SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF ANNUAL CULTURAL FEST –VIRASAT 2025 AT GANESH DUTTA SANATAM DHARMA COLLEGE, SECTOR 32, CHANDIGARH ON MARCH 21, 2025.
- by Admin
- 2025-03-21 18:00
एस.डी. कॉलेज द्वारा आयोजित विरासत-2025 कार्यक्रम के अवसर पर माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 21.03.2025, शुक्रवार समयः शाम 4:00 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज, गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म कॉलेज द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘विरासत-2025’ के इस गौरवशाली अवसर पर आप सभी के मध्य उपस्थित होकर मैं अत्यंत हर्ष और गर्व का अनुभव कर रहा हूँ।
मुझे बताया गया है कि ‘‘सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा’’ के तत्वावधान में 1973 में स्थापित इस कॉलेज की स्थापना गोस्वामी गणेश दत्त जी की स्मृति में की गई थी, जो एक श्रद्धेय संत और समाज सुधारक थे और शिक्षा की परिवर्तनशील शक्ति में दृढ़ता से विश्वास करते थे।
इस कॉलेज की स्थापना में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में ‘पंडित मोहन लाल जी’ का नाम अग्रणी है, जिन्होंने पंजाब के पूर्व गृह, वित्त और शिक्षा मंत्री के पदों पर रहते हुए अपनी दूरदर्शिता और महान परोपकारिता का परिचय दिया है। शिक्षा के प्रति उनके अथक प्रयासों और प्रतिबद्धता ने इस संस्थान की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह कॉलेज निरन्तर अकादमिक उत्कृष्टता में सबसे आगे रहा है। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा इसका 'A+' ग्रेड प्रत्यायन तथा राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) में अखिल भारतीय रैंक 70, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के प्रति इसकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है।
बड़े ही हर्ष का विषय है कि इस कॉलेज ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का सफल कार्यान्वयन किया है। संस्थान ने सीखने के लिए एक बहु-विषयक, कौशल आधारित और शोध-संचालित दृष्टिकोण अपनाया है।
एनईपी 2020 के तहत जीजीडीएसडी कॉलेज ने कई BVoc.(बैचलर ऑफ वोकेशन) कार्यक्रम शुरू किए हैं, जो विशिष्ट, व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने और रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इनमें रिटेल मैनेजमेंट, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट, फूड प्रोसेसिंग, फैशन टेक्नोलॉजी एंड अपैरल डिज़ाइन तथा मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी शामिल हैं।
इस प्रकार के निर्धारित पाठ्यक्रम यह सुनिश्चित करते हैं कि छात्र न केवल शिक्षित हों, बल्कि ऐसे उद्योगों के लिए भी तैयार हों, जिनमें व्यावहारिक अनुभव और कौशल विकास हो और जो वैश्विक मानकों के अनुरूप हो।
देवियो और सज्जनो,
आज का यह आयोजन न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों को संरक्षित और प्रोत्साहित करने का एक सशक्त माध्यम है, बल्कि नशों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण जागरूकता पहल भी है।
नशा केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरे समाज, परिवार और आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करता है। यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्तर पर भारी नुकसान पहुँचाता है, जिससे उबरने के लिए केवल सरकार की नीतियाँ ही नहीं, बल्कि समाज के हर नागरिक की भागीदारी आवश्यक है।
नशा आज एक समाज या समुदाय की समस्या नहीं है या किसी एक राज्य की समस्या नहीं है बल्कि यह हमारे पूरे देश की समस्या बनती जा रही है।
आप सभी भली-भांति जानते हैं कि नशे की बढ़ती प्रवृत्ति ने न केवल हमारे समाज, बल्कि हमारे देश, हमारे राज्यों और हमारे शहरों की जड़ों को भी कमजोर कर दिया है।
आज के युवा भटकाव की स्थिति में हैं और तेजी से नशे की लत का शिकार होते जा रहे हैं। नशे की इस प्रवृत्ति के कारण न केवल युवा अपनी ऊर्जा और भविष्य को खो रहे हैं, बल्कि समाज में भी अस्थिरता और निराशा बढ़ रही है।
वर्तमान समय में युवा कई तरह की प्रतिस्पर्धाओं और मानसिक दबावों का सामना कर रहे हैं। पढ़ाई, करियर, पारिवारिक अपेक्षाएँ और सामाजिक मान्यताएँ उनके जीवन पर भारी दबाव डालती हैं।
