SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF DISTRIBUTION OF APPOINTMENT LETTERS TO NEWLY RECRUITED SPECIAL EDUCATORS AT CHANDIGARH ON FEBRUARY 25, 2025.

विशेष शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के अवसर पर

माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 24.02.2025, सोमवारसमयः सुबह 11:00 बजेस्थानः चंडीगढ़

       

नमस्कार! 

सर्वप्रथम, मैं आज नियुक्ति पत्र पाने वाले समस्त युवाओं को और उनके परिवारजनों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ।

आज मैं स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूँ कि मुझे विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की शिक्षा के लिए समर्पित विशेष शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरित करने का अवसर प्राप्त हुआ है।

आज का यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारे समाज में समावेशिता, समानता और सशक्तिकरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। आज खेलों के क्षेत्र में दिव्यांग विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। 

विद्यार्थियों द्वारा लगायी गई प्रदर्शनी अपने आप में इनकी प्रतिभा को उजागर करती है। दिव्यांग विद्यार्थियों को सहायक उपकरणों का निःशुल्क वितरण एक बहुत नेक व सराहनीय कार्य है। इसके लिए मैं स्वास्थ्य विभाग व अन्य एजेंसियों को बधाई देता हूँ । 

मुझे बताया गया है कि चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के 111 विद्यालयों में डेढ़ लाख विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जिनमें 3087 दिव्यांग विद्यार्थी हैं। इनके लिए विद्यालयों में आज 22 टी.जी.टी व 18 जे.बी.टी के विशेष शिक्षकों को नियुक्ति प्रदान की गई है।

आज का यह शुभ अवसर हम सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि आज हमने ऐसे शिक्षकों को नियुक्ति दी है, जिनकी शैक्षिक जगत में विशेष भूमिका है। इसीलिए इनका नामकरण “विशेष शिक्षक” के रूप में किया गया है। 

यह अवसर न केवल चंडीगढ़ के शिक्षा क्षेत्र के लिए बल्कि हमारे पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा और समावेशन को सशक्त बनाने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम है। यह नियुक्ति पत्र केवल एक सरकारी दस्तावेज नहीं, बल्कि आपके समर्पण, धैर्य और समाज की सेवा के प्रति आपके अटूट विश्वास का प्रमाण है।

हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को समान अवसर और शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। शिक्षा केवल ज्ञान अर्जन का माध्यम नहीं, बल्कि यह आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान और सशक्तिकरण का एक सशक्त उपकरण भी है। यह विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है और इसे सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है, ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़कर आत्मनिर्भर जीवन व्यतीत कर सकें।

विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में समाहित करना न केवल उनका हक है, बल्कि यह एक संवेदनशील और प्रगतिशील समाज की पहचान भी है। इसलिए, समावेशी शिक्षा के लिए विशेष शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।

स्वामी विवेकानंद जी ने कहा थाः

‘‘हर आत्मा ईश्वर की अभिव्यक्ति है, फिर चाहे वह किसी भी रूप में हो। सच्चा प्रेम और सेवा वही है, जो सभी को समान रूप से स्वीकार करे।’’

स्वामी विवेकानंद का यह महान विचार हमें मानवता की सच्ची भावना को समझने और आत्मसात करने की प्रेरणा देता है। उनका कहना था कि हर आत्मा ईश्वर की अभिव्यक्ति है, यानी प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह किसी भी रूप, स्थिति या शारीरिक-मानसिक अवस्था में हो, उसमें दिव्यता निहित होती है। हमें किसी को भी उसकी क्षमताओं या सीमाओं के आधार पर कमतर नहीं आंकना चाहिए, बल्कि प्रेम और सेवा के माध्यम से सभी को समान रूप से स्वीकार करना चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

