SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, CHANDIGARH,SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCASSION OF ASSOCHAM's Health, Beauty & Wellness Symposium at Chandigarh on February 22, 2025.
- by Admin
- 2025-02-24 06:55
ऐसोचैम के हेल्थ, ब्युटि एंड वेलनेस सिंपोज़ियम के अवसर पर
माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 22.02.2025, शनिवार समयः सुबह 11:00 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
मैं ASSOCHAM द्वारा ‘टीबी मुक्त भारत’ के अन्तर्गत इस महत्वपूर्ण "Health, Beauty & Wellness Symposium'' के दूसरे संस्करण के आयोजन में आप सभी के बीच उपस्थित होकर अत्यंत हर्षित और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ।
इस आयोजन के लिए ASSOCHAM (The Associated Chambers of Commerce and Industry of India) और उत्तरी क्षेत्रीय परिषदों के इसके समर्पित पदाधिकारियों को मेरी हार्दिक बधाई। यह आयोजन इस निरंतर विकसित हो रहे उद्योग में संवाद, नवाचार और प्रगति को बढ़ावा देने के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
देवियो और सज्जनो,
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ASSOCHAM भारत का सबसे पुराना उद्योग चेंबर है, जो 1920 से संचालित है और 4.5 लाख से अधिक बड़ी, मध्यम और छोटी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। ASSOCHAM का ध्यान स्थिरता, सशक्तिकरण, उद्यमिता और डिजिटलीकरण के चार स्तंभों पर रहा है।
यह देखकर खुशी होती है कि उद्योग जगत नवाचार को बढ़ावा देते हुए नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को प्रोत्साहन देकर और अत्याधुनिक तकनीक को एकीकृत करके इस बदलाव को अपना रहा है।
देवियो और सज्जनो,
एसोचैम हमेशा से उद्योग हितधारकों, नीति निर्माताओं और उद्यमियों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहा है। आज हम इस मंच से ‘टीबी मुक्त भारत’ से जुड़ी एक महत्वपूर्ण सामाजिक जागरूकता (Social Outreach) पहल की शुरुआत कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाना, समय पर जांच और उपचार को प्रोत्साहित करना तथा इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए एक जन आंदोलन खड़ा करना है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र की नींव उसके नागरिकों के स्वास्थ्य पर टिकी होती है। यदि हमारा समाज स्वस्थ रहेगा, तो हमारा देश हर क्षेत्र में प्रगति करेगा। टीबी मुक्त भारत इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि तपेदिक न केवल एक स्वास्थ्य समस्या है, बल्कि यह आर्थिक और सामाजिक विकास में भी बाधा डालता है।
टीबी आज भी भारत की सबसे गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है, और जो लाखों व्यक्तियों और परिवारों को प्रभावित करती है।
हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ‘‘राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम’’ के माध्यम से 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के लक्ष्य पर कार्य कर रही है। इस दिशा में केवल सरकार का प्रयास ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि नागरिकों, सामाजिक संगठनों, उद्योगों, और चिकित्सा विशेषज्ञों की सहभागिता भी अत्यंत आवश्यक है।
टीबी एक ऐसा रोग है जिसे समय पर पहचानकर उचित इलाज से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसके लिए हमें स्वास्थ्य सेवा की सुलभता, सामाजिक जागरूकता, और पोषण स्तर में सुधार की दिशा में सामूहिक प्रयास करने होंगे। एसोचैम जैसी संस्थाओं की यह पहल इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
मैं इस मंच से सभी उद्योगपतियों, चिकित्सकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवाओं से आह्वान करता हूँ कि वे टीबी उन्मूलन के इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें। नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित पोषण, दवाइयों का पूरा कोर्स, और सामाजिक समर्थन - इन चार प्रमुख स्तंभों पर ध्यान देकर हम टीबी को जड़ से समाप्त कर सकते हैं।
इसे पहचानते हुए, चंडीगढ़ प्रशासन के सहयोग से एसोचैम ने अपने सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम (Social Outreach Program) के माध्यम से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि टीबी रोगियों को न केवल उपचार मिले, बल्कि उन्हें पूरी तरह से ठीक होने के लिए आवश्यक पोषण सहायता भी मिले।
