SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF CLOSING CEREMONY OF SURYA NAMASKAR PROJECT 2025 AT CHANDIGARH ON MARCH 22, 2025.

सूर्य नमस्कार प्रोजेक्ट 2025 के समापन समारोह के अवसर पर

माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 22.03.2025, शनिवार

समयः सुबह 8:00 बजे

स्थानः चंडीगढ़

 

नमस्कार!

यह वास्तव में मेरे लिए एक सम्मान और गर्व की बात है कि मैं ‘‘सूर्य नमस्कार’’ कार्यक्रम की इस अनूठी पहल का हिस्सा बन रहा हूँ, जिसे ‘राजकीय योग शिक्षा एवं स्वास्थ्य महाविद्यालय चंडीगढ़’ द्वारा ‘आयुष चंडीगढ़ प्रशासन’ और ‘हरियाणा योग आयोग’ के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया है। 

मुझे बताया गया है कि यह अभियान आयुष मंत्रालय के सौजन्य से आयोजित किया जा रहा है और इसे दो महान भारतीय विचारकों, स्वामी विवेकानंद और महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती के अवसर पर समर्पित किया गया है। यह केवल एक साधारण अभियान नहीं, बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों का उत्सव है, जिन्हें इन महापुरुषों ने अपने जीवन में आत्मसात किया और समाज को दिशा प्रदान की।

स्वामी विवेकानंद ने हमें आत्मनिर्भरता, शिक्षा और समाज सेवा के महत्व को समझाया। उन्होंने युवा शक्ति को जागृत करने और जीवन में एक उच्च उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उनका संदेश था कि स्वस्थ शरीर और दृढ़ मानसिकता ही किसी भी राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की आधारशिला होती है।

दूसरी ओर, महर्षि दयानंद सरस्वती ने सामाजिक सुधार, सशक्तिकरण और वैदिक ज्ञान के प्रचार-प्रसार पर बल दिया। उन्होंने हमें सिखाया कि समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर कर, हम सभी के लिए एक समान और न्यायसंगत भविष्य की नींव रख सकते हैं। उनका जीवन हमें अनुशासन, सत्यनिष्ठा और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।

इन दोनों महान विभूतियों का योगदान हमें न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक, मानसिक और आत्मिक उन्नति के मार्ग पर भी प्रेरित करता है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखें, मानसिक रूप से मजबूत बनें और आत्मिक शुद्धता को अपनाएं, तो हम स्वयं और अपने समाज को एक नई दिशा दे सकते हैं।

इस अभियान का उद्देश्य भी इसी प्रेरणा से जुड़ा हुआ है, लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करना, नशे और अन्य अस्वस्थ आदतों से दूर रहने की सीख देना और समाज को एकजुट कर एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करना। 

देवियो और सज्जनो,

योग की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हमारे सम्माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘‘हर घर आंगन योग’’ अभियान की शुरुआत की, जो योग को हर घर तक पहुंचाने के महत्व को उजागर करता है। 

आज के इस अवसर पर मैं हमारे ओजस्वी व तेजस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को विशेष रूप से बधाई देता हूं और उनका धन्यवाद करता हूं क्योंकि उनके प्रयासों की बदौलत ही संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया, और पिछले वर्ष इसे दुनिया भर में मनाये जाने का एक दशक भी पूरा हो चुका है।

आपको याद होगा कि योग की ताकत और इसके महत्व से पूरी दुनिया को अवगत कराने हेतु भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने सन् 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में योग दिवस हेतु प्रस्ताव रखा था।

देवियो और सज्जनो,

योग सदियों से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है और इसकी जड़ें प्राचीन काल से जुड़ी हुई हैं। यह केवल शारीरिक व्यायाम का एक रूप नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और दार्शनिक प्रणाली है, जो जीवन के हर पहलू को संतुलित करने का मार्ग प्रदान करती है।

माना जाता है कि योग के विज्ञान की उत्पत्ति हजारों साल पहले हुई थी, धर्मों या आस्था के जन्म लेने से काफी पहले हुई थी। इसलिए योग किसी धर्म-संप्रदाय से जुड़ा नहीं है।

शोधकर्ताओं और इतिहासकारों का मानना है कि योग की उत्पत्ति भारत में लगभग 3000 ईसा पूर्व हुई थी। सिंधु-सरस्वती सभ्यता की खुदाई में प्राप्त मूर्तियों और शिलालेखों में ध्यान और योग की मुद्राओं में बैठे हुए चित्र पाए गए हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि योग का अभ्यास प्राचीन काल से ही किया जाता रहा है। वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता जैसे भारतीय ग्रंथों में भी योग के महत्व का उल्लेख मिलता है।

भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा हैः “योग स्वयं की, स्वयं के माध्यम से, स्वयं तक की यात्रा है।” 