इस तनाव से राहत पाने के लिए वे अक्सर नशे का सहारा लेने लगते हैं। यदि समय रहते इस गंभीर समस्या पर काबू नहीं पाया गया, तो इसकी चपेट में आने वाली पीढ़ियां भी सुरक्षित नहीं रह पाएंगी।
नशों से सबसे अधिक प्रभावित हमारे युवा हो रहे हैं विशेष तौर पर स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। इसलिए, नशों का हमारे शिक्षण संस्थानों में प्रवेश कर जाना एक अत्यंत ही गंभीर विषय है।
मित्रो,
जैसे कि हमारे पूर्वजों ने कहा है कि उपचार से बेहतर बचाव है। यहां मैं पुराने समय की पारिवारिक व्यवस्था की बात करना चाहूंगा जहां हमारे समाज में संयुक्त परिवार की परंपरा थी, जहाँ दादा-दादी, चाचा-चाची, माता-पिता और अन्य परिजन एक साथ रहते थे।
हमारी पारिवारिक व्यवस्था में बच्चे एक-दूसरे से मिलकर रहते थे जिसके चलते वे बुरी आदतों से दूर रहते थे और अनुशासन, नैतिक मूल्यों और पारिवारिक संस्कारों को आत्मसात कर पाते थे।
आज की आधुनिक जीवनशैली में हमारे परिवार तेजी से एकल परिवार (न्यूक्लियर फैमिली) का रूप लेते जा रहे हैं जहां पर माता-पिता के पास इस भागदौड़ की जिंदगी में बच्चों के साथ समय बिताने तक का समय नहीं है।
और तेजी से बढ़ते शहरीकरण, व्यस्त जीवनशैली और करियर प्राथमिकताओं के चलते बच्चे किसी न किसी तनाव और अकेलेपन में रहते हैं जिसके कारण वे इस तनाव को दूर करने के लिए नशों का सहारा लेने की ओर आकर्षित हो जाते हैं।
बच्चों की दिनचर्या का बड़ा हिस्सा अब मोबाइल फोन, इंटरनेट, सोशल मीडिया, और बाहरी प्रभावों से प्रभावित होने लगा है। अगर उन्हें सही दिशा नहीं दी जाए, तो वे नशे, गलत संगत, या अन्य बुरी आदतों के जल्द शिकार हो सकते हैं।
यहां पर मैं बच्चों और उनके माता-पिता से अपील करूंगा कि वे ज्यादा से एक-दूसरे के साथ समय बिताएं, संवाद करें और बच्चे कोई भी बात अपने माता-पिता या शिक्षकों से न छुपाएं। जब बच्चे अपने माता-पिता या शिक्षक के साथ अपनी समस्याओं को साझा करेंगे तो हर कठिन समस्या का समाधान निकला जा सकता है।
प्यारे बच्चो, आपको नहीं पता कि आज जो नशा आप तक पहुंचाया जा रहा है वह कितना जानलेवा है। वह मुख्य रूप से रासायनिक (सिंथेटिक) ड्रग्स के रूप में उपलब्ध है, जो न केवल अत्यधिक घातक है, बल्कि इसकी लत से बाहर निकलना भी अत्यंत कठिन है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पंजाब और चंडीगढ़, अपनी युवा आबादी और विकासशील माहौल के लिए जाने जाते हैं, हमें यह पहचान बरकरार रखनी होगी और विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए आगे आना होगा।
प्रिय शिक्षाविदो,
मैं मानता हूं कि शिक्षा हमेशा से व्यक्तिगत विकास और सामाजिक प्रगति की नींव रही है। हमारे विश्वविद्यालय और कॉलेज केवल अकादमिक उत्कृष्टता के केंद्र नहीं हैं; वे ऐसे स्थान हैं जहाँ युवा दिमागों को आकार दिया जाता है, प्रतिभाओं का पोषण किया जाता है और भविष्य के नेताओं और मार्गदर्शकों को तैयार किया जाता है।
शिक्षा केवल ज्ञान प्रदान करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह व्यक्तित्व निर्माण, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी का आधार है। शिक्षकों और शिक्षाविदों का प्रभाव छात्रों पर सबसे अधिक होता है। वे न केवल विद्यार्थियों को सही और गलत की पहचान कराते हैं, बल्कि उनके जीवन को सकारात्मक दिशा भी देते हैं।
नशे के खिलाफ इस लड़ाई में शिक्षाविदों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे जागरूकता फैलाने वाले पहले मार्गदर्शक हैं। बच्चे और युवा अपने शिक्षकों से सबसे अधिक प्रेरित होते हैं। आप उन्हें नशे के दुष्प्रभावों और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व के बारे में जागरूक कर सकते हैं।
हमें चाहिए कि हम अपने विद्यालयों और महाविद्यालयों में नशा मुक्ति के लिए विशेष सत्रों और कार्यशालाओं का आयोजन करें। छात्रों के साथ नियमित संवाद करें। उनकी समस्याओं को समझें और उन्हें नशे से दूर रखने के लिए सकारात्मक मार्गदर्शन दें।
हमारे शैक्षणिक संस्थान तनाव प्रबंधन और मादक पदार्थों की लत छुड़ाने, दोनों के लिए पूर्ण रूप से सक्षम हैं। छात्रों में तनाव और नशों की लत को दूर करने के लिए शिक्षण संस्थानों को बहुत से पहलुओं पर काम करना होगा।
साथ ही हमें चाहिए कि हम हमारी नई शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से अमल में लाएं जोकि पाठ्यक्रम में नैतिक और सामाजिक मूल्यों, खेलों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और कौशल विकास पर जोर देती है।
