SPEECH OF HON'BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF CONVOCATION OF BABA FARID UNIVERSITY FARIDKOT ON FEBRUARY 3, 2025.

बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के अवसर पर
राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 03.02.2025, सोमवार समयः दोपहर 12:00 बजे स्थानः फरीदकोट


माननीय कुलपति, प्रो. (डॉ.) राजीव सूद, विश्वविद्यालय के सभी सदस्यगण, सम्मानित अतिथिगण, गर्वित अभिभावक, और सबसे महत्वपूर्ण, हमारे उत्तीर्ण छात्रगण,
आज बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, फरीदकोट के दीक्षांत समारोह के इस विशेष अवसर पर आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए गर्व और सौभाग्य की बात है। 
मुझे बतया गया है कि आज एमबीबीएस और पोस्ट ग्रेजुएट के 26वें बैच के अलावा 14 अन्य कोर्सों के 251 विद्यार्थियों को डिग्रियां वितरित की जा रही हैं। मैं इन सभी को हार्दिक बधाई देता हूं।
दीक्षांत समारोह केवल शैक्षणिक उपलब्धियों का उत्सव नहीं है, यह आत्मचिंतन और प्रेरणा का भी समय है। आज, जब आप अपने जीवन के अगले चरण की ओर बढ़ रहे हैं, तो आप न केवल इस प्रतिष्ठित संस्था से प्राप्त ज्ञान और कौशल लेकर जा रहे हैं, बल्कि समाज की सेवा के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी अपने साथ लेकर जा रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
आज जब मैं वर्ष 1998 में स्थापित इस प्रतिष्ठित संस्थान में उपस्थित हुआ हूं, तो मुझे यह अत्यंत गर्व और सम्मान की अनुभूति हो रही है कि यह संस्थान महान संत और आध्यात्मिक विभूति बाबा फरीद के नाम पर स्थापित किया गया है।
सन् 1173 में जन्मे बाबा फरीद केवल एक सूफी संत ही नहीं, बल्कि प्रेम, शांति और मानवता के संदेशवाहक थे। उनकी शिक्षाओं ने समाज को एक नई दिशा दी और पीढ़ियों तक लोगों को सत्य, सरलता और करुणा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
सबसे पहले मैं फरीदकोट की इस पावन धरती को नमन करता हूं जिससे महान संत बाबा शेख फरीद जी का गहरा संबंध रहा है। उनकी स्मृति में फरीदकोट में एक ऐतिहासिक गुरूद्वारा टिल्ला बाबा फरीद भी स्थित है जहां उन्होंने 40 दिन भक्ति की थी।
बाबा फरीद जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि ज्ञान और सेवा का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे मानवता के कल्याण के लिए समर्पित करना चाहिए। 
उनकी रचनाएँ, विशेष रूप से ‘शब्द’ और ‘श्लोक’, गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं, जो यह दर्शाता है कि उनकी शिक्षाएँ न केवल सूफी परंपरा तक सीमित थीं, बल्कि सिख धर्म सहित संपूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शक बनीं। उनका यह संदेश कि ‘‘दूसरों के लिए वही चाहो जो तुम अपने लिए चाहते हो’’, आज भी समाज को जोड़ने और एकता की भावना को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इस अवसर पर मैं बाबा फरीद जी की दो पंक्तियां दोहराना चाहूंगाः
‘‘फरीदा बुरे दा भला कर, गुस्सा मन न हठाए।
देही रोग न लगई, पल्ले सब कुछ पाए।’’
यह गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज बाबा फरीद जी की वाणी है। इसका अर्थ है कि अगर कोई आपके साथ बुरा करता है, तो बदले में उसके साथ भला करो। गुस्सा करने से केवल मन और शरीर को नुकसान होता है, जबकि धैर्य और दयालुता से शांति और समृद्धि मिलती है।
यह सीख हमें क्षमा, धैर्य और प्रेम की ओर प्रेरित करती है। इसलिए, जब हम चिकित्सा क्षेत्र में आगे बढ़ने की बात करते हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि सच्ची सेवा केवल पेशेवर कुशलता से नहीं, बल्कि प्रेम, सहानुभूति और मानवता के प्रति समर्पण से पूर्ण होती है। 
प्रिय छात्रो,
