SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF STATE LEVEL FUNCTION TO FELICITATE THE WINNERS OF THE INTER-COLLEGE COMPETITITIONS OF VADA CLUB UNDER NASHA MUKT BHARAT ABHIYAAN AT CHANDIGARH
- by Admin
- 2025-02-21 18:50
‘नशा मुक्त भारत अभियान’ के अन्तर्गत राज्य स्तरीय कार्यक्रम पर माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 21.02.2025, शुक्रवार समयः दोपहर 12:30 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
मुझे आज नशा मुक्त भारत अभियान के तहत आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित हो रहा हूं। यह अभियान हमारे समाज को एक स्वस्थ, जागरूक और समर्थ राष्ट्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
भारत सरकार ने 15 अगस्त 2020 में ‘‘नशा मुक्त भारत अभियान’’ की शुरुआत की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य नशे की लत को रोकना, लोगों को इसके दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना और समाज को इस बुरी आदत से मुक्त करना है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा चलाया गया यह अभियान देश के 272 सबसे अधिक प्रभावित जिलों में लागू किया गया था।
नशा मुक्त भारत अभियान केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक ठोस रणनीतिक पहल है, जो नशे की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है। यह अभियान तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है - आपूर्ति पर रोकथाम, जागरूकता और पुनर्वास।
नशे की समस्या से निपटने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम नशीले पदार्थों की आपूर्ति पर कठोर नियंत्रण है। इसके लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और अन्य सुरक्षा एजेंसियां नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं।
किसी भी समस्या का समाधान तभी संभव है जब लोग उसके प्रति जागरूक होकर एक अभियान की तरह उस समस्या के हल के लिए संगठित रूप से प्रयास करें। नशा मुक्त भारत अभियान के तहत स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में बताया जा सके।
इसके अलावा, नशे की गिरफ्त में आए लोगों के लिए उपचार और पुनर्वास बहुत महत्वपूर्ण है। इस अभियान के तहत राज्यों और केन्द्र सरकार मिलकर कार्य कर रहे हैं जिसके तहत स्वास्थ्य मंत्रालय विभिन्न स्तरों पर चिकित्सा सुविधाएं और पुनर्वास सेवाएं प्रदान कर रहा है।
देवियो और सज्जनो,
भारत सरकार की ओर से नशे के उन्मूलन के लिए सार्थक और प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार का उद्देश्य केवल नशे पर अंकुश लगाना ही नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करके एक स्वस्थ और समर्थ राष्ट्र का निर्माण करना भी है। इसी दिशा में सरकार द्वारा VADA (Victory Against Drug Abuse)क्लबों की स्थापना की गई है, जो युवाओं को नशे से बचाने और उन्हें सही दिशा में प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
इन क्लबों के माध्यम से स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में कार्यशालाएं, सेमिनार, रैलियां, पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिताएं, नुक्कड़ नाटक आदि शामिल हैं, जो युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने में मदद कर रहे हैं।
इसके अलावा, स्वास्थ्य विशेषज्ञों, परामर्शदाताओं और पूर्व नशा पीड़ितों को भी इन अभियानों में जोड़ा गया है, ताकि वे अपनी कहानियों और अनुभवों के माध्यम से युवाओं को नशे से दूर रहने की प्रेरणा दे सकें।
सरकार की यह पहल न केवल युवाओं को नशे से दूर रखने में मदद कर रही है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का भी एक बड़ा जरिया बन रही है।
प्यारे बच्चो,
आज मुझे नशों की समस्या से जुड़े इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आप सभी से विशेष रूप से बात करने का अवसर प्राप्त हुआ है। नशा आज एक समाज या समुदाय की समस्या नहीं है या किसी एक राज्य की समस्या नहीं है बल्कि यह हमारे पूरे देश की समस्या बनती जा रही है। मुझे इस बात को कहने में भी कोई संकोच नहीं है कि पंजाब और उत्तर क्षेत्रीय राज्यों में यह समस्या ज्यादा जटिल बन चुकी है।
