SPEECH OF GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA on the occasion of conclave on Stress Management and Drug Addiction in Universities & Colleges of Punjab at Punjab Raj Bhavan, Chandigarh on February 7, 2025.

‘तनाव प्रबंधन एवं नशे की लत’ पर आधारित सेमिनार के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 07.02.2025, शुक्रवार समयः सुबह 10:00 बजे स्थानः पंजाब राजभवन

देवियों और सज्जनों, आज हमारे साथ जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद।

सबसे पहले इस अवसर पर मैं आपसे एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा करना चाहता हूं कि केन्द्र सरकार ने नशामुक्त भारत बनाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं और अन्य ठोस कदम उठाने जा रहे हैं।

अभी हाल ही में मुझे केन्द्रीय गृहमंत्री माननीय अमित शाह जी का पत्र प्राप्त हुआ है जिसमें उन्होंने लिखा है कि हम नशे की सप्लाई लाईन तोड़ने के लिए अति कठोर रणनीति अपना रहे हैं, जिसके तहत टॉप-टू-बॉटम और बॉटम-टू-टॉप एनडीपीएस केसों की गहराई से जांच की जा रही है और इस नेटवर्क को तोड़ा जा रहा है।

उन्होंने यह भी लिखा है कि नशे के कारोबार से अर्जित की गई सम्पत्तियों को कुर्क करने के लिए राज्यों को भी कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।

नशों के कारोबार को जड़ से मिटाने के लिए राज्यों और केन्द्र सरकार को संयुक्त रूप से कार्य करने पर भी जोर दिया है। इसके अलावा अदालतों में नशों के मामलों के जल्द निपटारे के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।

नशों की समस्या केवल पंजाब की ही नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या बन चुकी है, जिससे निपटने के लिए केन्द्र सरकार बहुत गंभीर है। इसलिए, हम सबको संगठित रूप से इसे देश की लड़ाई समझकर लड़ना होगा।

लेकिन, आज हमारा जो विषय है वह अकेला नशों पर ही आधारित नहीं है। यह विषय है, ‘तनाव प्रबंधन और नशा मुक्ति में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की भूमिका’, जो हमारे समाज की भलाई के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि हमें अपने राष्ट्र का भविष्य उज्ज्वल बनाना है, तो हमें अपने युवाओं को तनाव और नशे की समस्या से मुक्त करना होगा।

मित्रो,

नशा हमारे समाज की बुनियादी संरचना को गहराई से प्रभावित कर रहा है। मादक पदार्थों के बढ़ते दुष्प्रभाव न केवल युवाओं के भविष्य को अंधकारमय बना रहे हैं, बल्कि इसका विनाशकारी प्रभाव महिलाओं और परिवारों पर भी गंभीर रूप से पड़ता है।

नशे की लत के कारण परिवार टूट रहे हैं, अपराध दर बढ़ रही है, और समाज में अस्थिरता फैल रही है। यह समस्या हमारे देश और प्रदेश की प्रगति के मार्ग में एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है, जो सामाजिक और आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न कर रही है।

देवियो और सज्जनो,

मैं मानता हूं कि शिक्षा हमेशा से व्यक्तिगत विकास और सामाजिक प्रगति की नींव रही है। हमारे विश्वविद्यालय और कॉलेज केवल अकादमिक उत्कृष्टता के केंद्र नहीं हैं; वे ऐसे स्थान हैं जहाँ युवा दिमागों को आकार दिया जाता है, प्रतिभाओं का पोषण किया जाता है और भविष्य के नेताओं और मार्गदर्शकों को तैयार किया जाता है।

हालाँकि, हाल के दिनों में, इन संस्थानों को ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिन पर तत्काल ध्यान देने और कार्यवाही करने की आवश्यकता है। छात्रों में तनाव और मादक पदार्थों का सेवन दो गंभीर मुद्दे हैं जो हमारी शिक्षा प्रणाली और समाज के मूल ढांचे को खतरे में डालते हैं।

सबसे पहले, आइए स्थिति की गंभीरता को समझें। आज के छात्रों को बहुत अधिक दबावों का सामना करना पड़ता है - शैक्षणिक अपेक्षाएँ, करियर की अनिश्चितताएँ, पारिवारिक समस्याएं, सामाजिक निर्णय और यहाँ तक कि व्यक्तिगत संघर्ष भी। अगर इस स्थिति को अनदेखा किया जाए, तो यह अक्सर चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।

