SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF WISHES IN WIND UNDER NASHA MUKT BHARAT ABHIYAAN AT CHANDIGARH ON MARCH 21, 2025
- by Admin
- 2025-03-21 19:00
नशा मुक्त भारत अभियान के तहत राज्य स्तरीय कार्यक्रम पर माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 21.03.2025, शुक्रवार समयः शाम 5:30 बजे स्थानः सुखना लेक
नमस्कार!
आज चंडीगढ़ प्रशासन के समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान के तहत आयोजित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का हिस्सा बनना मेरे लिए गर्व और हर्ष का विषय है।
मैं आपको बताना चाहता हूं कि भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 2020 में युवाओं, महिलाओं और बच्चों पर विशेष ध्यान देते हुए नशा मुक्त भारत अभियान शुरू किया और आज, इसी कड़ी में, इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
2020 से, मंत्रालय उच्च शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों, स्कूलों और समुदाय तक पहुंच बनाकर और अभियान में सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व हासिल करके युवाओं पर विशेष ध्यान देते हुए मादक पदार्थों के सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा कर रहा है। इसी उद्देश्य से देश के सभी जिलों में महत्वाकांक्षी नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) लागू किया जा रहा है।
15 अगस्त 2020 को अपनी शुरुआत के बाद से ही, नशा मुक्त भारत अभियान एक नशा मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में आशा और प्रेरणा का प्रतीक बन गया है।
इस अभियान ने समुदाय के सदस्यों, सरकारी अधिकारियों, आध्यात्मिक संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य कई हितधारकों को एकजुट किया है, ताकि नशे की समस्या के मूल कारणों को संबोधित करने और प्रभावी समाधान प्रदान करने वाले कार्यक्रमों का संचालन किया जा सके।
आज, जब हम नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत यहाँ एकत्रित हुए हैं, तो यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारे समाज को नशे की बुरी लत से मुक्त करने की एक सशक्त पहल है।
मुझे बताया गया है कि आज का यह महत्वपूर्ण आयोजन समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा वर्ष 2024-25 दौरान चंडीगढ़ प्रशासन के विभिन्न विभागों के सहयोग से नशे के खिलाफ किए गए विभिन्न प्रयासों और अभियानों के सफल समापन के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया है।
यह अत्यंत हर्ष और गर्व का विषय है कि विभाग द्वारा नशे के विरुद्ध जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया गया है, जिनमें ट्रैकिंग, वॉकथॉन और क्षमता निर्माण प्रमुख रूप से शामिल हैं।
आज के इस कार्यक्रम का विषय “Wishes in the Wind” है जिसके अन्तर्गत हमने अपने डर, इच्छाएँ और नशा मुक्त जीवन के संकल्प को गुब्बारों पर लिखकर आकाश में छोड़ने का प्रतीकात्मक कार्य किया है।
जिस प्रकार इन गुब्बारों ने खुले आकाश की ओर उड़ान भरी है, वैसे ही हमें भी अपने सपनों और आशाओं को बेड़ियों से मुक्त कर ऊँचाइयों तक पहुँचाने का संकल्प लेना चाहिए। जिस तरह ये गुब्बारे किसी सीमा में बंधे बिना ऊपर उठे हैं, उसी प्रकार हमें भी अपने डर और शंकाओं को पीछे छोड़कर अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ना चाहिए।
गुब्बारों की यह प्रतीकात्मक उड़ान हमें याद दिलाती है कि यदि हम विश्वास, साहस और संकल्प के साथ आगे बढ़ें, तो कोई भी बाधा हमें हमारे सपनों को साकार करने से नहीं रोक सकती।