स्वास्थ्य सेवा केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक महान सेवा है, जो न केवल चिकित्सा कौशल और दक्षता की मांग करता है, बल्कि गहरी संवेदनशीलता, करुणा और सेवा भावना का भी आह्वान करता है। एक डॉक्टर, नर्स, या कोई भी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता केवल एक चिकित्सक नहीं होता, बल्कि वह मरीज के लिए आशा, राहत और नया जीवन देने वाला एक मार्गदर्शक भी होता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज का चिकित्सा क्षेत्र पहले की तुलना में कहीं अधिक जटिल और गतिशील हो चुका है। नई-नई बीमारियाँ, महामारी, बढ़ती स्वास्थ्य असमानताएँ, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे और तकनीकी विकास की तीव्र गति, इन सभी ने स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के समक्ष अभूतपूर्व चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। लेकिन इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आप विशेष रूप से सक्षम हैं।
प्रिय छात्रो,
एक श्रेष्ठ चिकित्सक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता बनने के लिए केवल तकनीकी ज्ञान और कुशलता पर्याप्त नहीं है। जब तक उसमें सहानुभूति, करुणा और मानवता का गहरा भाव नहीं होगा, तब तक वह अपने पेशे के वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकता। 
महात्मा गांधी जी ने कहा था - ‘‘एक सच्चा डॉक्टर वही होता है जो अपने मरीज की बीमारी से पहले उसके दर्द को समझे।’’
इसलिए, आप जब भी अपने कार्यस्थल पर जाएँ, तो यह याद रखें कि मरीज सिर्फ एक केस स्टडी नहीं, बल्कि एक इंसान है, जो आपकी सहानुभूति और देखभाल का हकदार है। मेरा मानना है कि स्वास्थ्य सेवा दौरान आपकी मुस्कान, आपके शब्द, और आपका व्यवहार भी किसी दवा से कम नहीं होते। स्वास्थ्य सेवा में सेवा भाव और नैतिकता सर्वोपरि है।
देवियो और सज्जनो,
जब भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब हम एक विकसित, समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभर चुके होंगे। 
इस लक्ष्य को प्राप्त करने में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र और चिकित्सकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाली है क्योंकि एक स्वस्थ समाज ही एक उन्नत राष्ट्र की नींव रख सकता है, और इस जिम्मेदारी का सबसे बड़ा भार चिकित्सा समुदाय के कंधों पर होगा।
इसके लिए चिकित्सकों को सभी नागरिकों को समान और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने में योगदान देना होगा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच चिकित्सा सुविधाओं की खाई को पाटना होगा। सस्ती और अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएँ विकसित करनी होंगी, ताकि कोई भी व्यक्ति आर्थिक स्थिति के कारण इलाज से वंचित न रहे।
मेरा मानना है कि भविष्य की चिकित्सा केवल इलाज तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि रोगों को रोकने और स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए चिकित्सकों को स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों में बढ़-चढ़कर भाग लेना होगा। पोषण, स्वच्छता, व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य जैसे विषयों पर समाज को शिक्षित करना होगा। योग और आयुर्वेद जैसी पारंपरिक पद्धतियों के माध्यम से रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देना होगा।
इसके अलावा तकनीक के इस युग में डिजिटल हेल्थकेयर और टेलीमेडिसिन चिकित्सा क्षेत्र का भविष्य हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और बिग डेटा जैसी तकनीकों का उपयोग करके रोगों का पूर्वानुमान और प्रभावी उपचार किया जा सकेगा।
टेलीमेडिसिन के माध्यम से दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह उपलब्ध कराई जा सकेगी। इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स (ईएचआर) और ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए मरीजों का डेटा अधिक सुरक्षित और सुलभ बनाया जा सकेगा।
साथ ही, चिकित्सकों को नए उपचार, दवाइयाँ और वैक्सीन विकसित करने में अनुसंधान को प्राथमिकता देनी होगी। ‘मेडिकल स्टार्टअप्स’ और ‘बायोटेक्नोलॉजी इनोवेशन’ को प्रोत्साहित करना होगा, ताकि भारत स्वदेशी चिकित्सा तकनीकों में आत्मनिर्भर बन सके। इसके अलावा जैवप्रौद्योगिकी, जीन थेरेपी और रोबोटिक सर्जरी जैसे क्षेत्रों में भी चिकित्सकों को विशेषज्ञता हासिल करनी होगी।