यह नई शिक्षा नीति बच्चों को शिक्षित करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि युवाओं को देश के अच्छे नागरिक बनाने और रोज़गार प्रदान करने पर केन्द्रित है। इससे हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विकसित भारत के सपने को साकार किया जा सकता है।
प्रिय शिक्षको,
मेरा मानना है कि किसी भी मुद्दे को हल करने में पहला कदम जागरूकता है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को चाहिए कि वे छात्रों को अनियंत्रित तनाव और मादक पदार्थों के सेवन से जुड़े जोखिमों संबंधी सक्रिय रूप से शिक्षित करें।
इसके लिए, परिसरों में कार्यशालाओं, सेमिनारों, वर्कशॉप और पोस्टर प्रदर्शनी और जागरूकता अभियानों का आयोजन नियमित रूप से किया जाना चाहिए। मनोविज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य और मादक पदार्थों के सेवन के विशेषज्ञों के साथ सहयोग करके यह सुनिश्चित किया जा सकता है।
इसके अलावा परिसरों में मादक पदार्थों के उपयोग के खिलाफ शून्य-सहिष्णुता की नीति अपनाई जानी चाहिए और नशों की उपलब्धता संबंधी सूचना देने हेतु हेल्पलाईन नंबर प्रदान किया जाना चाहिए और साथ ही सूचना देने वाले की पहचान भी गुप्त रखी जानी चाहिए।
नशे की लत से उबर चुके लोगों, प्रेरक वक्ताओं और सामुदायिक नेताओं को अपनी कहानियाँ साझा करने के लिए आमंत्रित करके छात्रों को स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
छात्रों को उनकी ऊर्जा और रचनात्मकता के लिए पाठ्येतर गतिविधियाँ, क्लब और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से सकारात्मक मार्गदर्शन प्रदान किया जाना चाहिए। इन उपलब्धियों का उल्लेख छात्रों की डिग्रियों में भी करना चाहिए जिससे कि उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा।
मित्रो,
भले ही सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से अपना कार्य कर रही है। लेकिन यह लड़ाई तभी सफल होगी जब आप सभी इसमें सक्रिय रूप से भाग लेंगे। आप में से प्रत्येक एक परिवर्तन का वाहक बन सकता है।
प्रिय छात्रो,
आप सभी युवा हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य के निर्माता हैं। आपका स्वास्थ्य न केवल आपकी व्यक्तिगत उन्नति के लिए बल्कि संपूर्ण राष्ट्र के विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए, मैं आज आपसे स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और नशे जैसी बुरी आदतों से दूर रहने का आग्रह करता हूँ।
मैं इस अवसर पर आप सभी से कहना चाहूंगा कि आप खेल, शिक्षा, कला, और सेवा जैसे क्षेत्रों में अपनी ऊर्जा लगाएं। ये रास्ते आपके जीवन को सार्थक बनाएंगे और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे।
आज के प्रतिस्पर्धी दौर में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। एक संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और सकारात्मक सोच ही आपको हर क्षेत्र में सफलता दिला सकती है। एक मजबूत शरीर और सशक्त मन ही जीवन की कठिनाइयों से जूझने की शक्ति प्रदान करते हैं।
आज, इस मंच से मैं आप सभी से यह संकल्प लेने का आग्रह करता हूँ कि आप स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँगे, नशे और अनहेल्दी आदतों से दूर रहेंगे और एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ेंगे। आप अपने सपनों को साकार करने की असीम शक्ति रखते हैं, इसे नशे जैसी बुरी आदतों के कारण व्यर्थ न जाने दें।
याद रखें, आप ही इस राष्ट्र की रीढ़ हैं। जब आप स्वस्थ रहेंगे, तभी हमारा देश भी मजबूत और समृद्ध बनेगा।
मित्रों,
नशे की लत के शिकार व्यक्ति अपराधी नहीं, बल्कि सहायता के पात्र हैं। हमें उनके प्रति संवेदनशील रहकर उन्हें पुनः सामान्य जीवन में वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
सभी सामाजिक संस्थाओं को एक साथ मिलकर नशे के खिलाफ बड़ी आवाज उठानी होगी। सफलता तभी मिल सकती है जब जन-जागृति हो।
माता-पिता को अपने बच्चों के साथ संवाद बढ़ाना होगा, शिक्षकों को नैतिक शिक्षा पर जोर देना होगा, और सामुदायिक नेताओं को इस अभियान को हर व्यक्ति तक पहुँचाना होगा।
आइए, हम सब यह संकल्प लें कि हम अपने प्रदेश को नशा मुक्त बनाएंगे। यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी अगली पीढ़ी को एक स्वस्थ, सशक्त, और उज्ज्वल भविष्य प्रदान करें।
धन्यवाद,
जय हिंद!