SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR OF PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF FOUNDATION DAY OF MIZORAM AND ARUNACHAL PRADESH AT PUNJAB RAJ BHAVAN ON FEBRUARY 20,2025.
- by Admin
- 2025-02-20 17:40
अरूणाचल प्रदेश और मिज़ोरम राज्य के स्थापना दिवस पर माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 20.02.2025, गुरूवार समयः सुबह 11:00 बजे स्थानः पंजाब राजभवन
नमस्कार!
आज एक बार फिर हम विविधताओं से भरे दो और भारतीय राज्यों का स्थापना दिवस मनाने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं।
मिज़ोरम और अरूणाचल प्रदेश के स्थापना दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाई।
हमारे लिए यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ के तहत, पंजाब राजभवन ने एक स्वस्थ और प्रेरणादायक परंपरा को अपनाया है। इस परंपरा के अनुसार, पंजाब राजभवन ने शुरू से ही अन्य राज्यों के स्थापना दिवस मनाने की जिम्मेदारी को संकल्पबद्धता और उत्साह के साथ निभाया है।
आज पुनः हम देश के दो महत्वपूर्ण राज्यों-अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम-के स्थापना दिवस का उत्सव मना रहे हैं, जो न केवल उनके समृद्ध इतिहास, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और भाईचारे की भावना को भी उजागर करता है।
इस आयोजन से यह संदेश मिलता है कि भारत में विविधता में एकता की भावना समाहित है, जहाँ हर राज्य की अपनी अनूठी पहचान है, लेकिन सभी का योगदान देश के विकास और समृद्धि में एक समान है। इन उत्सवों का सफलतापूर्वक निर्वहन यह दर्शाता है कि हमारी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय परंपरा में एक दूसरे के प्रति सम्मान, सहयोग और एकता की भावना हमेशा प्रबल रही है।
यह समारोह न केवल अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम के इतिहास और उपलब्धियों का जश्न मनाने का अवसर है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि हमारा देश किस प्रकार विभिन्नता में एकता की मिसाल पेश करता है।
देवियो और सज्जनो,
अरूणाचल प्रदेश और मिज़ोरम दोनों ही अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हैं, जो न केवल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं बल्कि हमारे देश की समृद्ध जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी हैं।
अरूणाचल प्रदेश, जिसे ‘उगते सूरज की भूमि’ कहा जाता है, अपनी ऊँची-ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं, घने वन, और निर्मल नदियों के कारण प्रसिद्ध है। यहाँ की सुबह की सुनहरी किरणें, जब पर्वतों के बीच उभरती हैं, तो यह राज्य प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग का अनुभव प्रदान करता है।
अरूणाचल के आदिवासी समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत भी इस राज्य की खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है।
वहीं, मिज़ोरम, जिसे ‘पर्वतनिवासियों की भूमि’ के नाम से जाना जाता है, अपने रमणीय घाटियों, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों, और मनोहारी जलप्रपातों के लिए विख्यात है। मिज़ोरम की हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम एक अनूठी छवि प्रस्तुत करता है, यहाँ के पर्वतीय इलाकों में बसे गांव, स्थानीय परंपराएँ और सांस्कृतिक उत्सव, इस राज्य की आत्मा में बसी समृद्धि और जीवंतता को दर्शाते हैं।
इन दोनों राज्यों में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति और परंपराएँ भी गहराई से जड़ें जमा चुकी हैं, जो इन्हें विश्व मानचित्र पर एक अनूठी पहचान प्रदान करती हैं। अरूणाचल और मिज़ोरम, दोनों ही अपने-अपने तरीके से प्रकृति की अनंत छटा का उत्सव मनाते हैं, जिससे ये राज्य न केवल भारत की बल्कि पूरे विश्व की पर्यटक और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
अरूणाचल प्रदेश
