SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF INAUGURATION OF ROSE FESTIVAL 2025 AT CHANDIGARH ON FEBRUARY 21, 2025.
- by Admin
- 2025-02-21 18:45
‘रोज़ फेस्टिवल’ के अवसर पर माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 21.02.2025, शुक्रवार समयः सुबह 11:00 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज चंडीगढ़ के इस 21 से 23 फरवरी तक आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय रोज़ फेस्टिवल के 53वें संस्करण के शुभारंभ पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे अपार हर्ष और गर्व की अनुभूति हो रही है। चंडीगढ़ नगर निगम द्वारा आयोजित यह उत्सव केवल फूलों का नहीं, बल्कि सौंदर्य, प्रकृति प्रेम और सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक है।
चंडीगढ़, जिसे ‘सिटी ब्यूटीफुल’ के नाम से जाना जाता है, हरित वातावरण, सुनियोजित स्थापत्य कला और स्वच्छता के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर आधुनिकता और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने का एक अनूठा उदाहरण है। इसी भावना को साकार करते हुए रोज़ फेस्टिवल एक ऐसा आयोजन है, जो पर्यावरण, कला, संस्कृति और आनंद को एक मंच पर लेकर आता है।
114 वर्ग किलोमीटर मैं फैले चंडीगढ़ शहर के इतिहास की बात करें तो इसकी आधारशिला 1952 में रखी गई थी। 1953 में इसे पंजाब की राजधानी बनाया गया। बाद में, 1966 में हरियाणा के गठन के बाद, इसे पंजाब और हरियाणा दोनों की संयुक्त राजधानी और एक केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया गया।
इस शहर की मास्टर प्लानिंग प्रसिद्ध स्विस-फ्रांसीसी वास्तुकार ली कॉर्बूज़ियर ने की थी। चंडीगढ़ को एक आधुनिक, सुनियोजित और हरित शहर के रूप में विकसित किया गया।
इसका डिज़ाईन इस प्रकार तैयार किया गया कि यह एक मानव शरीर के समान प्रतीत हो, जिसमें कैपिटल कॉम्प्लेक्स (सरकारी भवन) को सिर के रूप में, व्यावसायिक केंद्र (सेक्टर-17) को हृदय के रूप में, सड़कों और गलियों को रक्त संचार प्रणाली के रूप में तथा पार्क और हरित क्षेत्र को फेफड़ों के रूप में विकसित किया गया था।
देवियो और सज्जनो,
मुझे बताया गया है कि यह अनूठा रोज़ फेस्टिवल 1967 से आयोजित किया जा रहा है और इसे अपनी प्राचीनता और महिमा के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता भी प्राप्त है।
चंडीगढ़ का यह रोज़ गार्डन हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गार्डन 1967 में चंडीगढ़ के पहले मुख्य आयुक्त और शहर के लैंडस्केपिंग के दूसरे चरण को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ.एम.एस. रंधावा की दूरदर्शिता से बनाया गया था। रोज़ गार्डन का नाम ज़ाकिर हुसैन रोज़ गार्डन भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. ज़ाकिर हुसैन के सम्मान में रखा गया है।
40 एकड़ में फैला यह गार्डन न केवल देश के सबसे सुंदर और आकर्षक स्थलों में से एक है, बल्कि एशिया में सबसे बड़ा रोज़ गार्डन भी है। इसकी विशेषता इसकी अनोखी मूर्तिकला है, जो कपूर, हरड़, बहेड़ा, गुलमोहर और अन्य औषधीय पौधों जैसे पेड़ों से बनाई गई है।
रोज़ गार्डन को न केवल एशिया के सबसे बड़े गुलाब उद्यानों में से एक माना जाता है, बल्कि इसे दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और सुव्यवस्थित गुलाब उद्यानों में भी गिना जाता है।
यह गार्डन अपने हरे-भरे वातावरण और ताज़ी हवा से भरपूर माहौल के लिए जाना जाता है, जहाँ स्थानीय लोग सैर और शारीरिक व्यायाम करना पसंद करते हैं। यह गार्डन एक ऐसा स्थल है जहाँ प्रकृति की सुंदरता और शांति का अनूठा अनुभव किया जा सकता है।