देखा गया है कि सबसे पहले युवा व्यक्ति, अपने संघर्षों से बचने के लिए या शौकिया तौर पर या फिर साथियों के दबाव में, नशीले पदार्थों का सहारा लेने लगता है। प्रयोग के रूप में शुरू होने वाली चीज़ जल्द ही लत में बदल जाती है।

तनाव और नशों की लत, ये दोनों मुद्दे आपस में जुड़े हुए हैं। तनाव अक्सर व्यक्तियों को अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा तंत्र की ओर धकेलता है, और नशीले पदार्थों का उपयोग तनाव और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों को बढ़ाता है।

देवियो और सज्जनो,

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होती है। इसलिए, नशीले पदार्थों के उपयोग से निपटने के लिए, संस्थानों को एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

सीखने और व्यक्तिगत विकास के केंद्रों के रूप में, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे इन समस्याओं से सीधे निपटें।

हमारे शैक्षणिक संस्थान तनाव प्रबंधन और मादक पदार्थों की लत छुड़ाने, दोनों के लिए पूर्ण रूप से सक्षम हैं।

छात्रों में तनाव और नशों की लत को दूर करने के लिए शिक्षण संस्थानों को बहुत से पहलुओं पर काम करना होगा।

जागरूकता पैदा करना और छात्रों को शिक्षित करनाः मेरा मानना है कि किसी भी मुद्दे को हल करने में पहला कदम जागरूकता है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को चाहिए कि वे छात्रों को अनियंत्रित तनाव और मादक पदार्थों के सेवन से जुड़े जोखिमों संबंधी सक्रिय रूप से शिक्षित करें।

इसके लिए, परिसरों में कार्यशालाओं, सेमिनारों, वर्कशॉप और पोस्टर प्रदर्शनी और जागरूकता अभियानों का आयोजन नियमित रूप से किया जाना चाहिए। मनोविज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य और मादक पदार्थों के सेवन के विशेषज्ञों के साथ सहयोग करके यह सुनिश्चित किया जा सकता है।

इसके अलावा परिसरों में मादक पदार्थों के उपयोग के खिलाफ शून्य-सहिष्णुता की नीति अपनाई जानी चाहिए और नशों की उपलब्धता संबंधी सूचना देने हेतु हेल्पलाईन नंबर प्रदान किया जाना चाहिए और साथ ही सूचना देने वाले की पहचान भी गुप्त रखी जानी चाहिए।

साथ ही नशे की लत से उबर चुके लोगों, प्रेरक वक्ताओं और सामुदायिक नेताओं को अपनी कहानियाँ साझा करने के लिए आमंत्रित करके छात्रों को स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।

छात्रों को उनकी ऊर्जा और रचनात्मकता के लिए पाठ्येतर गतिविधियाँ, क्लब और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से सकारात्मक मार्गदर्शन प्रदान किया जाना चाहिए। इन उपलब्धियों का उल्लेख छात्रों की डिग्रियों में भी करना चाहिए जिससे कि उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा।

यहां पर मैं अत्यंत महत्वपूर्ण परन्तु एक जटिल मुद्दे पर चर्चा करना चाहूंगा और आपके विचार लेना चाहूंगा। यह मुद्दा है संस्थानों में प्रवेश के समय और डिग्री प्रदान करते समय डोप टेस्ट को अनिवार्य बनाने का।

मैं आपसे जानना चाहूंगा क्या इसे शिक्षण संस्थानों में लागू किया जा सकता है, यदि हां तो इसे कैसे लागू किया जा सकता है ताकि हमारे समाज में भी इसका कोई नकारात्मक संदेश न जाए।

मुझे बताया गया है कि पंजाब भर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। यह निश्चित रूप से एक सराहनीय पहल है, क्योंकि युवाओं को इन समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाना और उन्हें सही दिशा दिखाना समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

हालांकि, यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि ये कार्यशालाएं केवल औपचारिकता बनकर न रह जाएं। इन गतिविधियों का उद्देश्य तभी सफल होगा जब इनका सही तरीके से फॉलो-अप किया जाए और यह देखा जाए कि इनका छात्रों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है या नहीं।

मानसिक स्वास्थ्य की संस्कृति का निर्माणः संस्थानों को ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहाँ मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए। इसमें खुलेपन और स्वीकृति की संस्कृति बनाना शामिल है, जहाँ छात्र मदद माँगने में सहज महसूस करें। संकाय और कर्मचारियों को तनाव या लत के संकेतों को पहचानने और पेशेवर मदद के लिए सहायता या रेफरल प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