प्रिय छात्रो,
2047 के भारत में मानसिक स्वास्थ्य को भी शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण मानते हुए प्राथमिकता देना अनिवार्य होगा। इसके लिए डिप्रेशन, एंग्जायटी, स्ट्रेस और अन्य मानसिक रोगों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ानी होगी। मनोचिकित्सकीय और काउंसलिंग सेवाओं को अधिक व्यापक और आसानी से सुलभ बनाना होगा। 
इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा में ‘‘वन हेल्थ’’ दृष्टिकोण भी बहुत महत्व रखता है। ‘‘वन हेल्थ’’ दृष्टिकोण यानी मनुष्यों, पशुओं और पर्यावरण के स्वास्थ्य का परस्पर संबंध।
इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए चिकित्सकों को वेटरनरी और पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ समन्वय करना होगा। एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस और नई महामारियों के प्रति सतर्क रहना होगा। प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और प्रदूषण नियंत्रण में भी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
इसलिए, मेरा आप सभी से आह्वान है कि आप ‘चिकित्सक’ के साथ-साथ ‘समाज सुधारक’ भी बनें। आपके हाथों में केवल मरीजों का उपचार करने की जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि भारत को स्वस्थ, आत्मनिर्भर और वैश्विक स्वास्थ्य सेवा का केंद्र बनाने की भी जिम्मेदारी है।
‘स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत’-यही विकसित भारत 2047 की नींव बनेगा। आप सभी आने वाले वर्षों में भारत के स्वास्थ्य योद्धा होंगे, इसलिए अपने ज्ञान, समर्पण और सेवा-भावना से इस महान लक्ष्य को पूरा करें।
देवियो और सज्जनो,
यदि हम वर्तमान की स्वास्थ्य चुनौतियों पर नजर डालें, तो मलेरिया, फाइलेरिया और टीबी जैसी संक्रामक बीमारियों का अभी भी पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हो पाया है। हालांकि, भारत सरकार इन रोगों को समाप्त करने के लक्ष्य के साथ निरंतर आगे बढ़ रही है और विभिन्न प्रभावी योजनाओं के माध्यम से व्यापक स्तर पर कार्य कर रही है।
हाल ही में, भारत ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है - ट्रेकोमा नामक संक्रामक रोग, जो अंधेपन का प्रमुख कारण बनता था, को पूरी तरह समाप्त करने में सफलता प्राप्त कर ली है। 
इसके अलावा, जनजातीय समाज में व्याप्त सिकल सेल एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। इस चुनौती से निपटने के लिए भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन’ की शुरुआत की है, जिसके तहत प्रभावित समुदायों को आवश्यक उपचार, जागरूकता और अनुवांशिक परीक्षण की सुविधा प्रदान की जा रही है। यह मिशन एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 
प्रिय विद्यार्थियो,
मैं समझता हूं कि सभी डॉक्टरों को अपने पेशेवर जीवन के कुछ वर्ष ग्रामीण क्षेत्रों की सेवा में अवश्य देने चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने से आप देश की एक बड़ी जनसंख्या की वास्तविक स्वास्थ्य समस्याओं से प्रत्यक्ष रूप से अवगत हो पाएंगे। यह न केवल आपके चिकित्सकीय अनुभव को समृद्ध करेगा, बल्कि आपको उन चुनौतियों को समझने का अवसर भी देगा, जिनका सामना हमारे ग्रामीण समाज को करना पड़ता है। 
उदाहरण के लिए, डॉक्टर अपने रोगियों और आम जनता को यह समझा सकते हैं कि नशीले पदार्थों का सेवन न केवल उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उनके परिवार, सामाजिक संबंधों और आर्थिक स्थिति को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इसी तरह, चिकित्सक समाज में रक्तदान और अंगदान के महत्व को भी प्रभावी ढंग से प्रचारित कर सकते हैं। 
देवियो और सज्जनो,
भारत को प्राचीन काल से ही उपचार और चिकित्सा की भूमि के रूप में पहचाना जाता रहा है। हमारे समृद्ध इतिहास में इसके कई प्रमाण मिलते हैं कि वैदिक युग से ही देश में उपचार की प्रभावी परंपराएँ विकसित होती रही हैं। वैदिक काल के बाद भी भारत ने कुछ अत्यंत सशक्त और प्रभावशाली चिकित्सा प्रणालियों का विकास किया, जिनमें आयुर्वेद प्रमुख है। आयुर्वेद न केवल भारत की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है, बल्कि यह आज भी अपनी वैज्ञानिकता और प्रभावशीलता के कारण पूरे विश्व में लोकप्रिय है।
