ने देखा था।

हमारी पहचान न तो हमारी भाषा से बंधी है, न हमारी जाति, धर्म या क्षेत्र से। हमारी पहचान इस महान देश के नागरिक होने से है। हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन इस भावना से करना चाहिए कि हमारा हर प्रयास, हर विचार, और हर कदम हमारे देश को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए हो।

हमें अपने भीतर और समाज में उस समर्पण की भावना को प्रबल करना होगा, जिसमें हमारे कर्तव्य, हमारी जिम्मेदारियां, और हमारा समर्पण केवल एक चीज के प्रति हों-हमारा भारत। आइए, हम इस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ें कि चाहे चुनौतियां कैसी भी हों, हमारी एकता और अखंडता अटूट रहेगी। यही वह भावना है जो हमें न केवल एक महान राष्ट्र बनाती है, बल्कि हमें दुनिया के सामने एक आदर्श उदाहरण के रूप में स्थापित करती है।

अंत में, मैं इस मंच से आप सभी का हृदय से धन्यवाद करते हुए कहना चाहता हूँ कि आपका यह निस्वार्थ योगदान न केवल ‘स्टूडेंट एक्सपीरियंस इन इंटर-स्टेट लिविंग’ (SEIL) यानी ‘अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन’ कार्यक्रम की सफलता का आधार है, बल्कि यह हमारे समाज के लिए एक प्रेरणा और नई दिशा का प्रतीक भी है।

आपने इस कार्यक्रम के माध्यम से समरसता, एकता और अखंडता का जो संदेश दिया है, वह केवल आज के लिए ही नहीं, अपितु आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक बनेगा। यह प्रयास हमारी साझी संस्कृति, हमारे आपसी सहयोग और हमारी अद्वितीय राष्ट्रीय एकता को और मजबूत करेगा।

मैं आप सभी से यह आग्रह करता हूँ कि इस एकता और सहयोग की भावना को निरंतर बनाए रखें और इसे और अधिक गहराई तक फैलाने का कार्य करें। आपका समर्पण और प्रयास ही हमारे देश को सशक्त और अजेय बनाएगा।

धन्यवाद! जय हिंद!