अरूणाचल प्रदेश 20 फरवरी 1987 में देश का 24वां राज्य बना जो क्षेत्रफल की दृष्टि से पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य है। भारत में सूर्य की किरणें सबसे पहले अरुणाचल प्रदेश की धरती पर पड़ती हैं। यह प्राकृतिक सत्य इस बात का प्रमाण है कि अरुणाचल प्रदेश देश के पूर्वोत्तर कोने में स्थित है, जहाँ सुबह की सुनहरी किरणें सबसे पहले उदित होती हैं।
यहाँ के लोग इस अद्भुत प्राकृतिक घटना को एक वरदान मानते हैं, जो न केवल राज्य की भौगोलिक महत्ता को दर्शाता है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर में भी चार चाँद लगाता है।
अरुणाचल प्रदेश का उल्लेख कालिका पुराण और महान हिंदू महाकाव्य महाभारत के साहित्य में भी मिलता है। एक हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश वह स्थान है जहाँ ऋषि परशुराम ने अपने पाप धोए, ऋषि व्यास ने ध्यान किया, राजा भीष्मक ने अपना राज्य स्थापित किया और भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी रुक्मिणी से विवाह किया।
कामरूप और अहोम जैसे शक्तिशाली राजवंशों और राज्यों द्वारा शासित, अरुणाचल प्रदेश में असंख्य ऐतिहासिक स्मारक और पुरातात्विक अवशेष हैं, जो इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण हैं जिनमें मालिनिथान मंदिर, परशुराम कुंड, भीष्मकनगर किला, ईटानगर किला आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।
अरूणाचल के सीधे और सहज स्वभाव के लोगों ने अपनी अनूठी पहचान बनाई है। ये लोग प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं और पारंपरिक रीति-रिवाजों को अपनाते हुए, बिना किसी बनावटी झलक के, अपने वास्तविक स्वभाव को प्रकट करते हैं।
अरूणाचल प्रदेश के बहादुर योद्धाओं और शौर्यवान लोगों ने अद्वितीय वीरता का परिचय देते हुए, भारत माता की सुरक्षा में अपनी अमूल्य भूमिका निभाई है। इनमें ताजी मिदेरेन का नाम प्रमुख है जिन्होंने अपने साथी मिश्मी जनजाति के सदस्यों को ब्रिटिश सत्ता के विकास का विरोध करने के लिए संगठित किया, और पैंगोन और अन्य मिश्मी प्रमुखों के नेतृत्व में मिश्मी संघ की स्थापना की।
अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे होने के कारण, अरूणाचल प्रदेश सामरिक और भौगोलिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है। यह राज्य चीन, म्यांमार समेत कई पड़ोसी देशों के साथ सीमाएं साझा करता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक संवेदनशील क्षेत्र है।
सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में उन्नत सुरक्षा बुनियादी ढांचे, संचार नेटवर्क और परिवहन सुविधाओं के विकास पर विशेष ध्यान दिया है, ताकि सीमा पर किसी भी प्रकार की अनिश्चितता या चुनौती का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके।
महिलाओं के विकास के बिना किसी भी समाज का समग्र विकास अधूरा रहता है। अरुणाचल प्रदेश में महिलाओं का सशक्तिकरण एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जहां पंचायतों में लगभग 47 प्रतिशत महिलाओं का प्रतिनिधित्व है।
अरुणाचल प्रदेश की महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल कर रही हैं। बोमडिला की रहने वाली अंशू जामसेनपा, पांच दिन में दो बार माउंट एवरेस्ट पर पर्वतारोहण करने वाली पहली महिला है। इस उपलब्धि के लिए अंशू जामसेनपा को वर्ष 2021 में पद्म श्री पुरस्कार भी दिया गया है।
नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित तागे रीता ताखे ने महिलाओं की उद्यमिता में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश की स्थानीय कृषि-आधारित उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिली है, बल्कि राज्य की समृद्ध कृषि परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर मान्यता भी मिली है।
अरुणाचल प्रदेश ने "Medicine from the Sky" पहल के तहत, ड्रोन के माध्यम से दूर-दराज के गांवों में दवाओं और वैक्सीनों की आपूर्ति की व्यवस्था की है। जो प्रौद्योगिकी का समाजोपयोगी उपयोग करके सामाजिक सुधार का एक बेहतरीन उदाहरण है।
