SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF 1ST CONVOCATION OF AIIMS BATHINDA ON MARCH 11, 2025.
- by Admin
- 2025-03-13 14:05
एम्स बठिंडा के प्रथम दीक्षांत समारोह के अवसर पर
माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 11.03.2025, मंगलवार समयः दोहपर 2:40 बजे स्थानः बठिण्डा
नमस्कार!
आज एम्स बठिंडा के प्रथम दीक्षांत समारोह के इस विशेष अवसर पर आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए गर्व और सौभाग्य की बात है। आज एमबीबीएस, एमडी, एमएस, एमडीएस छात्रों के प्रथम बैच को डिग्रियां वितरित की जा रही हैं। मैं इन सभी को हार्दिक बधाई देता हूं।
आज जब मैं इस प्रतिष्ठित संस्थान में उपस्थित हुआ हूं, तो मुझे यह अत्यंत गर्व और सम्मान की अनुभूति हो रही है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बठिंडा भारत के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में से एक है।
एम्स बठिंडा की आधारशिला 25 नवंबर, 2016 को माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा रखी गई थी और वर्ष 2019 में इसका संचालन शुरू हुआ।
अपनी स्थापना के बाद से, एम्स बठिंडा तेजी से उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में उभरा है, जो अपनी शैक्षणिक कठोरता और चिकित्सा शिक्षा के लिए अभिनव दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। एम्स बठिंडा न केवल स्थानीय समुदायों को अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहा है, बल्कि कैंसर जैसे गंभीर रोगों से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
हर्ष का विषय है कि एम्स बठिंडा ने शैक्षणिक, अनुसंधान और नैदानिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब, पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय, महाराजा रणजीत सिंह विश्वविद्यालय, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पंजाब कौशल विकास मिशन, पंजाब सरकार जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
मेरे प्यारे युवा स्नातकों,
स्वास्थ्य क्षेत्र में करियर बनाना, केवल एक पेशा नहीं है, यह एक सेवा है, एक जिम्मेदारी है। मैं आपको इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर हार्दिक बधाई देता हूँ।
आपने इस संस्थान से जो ज्ञान के साथ-साथ मानव कल्याण के जो मूल्य सीखे हैं, उनका उपयोग न केवल अपने व्यक्तिगत करियर के विकास में करें, बल्कि उन लोगों की मदद करने में जिनकी स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच है।
जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, याद रखें कि इस क्षेत्र में तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ मानवता और नैतिकता का विशेष महत्व है। एक सफल चिकित्सक वही होता है जो विज्ञान और मानवता के बीच सही संतुलन बना सके।
पूरे विश्व को सु-स्वस्थ तथा रोग-मुक्त बनाना हमारा धर्म, यानी आदर्श है। पूरे विश्व का आरोग्य सुनिश्चित करने के मूल में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का विचार निहित है। मैं यह आशा करता हूं कि आप सभी इस विचार को अपने निजी जीवन में और पेशेवर जीवन में अपना आदर्श वाक्य बनाएंगे।
मित्रों,
हमारे देश की चिकित्सा प्रणाली का इतिहास बेहद समृद्ध और वैज्ञानिक आधार पर टिका हुआ है। प्राचीन भारत में स्वास्थ्य सेवाओं का विकास न केवल शारीरिक बीमारियों के इलाज तक सीमित था, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर भी केंद्रित था।
भारत की चिकित्सा प्रणाली का सबसे पुराना और प्रमुख स्रोत आयुर्वेद है। आयुर्वेद चिकित्सा का उद्देश्य केवल रोग का उपचार नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा के सामंजस्य को बनाए रखना है। इसकी जड़ें वैदिक युग से जुड़ी हुई हैं।
आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथों में चरक संहिता और सुश्रुत संहिता आते हैं। चरक संहिता को चिकित्सा के विज्ञान का सबसे प्राचीन और पूर्ण ग्रंथ माना जाता है। इसमें शरीर के विभिन्न दोषों वात, पित्त, कफ का संतुलन बनाए रखने की विधियों का विस्तार से वर्णन है। दूसरी ओर, सुश्रुत संहिता को शल्य चिकित्सा का आधार माना जाता है। सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है, और उनके समय में की गई सर्जरी की विधियों का आज भी चिकित्सा विज्ञान में महत्व है।
प्राचीन भारत में औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों का महत्व भी अत्यधिक था। रामायण की कथा के अनुसार, संजीवनी बूटी लेकर वायु मार्ग से हनुमान जी, प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी के पास पहुंचे थे तथा लक्ष्मण जी के उपचार में अपना योगदान दिया था।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्राकृतिक तत्वों, जैसे कि नीम, हल्दी, तुलसी, अश्वगंधा, और अन्य जड़ी-बूटियों का उपयोग रोगों के उपचार में किया जाता था। इन जड़ी-बूटियों का वैज्ञानिक महत्व आज भी स्वीकार किया जाता है, और इनका उपयोग आधुनिक चिकित्सा में भी हो रहा है।
