SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF CENTRAL UNIVERSITY OF PUNJAB, BATHINDA ON MARCH 11, 2025.

पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के अवसर पर

माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 11.03.2025, मंगलवार समयः सुबह 11:20 बजे स्थानः बठिण्डा

 

नमस्कार!

आज इस पावन अवसर पर, जब हम पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह का हिस्सा बन रहे हैं, मुझे अत्यंत हर्ष और गर्व की अनुभूति हो रही है। इस अवसर पर मैं विश्वविद्यालय प्रशासन और सभी उपाधिधारकों और पदक विजेताओं तथा उनके अभिभावकों को बधाई देता हूँ।

आज का दिन आप सब के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज आप अपनी शिक्षा पूर्ण करके समाज में अपने दायित्वों के निर्वहन के लिए प्रवेश कर रहे हैं।

आज के इस दीक्षांत समारोह में 1031 स्नातकोत्तर (524 पुरुष एवं 507 महिलाएँ) और 52 पीएच.डी. विद्यार्थियों (25 पुरुष एवं 27 महिलाएँ) ने डिग्रियां प्राप्त की हैं। साथ ही, 41 छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए, जिनमें से 3 राज्यपाल पदक और 2 सीताराम जिंदल फाउंडेशन द्वारा प्रायोजित पदक हैं।

देवियो और सज्जनो,

मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय वर्ष 2009 में अपनी स्थापना से ही अपनी शिक्षा और शोध के लिए विख्यात है। इसे राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा दूसरे चक्र में 'A+' ग्रेड मान्यता प्राप्त है। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क यानी एनआईआरएफ रैंकिंग में विश्वविद्यालय ने निरंतर छह वर्षों से विश्वविद्यालय श्रेणी में शीर्ष 100 में स्थान प्राप्त किया है और 2024 में इसका स्थान 83वां रहा, जबकि फार्मेसी श्रेणी में इसे 23वां स्थान प्राप्त हुआ।

हर्ष का विषय है कि पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) ने राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2023 की विभिन्न श्रेणियों में से ‘कैंपस उपयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान’ श्रेणी में देश भर में तीसरा स्थान प्राप्त करके विजेताओं की सूची में शामिल होने का गौरव प्राप्त किया है। इसके अलावा, भारत सरकार के युवा एवं संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा इसे दो बार राष्ट्रीय युवा संसद प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया गया है।

यहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों में आकर्षण इस बात से स्पष्ट हो जाता है कि यहाँ देश के 28 राज्यों, 06 केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ दुनिया के अलग-अलग 20 देशों के विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

यह विश्वविद्यालय क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप एक सशक्त कार्यबल तैयार करने के उद्देश्य से कार्यरत है, जो अकादमिक और औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुसार स्वयं को विकसित कर सके। यह शिक्षा के बदलते प्रतिमानों के अनुरूप गतिशील और सृजनात्मक परिणाम देने हेतु प्रतिबद्ध है।

विश्वविद्यालय ने 2021 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी-2020) को लागू कर दिया है, जिसमें अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स, राष्ट्रीय अकादमिक डिपॉजिटरी और बहु-प्रवेश-निकास योजना जैसी आवश्यक प्रणालियाँ लागू की जा चुकी हैं।

मुझे बताया गया है कि विश्वविद्यालय ने अब तक स्कोपस-सूचीबद्ध पत्रिकाओं में लगभग 3603 शोध लेख प्रकाशित किए हैं, जिन्हें 78476 से अधिक बार साईट (cite) किया गया है। विश्वविद्यालय का h-इंडेक्स स्कोपस पर 102 है। अब तक विश्वविद्यालय 255 से अधिक रिसर्च प्रोजेक्ट प्राप्त कर चुका है जिसकी कुल अनुदान राशि लगभग 105 करोड़ रुपये है। इसके अतिरिक्त, 25 भारतीय पेटेंट का आवेदन किया गया है, जिनमें से अभी तक 4 पेटेंट स्वीकृत हो चुके हैं।  

विश्वविद्यालय ने पठन-पाठन शोध, और प्रौद्योगिकी में सहयोग हेतु राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ 31सक्रिय समझौता ज्ञापन (MoU) किया हैं जिसके जरिये अध्ययन-अध्यापन तथा शोध को बढ़ावा मिलेगा। उल्लेखनीय साझेदारियों में राजीव गांधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, एम्स बठिंडा, लिली विश्वविद्यालय, तथा कोलोराडो राज्य विश्वविद्यालय शामिल हैं।

देवियो और सज्जनो,

किसी भी राष्ट्र की सच्ची संपदा उसके शिक्षित और सभ्य नागरिकों के रूप में ही मूल्यांकित की जाती है। इस दृष्टि से हम सौभाग्यशाली हैं कि भारतभूमि में प्राचीन काल से ही ज्ञान और विज्ञान की यह धारा निरंतर प्रवहमान रही है।  

भारत ऋषियों मुनियों और संतों की भूमि रहा है, जहाँ दुनिया के कोने-कोने से विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते रहे हैं। यहाँ तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्व विख्यात विश्वविद्यालय रहे हैं।

