SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR UT CHANDIGARH SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF INVESTITURE CEREMONY OF BSF AT MOHALI ON JANUARY 29, 2025.

बी.एस.एफ. के ‘पदक अलंकरण’ समारोह के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 29.01.2024, बुधवारसमयः शाम 5:00 बजेस्थानः चंडीगढ़

सभी को मेरा नमस्कार!

मैं सीमा सुरक्षा बल के आज के इस पदक अलंकरणसमारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्मिलित होकर स्वयं कोअत्यंत हर्षित और गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं। इसकेलिए मैं सीमा सुरक्षा बल के अपर महानिदेशक श्री सतीशएस खण्डारे जी का आभार प्रकट करता हूं जिन्होंने मुझेसीमा सुरक्षा बल के वीर प्रहरियों के अलंकरण समारोह मेंआमंत्रित किया है।

आज का यह शुभ अवसर न केवल गर्व और सम्मान काक्षण है, बल्कि हमें यह याद दिलाने का भी है कि हमारीसीमाओं की रक्षा करने वाले इन वीर जवानों के समर्पणऔर कर्तव्यनिष्ठा ने देशवासियों को सुरक्षित और निश्चिंतजीवन जीने का अवसर दिया है।

यह जानकर गर्व की अनुभूति होती है कि सीमा सुरक्षाबल न केवल भारत की ‘‘प्रथम रक्षापंक्ति’’ है, बल्कि 2लाख 70 हज़ार जवानों की संख्या वाला यह दुनिया कासबसे बड़ा सीमा प्रहरी बल भी है। इसकी स्थापना 1दिसंबर 1965 को हुई थी, और तब से यह बल भारत कीसीमाओं की सुरक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहाहै।

जैसा कि सर्वज्ञात है कि 1965 तक पाकिस्तान के साथभारत की सीमाओं की सुरक्षा ‘राज्य सशस्त्र पुलिसबटालियन’ द्वारा की जाती थी। लेकिन जब 09 अप्रैल1965 को पाकिस्तान ने कच्छ में सरदार पोस्ट, चार बेट एवंबरिया बेट पर हमला कर दिया, तो इस हमले से यह बातसामने आई कि राज्य सशस्त्र पुलिस बटालियन सशस्त्रआक्रमण का सामना करने में अपर्याप्त है।

इसी कारण भारत सरकार को केंद्र के अधीन एकविशेष सीमा सुरक्षा बल की आवश्यकता महसूस हुई, एकऐसा बल जो उपयुक्त रूप से सशस्त्र और प्रशिक्षित बल होऔर जो पाकिस्तान सीमा के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा परनिगरानी करे।

इसके लिए सचिवों की एक गठित समिति कीसिफारिशों के परिणामस्वरूप, 1 दिसम्बर 1965 को ‘सीमासुरक्षा बल’ अस्तित्व में आया और श्री के एफ रूस्तमजी, आईपी इसके पहले प्रमुख और संस्थापक थे।

1965 में कुल 25 बटालियन के साथ सीमा सुरक्षा बलका गठन हुआ और समय के साथ पंजाब, जम्मू व कश्मीर, नार्थ ईस्ट में आतंकवाद की रोकथाम के लिए सीमा सुरक्षाबल का विस्तार होता रहा।

मुझे बताया गया है कि वर्तमान समय में सीमा सुरक्षाबल की 193 बटालियन और 07 आर्टी रेजिमेंटभारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीयसीमा की सुरक्षा में तैनात हैं।

इसके अतिरिक्त सीमा सुरक्षा बल कश्मीर घाटी मेंघुसपैठ, नार्थ ईस्ट क्षेत्र में आन्तरिक सुरक्षा, उड़ीसा एवंछत्तीसगढ़ में नक्सली विरोधी अभियान औरभारत-पाकिस्तान एवं भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमापर एकीकृत जांच चौकी में तैनात है।

मित्रो,

मैं आप सभी को यह बताना चाहूंगा कि लंबे समय तकहमारी सीमा सुरक्षा नीति कुछ अस्पष्ट और बिखरी हुई थी।हालांकि, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयीजी ने अपने कार्यकाल के दौरान एक ऐतिहासिक औरदूरदर्शी निर्णय लिया - सीमा पर एकीकृत सुरक्षा सुनिश्चितकरने के लिए ‘‘एक सीमा, एक सुरक्षा बल’’ की नीति कोलागू किया।

