SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF WORLD TB DAY CELEBRATION AT PUNJAB RAJ BHAVAN ON MARCH 20, 2025.

‘विश्व क्षय रोग दिवस’ के अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर

माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 20.03.2025, गुरूवारसमयः शाम  04:30 बजेस्थानः पंजाब राजभवन

     

नमस्कार!

आज, विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस के अन्तर्गत आयोजित इस महत्वपूर्ण अवसर पर, मैं आप सभी के बीच उपस्थित होकर अत्यंत गौरवान्वित और हर्षित महसूस कर रहा हूँ। 

आज आप सभी के बीच उपस्थित होकर, चंडीगढ़ के स्वास्थ्य विभाग द्वारा 7 दिसंबर 2024 से 23 मार्च 2025 तक चलाए गए ‘‘100-दिवसीय टीबी अभियान’’ की सफलता पर विचार करना मेरे लिए न केवल एक सम्मान की बात है, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी भी है। 

यह अभियान केवल एक निर्धारित अवधि की पहल नहीं थी, बल्कि यह एक संकल्प था, एक सामूहिक प्रयास, जिसका उद्देश्य क्षय रोग (टीबी) के प्रति जागरूकता बढ़ाना, इसकी शीघ्र पहचान करना और प्रभावी उपचार को जन-जन तक पहुँचाना था।

बीते 100 दिनों में चंडीगढ़ के स्वास्थ्य विभाग ने न केवल चिकित्सा सुविधाओं को और अधिक सुलभ बनाया, बल्कि समाज के हर तबके तक यह संदेश पहुँचाया कि टीबी एक इलाज योग्य बीमारी है और इसके प्रति किसी भी प्रकार की भ्रांतियों को दूर करना अत्यंत आवश्यक है। 

डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, आशा कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि अधिक से अधिक मरीजों की पहचान हो, उन्हें उचित उपचार मिले और वे समय रहते स्वस्थ हो सकें।

देवियो और सज्जनो,

जब स्वास्थ्य विभाग ने इस अभियान की शुरुआत की, तो इसके लक्ष्य स्पष्ट और महत्वाकांक्षी थे-टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाना, परीक्षण और निदान में सुधार करना, उपचार तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना और टीबी से जुड़े कलंक को कम करना। आज, हम गर्व से कह सकते हैं कि इन सभी क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग ने उल्लेखनीय प्रगति की है।

मुझे बताया गया है कि स्वास्थ्य विभाग ने जनसंपर्क कार्यक्रमों, मीडिया अभियानों और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से हजारों लोगों तक टीबी की महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाई। इस अभियान में स्कूल, कॉलेज, मीडिया हाउस, एनजीओ, एनएसएस स्वयंसेवक और धार्मिक नेता भी हमारे साथ आए, जिससे टीबी को लेकर समाज में खुली चर्चा को बढ़ावा मिला।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा उच्च जोखिम वाले समूहों में टीबी परीक्षण की पहुंच को काफी बढ़ाया गया है। स्वास्थ्य केंद्रों में परीक्षण की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अभियान के दौरान लगभग 20 हजार एक्स-रे और 10 हजार NAAT (Nucleic Acid Amplification Test) परीक्षण किए गए, जिससे सटीक और त्वरित निदान संभव हुआ। शुरुआती पहचान से न केवल रोगियों का शीघ्र इलाज संभव हो रहा है, बल्कि संक्रमण के फैलाव को भी रोका जा रहा है।

इसके अलावा विभाग द्वारा यह भी सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किया है कि टीबी से पीड़ित हर व्यक्ति को सही समय पर उपचार और आवश्यक सहयोग मिले। इस अभियान के दौरान 1,700 नए मामलों की पहचान हुई और उन्हें तुरंत उपचार उपलब्ध कराया गया। 

हालाँकि, टीबी से जुड़ा सामाजिक कलंक अब भी कुछ क्षेत्रों में चुनौती बना हुआ है, लेकिन स्थानीय नेताओं और समुदायों को शामिल कर स्वास्थ्य विभाग ने इसे कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। अब अधिक लोग बिना किसी डर के मदद के लिए आगे आ रहे हैं, जो टीबी के प्रति समाज में जागरूकता और स्वीकृति का एक सकारात्मक संकेत है।

देवियो और सज्जनो,

भले ही हमने इस अभियान के माध्यम से टीबी उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन हमें यह स्वीकार करना होगा कि अभी भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं। चंडीगढ़ में अब भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ स्क्रीनिंग और रेफरल गतिविधियाँ पूरी तरह से नहीं पहुंच पाई हैं। इसलिए, इस अभियान की समाप्ति के बाद भी टीबी के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहनी चाहिए। 

इसके लिए हमें विभिन्न कदम उठाने होंगे। हमें शहर के प्रत्येक कमजोर वर्ग तक पहुँचने के प्रयासों को दोगुना करना होगा। स्थानीय नेताओं, स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों के साथ मिलकर हम जागरूकता और इलाज तक पहुँच की खाई को पाट सकते हैं।