इसके अतिरिक्त, भारत की समृद्ध चिकित्सा परंपरा ने रसशास्त्र, सिद्ध और यूनानी जैसी अन्य चिकित्सा प्रणालियों को भी जन्म दिया। यह उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में पारंपरिक भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली को वैश्विक स्तर पर मान्यता और सम्मान प्राप्त हो रहा है। 
पारंपरिक भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में अधिक शोध और नवाचार करने की आवश्यकता है। यदि पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का समन्वय किया जाए, तो यह वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।
देवियो और सज्जनो,
यहां मैं 1 फरवरी को प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट 2025-26 पर संक्षेप में प्रकाश डालना चाहूंगा, जिसमें स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी कई महत्वपूर्ण और दूरगामी घोषणाएँ की गई हैं। 
सरकार ने पिछले दस वर्षों में 1.1 लाख नई मेडिकल सीटें जोड़ी हैं, जिससे डॉक्टरों की संख्या में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बजट 2025-26 के अनुसार, अगले पांच वर्षों में 75,000 सीटों को जोड़ने के लक्ष्य की दिशा में आगामी वर्ष में, मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में 10,000 अतिरिक्त सीटें जोड़ी जाएंगी, जिससे चिकित्सा शिक्षा को और सशक्त बनाया जाएगा तथा स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी।
कैंसर उपचार को अधिक सुलभ बनाने के लिए, अगले तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में डे-केयर कैंसर केंद्र स्थापित किए जाएंगे। पहले चरण में, वर्ष 2025-26 में 200 नए केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे मरीजों को अत्याधुनिक उपचार उनके निकटतम अस्पताल में ही मिल सकेगा और बड़े शहरों तक जाने की कठिनाई से राहत मिलेगी।
साथ ही, जनता को सुलभ और किफायती उपचार प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने 36 जीवन-रक्षक दवाओं को कर छूट प्राप्त सूची में शामिल किया है, जिससे इनकी उपलब्धता और वहन क्षमता में सुधार होगा।
इसके अतिरिक्त, 6 आवश्यक दवाओं को 5 प्रतिशत शुल्क वाली सूची में जोड़ा गया है, जिससे उनकी कीमतों में कमी आएगी।
वहीं, 37 नई दवाओं और 13 रोगी सहायता कार्यक्रमों को भी कर छूट प्राप्त सूची में शामिल किया गया है, जिससे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को बेहतर और किफायती इलाज उपलब्ध हो सकेगा।
इसके अलावा, भारत तेजी से चिकित्सा पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है। बजट 2025-26 में निजी क्षेत्र की भागीदारी, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार और आसान वीजा प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने की योजना बनाई गई है, जिससे अधिक विदेशी मरीज भारत आकर उच्च स्तरीय और किफायती चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठा सकें। 
यह बजट स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ते हुए, सभी नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाली और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
देवियो और सज्जनो,
इस अवसर पर मैं नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के बारे में भी बात करना चाहूंगा जिसके कार्यान्वयन ने हमारी शिक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव लाया है, जिसमें स्वास्थ्य विज्ञान भी शामिल है। 
एनईपी 2020 कौशल-आधारित, दक्षता और परिणाम आधारित शिक्षा पर जोर देती है, जो छात्रों को तेजी से बदलती दुनिया के लिए तैयार करती है। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज ने इस दृष्टिकोण को पूरी तरह से अपनाया है।
यह अत्यंत ही हर्ष का विषय है कि बाबा फरीद यूनिवर्सिटी न केवल अकादमिक उत्कृष्टता में अग्रणी है, बल्कि समाज सेवा और स्वास्थ्य सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