परिसर में परामर्श केंद्र स्थापित करना आवश्यक है। इन केंद्रों में योग्य परामर्शदाता और मनोवैज्ञानिक होने चाहिएं जो छात्रों को गोपनीय और करूणापूर्ण सहायता प्रदान कर सकें। ‘सहकर्मी परामर्श कार्यक्रम’ भी प्रभावी हो सकते हैं, क्योंकि छात्र अपनी चिंताओं पर अपनी उम्र के किसी व्यक्ति से चर्चा करने में अधिक सहज महसूस कर सकते हैं।

तनाव प्रबंधन कार्यक्रमः इसके अलावा सक्रिय तनाव प्रबंधन कार्यक्रम छात्रों को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा तंत्र विकसित करने में मदद कर सकते हैं। विश्वविद्यालय और कॉलेज योग, और ध्यान सत्र जैसी गतिविधियाँ शुरू कर सकते हैं। ये अभ्यास न केवल तनाव को कम करते हैं, बल्कि ध्यान, लचीलापन और समग्र मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार करते हैं।

इसके अलावा, शारीरिक फिटनेस कार्यक्रम, खेल गतिविधियाँ, डांस, ड्रामा और संगीत प्रतियोगिताओं सहित अन्य मनोरंजक कार्यक्रमों को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। शारीरिक गतिविधि में शामिल होना तनाव को कम करने और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हुआ है।

इसके अतिरिक्त, छात्रों को समय प्रबंधन, अध्ययन तकनीकों और जीवन कौशल पर कार्यशालाएँ प्रदान करने से उन्हें अकादमिक और व्यक्तिगत चुनौतियों को अधिक प्रभावी ढंग से संभालने के लिए तैयार किया जा सकता है।

छात्रों को सुधार में सहायता करनाः नशामुक्ति की दिशा में आगे बढ़ते हुए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को नशे की लत से जूझ रहे छात्रों के लिए एक सहायक वातावरण प्रदान करना चाहिए।

इसमें नशामुक्ति कार्यक्रम, सहायता समूह और पुनर्वास केंद्रों तक पहुंच शामिल हो सकती है। संस्थानों को स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और गैर सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छात्रों को व्यापक देखभाल मिले। छात्रों को सहायता लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, न कि शर्मिंदगी या डर महसूस करना चाहिए।

परिवारों और समुदायों को शामिल करनाः तनाव और व्यसन एक-दूसरे से अलग समस्याएँ नहीं हैं, बल्कि वे अक्सर परिवार और समुदाय की सामाजिक और भावनात्मक परिस्थितियों से गहराई से जुड़े होते हैं। इनके समाधान के लिए व्यक्तिगत प्रयासों के साथ-साथ पारिवारिक सहयोग और सामुदायिक समर्थन भी आवश्यक है।

इसके लिए, विश्वविद्यालय और कॉलेज अपनी पहलों में परिवारों को शामिल कर सकते हैं, माता-पिता के लिए कार्यशालाएँ और परामर्श सत्र आयोजित कर सकते हैं ताकि वे अपने बच्चों का प्रभावी ढंग से समर्थन कर सकें।

तकनीकीः मैं यहां प्रौद्योगिकी की भी बात करना चाहूंगा जो इन मुद्दों को संबोधित करने में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकती है। इसके लिए, विश्वविद्यालय और कॉलेज मोबाइल ऐप और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म विकसित कर सकते हैं जो छात्रों को तनाव प्रबंधन और मादक पदार्थों की रोकथाम पर संसाधन प्रदान करते हैं।

संकाय और प्रशासन की भूमिकाः जैसा कि हम जानते हैं, संकाय सदस्य और प्रशासक किसी भी शैक्षणिक संस्थान की रीढ़ होते हैं।

कोई भी शैक्षणिक संस्थान तनाव, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और मादक पदार्थों की लत जैसी जटिल चुनौतियों से अकेले नहीं निपट सकता। इसके लिए व्यापक सामुदायिक सहयोग और बहु-आयामी रणनीतियों की आवश्यकता है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को विभिन्न हितधारकों के साथ साझेदारी करके एक सुदृढ़ और प्रभावी रणनीति विकसित करनी चाहिए।

जब विश्वविद्यालय, सरकारी संस्थाएं, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता, एनजीओ और निजी क्षेत्र सामूहिक रूप से एक व्यापक रणनीति विकसित करते हैं, तो मानसिक स्वास्थ्य और मादक पदार्थों की रोकथाम में दीर्घकालिक सफलता प्राप्त की जा सकती है।