मैं समझता हूँ कि हर एक शिक्षक, भले ही वह एक साधारण व्यक्ति हो, लेकिन उसमें मनुष्य को महान बनाने की शक्ति होती है। शिक्षक केवल ज्ञान देने वाला नहीं, बल्कि समाज के निर्माण का आधार होता है। वह विद्यार्थियों को न केवल शैक्षणिक विषयों में पारंगत बनाता है, बल्कि उन्हें जीवन के मूल्यों, नैतिकता और आत्मनिर्भरता की ओर भी मार्गदर्शन करता है।

एक शिक्षक वह धुरी होता है, जो अपने विद्यार्थियों को सही-गलत, अच्छे-बुरे की पहचान करवाने में सहायक बनता है। वह न केवल पुस्तकों से शिक्षा देता है, बल्कि व्यावहारिक जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भी तैयार करता है। उसकी भूमिका केवल परीक्षा की तैयारी तक सीमित नहीं होती, बल्कि वह छात्रों के भीतर छिपी असीम संभावनाओं को पहचानकर उन्हें उजागर करने का कार्य करता है।

विशेष रूप से, जब बात विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की हो, तो एक शिक्षक की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। वह इन बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने, उनके कौशल को निखारने और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

शिक्षक अपने प्रेम, धैर्य और समर्पण से यह सुनिश्चित करता है कि हर बच्चा, चाहे वह किसी भी शारीरिक या मानसिक चुनौती का सामना कर रहा हो, अपने जीवन में आगे बढ़ सके और अपनी क्षमताओं का सर्वोत्तम उपयोग कर सके।

इसलिए, शिक्षक केवल ज्ञान देने वाला नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक, एक प्रेरणास्रोत और समाज का निर्माता होता है। उसकी शिक्षा से ही एक मजबूत, संवेदनशील और विकसित राष्ट्र की नींव रखी जाती है।

विशेष शिक्षकों के रूप में, आपका कार्य मात्र विषय पढ़ाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आपका उत्तरदायित्व कहीं अधिक व्यापक और गहरा होगा। आपको न केवल इन बच्चों को शिक्षित करना है, बल्कि उन्हें समाज का एक सक्रिय हिस्सा बनने में भी सहायता करनी है। आपको उनकी क्षमताओं को पहचानकर उन्हें विकसित करने में सहायता करनी है और उनकी व्यक्तिगत बाधाओं को दूर करने में मार्गदर्शक बनना है।

आपका धैर्य, आपकी संवेदनशीलता और आपकी करुणा ही इन बच्चों के लिए एक नए भविष्य की नींव रखेगी। यह कार्य कठिन अवश्य है, लेकिन इसकी संतुष्टि और आनंद अतुलनीय है। 

जब एक विशेष आवश्यकता वाला बच्चा आपके प्रयासों से अपने पैरों पर खड़ा होकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा, तो वह क्षण न केवल उसके लिए, बल्कि आपके व पूरे समाज के लिए गर्व का होगा।

आज जो नियुक्ति पत्र आपके हाथों में दिया गया है, वह न केवल एक सरकारी दस्तावेज़ है, बल्कि यह समाज में बदलाव लाने का एक सुनहरा अवसर भी है। आपके प्रयासों से कई बच्चों के जीवन में उजाला आएगा, वे आत्मनिर्भर बनेंगे और अपने सपनों को साकार कर सकेंगे।

प्रिय नवनियुक्त शिक्षको,

वर्तमान और भविष्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। आप वह कड़ी हैं जो आज और कल को जोड़ती है। वर्तमान में जो भी सुधार या बदलाव आप करते हैं, उसका दीर्घकालिक प्रभाव देश के भविष्य पर पड़ता है। यदि वर्तमान में आप अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभाते हैं, तो आप न केवल अपना बल्कि अपने समाज और देश का भविष्य भी उज्ज्वल बनाते हैं।

आज की युवा शक्ति और शिक्षक, देश के लिए नई ऊर्जा और नवाचार का स्रोत हैं। आपका हर प्रयास देश को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। जब आपको देश के वर्तमान और भविष्य दोनों का जिम्मेदार ठहराया जाता है, तो यह आपके प्रति एक विश्वास दर्शाता है कि आप इस भूमिका को सफलतापूर्वक निभा सकते हैं।