इसके अतिरिक्त, भारत की समृद्ध चिकित्सा परंपरा ने रसशास्त्र, सिद्ध और यूनानी जैसी अन्य चिकित्सा प्रणालियों को भी जन्म दिया। यह उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में पारंपरिक भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली को वैश्विक स्तर पर मान्यता और सम्मान प्राप्त हो रहा है।
आज, जब हम आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों को देखते हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि प्राचीन भारत ने चिकित्सा के क्षेत्र में जो ज्ञान प्रदान किया, वह अत्यधिक समृद्ध और प्रभावी था।
पारंपरिक भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में अधिक शोध और नवाचार करने की आवश्यकता है। यदि पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का समन्वय किया जाए, तो यह वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।
मित्रो,
आज का चिकित्सा क्षेत्र पहले की तुलना में कहीं अधिक जटिल और गतिशील हो चुका है। नई-नई बीमारियाँ, महामारी, बढ़ती स्वास्थ्य असमानताएँ, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे और तकनीकी विकास की तीव्र गति ने स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के समक्ष अभूतपूर्व चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। इन चुनौतियों के बीच, यह समझना जरूरी है कि ये बदलते परिदृश्य भी हमें नवाचार के नए अवसर प्रदान करते हैं।
आप, जो चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत हैं, अपनी अद्वितीय योग्यता, अनुभव और नवीनतम तकनीकी कौशल के साथ इन चुनौतियों का सामना करने में पूरी तरह सक्षम हैं। आपकी मेहनत, अनुसंधान और निरंतर सीखने की प्रवृत्ति न केवल रोगों के उपचार में सुधार ला रही है, बल्कि समाज के स्वास्थ्य ढांचे को और अधिक सुदृढ़ कर रही है।
जब आप मानसिक स्वास्थ्य, महामारी प्रबंधन और स्वास्थ्य असमानताओं से निपटने के लिए नए तरीकों और तकनीकों को अपनाते हैं, तो आप न केवल अपने पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं, बल्कि देश को स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की दिशा में भी अग्रसर करते हैं।
प्रिय छात्रो,
एक श्रेष्ठ चिकित्सक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता बनने के लिए केवल तकनीकी ज्ञान और कुशलता ही पर्याप्त नहीं है। वास्तव में, जब तक एक चिकित्सक के भीतर सहानुभूति, करुणा और मानवता का गहरा भाव नहीं होता, तब तक वह अपने पेशे के असली उद्देश्य, मरीजों की सेवा, उन्हें आशा और राहत प्रदान करना, को पूरी तरह से सिद्ध नहीं कर सकता।
स्वास्थ्य सेवा केवल एक पेशा नहीं है; यह एक महान सेवा है जिसमें मनुष्य के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता होती है। एक डॉक्टर या नर्स, चाहे वह कितनी भी उन्नत तकनीकी दक्षता रखता हो, यदि उसमें मरीज के प्रति सच्ची संवेदना नहीं होती, तो वह चिकित्सा के वास्तविक सार को अधूरा छोड़ देता है।
मरीजों के साथ सहानुभूति रखने से चिकित्सक न केवल उनकी शारीरिक बीमारी का उपचार करते हैं, बल्कि उनके मनोबल को भी ऊँचा उठाते हैं, जिससे उन्हें कठिन समय में सहारा मिलता है।
यह भावना, यह करुणा, और यह मानवता ही चिकित्सा सेवा का मूल आधार है। जब एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मरीज की पीड़ा को समझता है और उसे महसूस करता है, तो वह उसे केवल दवाओं से नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी सहारा देता है।
पंजाब में तो करूणा और मानवता का काफी पुराना इतिहास रहा है। यहां मैं मानव सेवा के सबसे बड़े प्रतीक भाई कन्हैया जी के बारे में आपको बताना चाहता हूँ। भाई कन्हैया जी सिख इतिहास के एक महान व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने मानवता, सेवा और प्रेम की मिसाल कायम की। उनका जीवन प्रेरणादायक संदेश देता है कि सेवा किसी धर्म, जाति या पक्ष पर निर्भर नहीं होनी चाहिए।
1705 में आनंदपुर साहिब की लड़ाई के दौरान, जब सिख और मुगल सेना के बीच भीषण युद्ध चल रहा था, तो उन्होंने लड़ाई के दौरान बिना किसी भेदभाव के सिख और मुगल, दोनों सेनाओं के घायल सैनिकों की मरहम पट्टी करके और पानी पिलाकर निस्वार्थ सेवा की। इस कार्य से उन्होंने साबित कर दिया कि मानवता सबसे बड़ा धर्म है और सेवा की सीमा किसी भी भेदभाव से ऊपर होती है। उनकी शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उस समय थीं।
आज भाई कन्हैया जी की सेवा की उसी प्रेरणादायक भावना के अनुरूप, पंजाब भर में उनके नाम पर अनेक अस्पताल और संस्थाएँ स्थापित की गई हैं, जो मानव-सेवा के कार्य में अग्रसर हैं। ये संस्थान न केवल चिकित्सा सेवा प्रदान करती हैं, बल्कि समाज के प्रति करुणा, निस्वार्थता और समर्पण के संदेश को भी फैलाने का कार्य करती हैं।