हमारे लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि जिन लोगों का इलाज चल रहा है, उनके लिए मानसिक और सामाजिक सहयोग जारी रहे। उपचार का पालन सुनिश्चित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति इलाज से वंचित न रहे।

यह अभियान भले ही 100 दिनों का रहा हो, लेकिन टीबी की रोकथाम और देखभाल एक दीर्घकालिक प्रयास है। हमें अब तक की गई प्रगति को बनाए रखना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंडे में टीबी की प्राथमिकता बनी रहे।

हमारा लक्ष्य टीबी मुक्त चंडीगढ़ बनाना है, और इसके लिए हमें लगातार प्रयास करते रहना होगा।

देवियो और सज्जनो,

टीबी आज भी भारत की सबसे गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है, और जो लाखों व्यक्तियों और परिवारों को प्रभावित करती है। 

हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ‘‘राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम’’ के माध्यम से 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के लक्ष्य पर कार्य कर रही है। इस दिशा में केवल सरकार का प्रयास ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि नागरिकों, सामाजिक संगठनों, उद्योगों, और चिकित्सा विशेषज्ञों की सहभागिता भी अत्यंत आवश्यक है।

टीबी एक ऐसा रोग है जिसे समय पर पहचानकर उचित इलाज से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसके लिए हमें स्वास्थ्य सेवा की सुलभता, सामाजिक जागरूकता, और पोषण स्तर में सुधार की दिशा में सामूहिक प्रयास करने होंगे। 

मैं इस मंच से सभी नागरिकों विशेष रूप से युवाओं से आह्वान करता हूँ कि वे टीबी उन्मूलन के इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें। नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित पोषण, दवाइयों का पूरा कोर्स, और सामाजिक समर्थन - इन चार प्रमुख स्तंभों पर ध्यान देकर हम टीबी को जड़ से समाप्त कर सकते हैं।

टीबी रोगियों को भोजन की टोकरी का योगदान सिर्फ़ जीविका प्रदान करने के बारे में नहीं है, यह एकजुटता, आशा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए साझा प्रतिबद्धता के बारे में है।

यह पहल स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के वास्तविक अर्थ को परिभाषित करती है। यह केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के जरूरतमंद वर्गों के उत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह दर्शाता है कि समाज और सरकार जब एकजुट होकर कार्य करते हैं, तो वे समाज में ठोस और सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह पहल सुनिश्चित करती है कि टीबी के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई में कोई भी पीछे न छूटे, हर व्यक्ति को आवश्यक उपचार, जागरूकता और समर्थन प्राप्त हो।

 

देवियो और सज्जनो,

बीते 10 वर्षों में माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत ने टीबी के खिलाफ लड़ाई में अनेक मोर्चों पर एक-साथ काम किया है। जैसे, जनभागीदारी, पोषण के लिए विशेष अभियान, इलाज के लिए नई रणनीति, तकनीक का भरपूर इस्तेमाल, और अच्छी हेल्थ को बढ़ावा देने वाले फिट इंडिया, खेलो इंडिया, योग जैसे अभियान।

टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत ने जो बहुत बड़ा काम किया है, वो है, जनभागीदारी। भारत ने ‘टीबी मुक्त भारत’ के अभियान से जुड़ने के लिए देश के लोगों से ‘नि-क्षयमित्र’ बनने का आह्वान किया था। भारत में टीबी के लिए स्थानीय भाषा में क्षय शब्द प्रचलित है। 

इस अभियान के बाद, करीब-करीब 10 लाख टीबी मरीजों को, देश के सामान्य नागरिकों ने गोद लिया। आपको जानकर हैरानी होगी, हमारे देश में 10-12 साल के बच्चे भी ‘नि-क्षयमित्र’ बनकर टीबी के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं। टीबी के खिलाफ दुनिया में इतना बड़ी सामुदायिक अभियान चलना, अपने आप में बहुत प्रेरक है। 

टीबी के मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए, उनके ट्रीटमेंट के लिए, उनको आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा है। टीबी की मुफ्त जांच के लिए, देश भर में लैब्स की संख्या बढ़ाई गई है। ऐसे स्थान जहां टीबी के मरीज ज्यादा हैं, वहां पर विशेष फोकस के रूप में कार्ययोजना बनाई जाती है। 

टीबी मुक्त होने के लिए भारत टेक्नोल़ॉजी का भी ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है। हर टीबी मरीज के लिए जरूरी केयर को ट्रैक करने के लिए नि-क्षयपोर्टल बनाया गया है। 

स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR ने मिलकर sub-national disease surveillance के लिए एक नया method भी डिज़ाइन किया है। ग्लोबल लेवल पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलावा, भारत इस तरह का मॉडल बनाने वाला इकलौता देश है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से आज भारत में टीबी के मरीजों की संख्या कम हो रही है। 