जैसे पंजाब को "Food Bowl of India" के रूप में जाना जाता है, वैसे ही अरुणाचल प्रदेश भी देश के "Fruit Bowl"के रूप में अपनी अनूठी पहचान रखता है। यहाँ की उपजाऊ मिट्टी, अनुकूल जलवायु और प्राकृतिक संसाधनों के कारण विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट और पोषक फल उगते हैं, जो न केवल स्थानीय बाजारों में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मांग में हैं।
यह राज्य ‘खासी मंदारिन’ संतरे और कीवी उत्पादन में पहले स्थान पर है जबकि बड़ी इलायची के उत्पादन में इसका देश में दूसरा स्थान है।
मिज़ोरम
मिज़ोरम 20 फरवरी 1987 में देश का 23वां राज्य बना। मिज़ोरम में प्राकृतिक सुंदरता और मनमोहक दृश्यों की भरमार है और यह वनस्पतियों और जीवों के मामले में बहुत समृद्ध है।
यहां के मिज़ो समाज की ‘त्लावमंगाइना’ विचारधारा दूसरों की सेवा को सर्वोपरि मानती है, जो न केवल व्यक्तिगत विकास और संतोष में सहायक है, बल्कि समाज में सहयोग, भाईचारे और सामूहिक प्रगति को भी बढ़ावा देती है। वास्तव में, ‘त्लावमंगाइना’ हमें यह प्रेरणा देती है कि जब हम दूसरों की सेवा में अपना योगदान देते हैं, तभी सच्ची सफलता और मानवीय मूल्यों का संचार होता है।
मिज़ोरम भी भारत में सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में से एक है। 92 प्रतिशत की उच्च साक्षरता दर के साथ मिज़ोरम अंतर-सांस्कृतिक जीवंतता का एक अनूठा मिश्रण समेटे हुए है, जो देश में दूसरे नंबर पर है। राज्य से होकर बहने वाली प्रमुख नदियां, जैसे त्लावंग और तियाऊ, पनबिजली क्षमता प्रदान करती हैं, जो राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
पिछले दशक में मिज़ोरम में सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है। पड़ोसी देशों के साथ व्यापार मार्गों की स्थापना से यहां व्यापार सुविधा में भी सुधार हुआ है।
मिज़ोरम विभिन्न शिल्पों में उत्कृष्ट शिल्पकारों तथा कुशल कारीगरों की भूमि है। यहां कुटीर और लघु उद्योगों की आपार संभावनाएं हैं। मुझे खुशी है कि मिज़ोरम सरकार ने ग्रामीण स्तर पर लघु उद्योगों की एक श्रृंखला को सहायता और प्रोत्साहित किया है। ऐसे उद्योगों में रेशम उत्पादन, हथकरघा और हस्तशिल्प कार्यशालाएं, आरा मिल और फर्नीचर निर्माण, तेल शोधन, अनाज मिलिंग और अदरक प्रसंस्करण शामिल हैं।
देश के अधिकांश हिस्सों की तरह, मिज़ोरम में भी कृषि मुख्य पेशा है। यहां की प्रमुख फसलों में धान, गेहूं, दलहन आदि शामिल हैं। यहाँ के किसान प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करते हुए पारंपरिक तथा आधुनिक खेती के मिश्रण से विविध फसलों की पैदावार करते हैं।
‘झूम खेती’ मिज़ोरम में एक महत्वपूर्ण प्रथा है। इसमें जंगलों को काटना, पत्तियों को जलाना और भूमि पर खेती करना शामिल है। मिज़ोरम में सभी प्रमुख कृषि गतिविधियाँ और त्यौहार झूम खेती के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
मिज़ोरम में बागवानी और पुष्प कृषि की भी अधिक संभावना है। विभिन्न रंगों और आकार के ऑर्किड (Orchid) व एंथ्यूरियम (Anthurium) के फूल मिज़ोरम की दृश्यावली में आकर्षक रंग भरते हैं।
मिज़ोरम में कार्यबल में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और उनका अत्यधिक सम्मान और महत्व किया जाता है। उन्हें पुरूषों के बराबर माना जाता है और समाज के सभी पहलुओं में भाग लेने के समान अवसर दिए जाते हैं।
भारत के अन्य सभी राज्यों की तुलना में, मिज़ोरम में जनजातीय आबादी का प्रतिशत अत्यधिक है। यहाँ की जनसंख्या का मुख्य हिस्सा विभिन्न जनजातीय समुदायों से आता है, जो अपनी अनूठी भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज और सामाजिक संरचनाओं के साथ राज्य की पहचान का अहम हिस्सा हैं।
मिज़़ोरम के लोगों ने आज भी अपनी पारंपरिक विरासत को जीवित रखा है। यहाँ के लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर, रीति-रिवाज, लोक गीत, नृत्य, पारंपरिक पोशाक और हस्तशिल्प को अपनाए हुए हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होते आए हैं। चाहे त्योहारों की बात हो या पारंपरिक समारोहों की, हर आयोजन में मिज़ोरम की जीवंत परंपरा झलकती है।