विश्वविद्यालय कैंसर प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए तीन प्रमुख अस्पताल चला रहा है-बठिंडा, फाजिल्का और फरीदकोट। ये अस्पताल न केवल स्थानीय समुदायों को अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान करते हैं, बल्कि कैंसर जैसे गंभीर रोगों से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इसके अलावा, विश्वविद्यालय स्वास्थ्य सेवा कौशल विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। विशेष रूप से, हब और स्पोक मॉडल की शुरुआत के माध्यम से, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ने स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को उद्योग की बदलती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया है। इस पहल को और मजबूत करने के लिए विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम इंटरनेशनल (NSDCI) के साथ समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं।
मुझे बताया गया है कि विश्वविद्यालय एक कुशल स्वास्थ्य कार्यबल तैयार कर रहा है, जो न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी सक्षम है। 
अत्यंत हर्ष और गर्व का विषय है कि 2024 में, विश्वविद्यालय को 8वें NYC ग्रीन स्कूल सम्मेलन में इंटरनेशनल ग्रीन यूनिवर्सिटी अवार्ड से सम्मानित किया गया, जो 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान आयोजित किया गया था। यह पुरस्कार विश्वविद्यालय की स्थिरता, पर्यावरणीय संरक्षण, और सभी के लिए हरित और स्वस्थ भविष्य बनाने के प्रयासों का प्रमाण है।
इसके अलावा, विश्वविद्यालय के गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज और अस्पताल को हाल ही में पंजाब राज्य रक्त संचरण परिषद द्वारा टॉप परफॉर्मिंग ब्लड सेंटर के रूप में मान्यता दी गई है।
ये उपलब्धियां और अन्य अनगिनत पहलें इस विश्वविद्यालय को स्वास्थ्य विज्ञान शिक्षा में उत्कृष्टता का प्रतीक बनाती हैं।
प्रिय छात्रो,
अब जब आप व्यावसायिक दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप हमेशा यहां सिखाए गए मूल्यों को याद रखें। जीवनभर सीखने वाले बनें, क्योंकि स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में ज्ञान लगातार विकसित हो रहा है। सहानुभूतिपूर्ण देखभाल करने वाले बनें, क्योंकि आपके रोगी केवल उपचार के लिए नहीं, बल्कि समझ और आश्वासन के लिए भी आपके पास आएंगे।  
और सबसे बढ़कर, परिवर्तन के अग्रदूत बनें, अपने कौशल और ज्ञान का उपयोग समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए करें।
इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के संकाय और प्रशासन को मैं अपनी गहरी प्रशंसा प्रकट करता हूं, जिन्होंने इन युवा स्नातकों के मस्तिष्क और आत्मा को पोषित किया है। आपके प्रयासों ने उन्हें केवल सफल करियर के लिए ही नहीं, बल्कि सेवा और नेतृत्व के अर्थपूर्ण जीवन के लिए भी तैयार किया है।
आज यहां उपस्थित सभी परिवारों और प्रियजनों को मैं हृदय से बधाई देता हूं और आपके गर्व व खुशी में सहभागी हूं। आपका अटूट समर्थन, समर्पण और प्रोत्साहन ही वह मजबूत नींव है, जिस पर इन स्नातकों ने अपने सपनों और सफलता की इमारत खड़ी की है। आपकी भूमिका न केवल प्रेरणा देने की रही है, बल्कि एक दृढ़ सहारे के रूप में भी, जिसने इन्हें आगे बढ़ने का संबल दिया है।
अंत में, मैं 2025 के स्नातक वर्ग से कहना चाहूंगा कि आप सभी के सामने असीम संभावनाओं से भरा उज्ज्वल भविष्य खुला खड़ा है। आत्मविश्वास, विनम्रता और उद्देश्य के साथ आगे बढ़ें। यात्रा में चुनौतियां होंगी, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि आप उन्हें उसी दृढ़ संकल्प के साथ पार करेंगे जिसने आपको इस मील के पत्थर तक पहुंचाया है।
आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ। आप अपने जीवन में अपार सफलता प्राप्त करें और अपने परिवार, समाज और इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय का नाम रोशन करें।
धन्यवाद, 
जय हिन्द!