आप सभी भली-भांति जानते हैं कि नशे की बढ़ती प्रवृत्ति ने न केवल हमारे समाज, बल्कि हमारे देश, हमारे राज्यों और हमारे शहरों की जड़ों को भी कमजोर कर दिया है। यह समस्या केवल व्यक्तिगत स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे परिवारों, समाज और राष्ट्र की प्रगति में भी बाधा उत्पन्न कर रही है।
आज के युवा भटकाव की स्थिति में हैं और तेजी से नशे की लत का शिकार होते जा रहे हैं। नशे की इस प्रवृत्ति के कारण न केवल युवा अपनी ऊर्जा और भविष्य को खो रहे हैं, बल्कि समाज में भी अस्थिरता और निराशा बढ़ रही है।
वर्तमान समय में युवा कई तरह की प्रतिस्पर्धाओं और मानसिक दबावों का सामना कर रहे हैं। पढ़ाई, करियर, पारिवारिक अपेक्षाएँ और सामाजिक मान्यताएँ उनके जीवन पर भारी दबाव डालती हैं।
इस तनाव से राहत पाने के लिए वे अक्सर नशे का सहारा लेने लगते हैं। यदि समय रहते इस गंभीर समस्या पर काबू नहीं पाया गया, तो इसकी चपेट में आने वाली पीढ़ियां भी सुरक्षित नहीं रह पाएंगी।
मित्रो,
जैसे कि हमारे पूर्वजों ने कहा है कि उपचार से बेहतर बचाव है। यहां मैं पुराने समय की पारिवारिक व्यवस्था की बात करना चाहूंगा जहां हमारे समाज में संयुक्त परिवार की परंपरा थी, जहाँ दादा-दादी, चाचा-चाची, माता-पिता और अन्य परिजन एक साथ रहते थे।
हमारी पारिवारिक व्यवस्था में बच्चे एक-दूसरे से मिलकर रहते थे जिसके चलते वे बुरी आदतों से दूर रहते थे और अनुशासन, नैतिक मूल्यों और पारिवारिक संस्कारों को आत्मसात कर पाते थे।
आज की आधुनिक जीवनशैली में हमारे परिवार तेजी से एकल परिवार (न्यूक्लियर फैमिली) का रूप लेते जा रहे हैं जहां पर माता-पिता के पास इस भागदौड़ की जिंदगी में बच्चों के साथ समय बिताने तक का समय नहीं है।
और तेजी से बढ़ते शहरीकरण, व्यस्त जीवनशैली और करियर प्राथमिकताओं के चलते बच्चे किसी न किसी तनाव और अकेलेपन में रहते हैं जिसके कारण वे इस तनाव को दूर करने के लिए नशों का सहारा लेने की ओर आकर्षित हो जाते हैं।
बच्चों की दिनचर्या का बड़ा हिस्सा अब मोबाइल फोन, इंटरनेट, सोशल मीडिया, और बाहरी प्रभावों से प्रभावित होने लगा है। अगर उन्हें सही दिशा नहीं दी जाए, तो वे नशे, गलत संगत, या अन्य बुरी आदतों के जल्द शिकार हो सकते हैं।
यहां पर मैं बच्चों और उनके माता-पिता से अपील करूंगा कि वे ज्यादा से एक-दूसरे के साथ समय बिताएं, संवाद करें और बच्चे कोई भी बात अपने माता-पिता या शिक्षकों से न छुपाएं। जब बच्चे अपने माता-पिता या शिक्षक के साथ अपनी समस्याओं को साझा करेंगे तो हर कठिन समस्या का समाधान निकला जा सकता है।
प्यारे बच्चो, आपको नहीं पता कि आज जो नशा आप तक पहुंचाया जा रहा है वह कितना जानलेवा है। वह मुख्य रूप से रासायनिक (सिंथेटिक) ड्रग्स के रूप में उपलब्ध है, जो न केवल अत्यधिक घातक है, बल्कि इसकी लत से बाहर निकलना भी अत्यंत कठिन है।
हमारा पड़ोसी दुश्मन देश जो हमसे सीधी लड़ाई लड़ने की क्षमता नहीं रखता, वह हमारे साथ ड्रग वॉर लड़ रहा है जिससे वह हमारी युवा पीढ़ी की शक्ति को कमज़ोर करना चाहता है। ड्रग्स की यह अवैध तस्करी भारत की युवा पीढ़ी और सामाजिक ताने-बाने को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा रही है।
आप बच्चों को भी दुश्मन देश की इस चाल को समझना होगा और ऐसी असामाजिक गतिविधियों से दूर रहना होगा क्योंकि एक छोटी सी गल्ती आपका भविष्य तक बर्बाद कर सकती है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पंजाब और चंडीगढ़, अपनी युवा आबादी और विकासशील माहौल के लिए जाने जाते हैं, हमें यह पहचान बरकरार रखनी होगी और विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए आगे आना होगा।
देवियो और सज्जनो,
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि महिलाएं परिवार की फर्स्ट लाईन ऑफ डिफेंस होती हैं। महिलाएँ, विशेष रूप से माताएँ, बच्चों की पहली शिक्षक होती हैं। वे अपने बच्चों को सही और गलत के बीच अंतर सिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अगर एक माँ अपने बच्चे को प्रारंभिक अवस्था में ही नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करती है, तो बच्चे के भटकने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