टीबी रोगियों को भोजन की टोकरी का योगदान सिर्फ़ जीविका प्रदान करने के बारे में नहीं है, यह एकजुटता, आशा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए साझा प्रतिबद्धता के बारे में है।
यह पहल स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के वास्तविक अर्थ को परिभाषित करती है। यह केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के जरूरतमंद वर्गों के उत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह दर्शाता है कि उद्योग और सरकार जब एकजुट होकर कार्य करते हैं, तो वे समाज में ठोस और सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह पहल सुनिश्चित करती है कि टीबी के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई में कोई भी पीछे न छूटे, हर व्यक्ति को आवश्यक उपचार, जागरूकता और समर्थन प्राप्त हो।
देवियो और सज्जनो,
बीते 10 वर्षों में माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत ने टीबी के खिलाफ लड़ाई में अनेक मोर्चों पर एक-साथ काम किया है। जैसे, जनभागीदारी, पोषण के लिए विशेष अभियान, इलाज के लिए नई रणनीति, तकनीक का भरपूर इस्तेमाल, और अच्छी हेल्थ को बढ़ावा देने वाले फिट इंडिया, खेलो इंडिया, योग जैसे अभियान।
टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत ने जो बहुत बड़ा काम किया है, वो है, जनभागीदारी। भारत ने ‘टीबी मुक्त भारत’ के अभियान से जुड़ने के लिए देश के लोगों से ‘नि-क्षयमित्र’ बनने का आह्वान किया था। भारत में टीबी के लिए स्थानीय भाषा में क्षय शब्द प्रचलित है।
इस अभियान के बाद, करीब-करीब 10 लाख टीबी मरीजों को, देश के सामान्य नागरिकों ने गोद लिया। आपको जानकर हैरानी होगी, हमारे देश में 10-12 साल के बच्चे भी ‘नि-क्षयमित्र’ बनकर टीबी के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं। टीबी के खिलाफ दुनिया में इतना बड़ी सामुदायिक अभियान चलना, अपने आप में बहुत प्रेरक है।
टीबी के मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए, उनके ट्रीटमेंट के लिए, उनको आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा है। टीबी की मुफ्त जांच के लिए, देश भर में लैब्स की संख्या बढ़ाई गई है। ऐसे स्थान जहां टीबी के मरीज ज्यादा हैं, वहां पर विशेष फोकस के रूप में कार्ययोजना बनाई जाती है।
टीबी मुक्त होने के लिए भारत टेक्नोल़ॉजी का भी ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है। हर टीबी मरीज के लिए जरूरी केयर को ट्रैक करने के लिए नि-क्षयपोर्टल बनाया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR ने मिलकर sub-national disease surveillance के लिए एक नया method भी डिज़ाइन किया है। ग्लोबल लेवल पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलावा, भारत इस तरह का मॉडल बनाने वाला इकलौता देश है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से आज भारत में टीबी के मरीजों की संख्या कम हो रही है।
आज देश Trace, Test, Track, Treat and Technology पर काम कर रहा है। ये स्ट्रेटजी टीबी के खिलाफ हमारी लड़ाई में भी काफी मदद कर रही है। भारत की इस लोकल अप्रोच में, बड़ी वैश्विक संभावना मौजूद है, जिसका हमें साथ मिलकर इस्तेमाल करना है। आज टीबी के इलाज के लिए 80 प्रतिशत दवाएं भारत में बनती हैं।
भारत की फ़ार्मा कंपनियों का ये सामर्थ्य, टीबी के खिलाफ वैश्विक अभियान की बहुत बड़ी ताकत है। मैं चाहूँगा भारत के ऐसे सभी अभियानों का, सभी नवाचारों का, आधुनिक टेक्नॉलजी का, इन सारे प्रयासों का लाभ ज्यादा से ज्यादा देशों को मिले, क्योंकि हम वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे विश्वास है, हमारा ये संकल्प जरूर सिद्ध होगा - ‘टीबी हारेगा, भारत जीतेगा’ और मैं मानता हूं कि ‘टीबी हारेगा, दुनिया जीतेगी’।
यदि हम भारत को टीबी मुक्त बना लेते हैं, तो 2047 तक एक स्वस्थ, सक्षम और आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो सकता है। एक ऐसा भारत, जहाँ हर नागरिक स्वस्थ हो, अपनी पूरी क्षमता से योगदान दे सके और देश को विकास के नए शिखर तक पहुँचाए।
मित्रो,
इस अवसर पर मैं आप सभी के साथ एक किस्सा साझा करना चाहता हूं। आप सब जानते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने, कुष्ठ रोग को समाप्त करने के लिए बहुत काम किया था। और जब वो साबरमती आश्रम में रहते थे, एक बार उन्हें अहमदाबाद के एक कुष्ठ रोग हॉस्पिटल का उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया।