इसके अलावा, मुझे यह बताते हुए अत्यंत गर्व महसूस हो रहा है कि सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा एक विशेष प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें हमारे प्रदेश के होनहार विद्यार्थियों को नशा मुक्त भारत अभियान का आधिकारिक शुभंकर (Mascot) डिजाइन करने का अवसर दिया गया।
आज, मुझे यह शुभंकर आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। यह केवल एक प्रतीक मात्र नहीं है, बल्कि हमारे सामूहिक संकल्प, एकजुटता और उज्ज्वल भविष्य की उम्मीदों का सशक्त प्रतिनिधि है। यह हमारे साझा उद्देश्यों, हमारी प्रतिबद्धता और सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में उठाए गए हर कदम का प्रतीक है।
यह शुभंकर हमें याद दिलाता है कि जब हम एकजुट होकर किसी लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं, तो कोई भी चुनौती हमारे संकल्प को डगमगा नहीं सकती। यह न केवल हमारी वर्तमान यात्रा का प्रतिबिंब है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बनेगा।
देवियो और सज्जनो,
नशा व्यक्ति को प्रभावित करने के साथ-साथ उसके परिवार, समाज और आने वाली पीढ़ियों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। यह हमारे युवाओं के सपनों को चुरा लेता है, उनकी संभावनाओं को सीमित कर देता है, और उन्हें अंधकार की ओर धकेल देता है।
जब कोई व्यक्ति नशे की गिरफ्त में आता है, तो उसका प्रभाव केवल उसी तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरा परिवार मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रभावित होता है। अपराध दर बढ़ती है, स्वास्थ्य सेवाओं पर भार पड़ता है, और समाज की उत्पादकता कम हो जाती है।
इसलिए, यह लड़ाई केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि हम सभी की साझा ज़िम्मेदारी है। माता-पिता, शिक्षक, पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, और प्रत्येक नागरिक को इस मुहिम का हिस्सा बनना होगा।
नशे की ओर बढ़ने का एक बड़ा कारण भावनाओं को दबाना और मन की बात किसी से न कह पाना है। विशेष रूप से हमारे युवा, समाज के डर से अपनी परेशानियों को साझा नहीं कर पाते। यह चुप्पी उन्हें अकेलेपन, तनाव, और अवसाद की ओर धकेल देती है, जिससे वे नशे का सहारा लेने लगते हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुए, सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा "Voices of Concern"नामक एक विशेष पहल शुरू की गई है। इसके तहत, लोग गुमनाम रूप से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं, अपने मन की बात लिख सकते हैं, और सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
आप सभी P.O. Box No. 331 पर अपने पत्र भेज सकते हैं। इन पत्रों का विश्लेषण करने और समाज की वास्तविक चिंताओं को समझने के लिए पंजाब विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग का सहयोग लिया जाएगा। यह एक अनूठी पहल है, जिससे हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी व्यक्ति अकेला महसूस न करे, और हर व्यक्ति को सही मार्गदर्शन मिले।
देवियो और सज्जनो,
नशे की समस्या केवल एक सामाजिक बुराई नहीं है, बल्कि यह हमारी भारतीय संस्कृति, हमारे परिवारों की नींव, और समाज के मूल स्तंभ-नारीशक्ति-पर गहरा और प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
यह संकट केवल पुरुषों तक ही सीमित नहीं है। महिलाएं, जो अक्सर इस महामारी के साये में छिपी रहती हैं, परन्तु कई रूपों में सजा भोगती हैं। जहां कुछ महिलाएं सीधे तौर पर मादक पदार्थों की लत से जूझती हैं, वहीं कई महिलाएं, मां, पत्नी और बेटियों के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होती हैं।