देवियो और सज्जनो,
हमारा चंडीगढ़ पार्कों और बगीचों का एक सुंदर शहर है। यहां लगभग 1900 पार्क और उद्यान हैं।
प्रसिद्ध वास्तुकार ली कॉर्बूज़ियर ने इन पार्कों की योजना शहर के ‘‘फेफड़ों’’ (Lungs of the City) के रूप में इसलिए तैयार की थी, ताकि शहरी जीवन के बीच हरियाली, ताज़ी हवा और शांत वातावरण बना रहे। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि इन हरे-भरे क्षेत्रों के माध्यम से शहर में प्राकृतिक संतुलन बना रहे और नागरिकों को प्रदूषण मुक्त, स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक वातावरण मिल सके।
ली कॉर्बूज़ियर की दूरदर्शिता ने न केवल चंडीगढ़ को एक सुव्यवस्थित शहर बनाया, बल्कि इसमें प्रकृति और आधुनिकता का बेहतरीन समन्वय भी स्थापित किया, जिससे यह शहर आज भी अपने हरित परिदृश्य और संरचनात्मक उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है।
यहां कई खूबसूरत बगीचे हैं जैसे कि Japanese Park, Garden of Fragrance, Terrace Garden, Botanical Garden, Garden of Palms, Leisure valley, Butterfly park, Bird park आदि रोज़ गार्डन की भांति ही शहर की सुंदरता में वृद्धि के साथ-साथ चंडीगढ़ को अन्य शहरों से एक अलग अनूठी पहचान प्रदान करते हैं।
देवियो और सज्जनो,
चंडीगढ़ का रोज़ फेस्टिवल एक प्रतिष्ठित कैलेंडर इवेंट है, जो हर साल फरवरी में आयोजित किया जाता है, जब ज़ाकिर हुसैन रोज़ गार्डन में गुलाब पूरी तरह खिल जाते हैं। यह फेस्टिवल न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षक उत्सव है।
मुझे बताया गया है कि इस तीन दिवसीय उत्सव के दौरान, गुलाब के फूलों की विभिन्न किस्मों की सुंदर सजावट एवं फूलों की सजावट की प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी और उत्साहपूर्ण संगीत का प्रदर्शन किया जाएगा और कई रोमांचक प्रतियोगिताएँ करवाई जाएंगी।
प्रतियोगिताओं की बात करें तो इनमें लोक नृत्य प्रतियोगिता, रोज़ प्रिंस और रोज़ प्रिंसेस प्रतियोगिता, फोटोग्राफी प्रतियोगिता, पेंटिंग प्रतियोगिता, वरिष्ठ नागरिकों के लिए रोज़ किंग और रोज़ क्वीन प्रतियोगिता, रोज़ क्विज़ प्रतियोगिता, मिस्टर रोज़ और मिस रोज़ प्रतियोगिता और अंताक्षरी प्रतियोगिता शामिल हैं।
साथ ही अगर मनोरंजक कार्यक्रमों की बात करें तो इनमें ब्रास और पाइप बैंड शो, पंजाबी भांगड़ा और पंजाबी संगीत संध्या, पतंगबाजी शो, गतका प्रदर्शनी, सूफी गायन, बंगाली कलाकारों द्वारा प्रस्तुति, गीत और गज़ल सहित कवि सम्मेलन शामिल हैं।
देवियो और सज्जनो,
यह भी बड़े ही हर्ष का विषय है कि हमारे इस प्रसिद्ध रोज़ गार्डन में 800 से अधिक गुलाब की किस्में हैं, जिनमें हाइब्रिड टी, फ्लोरिबंडा, पॉलीएन्थस, मिनिएचर, क्लाइंबर शामिल हैं। इन किस्मों में देशी और विदेशी दोनों तरह की किस्में शामिल हैं, जो इस गार्डन को विश्व प्रसिद्ध बनाती हैं।
मुझे यह भी बताया गया है कि ज़ाकिर हुसैन रोज़ गार्डन को कई वर्गों में विभाजित किया गया है। यहां गुलाबों की कुछ ऐसी किस्में हैं जिनके बड़े ही मजेदार नाम रखे गए हैं, जैसे कि केवल आप, एफिल टॉवर आदि।
इसके अलावा, रोज़ गार्डन में गुलाबों के कुछ क्षेत्रों का देशों और राज्यों के नाम पर नामकरण किया गया है, जैसे कि ओक्लाहोमा, अमेरिकन हेरिटेज आदि, और फलों के नाम पर भी गुलाबों के कुछ क्षेत्र हैं, जैसे कि खुबानी रेशम, चेरी चमक आदि।
इसके अलावा, यहां दुनिया की मशहूर हस्तियों के नाम पर रोज़ सेक्शन भी शामिल हैं, जैसे कि क्वीन एलिज़ाबेथ, डॉ. वी. गिरी, जॉन. एफ. कैनेडी आदि।