गांधी जी ने तब लोगों से कहा कि मैं उद्घाटन के लिए नहीं आऊंगा। उन्होंने कहा कि मुझे तो खुशी तब होगी जब आप उस कुष्ठ रोग हॉस्पिटल पर ताला लगाने के लिए मुझे बुलाएंगे, तब मुझे आनंद होगा। यानि वो कुष्ठ रोग को समाप्त करके उस अस्पताल को ही बंद करना चाहते थे। गांधी जी के निधन के बाद भी वो अस्पताल दशकों तक ऐसे ही चलता रहा।
मैं बताना चाहूंगा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने कुष्ठ रोग का उन्मूलन करके इस अस्पताल को बंद करने का संकल्प लिया। उनके प्रयासों स्वरूप गुजरात में कुष्ठ रोग का रेट, 23 परसेंट से घटकर 1 परसेंट से भी कम हो गया।
साल 2007 में मोदी जी के मुख्यमंत्री रहते हुए वो कुष्ठ रोग हॉस्पिटल को ताला लगा, हॉस्पिटल बंद हुआ और गांधी जी का सपना पूरा हुआ। इसमें बहुत से सामाजिक संगठनों ने, जनभागीदारी ने बड़ी भूमिका निभाई। और इसलिए ही मैं टीबी के खिलाफ भारत की सफलता को लेकर बहुत आश्वस्त हूं।
देवियो और सज्जनो,
हाल ही में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025-26 ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा दिया है, जो सभी के लिए सुलभ, सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को 99 हजार 858 करोड़ रुपये के प्रभावशाली आवंटन के साथ, बजट 2014-15 से स्वास्थ्य सेवा निधि में उल्लेखनीय 191 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
इस वर्ष के बजट का एक प्रमुख आकर्षण चिकित्सा शिक्षा सुविधाओं का निरंतर विस्तार है। चिकित्सा शिक्षा के अवसरों की उपलब्धता बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति, 2014 से मेडिकल कॉलेजों में 1.1 लाख स्नातक और स्नातकोत्तर सीटें जोड़ना सराहनीय है।
इस पहल को और मजबूत करने के लिए, आगामी वर्ष में विशेष रूप से सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में अतिरिक्त 10,000 मेडिकल सीटें शुरू करने की योजना है। इस विस्तार से न केवल डॉक्टर-से-रोगी अनुपात में अंतर को पाटने की उम्मीद है, बल्कि वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुँच में भी सुधार होगा।
बजट में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगले तीन वर्षों के भीतर सभी जिला अस्पतालों में डेकेयर कैंसर केंद्र स्थापित किए जाएंगे। ये केंद्र शीघ्र निदान, कीमोथेरेपी और उपशामक देखभाल सेवाएँ प्रदान करेंगे, जिससे तृतीयक स्वास्थ्य संस्थानों पर बोझ कम होगा और रोगियों को उनके घरों के नज़दीक आवश्यक उपचार प्राप्त करने की अनुमति मिलेगी।
इसके अलावा इस बजट में, 36 जीवन रक्षक दवाओं को सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दी गई है जिससे कैंसर और दुर्लभ जानलेवा बीमारियों से परिवारों पर पड़ने वाले वित्तीय दबाव किफायती हो जाएँगे। इसके अलावा, छह और ज़रूरी दवाओं को रियायती शुल्क छूट दी गई है, जिससे उनकी कीमतें और भी कम हो गई हैं।
इसके अलावा इस बजट में, निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के कदम भी सराहनीय हैं। इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को बढ़ाना, रोजगार के अवसर पैदा करना और अंतर्राष्ट्रीय रोगियों को आकर्षित करना है, जिससे विदेशी मुद्रा उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से आर्थिक लाभ में वृद्धि होगी।
केन्द्र सरकार की ऐसे प्रयासों के चलते भारत अपने विश्व स्तरीय अस्पतालों, कुशल चिकित्सा पेशेवरों और लागत प्रभावी उपचारों के साथ, अंग प्रत्यारोपण, हृदय शल्य चिकित्सा और उन्नत कैंसर उपचार सहित विशेष प्रक्रियाओं की तलाश करने वाले चिकित्सा पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन गया है।
केन्द्र सरकार द्वारा इस क्षेत्र को और बढ़ावा देने के लिए वीज़ा प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, रोगी देखभाल मानकों में सुधार करने और निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और वैश्विक चिकित्सा नेटवर्क के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।
देवियो और सज्जनो,
अगर मैं चंडीगढ़ की बात करूं तो यहां विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं, रणनीतिक स्थान और लागत प्रभावी उपचारों के कारण एक प्रमुख चिकित्सा पर्यटन केंद्र के रूप में उभरने की क्षमता है। यह शहर प्रतिष्ठित संस्थानों पीजीआई, कैंसर हॉस्टिल और अन्य ऐसे संस्थानों का घर है जो हृदय शल्य चिकित्सा, ऑन्कोलॉजी, अंग प्रत्यारोपण और आर्थोपेडिक प्रक्रियाओं जैसे क्षेत्रों में उन्नत चिकित्सा देखभाल प्रदान करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित डॉक्टरों की उपलब्धता, आधुनिक बुनियादी ढाँचा और पश्चिमी देशों की तुलना में कम चिकित्सा लागत चंडीगढ़ को उच्च गुणवत्ता वाले और किफायती उपचार चाहने वाले रोगियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाती है।
