SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF FOUNDATION DAY OF BIHAR AT PUNJAB RAJ BHAVAN CHANDIGARH ON MARCH 22, 2025.
- by Admin
- 2025-03-22 21:20
बिहार दिवस के अवसर पर
माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 22.03.2025, शनिवार
समयः शाम 05:00 बजे
स्थानः राजभवन पंजाब
नमस्कार!
आज बिहार स्थापना दिवस के इस अवसर पर, मैं आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ।
आज जब हम बिहार राज्य का स्थापना दिवस मना रहे हैं तो हम सभी इस तथ्य से भलिभांति परिचित हैं कि हम एक ऐसे देश के वासी हैं जो विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, परंपराओं और मान्यताओं का एक अद्भुत सुमेल है और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम के अन्तर्गत इस अनूठे सुमेल का उत्सव पिछले एक वर्ष से अधिक समय से विभिन्न राज्यों के स्थापना दिवस के रूप में मानाया जा रहा है।
इस प्रकार के आयोजनों से सांस्कृतिक विविधता को न केवल संरक्षित किया जाता है, बल्कि इसे नए रूप में आगे भी बढ़ाया जाता है। यह हमारे समाज में सहयोग, समरसता और आपसी सम्मान को बढ़ावा देता है, जिससे भारत की ‘‘अनेकता में एकता’’ की भावना और मजबूत होती है।
देश की एकता और अखंडता की भावना की मजबूती के लिए हर प्रदेश में इस तरह का ‘‘राज्य दिवस’’ मनाना, अपने आप में महत्वपूर्ण है। मुझे विश्वास है कि इस प्रकार के कार्यक्रम से देश के सभी राज्यों के बीच पारस्परिक सद्भाव और बंधुत्व की भावना और अधिक सुदृढ़ होगी।
हमारा भारत विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता वाला देश है। यही कारण है कि संपूर्ण विश्व ने हमें ज्ञान एवं संसाधन की भूमि के रूप में देखा है। इसलिए, इस महान देश का नागरिक होना बहुत ही गर्व व सौभाग्य की बात है।
देवियो और सज्जनो,
आज का यह राज्योत्सव केवल एक राज्य का स्थापना दिवस नहीं, बल्कि बिहार की गौरवशाली परंपराओं, इसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, और इसकी अपार ऐतिहासिक विरासत को सम्मान देने का दिन भी है।
हम सब जानते हैं कि आज से लगभग 113 साल पहले, यानी 22 मार्च, 1912 को बिहार एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और आजादी के बाद 26 जनवरी, 1950 को बिहार को राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ।
मैं मानता हूं कि बिहार की गौरवशाली यात्रा महज 113 साल पुरानी नहीं है। इसका अतीत हजारों वर्षों से बेहद समृद्ध रहा है। बिहार ने देश-दुनिया को शताब्दियों से रास्ता दिखाया है। कई मोर्चों पर अब भी दिखा रहा है और आगे भी दिखाता रहेगा।
बिहार नाम की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘विहार’ से हुई है, जिसका अर्थ होता है सन्यासियों या भिक्षुओं के ठहरने का स्थान। प्राचीन काल में यह क्षेत्र बौद्ध धर्म के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध था, जहाँ अनेक बौद्ध मठ, मठवासी केंद्र (विहार), तथा शिक्षण संस्थान स्थापित थे। इन बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण ही इस प्रदेश को ‘‘बिहार’’ नाम से जाना जाने लगा।
देवियो और सज्जनो,
बिहार भले ही क्षेत्रफल में बारहवें स्थान पर हो, लेकिन यहां देश की तीसरी सबसे बड़ी जनसंख्या रहती है, जो इसे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य बनाती है। यदि उपलब्ध संसाधनों और श्रमशक्ति का सही उपयोग किया जाए, तो बिहार आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक और सामाजिक उन्नति में अभूतपूर्व योगदान दे सकता है।
