SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF CELEBRATION OF INTERNAITONAL WOMEN’S DAY ON THE THEME ‘ACCELERATE ACTION’ AT CHANDIGARH ON MARCH 8, 2025.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर

माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 08.03.2025, शनिवारसमयः सुबह 10:00 बजेस्थानः चंडीगढ़

 

नमस्कार!

सर्वप्रथम मैं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर समस्त देशवासियों, विशेष रूप से पंजाब और चंडीगढ़ की मातृशक्ति को हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं देता हूँ।

आज हम यहां अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के महत्वपूर्ण अवसर पर एकत्रित हुए हैं, जो न केवल महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि उनके संघर्ष, साहस और समर्पण की कहानी का भी प्रतीक है। यह दिन हमें स्मरण कराता है कि महिलाएं समाज की रीढ़ हैं, जिन्होंने हर क्षेत्र में नयी ऊंचाइयाँ छुई हैं और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 

इस वर्ष, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 का थीम है, “Accelerating Action”, जो महिलाओं की उन्नति पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाली रणनीतियों, संसाधनों और गतिविधियों को मान्यता देने तथा उनके कार्यान्वयन को समर्थन देने और उसे आगे बढ़ाने के लिए एक विश्वव्यापी आह्वान है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं द्वारा की गई सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है। 1975 में, संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया था। यह लैंगिक पूर्वाग्रहों और भेदभाव को समाप्त करने और लैंगिक समानता प्राप्त करने के प्रयासों को प्रेरित करने का एक अवसर है।

देवियो और सज्जनो,

नारी-शक्ति हमारे समाज का एक अभिन्न अंग है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं के सम्मान को हमेशा से ही महत्व दिया जाता है। मेरा मानना है कि नारी-शक्ति की भूमिका परिवार निर्माण, समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण और इन तीनों के विकास में अतुलनीय है।

भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति का प्रतीक मानते हुए देवी दुर्गा, काली और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ये देवियां इस बात का प्रतीक हैं कि नारी केवल कोमलता और संवेदनशीलता का ही नहीं, बल्कि अदम्य शक्ति और साहस का भी स्वरूप है।

नारी को प्रकृति का स्वरूप कहा गया है, जो जीवन के सृजन की आधारशिला है। एक मां के रूप में वह न केवल संतान को जन्म देती है, बल्कि अपने पालन-पोषण और संस्कारों के माध्यम से समाज के भविष्य को भी आकार देती है।

महिलाओं का सृजनात्मक पक्ष केवल जीवन निर्माण तक सीमित नहीं है; वे अपने कौशल, ज्ञान और नेतृत्व के माध्यम से समाज और देश को प्रगति के पथ पर ले जाती हैं। उनका योगदान साहित्य, कला, विज्ञान, और विभिन्न क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

हमारे देश की नारी शक्ति का सम्मान रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। माता सीता का धैर्य, द्रौपदी का साहस, गार्गी और मैत्रेयी का ज्ञान, रानी लक्ष्मीबाई का शौर्य-ये सभी इस बात के प्रमाण हैं कि भारतीय संस्कृति में नारी को सदैव एक प्रेरणादायक शक्ति के रूप में देखा गया है।

आज मैं यहाँ सिखों के प्रथम गुरू तथा जगतगुरू गुरु श्री गुरु नानक देव जी द्वारा महिलाओं के सम्मान में कहे गए कुछ प्रेरणादायक शब्दों को साझा करना चाहता हूं। उन्होंने कहा था, ‘‘सो क्यों मंदा आखिए, जित जम्मे राजान...’’ अर्थात, उन महिलाओं को क्यों कम आंका जाए जिन्होंने महान राजाओं को जन्म दिया। 

देवियो और सज्जनो,

हमारे देश के इतिहास में महिलाओं ने पारंपरिक बंधनों, सामाजिक रुढ़िवादिता और लैंगिक असमानता को चुनौती देते हुए न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि समाज के समग्र विकास में भी क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं।

यहां मैं भारतीय साहित्य की अमर विभूति, स्वाधीनता सेनानी तथा ओडिया भाषा की सुप्रसिद्ध नारी कवि कुंतला कुमारी साबत का लगभग 100 वर्ष पहले किये गये उद्घोष को दोहराना चाहता हूँ जो नए भारत की नीतियों को दिशा दे रहा है। 

उन्होंने कहा थाः 

“बसुंधरा-तले भारत-रमणी नुहे हीन नुहे दीन

अमर कीरति कोटि युगे केभें जगतुं नोहिब लीन।”

अर्थात, भारत की नारी पृथ्वी पर किसी की तुलना में न तो हीन है, न दीन है। संपूर्ण जगत में उसकी अमर कीर्ति युगों-युगों तक कभी लुप्त नहीं होगी यानी सदैव बनी रहेगी।

रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ वीरता की मिसाल कायम की और महिलाओं में साहस तथा आत्मनिर्भरता का संदेश फैलाया। भारत की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले ने नारी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाए, जिससे न केवल महिलाओं को बल्कि समाज के पिछड़े वर्गों को भी समान अवसर मिलने लगे। 