मिज़ोरम का प्राकृतिक परिदृश्य अद्वितीय है, जहाँ हरी-भरी पहाड़ियाँ, तेज धाराओं की कल-कल करती कल-कल धारा और शांत झीलों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यहाँ की पहाड़ियाँ न केवल वनस्पति से भरपूर हैं, बल्कि उनका शांत वातावरण और प्राकृतिक छटा मन को मोह लेने वाली है।
मिज़ोरम के इस अनूठे प्राकृतिक संगम ने मिज़ोरम को एक पर्यटन हब के रूप में स्थापित किया है, जहाँ हर मोड़ पर आपको प्रकृति की सुंदरता और शांति का अद्वितीय मिश्रण देखने को मिलता है।
देवियो और सज्जनो,
ये तो केवल हमारे देश के दो सुंदर राज्यों की विशेषताएं थीं, जिन पर मैंने अभी चर्चा की है। अब जरा सोचिए कि यदि हम हमारे देश के सभी राज्यों की विविधताओं पर गौर करें, तो निश्चित ही दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं है जहाँ इतनी अद्वितीय सांस्कृतिक, प्राकृतिक और भौगोलिक विविधता देखने को मिले।
भारत अपनी प्राचीन सभ्यता, विविध भाषाओं, परंपराओं, रीति-रिवाजों, और प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। हर राज्य अपनी अलग पहचान और अनूठे अनुभवों का संगम है, जो न केवल स्थानीय लोगों के जीवन में उजाला भरते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की विशिष्टता का प्रतीक हैं।
इस अद्भुत विविधता में, हर राज्य की अपनी अनूठी सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक संसाधन, और सामाजिक संरचना है, जो मिलकर एक समृद्ध और बहुरंगी राष्ट्र का निर्माण करती है।
यही कारण है कि भारत को विश्व में एक अनूठा उदाहरण माना जाता है, जहाँ हर कोने में अलग-अलग रंग, स्वर और अनुभव देखने को मिलते हैं। यही विविधता, समृद्ध परंपराएं और सांस्कृतिक मेल-मिलाप हमारे देश को दुनिया में सबसे अलग और अद्वितीय बनाते हैं।
देवियो और सज्जनो,
भारत की विविधता में एकता की भावना हमें यह सिखाती है कि विभिन्नता में छिपी शक्ति को पहचानना ही असली सफलता है। यह विविधता केवल भौगोलिक या सांस्कृतिक नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में भी प्रकट होती है।
हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों ने भी यही संदेश दिया कि केवल एकजुट होकर ही हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। गांधी जी का मानना था कि हमारे भारत की वास्तविक ताकत इसकी एकता में निहित है। इस विचारधारा के अंतर्गत, हमें न केवल अपने भीतर एकता की भावना को संजोए रखना है, बल्कि अन्य लोगों और समुदायों के साथ भी सहयोग और भाईचारे का रिश्ता मजबूत करना है।
इस एकता की भावना का सबसे बड़ा उदाहरण हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था है, जहाँ हर व्यक्ति, चाहे उसकी जाति, धर्म या भाषा कुछ भी हो, समान अधिकार और अवसर प्राप्त करता है।
डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत और अन्य अभियानों के माध्यम से हम अपने देश की विकास यात्रा में हर क्षेत्र में सुधार ला रहे हैं। इस विकास यात्रा में, हमारी संस्कृति, हमारी परंपराएँ और हमारी एकता ही हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।
मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि हम अपनी विविधताओं का सम्मान करें, और उन्हें एक दूसरे के साथ बाँधकर रखें। हमें चाहिए कि हम अपने भीतर की एकता को और प्रबल करें, ताकि हम सभी मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण कर सकें, जहाँ परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम हो, और जहाँ प्रत्येक नागरिक को समान अवसर, सम्मान और स्वतंत्रता मिले।
आज, जब हम यहां अरूणाचल प्रदेश और मिज़ोरम राज्यों के स्थानपा दिवस समारोह पर एकत्र हुए हैं, तो आइए, हम यह संकल्प लें कि हम अपनी इस अनूठी विविधता को हमेशा संजोए रखेंगे और इसे एक मजबूत, समावेशी और प्रगतिशील राष्ट्र के निर्माण के लिए उपयोग में लाएंगे। यही हमारी शक्ति है, यही हमारी पहचान है, और यही हमारी गौरवपूर्ण विरासत है।
मैं एक बार फिर अरूणाचल प्रदेश और मिज़ोरम के सभी निवासियों को राज्य स्थापना दिवस की बधाई देता हूं और उनके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता हूं।
धन्यवाद,
जय हिंद!