देवियो और सज्जनो,

छात्र हमारे देश का भविष्य हैं। उनकी ऊर्जा, उनके सपने और उनकी कड़ी मेहनत ही भारत को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी। हमें उनको एक ऐसा वातावरण देना होगा, जहाँ वे तनावमुक्त, स्वस्थ और सकारात्मक जीवन जी सकें।

यदि युवाओं को तनाव और नशे की दलदल से मुक्त नहीं किया गया, तो हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करना असंभव हो जाएगा।

एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण तभी संभव है जब हमारे युवा मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हों, उनमें आत्मविश्वास हो, और वे अपनी प्रतिभा और ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग करें।

किसी भी देश का भविष्य उसके युवा वर्ग की सोच, कार्यशैली और उनकी दृढ़ता पर निर्भर करता है। यदि युवा शिक्षित, स्वस्थ, और सकारात्मक सोच से प्रेरित होंगे, तो वे देश को विकास की ओर ले जाएँगे।

लेकिन यदि वे तनाव, अवसाद और नशे की चपेट में आ जाएँ, तो उनकी ऊर्जा और क्षमता बर्बाद हो जाएगी, जिससे भारत के विकास की गति बाधित होगी।

देवियो और सज्जनो,

मैं आपको बताना चाहता हूं कि पंजाब के राज्यपाल के रूप में, मैं अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से समझते हुए नशामुक्त पंजाब के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहा हूं।

सबसे पहले मेरे से पहले वाले राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित जी ने पंजाब के सीमावर्ती जिलों में पाकिस्तान से आ रहे नशों की सप्लाई लाईन तोड़ने के लिए कई सराहनीय कदम उठाए। जिसके फलस्वरूप  केन्द्र और राज्य की सुरक्षा ऐजंसियां मिलकर तालमेल में काम कर रही हैं जिसके बहुत ही सकारात्मक परिणाम समाने आए हैं।

इन जिलों में लोगों को नशों के खिलाफ जागरूक किया जा रहा है और ग्रामीण स्तरीय सुरक्षा समितियां बनाई गई हैं जो नशा पकड़वाने में और इसके सौदागरों को पकड़वाने में सुरक्षा ऐजंसियों की मदद कर रही हैं।

इसी परंपरा को जारी रखते हुए मैंने भी पंजाब के सीमावर्ती जिलों का दौरा किया है और भविष्य में भी इन क्षेत्रों में नियमित रूप से जाता रहूंगा। मेरा उद्देश्य स्पष्ट हैः सीमावर्ती जिलों में सीमापार से होने वाली नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी को पूर्ण रूप से रोकना और इन क्षेत्रों के युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचाना।

चाहे वह नशों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए आयोजित पैदल मार्च हो, शैक्षणिक संस्थानों के साथ संवाद कार्यक्रम हों, या फिर सर्वधर्म सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक एकता को मजबूत करने का प्रयास हो, ये सभी पहल नशामुक्त समाज के निर्माण की दिशा में मेरी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

मेरा यह प्रयास है कि पंजाब के युवाओं को नशे की बुराइयों से दूर रखकर उन्हें एक स्वस्थ और सकारात्मक जीवन की ओर अग्रसर किया जाए।

मित्रो,

पंजाब के राज्यपाल के रूप में, मैं मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और मादक पदार्थों की लत से निपटने के उद्देश्य से की जाने वाली पहलों को अपना पूरा समर्थन देने का वचन देता हूँ।

मैं सभी शैक्षणिक संस्थानों से इन मुद्दों को प्राथमिकता देने और उन्हें अपने मिशन में एकीकृत करने का आग्रह करता हूँ। साथ मिलकर, हम ऐसा माहौल बना सकते हैं जहाँ हर छात्र मूल्यवान, समर्थित और अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए सशक्त महसूस करे।

आइए, हम मिलकर एक ऐसा भविष्य गढ़ें, जहाँ हमारे युवा प्रतिभाएँ तनाव और नशे की बेड़ियों से मुक्त होकर अपने सपनों की उड़ान भर सकें। जहाँ वे न केवल स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकें, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बनें।

हम सभी मिलकर इस दृष्टि को वास्तविकता में बदलने के लिए समर्पित हों और इसे एक सामूहिक आंदोलन का रूप दें। क्योंकि जब हम एक साथ प्रयास करेंगे, तो न केवल हमारे शिक्षण संस्थान बल्कि संपूर्ण समाज भी एक सकारात्मक बदलाव की ओर अग्रसर होगा।

धन्यवाद,

जय हिन्द!