सरकारी नौकरी में प्रवेश जीवन का अंतिम पड़ाव नहीं हो सकता। सरकारी नौकरी का उद्देश्य सिर्फ स्थिरता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि समाज की सेवा करना और अपने कर्तव्यों का पालन करना है। यह एक नई यात्रा की शुरुआत है, जहां आप समाज को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। आपको आगे बढ़ना है, नई ऊंचाईयों को प्राप्त करना है।

आज, जब दुनिया तेजी से बदल रही है, शिक्षा के क्षेत्र में भी नवाचार और तकनीकी का समावेश जरूरी है। मुझे विश्वास है कि आप नई तकनीकों और पद्धतियों को अपनाकर अपने शिक्षण को और अधिक प्रभावशाली बनाएंगे। मैं आशा करता हूं कि शैक्षणिक जीवन में आप आने वाली नई चुनौतियों का सामना अपने समर्पण और कौशल से करेंगे।

मैं चाहूंगा कि आप समय-समय पर राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले टीचर्स एक्सचेंज प्रोग्राम और टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेना सुनिश्चित करें, ताकि आप अपने ज्ञान और कौशल को और अधिक निखार सकें।

शिक्षक जब अपने ज्ञान और कौशल को निरंतर निखारते हैं, तो वे शिक्षा के क्षेत्र में उच्च मानक स्थापित करते हैं और अपने छात्रों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाते हैं।

देवियो और सज्जनो,

जैसे कि आप सभी जानते हैं कि देश में नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा को और अधिक समावेशी, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण बनाना है। 

यह नीति छात्रों को एक समग्र, व्यावहारिक और प्रौद्योगिकी-संचालित शिक्षा प्रदान करने पर जोर देती है, जिससे वे केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में कुशल और सक्षम बनें। इस नीति का उद्देश्य एक ऐसा पर्यावरण तैयार करना है, जो छात्रों को मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाए।

नई शिक्षा नीति में शिक्षकों को विशेष महत्व दिया गया है। इसके अंतर्गत, आपकी भूमिका और भी अहम हो जाती है, क्योंकि यह नीति छात्रों को न केवल शैक्षिक दृष्टिकोण से, बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी सशक्त बनाने का लक्ष्य रखती है। 

अब आपके पास यह सुनहरा अवसर है कि आप अपनी प्रतिभा और क्षमता का उपयोग करते हुए अपने शहर और देश को गर्व महसूस कराने में एक विशेष और महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर देश के लिए एक आदर्श बनें। आपकी उपलब्धियां देश के गौरव में वृद्धि करेंगी।

याद रखें, अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन हमेशा सकारात्मक सोच के साथ करें। अपने कार्यों में पूरी पारदर्शिता बनाए रखें और सच्चाई व ईमानदारी को अपना आधार बनाएं।

समय की पाबंदी जीवन में सफलता का मूलमंत्र है। इसलिए समय की पाबंदी को अपने काम के पहले दिन से ही सुनिश्चित करें और इसे अपने व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा बनाएं।

देवियो और सज्जनो,

हमारे दिव्यांग बच्चे किसी भी दृष्टिकोण से किसी से कम नहीं हैं। वे अद्वितीय प्रतिभा, अदम्य साहस और असीम संभावनाओं के धनी हैं। समाज को चाहिए कि वह इन्हें केवल सहायता प्राप्त करने वाले के रूप में न देखे, बल्कि उनकी क्षमताओं को पहचाने और उन्हें आगे बढ़ने के समान अवसर प्रदान करे।

इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब दिव्यांग बच्चों को उचित मार्गदर्शन, संसाधन और सहयोग मिला, तो उन्होंने न केवल अपनी चुनौतियों को पार किया, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा स्रोत भी बने।