स्वतंत्रता कार्यकर्त्ता और देश की पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू ने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भागीदारी से यह सिद्ध किया कि महिलाओं की शक्ति और प्रेरणा देश के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा भक्ति आंदोलन की प्रमुख कवयित्री और कृष्ण भक्त मीरा बाई, भारत में गरीबों और बीमारों की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाली मदर टेरेसा, देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और वर्तमान राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु और सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर आदि को कौन भुला सकता है। 

इसके अलावा देश का गौरव बढ़ाने वाली अन्य महिलाओं में:

  • ‘क्वीन ऑफ ट्रैक एंड फील्ड’ के नाम से प्रसिद्ध महान एथलीट 
  • पी.टी. उषा ने 1980 के दशक में अपनी अद्वितीय तेज गति और धावक कौशल से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। जिनमें उन्होंने कुल 23 पदक जीते, जिनमें से 14 स्वर्ण पदक थे। 
  • मैरी कॉम ने रिकॉर्ड छह बार विश्व एमेच्योर मुक्केबाजी चैंपियन बनकर भारत को गौरवान्वित किया, और ओलंपिक में मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला बनीं।
  • 2015 में विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में, साइना नेहवाल नंबर 1 स्थान हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
  • अरुणिमा सिन्हा 2013 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली दुनिया की पहली विकलांग महिला बनीं।
  • अंतरिक्ष यात्री और इंजीनियर, कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं।
  • दीपा मलिक 2016 ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक में पैरालिंपिक खेलों में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला बनीं।
  • भारतीय स्प्रिंट धावक हिमा दास आई.ए.ए.एफ. विश्व यू20 चैंपियनशिप में ट्रैक इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हैं।
  • किरण बेदी 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने के बाद, भारत की पहली महिला पुलिस अधिकारी बनीं।
  • बछेंद्री पाल दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
  • 2016 रियो ओलंपिक में रजत पदक और 2020 टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीत कर देश को गौरवान्वित करने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु।
  • इसरो (ISRO) की वैज्ञानिक और ‘मंगलयान मिशन’ की उप निदेशक रितु करिधल और अग्नि-5 मिसाइल प्रोजेक्ट का नेतृत्व करने वाली भारत की पहली महिला वैज्ञानिक टेसी थॉमस।

आज भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी स्वयं एक प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। वह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व कर रहीं हैं। एक सामान्य जनजातीय पृष्ठभूमि के बावजूद दुनिया के दूसरी सबसे बड़ी सेना के सर्वोच्च कमांडर के रूप में काम कर रही हैं।

इन सभी महिलाओं के योगदान ने न केवल महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि समाज के हर वर्ग को यह प्रेरणा दी है कि परिवर्तन की शुरुआत स्वयं से होती है।

हालांकि, महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है, फिर भी उन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। समाज और संस्कृति में गहराई से जड़ जमाए रूढ़िवादी मान्यताएँ और पारंपरिक दृष्टिकोण महिलाओं की भूमिका को सीमित कर देते हैं। 

इसलिए, रूढ़िवादी मान्यताओं और पारंपरिक दृष्टिकोणों में बदलाव लाने की आवश्यकता है, ताकि महिलाओं को उनके वास्तविक अधिकारों, अवसरों व क्षमताओं के अनुसार प्रोत्साहित किया जा सके। 

प्यारी बहनो एवं बेटियो,

मैं मानता हूँ कि सफलता की राह पर अग्रसर होने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि आप अपनी अद्वितीय प्रतिभा को पहचानें। जब आप अपने आत्मविश्वास को जगाएंगी, तो आप पाएंगी कि आपके अंदर वह ऊर्जा है जो हर चुनौती को पार करने, जोखिम लेने और नए अवसरों का निर्माण करने में सक्षम है। 

देवियो और सज्जनो,

हमने आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन यह केवल तभी संभव होगा जब देश की हर महिला आत्मनिर्भर और सशक्त हो।

मैं दृढ़ता से मानता हूँ कि महिला सशक्तिकरण और कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी से सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति में अद्वितीय योगदान मिलता है। कोई भी राष्ट्र अपनी आधी आबादी की उपेक्षा करके प्रगतिशील नहीं हो सकता, क्योंकि महिलाओं का सहयोग ही किसी देश की विकास यात्रा का मूल आधार है। 

यदि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर होती है, तो यह न केवल सामाजिक न्याय का प्रतीक होगा, बल्कि इससे देश की जीडीपी में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी, जिससे समग्र आर्थिक विकास को मजबूती मिलेगी। अच्छी बात यह है कि भारत इस दिशा में असीम प्रगति कर रहा है।

देवियो और सज्जनो,

चंडीगढ़ का प्रशासक होने के नाते मैं कहना चाहूँगा कि चंडीगढ़ प्रशासन शहर के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए नई पहलों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता के तहत, इसने मिशन शक्ति, पोषण अभियान, और महिला सशक्तिकरण केंद्र जैसी विभिन्न योजनाओं को संचालित करता है। 

मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है कि हम सभी आज यहां एकत्रित हुए हैं ताकि उन मार्गदर्शक महिलाओं का सम्मान कर सकें, जो अपने समय की अग्रणी थीं। वे चंडीगढ़ का गौरव हैं और ऐसी प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं जो हम सभी को प्रेरित करती हैं। 

उनके सम्मान में, प्रशासन “PRERNA - Power, Resilence, Empowerment & Recognition of Noteworthy Women Achievers” नामक पुस्तिका का विमोचन कर रहा है, ताकि उनकी असाधारण उपलब्धियों को सम्मानित किया जा सके। उनके योगदान को स्वीकार करना और सम्मानित करना न केवल हमारे शहर को समृद्ध बनाएगा, बल्कि अनगिनत युवा महिलाओं को उनके पदचिह्नों पर चलने के लिए प्रेरित भी करेगा।

आज सम्मानित की जा रही 20 महिलाएँ ‘नारी शक्ति’ की प्रतीक बनेंगी और यह सिद्ध करेंगी कि कोई भी चुनौती अपरिहार्य नहीं होती।

मैं चंडीगढ़ प्रशासन की इस सराहनीय पहल में उनके अमूल्य योगदान के लिए प्रशंसा करता हूँ। इन असाधारण यात्राओं को उजागर करने के उनके प्रयास निस्संदेह युवा महिलाओं को बड़े सपने देखने और नई ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित और सशक्त करेंगे।

देवियो और सज्जनो, 

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि महिलाओं को अधिक आर्थिक स्वायत्तता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और राजनीतिक शक्ति प्राप्त हो। 

‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ से महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें मिलेंगी। यह अधिनियम महिलाओं का जीवन स्तर सुधारने के लिए, क्वालिटी ऑफ लाइफ बेहतर करने के लिए, देश में महिला नेतृत्व-आधारित विकास का नया युग लाने के लिए अहम कदम है।

सामाजिक स्तर पर भी तीन तलाक जैसी जिन कुरीतियों के कारण महिलाओं पर अत्याचार होते थे, इसके लिए कानून बनाकर करोड़ों मुस्लिम बहनों को आज तीन तलाक की अमानवीय कुप्रथा से सुरक्षा मिली है। 

शौचालय ना होने की वजह से बेटियाँ स्कूल ना छोड़ें, इसके लिए करोड़ों शौचालय, बेटी की शिक्षा जारी रहे, इसके लिए सुकन्या समृद्धि योजना, बहनों को रसोई में लकड़ी का धुआँ ना सहना पड़े, इसके लिए उज्ज्वला गैस कनेक्शन, बहन-बेटी को पानी के इंतजाम में परेशान ना हो, इसके लिए हर घर नल योजना शुरू की गई है।

बहन-बेटी अंधेरे में ना रहें, इसके लिए सौभाग्य योजना से मुफ्त बिजली कनेक्शन। बेटी का घर की संपत्ति पर भी अधिकार हो, इसके लिए पीएम आवास में उसे संयुक्त भागीदारी। रोजगार, स्वरोजगार के लिए लोन देने वाली मुद्रा योजना शुरू की गई है।

गाँव की बहनों को कमाई के अवसर मिले, इसके लिए 10 करोड़ से ज्यादा बहनों तक सेल्फ हेल्प ग्रुप का विस्तार किया गया है। वर्ष 2023 में लाल किले से प्रधानमंत्री जी ने देश में 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने और सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को ड्रोन देने की योजना का भी ऐलान किया था। इनमें से अब तक 1 करोड़ से अधिक लखपति दीदी बन चुकी हैं और 500 से अधिक महिलाओं को ड्रोन दिए जा चुके हैं।

आज परिवार से लेकर पंचायत तक, इकोनॉमी से लेकर एजुकेशन और उद्यमशीलता तक, हमारी बहन-बेटियाँ हर क्षेत्र में अभूतपूर्व काम कर रही हैं। 

भारत को चाँद तक पहुँचाने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका रही है। आज हमारे स्टार्टअप्स हों, सेल्फ हेल्प ग्रुप्स हों, या स्वच्छता जैसे सामाजिक अभियान हों, महिलाओं की भागीदारी और भूमिका देश की ताकत बन रही है।

हम सब ने संकल्प लिया है कि आज़ादी के 100 वर्ष पूरे होने तक, हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाकर ही रहेंगे। इसमें देश की जो आधी आबादी है, उसकी सक्रिय भागीदारी से इस सपने को हम अवश्य ही साकार कर लेंगे, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है।

मैं पुनः आज के इस समारोह में उपस्थित सभी माताओं, बहनों और बेटियों को, विशेष रूप से सम्मानित होने वाली बेटियाँ व मातृ शक्ति को बधाई व शुभकामनाएँ देता हूँ। और आप सभी के मंगलमय जीवन की कामना करता हूँ।

धन्यवाद, 

जय हिंद!