श्री अटल जी की इस दूरदर्शी नीति को वर्तमानप्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सीमा सुरक्षा कोप्राथमिकता देते हुए न केवल सुरक्षा बलों के बीच बेहतरतालमेल स्थापित किया गया, बल्कि आधुनिक उपकरणोंऔर प्रौद्योगिकी के उपयोग से सीमाओं की निगरानी को भीऔर अधिक प्रभावी बनाया गया है। यह नीति हमारेसीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथअपराधों, घुसपैठ और अन्य चुनौतियों का सामना करने मेंभी अत्यंत प्रभावी सिद्ध हो रही है।

प्रधानमंत्री मोदी जी के कार्यकाल में सीमावर्ती क्षेत्रों मेंमज़बूत बुनियादी ढांचे का निर्माण, गांवों में कल्याणकारीयोजनाओं का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन और सीमा परस्थित देश के प्रथम गांवों में रेल, रोड, वाटर-वे औरतकनीक की दृष्टि से अच्छी कनेक्टिविटी स्थापित करने काकाम किया गया है। लैंड पोर्ट के माध्यम से कानूनी व्यापारऔर लोगों के बीच संपर्क को भी आगे बढ़ाया है।

इसके अलावा मोदी जी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकारकी एक अन्य दूरदर्शी पहल के अन्तर्गत 4800 करोड़ रुपयेके बजट के साथ 3 हजार सीमावर्ती गांवों में प्रायोगिक स्तरपर गांवों के विकास के लिए ‘वायब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ शुरूकिया गया है। इस योजना का उद्देश्य उत्तरी सीमा के उनगांवों को सशक्त बनाना है जो उपेक्षा और पलायन कीसमस्या से जूझ रहे थे।

इस कार्यक्रम के तहत गांवों में आधुनिक कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सेवाएं, रोजगार के अवसर और सम्मानजनकजीवनशैली जैसी सुविधाएं प्रदान की गई हैं। सरकार कीयोजना इसे अन्य सीमावर्ती गांवों तक विस्तारित करने कीहै। यह पहल न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों को आत्मनिर्भर बनारही है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी सुदृढ़ कर रही है, साथही नागरिकों के लिए उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद जगा रहीहै।

इसके अलावा यह अत्यंत हर्ष और गर्व का विषय है किसीमा सुरक्षा बल ने ओखा, गुजरात में देश की पहलीनेशनल कोस्टल पुलिस अकादमी की स्थापना कर एकऐतिहासिक कदम उठाया है। यह अकादमी विशेष रूप सेजल सीमाओं की सुरक्षा में तैनात राज्यों की पुलिस औरअन्य सीमा रक्षक बलों को आधुनिक तकनीक औररणनीतियों की उच्च गुणवत्ता वाली प्रशिक्षण सुविधाएंप्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित की गई है।

यह पहल प्रधानमंत्री जी की ‘ब्लू इकॉनमी’ और‘आत्मनिर्भर भारत’ की दृष्टि को साकार करने की दिशा मेंएक महत्वपूर्ण कदम है।

देवियो और सज्जनो,

सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) न केवल भारत कीसीमाओं की रक्षा करता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हरपहलू में अपनी उपस्थिति से देशवासियों को गर्व महसूसकराता है। हर एक परिस्थिति में, बी.एस.एफ. के जवानों नेहर चुनौती को अपने कर्तव्य और समर्पण के साथ स्वीकारकिया है।

चाहे युद्ध के समय भारतीय सेना के साथ मिलकरदुश्मन का सामना करने का दायित्व हो या शाँति के समयसीमा पर होने वाले अपराधों, घुसपैठ व अन्य देशविरोधीगतिविधियों की रोकथाम की जिम्मेदारियाँ हों, सीमा सुरक्षाबल के कार्मिकों ने हमेशा अपने कर्तव्यों का निर्वहन सम्पूर्णनिष्ठा एवं समर्पण के साथ किया है।

सीमा प्रबंधन जैसे प्राथमिक कर्तव्यों के अलावा, आतंकवाद के खिलाफ और आंतरिक सुरक्षा ड्यूटियों मेंतैनाती के दौरान भी बल के कार्मिकों का कार्य हमेशाप्रशंसनीय रहा है।