भगवद गीता का यह उपदेश हमें सिखाता है कि हमारी सबसे महत्वपूर्ण यात्रा बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि अपने भीतर होती है। योग इस यात्रा में हमारा सहायक बनता है, हमें स्वयं से जोड़ता है, और हमारे जीवन को संतुलित, शांतिपूर्ण और अर्थपूर्ण बनाता है।

इसके अलावा, भगवद गीता में यह भी कहा गया हैः

‘‘योगः कर्मसु कौशलम्’’,

अर्थात योग हमें केवल शारीरिक रूप से सक्षम नहीं बनाता, बल्कि हमें हमारे कार्यों में कुशलता, एकाग्रता और अनुशासन प्रदान करता है।

हम सभी जानते हैं कि योग का सबसे व्यवस्थित रूप से उल्लेख पतंजलि मुनि द्वारा रचित ‘योगसूत्र’ में मिलता है, जिसे योग का सबसे पुराना और वैज्ञानिक ग्रंथ माना जाता है। उन्होंने योग को अष्टांग योग के रूप में विभाजित किया, जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि शामिल हैं। इसके अलावा, महर्षि पतंजलि ने योग को मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए एक वैज्ञानिक प्रणाली के रूप में स्थापित किया।

‘योग’ शब्द का उल्लेख प्राचीनतम पवित्र ग्रंथ ‘ऋग्वेद’ में भी मिलता है, जो इसकी प्राचीनता और महत्व को दर्शाता है। यह संस्कृत के मूल शब्द ‘युज’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘जुड़ना’ या ‘एक होना’। यह केवल शारीरिक अभ्यास का नाम नहीं, बल्कि आत्मा, मन और शरीर को एकीकृत करने की एक गूढ़ विद्या है, जो हमें आत्म-बोध और सार्वभौमिक चेतना से जोड़ती है।

भारतीय परंपरा में योग को कई भागों में विभाजित किया गया है, जिनमें राजयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्मयोग और हठयोग प्रमुख हैं। एक ओर जहां ‘राजयोग’ आत्म-अनुशासन और ध्यान पर केंद्रित है, वहीं ‘ज्ञानयोग’ आत्मज्ञान और तत्वबोध का मार्ग है। इसके अलावा ‘भक्तियोग’ प्रेम और भक्ति द्वारा ईश्वर से जुड़ना है और ‘कर्मयोग’ निःस्वार्थ सेवा और कर्म की साधना है। साथ ही, ‘हठयोग’ में शारीरिक और मानसिक संतुलन के लिए आसन और प्राणायाम शामिल हैं।

देवियो और सज्जनो,

प्राचीन भारतीय योग का दर्शन केवल शारीरिक व्यायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक जीवन पद्धति है जो हमारे अस्तित्व के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करता है। योग न केवल शरीर को स्वस्थ और सशक्त बनाता है, बल्कि यह मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन और आत्मिक उन्नति की ओर भी मार्गदर्शन करता है।

शारीरिक स्तर पर, योग आसनों और प्राणायाम के माध्यम से हमारे शरीर को लचीला, सशक्त और ऊर्जा से भरपूर बनाता है। यह विभिन्न बीमारियों से बचाव में सहायक होता है और संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।

मानसिक रूप से, योग ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाता है। यह तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करने में सहायक होता है, जिससे व्यक्ति मानसिक रूप से संतुलित और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने में सक्षम बनता है।

भावनात्मक स्तर पर, योग हमें आत्म-नियंत्रण, धैर्य और करुणा का विकास करने में सहायता करता है। यह हमारे भीतर छिपी नकारात्मक भावनाओं को दूर कर, आत्मविश्वास और आंतरिक शांति को बढ़ाता है।

आत्मिक रूप से, योग हमें आत्मज्ञान और आत्मअनुशासन की ओर अग्रसर करता है। यह हमारे भीतर छिपी असीम संभावनाओं को जागृत करता है और जीवन के गहरे अर्थ को समझने में सहायता करता है।

इसलिए, मैं समझता हूं कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक विज्ञान है जो हमें संतुलित और समग्र रूप से विकसित होने का मार्ग प्रदान करता है। 

देवियो और सज्जनो,

सूर्य नमस्कार परियोजना हमारी प्राचीन योग परंपरा को श्रद्धांजलि देने और युवा वर्ग के शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने की एक अभिनव पहल है। यह परियोजना न केवल योग के महत्व को बढ़ावा देती है, बल्कि अनुशासन, ऊर्जा और सकारात्मक जीवनशैली को भी प्रोत्साहित करती है।

इस सूर्य नमस्कार परियोजना का उद्देश्य युवाओं को उनकी दिनचर्या में योग को शामिल करने के लिए प्रेरित करना है, जिससे वे स्वस्थ, ऊर्जावान और आत्मनिर्भर बन सकें। 