महिलाओं में वह शक्ति और धैर्य है, जिससे वे समाज की बुरी आदतों को बदल सकती हैं। अगर महिलाएँ संगठित होकर नशे के विरुद्ध एक सशक्त आंदोलन चलाएँ, तो निश्चित ही हम एक नशा मुक्त भारत का सपना साकार कर सकते हैं। हमें यह समझना होगा कि एक शिक्षित और जागरूक महिला, एक स्वस्थ और उज्ज्वल भविष्य की गारंटी है।
इसके अलावा मैं मानता हूं कि शिक्षा हमेशा से व्यक्तिगत विकास और सामाजिक प्रगति की नींव रही है। हमारे विश्वविद्यालय और कॉलेज केवल अकादमिक उत्कृष्टता के केंद्र नहीं हैं; वे ऐसे स्थान हैं जहाँ युवा दिमागों को आकार दिया जाता है, प्रतिभाओं का पोषण किया जाता है और भविष्य के नेताओं और मार्गदर्शकों को तैयार किया जाता है। शिक्षक न केवल ज्ञान के प्रदान करते हैं, बल्कि वे बच्चों के चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों और अनुशासन को विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
माता-पिता के बाद शिक्षक ही वे मार्गदर्शक होते हैं, जिनके साथ बच्चे सबसे अधिक समय व्यतीत करते हैं।
यदि शिक्षकों को सेकेंड लाईन ऑफ डिफेंस कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस कारण, शिक्षकों की जिम्मेदारी केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उन्हें चाहिए कि वे बच्चों को एक बेहतर इंसान बनाने और सही राह दिखाने का भी कार्य करें।
यहां पर मैं बच्चों से भी अपील करूंगा कि आप पढ़ाई के साथ-साथ अपना खाली समय रचनात्मक गतिविधियों जैसे कि खेलों, संगीत, पेंटिंग सहित अन्य कार्यों में लगाएं। इससे न सिर्फ आपका तनाव दूर होगा बल्कि आपकी ऊर्जा और बढ़ेगी जो आपकी शिक्षा में मददगार साबित होगी।
मित्रो,
नशों के खिलाफ जंग में सरकार और प्रशासन अपना काम कर रहे हैं। हम और अधिक मुस्तैदी से नशों के प्रति जागरूकता लाने और युवाओं को इससे बचाने का प्रण ले चुके हैं और इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
नशामुक्त भारत अभियान में हम अपना योगदान नशामुक्त चंडीगढ़ बनाकर देंगे, परन्तु कोई भी अभियान युवाओं के जोश और जुनून के बिना सफल नहीं हो सकता। इसलिए इस अभियान में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका आपकी है। इसके लिए सबसे पहले तो आप स्वयं को इस नशा रूपी ज़हर से दूर रखें, फिर अपने आस-पास, अपने मित्र, सम्बन्धी, पड़ोसी - सबके प्रति सचेत रहें।
यदि कोई नशे के गर्त की ओर जाता दिखे तो अपना कर्तव्य निभाएं और उन्हें जागरूक करें। कोई नशे का आदी हो तो उसे नशामुक्ति केन्द्र के बारे में बताएं। यदि सतर्क और सचेत रहें तो इससे बचाव कोई असम्भव बात नहीं है।
आप युवाओं के पास ऊर्जा है, समय है, बुद्धि है - उसका सही इस्तेमाल करें। स्वयं को सकारात्मक दिशा में व्यस्त रखें। खेलों में भागीदारी बढ़ाएं, अपनी रूचियों-अभिरूचियों को विकसित करें, उनमें पारंगत हों। मित्र बनाएं - सोशल नेटवर्क वाले आभासी मित्र नहीं - सच्चे और अच्छे मित्रों का चयन करें।
अपने परिवार के साथ बैठें, समय बिताएं, कोई परेशानी आए तो उनसे साझा करें। और यह जो टेक्नोलॉजी आपको 24 घंटे उपलब्ध है, बहुत ज़रूरी है कि आप इसका सही इस्तेमाल करें। आप अपने लिए सही रास्ते स्वयं तलाश कर सकते हैं, स्वयं बना सकते हैं।
हमारे प्रयासों को भूमि तब तक नहीं मिलेगी जब तक आपके अपने भीतर से आवाज़ नहीं आएगी कि, नहीं यह दिशा ना तो हमारे लिए सही है ना ही हमारे किसी अपने के लिए।
प्रिय बच्चो,
आप सब हमारी भुजाएं हैं, हमारे मज़बूत कंधे हैं, हमारी शक्ति हैं। हमें आप सबकी ज़रूरत है, इस नशामुक्ति अभियान में। आइए हमारे साथ मिलकर काम करें ताकि हम नशामुक्त भारत के निर्माण के इस प्रण और महत् प्रयास को सफल बना सकें।
अंत में, मैं सभी नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं से अपील करता हूँ कि वे नशा मुक्त समाज के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएँ। यह लड़ाई आसान नहीं होगी, लेकिन जब हमारा संकल्प मजबूत होगा, तब हमारी जीत निश्चित होगी।
इसी कामना के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं।
नशे को कहें ना, जीवन को कहें हाँ!
धन्यवाद,
जय हिंद!