भारत की ज्ञान परंपरा विश्व के लिए अनुकरणीय रही है। जब पश्चिम ज्ञान से अनभिज्ञ था, तब भारतभूमि पर वेद, पुराण और उपनिषद जैसे महान ग्रंथों की रचना हो रही थी। हमारी गुरुकुल परंपरा अनुभव आधारित और मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली की संवाहक रही है। हमारी शिक्षा व्यवस्था व्यक्ति और व्यक्तित्व के निर्माण की पोषक रही है।

देवियो और सज्जनो,

ज्ञान केवल तथ्यों या सूचनाओं का संग्रह नहीं है; यह वह कुंजी है जो समझ, ज्ञान और प्रगति के द्वार खोलती है। तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में, जहां चुनौतियां और अवसर लगातार विकसित हो रहे हैं, नवीनतम ज्ञान जीवन की यात्रा में हमारा मार्गदर्शन करता है।

 ज्ञान एक ऐसा सेतु है जो अतीत को वर्तमान से और वर्तमान को भविष्य से जोड़ता है। आप सभी को इस भव्य परंपरा का हिस्सा बनने का प्रयास करना जरूरी है।

कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु थे। उन्होंने पृथ्वी से लेकर छोटे बालक तक से कुछ न कुछ सीखा। पृथ्वी से उन्होंने, सहनशीलता व परोपकार की भावना सीखी और समुद्र से सीखा कि जीवन के उतार-चढ़ाव में भी गतिशील रहना चाहिए। छोटे बालक से उन्होंने प्रसन्न रहना सीखा और भौरे से यह शिक्षा ली कि जहां भी सार्थक बात सीखने को मिले, उसे तत्काल ग्रहण कर लेना चाहिए। इसलिए, आपको भी सदैव सीखने का उत्साह बनाए रखना है।

दीक्षांत का अर्थ है- ‘दीक्षा’ का अंत, यानी अब आप अपने ज्ञान को केवल पुस्तक तक सीमित नहीं रखेंगे, बल्कि उसे समाज के हित में उपयोग करेंगे।

महात्मा गांधी जी ने कहा था कि, ‘‘सच्ची शिक्षा वही है जो समाज और मानवता की सेवा करने की भावना उत्पन्न करे।’’ गांधीजी ने शिक्षा को समाज सेवा का माध्यम माना और इसे मनुष्य के सामाजिक दायित्वों से जोड़ा।

मुझे यहां डॉ. भीमराव अंबेडकर के दृष्टिकोण की याद आती है जिन्होंने कहा था कि ‘‘शिक्षा वह शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं।’’

शिक्षा द्वारा ही समाज को सही दिशा प्रदान की जा सकती है। शिक्षा केवल उपाधि प्राप्त करने तक सीमित नहीं है अपितु शिक्षा समाज के प्रति हमारे दायित्व बोध को इंगित करती है।

दवियो और सज्जनो,

आज भारत विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान बनाकर एक बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है। देश में अपार संभावनाएँ हैं, और इसकी सबसे बड़ी ताकत इसकी युवा आबादी है, जो न केवल ऊर्जा से भरपूर है बल्कि नवाचार, तकनीकी कौशल और रचनात्मकता के क्षेत्र में भी अग्रसर है। इस युवा शक्ति के पास नयी सोच, उत्साह और जोखिम लेने की क्षमता है, जो भारत को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भारत की युवा पीढ़ी में उद्यमशीलता के अद्वितीय गुण देखने को मिलते हैं, जिसने स्टार्टअप इकोसिस्टम, तकनीकी नवाचार और डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में देश को विश्व में एक अग्रणी स्थान दिलाया है।

इसके साथ ही, सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न नीतियाँ और योजनाएँ, जैसे डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, इस युवा शक्ति को स्वरोजगार, नवाचार और कौशल विकास के अवसर प्रदान कर रही हैं।

इसके अलावा, युवा भारत के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक समरसता के क्षेत्रों में भी निरंतर प्रयास जारी हैं, जिससे देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में तेजी आ रही है।

 प्रिय छात्रो,

आप भारत की शक्ति हैं। आज का भारत एक ऐसे युग में प्रवेश कर चुका है जहाँ उसकी पहचान एक युवा और उभरती हुई ताकत के रूप में हो रही है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘विकसित भारत 2047’ का जो सपना देखा है, उसे साकार करने में युवाओं की भूमिका सबसे अधिक है।

हमारे देश में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है। इस नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों का संपूर्ण विकास करना और उन्हें पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक और रचनात्मक शिक्षा प्रदान करना है। और साथ ही युवाओं को विश्वस्तरीय रोज़गार योग्य बनाने के साथ-साथ उन्हें रोज़गार प्रदाता बनाने पर ज़ोर दिया गया है।

इसके तहत उच्च शिक्षा संस्थानों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है जिनमें शिक्षा-केंद्रित विश्वविद्यालय, शोध-केंद्रित विश्वविद्यालय और स्वायत्त कॉलेज शामिल हैं। सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को 2040 तक बहु-विषयक संस्थानों के रूप में विकसित किया जाएगा।