बीएसएफ ने 2024 में भी जाली मुद्रा, नारकोटिक्स, घुसपैठ और वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ने का अपनारिकॉर्ड अनेक अभियानों के माध्यम से बरकरार रखा है।देश की प्रथम रक्षा पंक्ति के रूप में 1 हजार 9 सौ 92 सीमाप्रहरियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। सीमा सुरक्षा बलके गौरवमय इतिहास की बात की जाए तो बल के कार्मिकोंको 01 महावीर चक्र, 06 कीर्ति चक्र, 13 वीर चक्र, 13शौर्य चक्र और 56 सेना मेडल सहित 1300 से अधिकवीरता पदकों से सम्मानित किया जा चुका है।

पदकों से सम्मानित सीमा सुरक्षा बल के इस गौरवमयीइतिहास को कायम रखने के लिए इसके कार्मिकों नेआवश्यकता पड़ने पर बलिदान दिया है। यही नहीं, इसदौरान हजारों सीमा प्रहरी, राष्ट्र रक्षा में विभिन्न चुनौतियों सेजूझते हुए घायल भी हुए हैं। यह बल की कर्तव्य निर्वहनकी क्षमता एवं युद्ध-भूमि में प्रहरियों के अद्भुत शौर्य काउत्कृष्ट प्रमाण है।

मेरे वीर प्रहरियो,

इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि सुरक्षित सीमाएँ हीएक समृद्ध राष्ट्र की बुनियाद होती हैं। जब हमारी सीमाएँसुरक्षित हैं तो देश में अमन और शाँति होगी, विकास के नएअवसर बनेंगे और देश समृद्ध होगा।

जवानों के समर्पण और बहादुरी के बिना प्रधानमंत्रीमोदी जी के 2047 तक एक पूर्ण विकसित भारत के लक्ष्यको प्राप्त करना असंभव है और सिर्फ हमारे जवानों कीवीरता, समर्पण, त्याग और बलिदान ही इसे संभव बनासकते हैं। 

देश के 140 करोड़ लोगों के मन में जो ‘अजय भारत’का विश्वास है, वह किसी कल्पना या कोरे आदर्श कापरिणाम नहीं है। चाहे बर्फीले सियाचिन के ग्लेशियर हों याथार के तपते रेगिस्तान, समुद्र की अथाह लहरें हों यापूर्वोत्तर के घने जंगल, हमारे जवान हर मौसम और हरपरिस्थिति में अडिग रहते हैं। उनका यह दृढ़ संकल्प नकेवल सीमाओं को सुरक्षित करता है, बल्कि देशवासियोंको यह विश्वास दिलाता है कि उनका भविष्य सुरक्षितहाथों में है।

जवानों ने समय-समय पर अपने प्राणों की आहुति देकरयह साबित किया है कि राष्ट्र उनके लिए सबसे पहले औरसबसे महत्वपूर्ण है। कारगिल, 1971 का युद्ध, पुलवामाहमला जैसे कई उदाहरण इस बात के प्रमाण हैं कि जवानोंका साहस अजय है।

देवियो और सज्जनो,

आज इस अवसर पर मैं हमारे देश के समस्त वीरजवानों के प्रति अपना आभार प्रकट करना चाहता हूंक्योंकि हमारे जवान अपने जीवन का स्वर्णिम काल अपनेपरिवार, बच्चों और प्रियजनों से दूर, कठिन और चुनौतीपूर्णपरिस्थितियों में बिताते हैं।

जवानों की यह त्यागमयी जीवनशैली केवल एक कर्तव्यनहीं है, बल्कि यह उनकी अटूट देशभक्ति और अदम्यसाहस का प्रतीक है। वे अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं औरसुख-सुविधाओं को त्यागकर पूरे देश को अपना परिवारमानते हैं और उसके भविष्य की रक्षा के लिए हर कठिनाईको सहर्ष स्वीकार करते हैं।

हम सभी का यह कर्तव्य बनता है कि हम अपने जवानोंके बलिदान और समर्पण को समझें और उनके प्रति अपनेसम्मान को न केवल शब्दों में, बल्कि कर्मों में भी प्रदर्शितकरें।

देवियो और सज्जनो,

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश की रक्षास्थिति में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है और इसमें हमारेबीएसएफ के जवानों का योगदान स्वर्णिम अक्षरों से लिखाजाएगा।

छह दशकों से साहस, शौर्य और बलिदान के बल पर हीसीमा सुरक्षा बल ने देश की ‘फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस’यानी ‘प्रथम रक्षापंक्ति’ को मज़बूत करने का काम कियाहै।  

मुझे इस बात की जानकारी है कि भारत-पाकिस्तानबॉर्डर, सीमा पार से होने वाली घुसपैठ एवं मादक पदार्थोंऔर हथियारों की तस्करी के लिहाज से काफी संवेदनशीलहै। असामाजिक तत्व अपनी गतिविधियों को अंजाम देने केलिए नित नए तरीके अपना रहे हैं।