चिकित्सा उत्कृष्टता के अलावा चंडीगढ़ का स्वच्छ और शांतिपूर्ण वातावरण रिकवरी और उपचार के बाद की देखभाल के लिए इसके आकर्षण को और बढ़ाता है। शहर का सुनियोजित बुनियादी ढांचा, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से निकटता और पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के साथ बेहतरीन कनेक्टिविटी इसे आसानी से सुलभ बनाती है।
इसके अलावा, चंडीगढ़ समग्र उपचार के केंद्र के रूप में उभर रहा है। साथ ही, आस-पास के क्षेत्रों में आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और वेलनेस पर्यटन में रुचि बढ़ रही है।
चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल और न्यू चंडीगढ़ में मेडिसिटी के विकास ने स्वास्थ्य सेवा गंतव्य के रूप में इसकी क्षमता को बढ़ाया है। अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाओं, सामर्थ्य और शांत वातावरण के सुमेल के साथ, चंडीगढ़ उत्तर भारत में चिकित्सा पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा विकल्प बनने के लिए अच्छी स्थिति में है।
कुल मिलाकर, सभी के समर्थन के साथ, आने वाले वर्षों में भारत के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में एक बड़ी वृद्धि होने वाली है। चिकित्सा शिक्षा को प्राथमिकता देकर, उपचार सुविधाओं का विस्तार करके, चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देकर और आवश्यक दवाओं को अधिक किफायती बनाकर, सरकार अधिक समावेशी और मजबूत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
मैं उद्योगों को कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) गतिविधियों में आगे आने और सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए भी प्रोत्साहित करूँगा। सामुदायिक कल्याण में निवेश करके, कौशल विकास का समर्थन करके और सतत प्रथाओं को बढ़ावा देकर विभिन्न व्यवसाय अपने स्वयं के ब्रांड मूल्य को मजबूत करते हुए सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। मैं समझता हूं कि सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति सामूहिक प्रयास अधिक समावेशी और स्वस्थ भारत का मार्ग प्रशस्त करेगा।
देवियो और सज्ज्नो,
मेरा मानना है कि जब समुदाय फलते-फूलते हैं, तो व्यवसाय भी फलते-फूलते हैं। आज की पहल कार्रवाई का आह्वान हैः आइए हम सभी राष्ट्र निर्माण में भागीदार के रूप में स्वास्थ्य में निवेश करें। मैं संगठनों से इस आंदोलन में शामिल होने का आग्रह करता हूँ चाहे पोषण कार्यक्रमों के माध्यम से, जागरूकता अभियानों के माध्यम से, या जमीनी स्तर पर प्रयासों को बढ़ावा देने के माध्यम से।
आज जब हम यहां एकत्र हुए हैं, तो आइए, हम इस उद्योग में स्थिरता, समावेशिता और उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें। हमारी स्वास्थ्य की यात्रा केवल व्यापारिक लाभ तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे एक ऐसे आंदोलन का रूप लेना चाहिए जो स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दे, नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करे और पर्यावरण के अनुकूल नवाचारों को अपनाए।
हमें मिलकर ऐसे उद्योग का निर्माण करना है जो न केवल लोगों के स्वास्थ्य में सुधार लाए, बल्कि अखंडता, स्थिरता और सकारात्मक सामाजिक प्रभाव के मूल्यों को भी सुदृढ़ करे।
आइए, हम इस अवसर का लाभ उठाएं और एक ऐसे भविष्य की दिशा में मिलकर काम करें जहां स्वास्थ्य और कल्याण सभी के लिए सुलभ हो, सौंदर्य स्थिरता का पर्याय हो, और हमारे उद्योग वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में काम करें।
मैं इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी के आयोजन के लिए एसोचैम और सभी हितधारकों को उनके अमूल्य योगदान के लिए हार्दिक बधाई देता हूं और कामना करता हूं कि आज की चर्चा से स्वास्थ्य, सौंदर्य और कल्याण क्षेत्रों में प्रगति को बढ़ावा देने वाले सार्थक परिणाम सामने आएं।
साथ ही आज हम सभी यहाँ एक संकल्प लें कि हम टीबी को हराने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। जब हमारा हर नागरिक स्वस्थ होगा, तभी हमारा देश आत्मनिर्भर और सशक्त बनेगा।
धन्यवाद, जय हिन्द!