देवियो और सज्जनो, 

भारतीय ग्रंथों में सूर्य को न केवल ब्रह्मांड की आत्मा माना गया है, बल्कि इसे जीवन, ऊर्जा और चेतना का आधार भी कहा गया है। सूर्य अपने प्रकाश और ऊर्जा से संपूर्ण सृष्टि को शक्ति प्रदान करता है, और यही कारण है कि वैदिक परंपरा में सूर्य उपासना का विशेष स्थान है।

सूर्य नमस्कार इसी दिव्य ऊर्जा के प्रति श्रद्धा प्रकट करने और शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने की एक अद्भुत योग पद्धति है। प्रातःकाल सूर्य को प्रणाम करने और उसके प्रकाश में योगाभ्यास करने से तन और मन में नई ऊर्जा का संचार होता है। यह क्रिया न केवल शरीर को स्फूर्तिदायक बनाती है, बल्कि मन को शांति और स्थिरता भी प्रदान करती है।

सूर्य नमस्कार में 12 आसनों की एक क्रमबद्ध श्रृंखला होती है, जो पूरे शरीर को लचीला, मजबूत और सक्रिय बनाती है। यह अभ्यास रक्त संचार को बेहतर करता है, पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही, मानसिक तनाव को कम कर ध्यान और आत्म-अनुशासन को बढ़ावा देता है।

यह योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मानसिक सशक्तिकरण का साधन भी है, जिससे व्यक्ति जीवन में संतुलन, ऊर्जा और आनंद की अनुभूति कर सकता है।

मित्रो,

मेरे ज्ञान में आया है कि ‘योग शिक्षा एवं स्वास्थ्य महाविद्यालय चंडीगढ़’ द्वारा क्षेत्र में योग के प्रचार-प्रसार में अद्भुत योगदान दिया जा रहा है। यह कॉलेज समय-समय पर ‘हरियाणा योग आयोग’ के साथ मिलकर विभिन्न राष्ट्रीय सम्मेलन और अन्य पहलों का आयोजन करता रहा है, जिनमें सूर्य नमस्कार परियोजना भी शामिल है। 

अत्यंत हर्ष और गर्व का विषय है कि इस कॉलेज ने 75 करोड़ सूर्य नमस्कार परियोजना में हरियाणा योग आयोग का समर्थन किया, जिससे 2022 में चार प्रतिष्ठित विश्व रिकॉर्ड प्राप्त हुए जिनमें गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी शामिल है।

स्वास्थ्य और कल्याण के लिए योग के महत्व को ध्यान में रखते हुए, सी.बी.एस.ई. ने स्कूल पाठ्यक्रम में योग को एक कौशल आधारित विषय के रूप में शामिल किया है। चंडीगढ़ प्रशासन का यह प्रयास है कि नई शिक्षा नीति 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार योग शिक्षा को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाए। हरियाणा योग आयोग ने इस मॉडल को सफलतापूर्वक हरियाणा के स्कूलों में लागू किया है।

देवियो और सज्जनो,

हम सभी जानते हैं कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ बनाने का लक्ष्य रखा है। एक ऐसा भारत, जो आत्मनिर्भर, समृद्ध, और स्वस्थ हो और योग इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योंकि योग हमारे शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखता है। जब नागरिक स्वस्थ होंगे, तो वे अधिक उत्पादक बनेंगे, जिससे राष्ट्र की प्रगति और विकास में योगदान बढ़ेगा।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव, अवसाद और चिंता जैसी समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। योग और ध्यान मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाते हैं, जिससे लोग अधिक आत्मनिर्भर और दृढ़ निश्चयी बनते हैं।

भारत की 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या युवा है। यदि हमारे युवा नशे और मानसिक तनाव से मुक्त रहेंगे, तो वे राष्ट्र निर्माण में अपनी पूरी शक्ति और ऊर्जा लगा सकेंगे। 

आज जब हम सूर्य नमस्कार की भावना और इसके अनमोल लाभों का उत्सव मना रहे हैं, तो आइए हम यह संकल्प लें कि हम अपने जीवन में योग को अपनाएं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। 

मैं ‘राजकीय योग शिक्षा एवं स्वास्थ्य महाविद्यालय चंडीगढ़’, ‘आयुष विभाग’ और ‘हरियाणा योग आयोग’ का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं, जिनके अथक प्रयासों और दृष्टिकोण ने योग को जन जीवन के केंद्र में लाया है। साथ ही, मैं सभी प्रतिभागियों को उनके समर्पण और उत्साह के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

आइए, हम मिलकर योग की परिवर्तनकारी शक्ति के माध्यम से एक स्वस्थ, मजबूत और एकजुट समाज निर्माण की दिशा में काम करें।

धन्यवाद, 

जय हिंद!