पंजाब प्रांत में ड्रोन के जरिए मादक पदार्थों औरहथियारों की तस्करी सीमा सुरक्षा बल और पंजाब पुलिसके लिए एक नई चुनौती के रूप में उभरी हैं। लेकिन मुझेइस बात की खुशी है कि पश्चिमी कमान के अंतर्गत सीमासुरक्षा बल के जवान और सीमावर्ती जिलों में तैनात पंजाबपुलिस कर्मी ड्रोन द्वारा मादक पदार्थों एवं हथियारों कीतस्करी को विफल करने में काफी हद तक कामयाब हुएहैं।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आने वाले समय में ड्रोनसमस्या के और गंभीर रूप लेने की आशंका है और इसकोध्यान में रखते हुए, एक समग्र दृष्टिकोण के तहत देश कीसभी सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक व्यापक रणनीतितैयार की गई है। इसमें सीमा सुरक्षा बल, रक्षा मंत्रालय, डीआरडीओ और भारत सरकार के अनुसंधान से जुड़े अन्यविभागों ने मिलकर लेजरयुक्त एंटी-ड्रोन गन माउंट प्रणालीविकसित की है।

मैं आपको बताना चाहूंगा कि इस उन्नत तकनीक कीबदौलत पंजाब के साथ लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर 55प्रतिशत ड्रोन हमलों को सफलतापूर्वक निरस्त कर ड्रोन कोगिराया गया है, जबकि पहले यह आंकड़ा केवल 3 प्रतिशतके आसपास था।

सरकार की योजना कुछ ही वर्षों में एक संपूर्ण ड्रोननिरोधी यूनिट बनाने की है, जो ड्रोन के माध्यम से होने वालेखतरों और तस्करी जैसी गतिविधियों से देश को सुरक्षितकरेगी। यह पहल न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूतबनाएगी, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा बलों कीकार्यक्षमता को भी कई गुना बढ़ा देगी।

जानकर हर्ष हुआ कि सीमा सुरक्षा बल द्वारा सीमावर्तीक्षेत्रों में सद्भावना व समन्वय को बनाए रखने के लिए अनेकप्रयास किए गए हैं जैसे कि सिविक एक्शन प्रोग्राम, निःशुल्क मेडीकल कैंप, जागरूकता अभियान इत्यादि जोन केवल सीमा-प्रबंधन बल्कि सीमावर्ती लोगों केसामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भी अनिवार्य हैं।

इसके अलावा ‘सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ के अंतर्गतचलाए जा रहे प्रोग्राम में सीमा सुरक्षा बल की सहभागितासे सीमा पर रहने वाले लोगों की सामाजिक एवं आर्थिकउत्थान अवश्यमेव हुआ है और इसके लिए समस्त प्रहरीगणबधाई के पात्र हैं।

अंत में, मैं, सीमा सुरक्षा बल के अपर महानिदेशक श्रीसतीश एस खण्डारे, भारतीय पुलिस सेवा एवं उनकी टीमको समारोह के सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूँ।

साथ ही, आज के समारोह में ‘सराहनीय सेवा हेतुपुलिस पदक’ से सम्मानित हुए 38 कार्मिकों व उनकेपरिजनों को पदक प्राप्ति के लिए बधाई देता हूँ एवं उनकेउज्ज्वल भविष्य के लिए कामना करता हूँ।

आज जिन अधिकारियों और जवानों को उनकी विशिष्टसेवाओं और अद्वितीय प्रदर्शन के लिए सम्मानित कियागया है, वे न केवल बीएसएफ बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणाहैं। आपकी उपलब्धियां न केवल आपके समर्पण औरपरिश्रम की पहचान हैं, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों कोभी प्रेरित करेंगी।

इस अवसर पर, मैं इन जवानों के परिवारों का भीआभार व्यक्त करना चाहूंगा। उनके त्याग और समर्थन केबिना यह संभव नहीं हो सकता। ये परिवार वह मजबूतआधार हैं, जिन पर हमारे जवान अपने साहस और बलिदानकी इमारत खड़ी करते हैं।

मैं, आशा करता हूं कि सीमा सुरक्षा बल इसी प्रकारअपने यश और कीर्ति को बनाए रखते हुए अपने कर्तव्यों कानिर्वहन करता रहेगा।

धन्यवाद,

जय हिंद!