इसके साथ ही, यह हमारे युवाओं-जो राष्ट्र के निर्माता और विकसित भारत के भविष्य हैं-के जीवन और संभावनाओं को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
यह केवल एक स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी विनाशकारी है। इसलिए, इसे जड़ से खत्म करने के लिए हमें एक सामूहिक संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
मैं समझता हूं कि इस समस्या पर काबू पाने के लिए हमें रोकथाम, शीघ्र हस्तक्षेप, और पुनर्वास पर जोर देने के साथ-साथ एक ऐसा सहयोगात्मक वातावरण तैयार करना आवश्यक है जो न केवल कलंक को कम करे बल्कि प्रभावित व्यक्तियों और परिवारों को सहायता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित भी करे।
मैं चाहता हूं कि हमारे प्रदेश के समस्त उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र अपने साथियों और समुदायों को मादक पदार्थों के सेवन के खतरों के बारे में शिक्षित करने के लिए अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग करें। कार्यक्रम आयोजित करें, जानकारीपूर्ण सामग्री बनाएं और संदेश फैलाने के लिए सोशल मीडिया का लाभ उठाएं।
शिक्षण संस्थानों के छात्र अपने ज्ञान, ऊर्जा और सामाजिक उत्तरदायित्व का उपयोग करते हुए उन परिवारों तक पहुंच बनाएं जो मादक पदार्थों के सेवन से प्रभावित हैं।
छात्र केवल शिक्षा के साधन नहीं, बल्कि समाज को बेहतर बनाने के सशक्त माध्यम भी हैं। अगर वे मादक पदार्थों के सेवन से प्रभावित परिवारों के लिए सहानुभूति, मार्गदर्शन और सहयोग के साथ काम करें, तो यह न केवल इन परिवारों की जिंदगी को बदलने में मदद करेगा, बल्कि नशामुक्त भारत की दिशा में एक मजबूत कदम भी होगा।
छात्रों द्वारा अपने साथियों को स्वस्थ, पदार्थ-मुक्त जीवनशैली हेतु प्रोत्साहित करना न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य और भलाई के लिए, बल्कि पूरे संस्थान और समाज में सकारात्मक वातावरण निर्मित करने के लिए भी आवश्यक है।
उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र, यदि इस दिशा में पहल करें, तो वे अपने साथी छात्रों के बीच सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। फिटनेस शिविर, खेल कार्यक्रम, और कल्याण कार्यशालाएँ न केवल एक स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करेंगी, बल्कि छात्रों को अपने जीवन के प्रति जिम्मेदार और जागरूक बनाएंगी।
इसके अलावा, हमें स्कूलों और कॉलेजों में कौशल शिक्षा के साथ-साथ स्वयं के ज्ञान की शिक्षा पर भी जोर देना चाहिए। युवाओं को तनाव प्रबंधन के साथ-साथ निर्णय लेने और मुकाबला करने की रणनीतियों के बारे में पढ़ाना, मादक पदार्थों के सेवन के खिलाफ एक निवारक उपाय के रूप में काम कर सकता है।
इन विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्रों को सशक्त बनाने और उपयुक्त विकल्प चुनने में मदद मिल सकती है। सहकर्मी शिक्षकों का एक नेटवर्क बनाना एक और प्रभावी रणनीति है। युवा लोग अक्सर अधिकारियों की तुलना में अपने साथियों की बात मानने की अधिक संभावना रखते हैं।
देवियो और सज्जनो,
मादक पदार्थों के सेवन के खिलाफ लड़ाई ऐसी लड़ाई नहीं है जिसे सरकार या संस्थान अकेले लड़ सकते हैं। इसके लिए सहानुभूति, दृढ़ संकल्प और एक स्वस्थ, अधिक न्यायसंगत समाज की साझा दृष्टि से प्रेरित सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। इसे एक जन आंदोलन बनाना होगा।
याद रखें, हर छोटा कार्य मायने रखता है। चाहे वह बातचीत शुरू करना हो, मदद के लिए हाथ बढ़ाना हो या बदलाव की वकालत करना हो, आपके प्रयास परिवर्तन की लहरें पैदा कर सकते हैं जो दूर तक पहुंचती हैं।