यह गार्डन न केवल गुलाब की विविधता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपनी सुंदरता और शांति के लिए भी जाना जाता है। परिवार और दोस्तों के साथ सुकून भरे पलों का आनंद लेने या पिकनिक मनाने के लिए रंग-बिरंगे गुलाबों और हरे-भरे बगीचों से बेहतर जगह और क्या हो सकती है।
हालांकि, अगर कोई पिकनिक मनाने के लिए पार्क के अंदर खाने-पीने की चीजें लाता है, तो उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह गंदगी न फैलाए। हमारा उद्देश्य इस पार्क को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखना है।
देवियो और सज्जनो,
फूल केवल प्रकृति की एक सुंदर रचना नहीं हैं, बल्कि वे जीवन के हर पहलू को सकारात्मकता से भर देते हैं। फूल न केवल हमारी आँखों को सुकून प्रदान करते हैं, बल्कि हमारे हृदय को भी आनंद की अनुभूति करवाते हैं।
फूल हमारी भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे सुंदर माध्यम हैं। प्रेम, खुशी, संवेदना या सम्मान - हर भावना को व्यक्त करने के लिए एक उपयुक्त फूल होता है। गुलाब प्रेम का प्रतीक है, कमल आध्यात्मिकता का, गेंदा शुभता और समृद्धि का संदेश देता है।
फूलों को देखकर न केवल हमारी आँखों को ताज़गी मिलती है, बल्कि हमारा मन भी शांत होता है। यही कारण है कि चिकित्सा क्षेत्र में फ्लोरल थेरेपी (Floral Therapy) का उपयोग किया जाता है।
अस्पतालों, ध्यान केंद्रों और घरों में फूलों की सजावट इसलिए की जाती है ताकि सकारात्मक माहौल बना रहे। शोध बताते हैं कि फूलों की उपस्थिति तनाव को कम करने, खुशी बढ़ाने और मानसिक शांति देने में सहायक होती है।
इसके अलावा फूलों का उपयोग पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठानों और आध्यात्मिक गतिविधियों में भी किया जाता है। वे न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि आंतरिक शांति और ध्यान केंद्रित करने में भी सहायक होते हैं।
भारत में तुलसी, कमल और बेलपत्र जैसे फूलों का विशेष महत्व है, जो हमारी संस्कृति और परंपरा से गहराई से जुड़े हुए हैं।
मैं समझता हूं कि फूल केवल सुंदरता का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे परागण (Pollination) की प्रक्रिया में मदद करते हैं और मधुमक्खियों, तितलियों तथा अन्य कीट-पतंगों को आहार उपलब्ध कराते हैं।
फूलों का उपहार देना सद्भावना, प्रेम और मित्रता का प्रतीक है। वे रिश्तों को मजबूत बनाते हैं और दिलों को जोड़ते हैं। किसी के घर जाने पर फूलों का गुलदस्ता देना एक सदियों पुरानी परंपरा है, जो स्नेह और सम्मान का प्रतीक मानी जाती है।
देवियो और सज्जनो,
यह उत्सव न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अनुभव है, बल्कि यह समाज में हरियाली, पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक सशक्त माध्यम बन रहा है।
यह अत्यंत हर्ष की बात है कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी रोज़ फेस्टिवल को लेकर लोगों में अपार उत्साह और गहरी रुचि देखने को मिल रही है। हर आयु वर्ग के लोग, चाहे वे बच्चे हों, युवा हों या वरिष्ठ नागरिक, सभी इस आयोजन का भरपूर आनंद ले रहे हैं।
इस रोज़ फेस्टिवल में बड़ी संख्या में पुष्प प्रेमी, पर्यावरण प्रेमी और कला-संस्कृति से जुड़े लोग शामिल होते हैं। हर साल, देश भर से हजारों पर्यटक और बागवानी के शौकीन इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए यहां आते हैं।
इस प्रकार के पुष्प उत्सव न केवल फूलों की सुंदरता का आनंद देते हैं, बल्कि वे हमें प्रकृति के महत्व का एहसास भी कराते हैं। फूलों और पौधों की विविधता देखकर हमें यह समझ आता है कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है।