आज हमारे युवाओं को वैश्विक दक्षता से परिपूर्ण नागरिक बनाने के लिए कौशल का विकास किया जा रहा है। हमारे सजग, शिक्षित और कौशल से परिपूर्ण नागरिक ही हमारे देश को विश्व गुरु के रूप में स्थापित कर सकते हैं।

इस दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक क्रांतिकारी कदम है, जिसमें भारतीयता को केंद्र में रखकर भारतीय भाषाओं और भारतीय ज्ञान के संरक्षण पर बल दिया जा रहा है।

हाल ही में पंजाब राजभवन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 संबंधी विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों के कुलपतियों और निदेशकों की भागीदारी वाले दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और कई अन्य दिग्गजों ने हिस्सा लिया और शिक्षा नीति के सफल कार्यान्वयन पर चर्चा की गई।

इस सेमिनार का उद्देश्य पंजाब में नई शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से लागू कर शिक्षा के स्तर में सुधार करते हुए पंजाब को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाना है।

इसके अलावा पंजाब राजभवन में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) पर एक दिवसीय सेमिनार का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों विशेषकर उन कॉलेजों को शामिल और प्रेरित करना था जिन्होंने अभी तक नैक प्रत्यायन के लिए आवेदन नहीं किया है।

इस कार्यक्रम दौरान शिक्षण संस्थानों को नैक के साथ जुड़ने के महत्व संबंधी विस्तार में अवगत करवाया गया। उन्हें बताया गया कि नैक से संबद्धता न केवल संस्थान की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लाती है, बल्कि इसे एक मान्यता प्राप्त, विश्वसनीय और प्रतिस्पर्धी संस्था के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

इसके अलावा नैक से जुड़ने से यह लाभ है कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से शोधकार्यों के लिए सहायता और ग्रांट आसानी से हासिल की जा सकेगी, जिससे शैक्षणिक संस्थानों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार होगा।

साथियो, हमारे सामने देश को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प है और इसके लिए हमें अपनी पूरी मेहनत, लगन और एकजुटता के साथ आगे बढ़ना होगा। यह लक्ष्य केवल एक आर्थिक या तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि इसके लिए समाज में सामाजिक समरसता, आर्थिक समृद्धि, राजनीतिक परिपक्वता और सांस्कृतिक उत्थान का संतुलित मिश्रण आवश्यक है।

सामाजिक समरसता के लिए हमें सभी समुदायों, जातियों और धर्मों के बीच प्रेम, सद्भाव और आपसी सम्मान की भावना को मजबूत करना होगा, ताकि हर व्यक्ति को समान अवसर मिल सके।

राजनीतिक परिपक्वता के लिए लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करते हुए पारदर्शी और जनहितैषी नीतियों को अपनाना अनिवार्य है।

साथ ही, सांस्कृतिक उत्थान के लिए हमें अपनी समृद्ध विरासत, कला, संगीत और साहित्य को संरक्षित करते हुए आधुनिकता के साथ संतुलन स्थापित करना होगा, जिससे भारत की अनूठी पहचान विश्व में और भी प्रबल हो सके।

जब हम शिक्षा, विज्ञान, तकनीकी उन्नति, आर्थिक उद्यमिता और सामाजिक समरसता में संतुलित विकास को सुनिश्चित करते हैं, तो हम न केवल अपने देश की आंतरिक संरचना को मजबूत करते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा भी ऊंची करते हैं।

हमारे नेतृत्व ने हमेशा हमें दिशा दिखाई है; वे न केवल हमारे विकास के आदर्श रहे हैं, बल्कि उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि हम अपने मूल्यों, नैतिकता और समावेशिता के सिद्धांतों को अपनाते हुए आगे बढ़ें।

इस प्रकार, जब हम एक जुट होकर काम करते हैं, तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत, न्यायसंगत और प्रगतिशील समाज का निर्माण कर सकते हैं, जिससे भारत विश्व में अपनी अमिट छाप छोड़ सकेगा।

प्रिय छात्रो,

मैं आपसे यह अपेक्षा करता हूं कि आप न केवल अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राप्त करें, बल्कि समाज और देश की प्रगति में भी सक्रिय भूमिका निभाएं। अपनी सफलता को दूसरों की भलाई के लिए समर्पित करें और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।

चाहे वह रोजगार, सामाजिक न्याय, या पर्यावरण संरक्षण हो, हर क्षेत्र में आपकी सक्रिय भागीदारी देश के विकास का आधार बनेगी।

मैं आप सभी अभिभावकों, शिक्षकों, और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों का भी आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने आपके उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दिया है। आपकी मेहनत, समर्पण और प्रेरणा ने आज के इस गौरवमयी दिन को संभव बनाया है।

आइए, हम सभी मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जहाँ शिक्षा, नैतिकता, और नवाचार की रोशनी से हर नागरिक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हो।

मैं विश्वविद्यालय प्रशासन को एक बार फिर बधाई देता हूँ और आप सबके उज्ज्वल भविष्य के लिए मंगलकामना करता हूँ।

धन्यवाद,

जय हिंद!