आज देश Trace, Test, Track, Treat and Technology पर काम कर रहा है। ये स्ट्रेटजी टीबी के खिलाफ हमारी लड़ाई में भी काफी मदद कर रही है। भारत की इस लोकल अप्रोच में, बड़ी वैश्विक संभावना मौजूद है, जिसका हमें साथ मिलकर इस्तेमाल करना है। आज टीबी के इलाज के लिए 80 प्रतिशत दवाएं भारत में बनती हैं। 

भारत की फ़ार्मा कंपनियों का ये सामर्थ्य, टीबी के खिलाफ वैश्विक अभियान की बहुत बड़ी ताकत है। मैं चाहूँगा भारत के ऐसे सभी अभियानों का, सभी नवाचारों का, आधुनिक टेक्नॉलजी का, इन सारे प्रयासों का लाभ ज्यादा से ज्यादा देशों को मिले, क्योंकि हम वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे विश्वास है, हमारा ये संकल्प जरूर सिद्ध होगा - ‘टीबी हारेगा, भारत जीतेगा’ और मैं मानता हूं कि ‘टीबी हारेगा, दुनिया जीतेगी’।

यदि हम भारत को टीबी मुक्त बना लेते हैं, तो 2047 तक एक स्वस्थ, सक्षम और आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो सकता है। एक ऐसा भारत, जहाँ हर नागरिक स्वस्थ हो, अपनी पूरी क्षमता से योगदान दे सके और देश को विकास के नए शिखर तक पहुँचाए।

मित्रो,

इस अवसर पर मैं आप सभी के साथ एक किस्सा साझा करना चाहता हूं। आप सब जानते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने, कुष्ठ रोग को समाप्त करने के लिए बहुत काम किया था। और जब वो साबरमती आश्रम में रहते थे, एक बार उन्हें अहमदाबाद के एक कुष्ठ रोग हॉस्पिटल का उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया। 

गांधी जी ने तब लोगों से कहा कि मैं उद्घाटन के लिए नहीं आऊंगा। उन्होंने कहा कि मुझे तो खुशी तब होगी जब आप उस कुष्ठ रोग हॉस्पिटल पर ताला लगाने के लिए मुझे बुलाएंगे, तब मुझे आनंद होगा। यानि वो कुष्ठ रोग को समाप्त करके उस अस्पताल को ही बंद करना चाहते थे। गांधी जी के निधन के बाद भी वो अस्पताल दशकों तक ऐसे ही चलता रहा। 

मैं बताना चाहूंगा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने कुष्ठ रोग का उन्मूलन करके इस अस्पताल को बंद करने का संकल्प लिया। उनके प्रयासों स्वरूप गुजरात में कुष्ठ रोग का रेट, 23 परसेंट से घटकर 1 परसेंट से भी कम हो गया।

साल 2007 में मोदी जी के मुख्यमंत्री रहते हुए वो कुष्ठ रोग हॉस्पिटल को ताला लगा, हॉस्पिटल बंद हुआ और गांधी जी का सपना पूरा हुआ। इसमें बहुत से सामाजिक संगठनों ने, जनभागीदारी ने बड़ी भूमिका निभाई। और इसलिए ही मैं टीबी के खिलाफ भारत की सफलता को लेकर बहुत आश्वस्त हूं।

देवियो और सज्जनो,

मैं चंडीगढ़ के स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब तक किए गए कार्यों पर अत्यंत गर्व महसूस करता हूँ, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इन 100 दिनों में हुई प्रगति यह साबित करती है कि सहयोग, संकल्प और जनस्वास्थ्य को बेहतर बनाने की साझा प्रतिबद्धता कितनी प्रभावी हो सकती है।

मैं इस अभियान से जुड़े सभी स्वास्थ्य कर्मियों, सामुदायिक नेताओं, स्वयंसेवकों और सभी समर्थकों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। आपके समर्पण और अथक प्रयासों के बिना यह संभव नहीं था। 

मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि हम अपने साझा लक्ष्य पर केंद्रित रहें। हमें समाज से टीबी के बोझ को कम करना है और अंततः इसे पूरी तरह समाप्त करना है।

हमने अब तक महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन यह यात्रा अभी जारी है। हमें अपनी मेहनत और प्रयासों को जारी रखना होगा। आइए, अपने लक्ष्य पर अडिग रहें और एक ऐसे विश्व और एक ऐसे चंडीगढ़ का निर्माण करें जहाँ टीबी का नामोनिशान न हो।

साथ ही आज हम सभी यहां एक संकल्प लें कि हम टीबी को हराने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। जब हमारा हर नागरिक स्वस्थ होगा, तभी हमारा देश आत्मनिर्भर और सशक्त बनेगा। 

धन्यवाद,

जय हिन्द!