ये उत्सव हमें प्रेरित करते हैं कि हम पर्यावरण का संरक्षण करें ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस धरती की समृद्धि और हरी-भरी सुंदरता का अनुभव कर सकें। यह हमें यह भी सिखाता है कि छोटे-छोटे कदम, जैसे जल संरक्षण और प्रदूषण कम करना, प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण हैं।
महात्मा गांधी जी का यह कथन कि ‘‘प्रकृति में हर इंसान की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर इंसान की लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है’’, प्राकृतिक संसाधनों और मानव लालच के बीच संतुलन बनाए रखने की गहरी समझ को दर्शाता है।
गांधी जी ने इस विचार के माध्यम से यह संदेश दिया कि प्रकृति ने हमें जीवन के लिए सभी आवश्यक संसाधन प्रदान किए हैं, लेकिन जब हम अपनी जरूरतों से अधिक संसाधनों का दोहन करने लगते हैं, तो यह लालच प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ देता है। अत्यधिक उपभोग और अनियंत्रित विकास के कारण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता की हानि जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
आज के उपभोक्तावादी दौर में गांधी जी का यह विचार और भी प्रासंगिक हो जाता है। हमें अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखते हुए प्राकृतिक संसाधनों का सतत और संतुलित उपयोग करना होगा। पृथ्वी हमें शुद्ध हवा, जल, सूर्य का प्रकाश और हरियाली के रूप में अनमोल उपहार प्रदान करती है, जिनका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है।
यदि हम इन संसाधनों की देखभाल नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसलिए, जल संरक्षण, वायु प्रदूषण नियंत्रण, वृक्षारोपण और सतत विकास की दिशा में सार्थक प्रयास करना अनिवार्य है ताकि प्रकृति की यह अनमोल धरोहर सुरक्षित रह सके।
मैं आज इस अवसर पर आपसे आह्वान करता हूं कि आप अपनी आवश्यकता से अधिक संसाधनों का उपयोग करने से बचें, अपनी खपत को संतुलित करें और पुनः उपयोग एवं पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) को अपनाने की आदत डालें।
साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर, पवन और जल ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लें, ताकि हम प्रकृति के अनमोल संसाधनों का संरक्षण कर एक सतत और हरित भविष्य की दिशा में योगदान दे सकें।
इसके अलावा, आज के इस अवसर पर मैं आप सभी से यह कहना चाहूंगा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि चंडीगढ़ देश के सबसे सुव्यवस्थित और उन्नत शहरों में से एक है, लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण में इसका प्रदर्शन अब तक अपेक्षानुसार नहीं रहा है। हमारे शहर की आबादी जागरूक और शिक्षित होने के बावजूद यदि हम स्वच्छता के मापदंडों पर पीछे रह जाते हैं, तो यह हम सभी के लिए चिंतन और सुधार का विषय है।
यदि हम निश्चित संकल्प और सामूहिक प्रयास करेंगे, तो चंडीगढ़ स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रथम स्थान प्राप्त करेगा। आइए, ‘‘स्वच्छ चंडीगढ़, सुंदर चंडीगढ़’’ का संकल्प लें और इसे हकीकत में बदलें।
अंत में, मैं चंडीगढ़ प्रशासन, बागवानी विभाग और उन सभी आयोजकों को बधाई देना चाहता हूँ, जिन्होंने इस भव्य उत्सव को सफल बनाने में अथक प्रयास किए हैं। यह महोत्सव हमें यह संदेश देता है कि प्रकृति प्रेम, सौंदर्य और सकारात्मकता से भरपूर जीवन ही सच्चे आनंद की कुंजी है।
आइए, हम सभी संकल्प लें कि इस उत्सव की भावना को अपने जीवन में अपनाएँगे-प्रकृति से प्रेम करेंगे, अपने पर्यावरण को संरक्षित करेंगे और समाज में प्रेम, सौहार्द और एकता का संदेश फैलाएँगे।
आप सभी को रोज़ फेस्टिवल की हार्दिक शुभकामनाएँ!
धन्यवाद,
जय हिंद!