बिहार केवल एक भूगोलिक राज्य नहीं है, बल्कि यह भारत की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत का केंद्र रहा है। यह भूमि ज्ञान, आध्यात्म, परिश्रम और बलिदान की प्रेरणा देती है। यहाँ की मिट्टी ने न केवल महान संतों और विचारकों को जन्म दिया, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत के निर्माण तक, देश के हर महत्वपूर्ण पड़ाव पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
एक समय बिहार को शिक्षा के सर्वप्रमुख केन्द्रों में गिना जाता था। बिहार को नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों की भूमि होने का गौरव प्राप्त है, जहाँ दूर-दूर से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे। 12वीं शताब्दी के बाद नालंदा विश्वविद्यालय के साथ तोड़-फोड़ कर इसे नुकसान पहुंचाया गया। खंडहर हो जाने के बावजूद साल 2016 में इस स्थान को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया गया।
चीनी यात्री ह्वेनसांग ने जब इस क्षेत्र की यात्रा की थी, तो उन्होंने इसकी गौरवशाली सांस्कृतिक और सामाजिक परंपरा का उल्लेख अपने यात्रा-वृत्तांत में किया था।
धार्मिक रूप में भी बिहार की विशिष्ट पहचान रही है। बौद्ध धर्म और जैनधर्म की उत्पत्ति स्थल और सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी की जन्मभूमि (पटना साहिब गुरूद्वारा) बिहार में है। यहाँ पर जैन धर्म के भगवान महावीर स्वामी ने जन्म लिया था। यहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। आज से लगभग 2600 वर्ष पहले बोधि वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ गौतम को बुद्धत्व प्राप्त हुआ।
किवदंतियों के अनुसार श्रीराम की अर्धांगिनी माता सीता का जन्म बिहार के मिथिला में हुआ, जिसे आज सीतामढ़ी कहा जाता है। बिहार को पहले प्राचीन इतिहास में मगध के नाम से जाना जाता था। अर्थशास्त्र के रचयिता कौटिल्य (चाणक्य) का जीवन भी बिहार की धरती पर ही व्यतीत हुआ। वह मगध के राजा चंद्रगुप्त मौर्य के सलाहकार थे।
इतिहास गवाह है कि बिहार ने केवल आध्यात्मिक और बौद्धिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अग्रणी भूमिका निभाई। महात्मा गांधी द्वारा 1917 में शुरू किया गया चंपारण सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण अध्याय बना। बिहार के वीर सपूतों ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और देश की आज़ादी में अपना योगदान दिया।
बिहार स्वतंत्रता-संग्राम के अप्रतिम योद्धा बाबू वीर कुंवर सिंह जी की भी जन्मभूमि है। आजादी की लड़ाई में उनके नेतृत्व में बिहारवासियों ने अग्रणी भूमिका निभाई। हजारों लोगों ने अपने प्राण न्योछावर किये।
भारतीय गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति एवं स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद बिहार के गौरव हैं। राजेंद्र बाबू का देश के संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस भूमिपुत्र ने आधी शताब्दी तक अपनी मातृभूमि की सेवा की।
बिहार की पावन धरती लोकनायक जयप्रकाश नारायण, मौलाना मजहरूल हक, स्वामी सहजानन्द सरस्वती, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, बाबू अनुग्रह नारायण सिंह एवं जननायक कर्पूरी ठाकुर जैसी अनगिनत विभूतियों की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि रही है। बिहार भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की जन्मस्थली है।
कई वर्षों तक लगातार पर्वत काटकर लोक-कल्याण के लिए सहज और सुगम मार्ग बनाने वाले ‘माउंटेन मैन’ (पर्वत-पुरुष) के नाम से विख्यात स्व. दशरथ मांझी की यह भूमि परम वंदनीय है।
बिहार ने साहित्य, कला, संगीत और संस्कृति के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जहां एक ओर इस धरती पर जन्मे आदि कवि महर्षि वाल्मीकि ने यहां रामायण की रचना की, वहीं कवि कोकिल विद्यापति ने मैथिली भाषा को साहित्यिक गरिमा प्रदान की।