चंडीगढ़ ने कई चुनौतियों का सामना किया है और उनसे पार भी पाया है, और मुझे विश्वास है कि हम इस संकट से भी पार पा सकते हैं। हमारे युवाओं की ताकत, हमारे बुजुर्गों का अनुभव और हमारे संस्थानों के समर्थन से, हम मादक पदार्थों के सेवन की चपेट से मुक्त भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
चंडीगढ़ जैसे शिक्षित और विकसित क्षेत्र में, जहां युवा शक्ति हमेशा नवाचार, खेल और राष्ट्र-निर्माण की दिशा में अग्रसर रही है, वहां नशे जैसी कुरीति के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। हमारा कर्तव्य है कि हम अपने युवाओं को सही मार्ग पर प्रेरित करें और उन्हें नशे से बचाने के लिए एक सशक्त वातावरण प्रदान करें।
आज, हम इस मंच से यह संकल्प लेते हैं कि नशे के खिलाफ इस लड़ाई को एक जनांदोलन का रूप देंगे। इसके लिए हमें परिवार, समाज, शिक्षण संस्थान, धार्मिक संगठन और प्रशासन सभी को मिलकर कार्य करना होगा।
स्कूलों और कॉलेजों में नशा मुक्ति अभियान को बढ़ावा देना, युवाओं को खेल, कला, संस्कृति और रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करना, उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाना और परामर्श सेवाओं को सुलभ बनाना, ये सब प्रयास इस अभियान की सफलता के लिए अनिवार्य हैं।
हमें अपने समाज के हर नागरिक को यह जागरूकता देने की आवश्यकता है कि स्वस्थ जीवन ही एक सच्ची सफलता और समृद्धि की कुंजी है।
मैं समझता हूं कि इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए विभिन्न विभागों का समन्वय आवश्यक है। जैसे कि पुलिस विभाग नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार पर सख्ती से अंकुश लगाते हुए कानूनों को लागू कर रहा है, वहीं स्वास्थ्य विभाग नशा मुक्ति केंद्रों, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और पुनर्वास सेवाओं के माध्यम से प्रभावित व्यक्तियों की सहायता कर रहा है।
साथ ही, सामाजिक कल्याण विभाग जागरूकता अभियानों का नेतृत्व कर समाज के हर वर्ग तक सही जानकारी पहुंचाने का कार्य कर रहा है। इन सभी विभागों के संयुक्त प्रयास से ही हम नशे के खिलाफ इस लड़ाई को जीत सकते हैं।
आज मैं उन सभी अधिकारियों, कर्मचारियों, और स्वयंसेवकों की सराहना करता हूँ जो नशा मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने के लिए दिन-रात कार्य कर रहे हैं। उनका समर्पण राज्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है। यह हम सभी के लिए गर्व का विषय है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी चंडीगढ़ के प्रयासों की सराहना की है।
मैं इस अवसर पर चंडीगढ़ प्रशासन और समाज कल्याण विभाग को इस सराहनीय पहल के लिए बधाई देता हूँ। इस आयोजन के माध्यम से जो संदेश दिया जा रहा है, वह हमारे समाज को नशा मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
अब समय आ गया है कि हम सभी एकजुट होकर नशे के खिलाफ एक मजबूत संदेश दें। हमें अपने समाज को जागरूक बनाना होगा, युवाओं को सही मार्ग दिखाना होगा, और उन सभी का सहयोग करना होगा जो नशे की चपेट में आ चुके हैं।
आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें-
“नशे को जड़ से मिटाएँगे, नए भारत का निर्माण करेंगे!’’
“नशा मुक्त भारत”-यह केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। आइए, हम सब इस आंदोलन का हिस्सा बनें।
आइए, हम केवल एक व्यक्ति के रूप में नहीं बल्कि एक संयुक्त समुदाय के रूप में इस उद्देश्य के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध करें। हम सब मिलकर एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहां हर व्यक्ति को नशे की जंजीरों से मुक्त होकर आगे बढ़ने का अवसर मिले।
और मैं इस नेक काम के लिए आपके द्वारा किये जाने वाले अविश्वसनीय योगदान को देखने के लिए उत्सुक हूं।
धन्यवाद,
जय हिंद!