हमारे सामने महान ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी, ब्रह्मांड विज्ञानी, और लेखक स्टीफन हॉकिंग, पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला दीपा मलिक और पैरालंपिक में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पैरालंपिक खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया जैसे व्यक्तित्वों के उदाहरण मौजूद हैं, जिन्होंने अपनी असाधारण इच्छाशक्ति से यह सिद्ध किया कि दिव्यांगता कोई बाधा नहीं, बल्कि एक नई प्रेरणा बन सकती है।

हमारा कर्तव्य है कि हम उनके भीतर छिपी संभावनाओं को पहचानें और उन्हें वह मंच प्रदान करें, जिससे वे अपनी प्रतिभा को निखार सकें। यह केवल शिक्षा तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि खेल, कला, संगीत, विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में भी उन्हें अवसर मिलना चाहिए। समावेशी शिक्षा, विशेष शिक्षकों की सहायता, तकनीकी नवाचार और सामाजिक समर्थन के माध्यम से हम उनके जीवन को सशक्त बना सकते हैं।

इसके अलावा, हमें दिव्यांग बच्चों के प्रति समाज की सोच बदलने की आवश्यकता है। हमें यह समझना होगा कि वे दया के पात्र नहीं हैं, बल्कि सम्मान और आत्मनिर्भरता के अधिकारी हैं। जब उन्हें बराबरी का अवसर मिलेगा, तो वे भी आत्मविश्वास से भरे नागरिक बनेंगे और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

अतः हमारा कर्तव्य है कि हम इन बच्चों को उनके सपनों को पूरा करने के लिए हरसंभव सहयोग दें। शिक्षा, कौशल विकास और रोज़गार के अवसरों तक इनकी पहुँच को सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहाँ किसी भी बच्चे को अपनी शारीरिक अक्षमता के कारण पीछे न रहना पड़े, बल्कि उसे आगे बढ़ने के भरपूर अवसर मिलें।

देवियो और सज्जनो,

मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि चंडीगढ़ प्रशासन शिक्षा के क्षेत्र में समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा के लिए संसाधनों का विस्तार करना, विशेष शिक्षकों को उचित प्रशिक्षण देना, स्कूलों में आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना, और समग्र रूप से शिक्षा प्रणाली को और अधिक समावेशी बनाना हमारी प्राथमिकता है।

हमारी कोशिश रहेगी कि आपको हर आवश्यक सहायता मिले, जिससे आप अपने कार्य को सर्वोत्तम तरीके से कर सकें। आपके प्रशिक्षण, आपके करियर विकास और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों को अपनाने के लिए प्रशासन आपके साथ है।

सरकार और विभिन्न संस्थाएँ दिव्यांगजनों के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। विशेष स्कूलों की स्थापना, छात्रवृत्तियाँ, तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम, रोज़गार के अवसर और उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप बुनियादी ढाँचे का विकास हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है; लेकिन यह केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है। 

हमें व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर भी इस दिशा में योगदान देना होगा। शिक्षकों को इन बच्चों के लिए विशेष शिक्षण पद्धतियाँ अपनानी होंगी, अभिभावकों को उनका मनोबल बढ़ाना होगा, और समाज को इन्हें समान अवसर देने के लिए जागरूक होना होगा।

मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि हम मिलकर एक ऐसा वातावरण तैयार करें जहाँ दिव्यांग बच्चे आत्मनिर्भर बन सकें, अपनी क्षमताओं को पहचान सकें और अपने सपनों को साकार कर सकें।

यहां मैं दिव्यांग बच्चों से कहना चाहूंगा कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी भी खुद को कमजोर न समझें। आपकी शक्ति, आपकी लगन और आपकी मेहनत ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है। आप आगे बढ़िए, सफलता आपके कदम चूमेगी।

इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, एक बार फिर से नव नियुक्त विशेष शिक्षकों को बधाई व शुभकामनाओं के साथ मैं इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए शिक्षा विभाग को भी बधाई देता हूँ और आप सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।

धन्यवाद,

जय हिन्द!