यहां जन्मे रामधारी सिंह ‘दिनकर’, फणीश्वरनाथ रेणु, और नागार्जुन जैसे महान साहित्यकारों ने हिंदी भाषा को समृद्ध किया है, तो यहां की मधुबनी पेंटिंग और भोजपुरी लोककला ने बिहार की सांस्कृतिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाया है।
कुल मिलाकर, बिहार केवल अतीत का गौरवशाली प्रतीक नहीं, बल्कि भविष्य की संभावनाओं का प्रकाशस्तंभ भी है। यह राज्य ज्ञान, परिश्रम, कला, संस्कृति, और आध्यात्मिकता का संगम है, जिसने न केवल भारत, बल्कि संपूर्ण विश्व को प्रभावित किया है। आने वाले वर्षों में बिहार आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी रूप से और भी अधिक सशक्त होगा और भारत के विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
बिहार भारत के उन राज्यों में से एक है जो अपने लजीज व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है। बिहारी व्यंजन साधारण लेकिन स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर होते हैं। लिट्टी चोखा, सत्तू, दही चूड़ा और मखाने की खीर इनमें प्रमुख स्थान रखते हैं, बिहार राज्य मखाने के प्रमुख उत्पादकों में से एक भी है।
साथ ही, बिहार का एक प्रमुख लोकपर्व ‘छठ’ पूजा, आज पूरे देश में सभी के द्वारा हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। ये बिहार वासियों का कौशल ही है, कि उन्होंने अपने लोकपर्व को पूरे देश का पर्व बना दिया है। सूर्य की उपासना के इस पर्व का आज सभी के जीवन में विशेष स्थान है।
देवियो और सज्जनो,
पंजाब और बिहार का संबंध केवल भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरे सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने से जुड़ा हुआ है। दोनों राज्यों ने हमेशा एक-दूसरे के विकास में योगदान दिया है। बिहार के लोग पंजाब के कृषि, उद्योग और व्यापार में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। पंजाब और बिहार के लोग एक-दूसरे के सुख-दुःख में हमेशा खड़े रहते हैं, जो हमारे राष्ट्रीय एकता और भाईचारे का प्रतीक है।
आज बिहार हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, उद्योग और स्टार्टअप के क्षेत्र में बिहार की जनता अपनी मेहनत, संकल्प और लगन से नई ऊंचाइयों को छू रही है। बिहार के लोग जहां भी जाते हैं, अपनी प्रतिभा और परिश्रम से अपनी पहचान बनाते हैं।
बिहार के बारे में ऐसा कहा जाता है - मैं चाणक्य की नीति हूं, मैं आर्यभट्ट का आविष्कार हूं, मैं महावीर की तपस्या हूं, मैं बुद्ध का अवतार हूं, मैं बिहार हूं।
देवियो और सज्जनो,
भारत केवल एक राष्ट्र नहीं, बल्कि सभ्यता, संस्कृति, ज्ञान और अध्यात्म का प्रतीक है। हमें अपनी जड़ों पर गर्व करना चाहिए और इस महान विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कर्तव्यनिष्ठ होकर कार्य करना चाहिए।
भारत का नागरिक होना न केवल गर्व और सम्मान की बात है, बल्कि यह हमें एक ऐतिहासिक दायित्व भी देता है कि हम अपनी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को संजोकर रखें और भारत को विश्वगुरु के पद पर पुनः स्थापित करें।
बिहार स्थापना दिवस हमें यह सिखाता है कि कोई भी राज्य या समाज तभी उन्नति करता है, जब वहां के नागरिक परिश्रमी, ईमानदार और समर्पित होते हैं। इस दिन, हम संकल्प लें कि हम अपने-अपने क्षेत्रों में कड़ी मेहनत करेंगे, सामाजिक समरसता को बनाए रखेंगे और बिहार को एक विकसित एवं सशक्त राज्य बनाने में अपना योगदान देंगे।
अंत में, मैं पुनः आप सभी को बिहार स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। मैं कामना करता हूँ कि बिहार निरंतर प्रगति करे, वहां के नागरिक खुशहाल रहें, और राज्य का गौरव दिन-प्रतिदिन बढ़ता रहे। पंजाब और बिहार के बीच का यह अटूट रिश्ता आगे भी बना रहे और हम मिलकर देश को एक नई ऊँचाई तक ले जाएँ।
धन्यवाद, जय हिन्द!