इसलिए, स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ मानवता के मूल्यों को भी आत्मसात करना अत्यंत आवश्यक है। जब चिकित्सक अपने पेशे को एक महान सेवा के रूप में अपनाते हैं, तो वे अपने मरीजों को सिर्फ उपचार नहीं, बल्कि प्रेरणा, सहारा और आशा का संदेश भी देते हैं, जो उनके जीवन में सच्चे परिवर्तन का कारण बनता है।
एक सच्चा चिकित्सक मरीज के लिए आशा की किरण बन जाता है, उसे राहत प्रदान करता है और कभी-कभी उसकी ज़िंदगी में नया अध्याय भी शुरू कर देता है। यही कारण है कि चिकित्सा का असली उद्देश्य केवल रोगों का उपचार करना नहीं, बल्कि मानव जीवन में सुधार, संवेदना और करुणा का संचार करना है।
देवियो और सज्जनो,
डॉक्टरों को अक्सर ‘धरती पर भगवान’ कहा जाता है, और यह उपाधि सही भी है। अपने ज्ञान, करुणा और निस्वार्थ सेवा के माध्यम से, डॉक्टर अनगिनत जीवन में आशा और शांति लाते हैं। एक डॉक्टर केवल बीमारियों का निदान नहीं करता; वह आशा देता है, जीवन बदलता है, और अक्सर उसे बचाता है।
महात्मा गांधी जी ने कहा था - ‘‘एक सच्चा डॉक्टर वही होता है जो अपने मरीज की बीमारी से पहले उसके दर्द को समझे।’’ उनका यह दृष्टिकोण चिकित्सीय सेवा में मानवता, करुणा और समर्पण की अहमियत को रेखांकित करता है, जो रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य और जीवन गुणवत्ता में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
किसी भी राष्ट्र की उन्नति और विकास का आधार उसके नागरिकों का स्वास्थ्य होता है। एक स्वस्थ समाज ही एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र की नींव रख सकता है। चिकित्सा सेवाओं का विस्तार और उच्च-स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता किसी भी देश की प्रगति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, हमारे देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में कई प्रमुख सुधारों की शुरुआत हुई है। पिछले कुछ वर्षों में, देशभर में मेडिकल सीटों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है- 2014 से अब तक 30,000 से अधिक नई एमबीबीएस सीटें जोड़ी गई हैं, जो 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती हैं।
इसी तरह, पोस्टग्रेजुएट (पीजी) सीटों की संख्या में लगभग 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें 24,000 अतिरिक्त सीटें जोड़ी गई हैं। इन पहलों के साथ-साथ, देशभर में नए एम्स की स्थापना की जा रही है, जिससे हमारे स्वास्थ्य ढांचे में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। आने वाले 5 सालों में स्वास्थ क्षेत्र में 75,000 नई मेडिकल सीट्स बनाई जाएंगी।
हमारे समय की सबसे महत्वाकांक्षी और प्रभावी स्वास्थ्य पहल में से एक ‘‘आयुष्मान भारत योजना’’ है। यह योजना, जिसे अब दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना के रूप में पहचाना जा रहा है, 50 करोड़ से अधिक भारतीय नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का लक्ष्य रखती है।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का उद्देश्य देश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करना है, जिससे हम नई और उभरती हुई बीमारियों का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकें। ये दूरदर्शी कार्यक्रम हमारे देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को पूरी तरह से बदल रहे हैं और सुनिश्चित कर रहे हैं कि सबसे गरीब नागरिक भी उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा देखभाल प्राप्त कर सकें।
साथ ही, इस वर्ष के केंद्रीय बजट 2025-26 में स्वास्थ्य सेवा को महत्वपूर्ण बढ़ावा दिया गया है, जिससे सुलभ, सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाएँ सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता झलकती है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को 99 हजार 858 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2014-15 से 191 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
• 2014 से अब तक 1.1 लाख मेडिकल सीटें जोड़ी गई हैं। अगले 5 वर्षों में 75 हजार सीटें जोड़ने के लक्ष्य की दिशा में आगामी वर्ष मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में 10,000 अतिरिक्त मेडिकल सीटें जोड़ी जाएँगी, जिससे डॉक्टर-से-रोगी अनुपात सुधरेगा और वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचेंगी।
• अगले तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में डेकेयर कैंसर केंद्र स्थापित किए जाएँगे, जो शीघ्र निदान और उपचार में मदद करेंगे।
• 36 महत्वपूर्ण दवाओं को सीमा शुल्क से छूट दी गई, जिससे कैंसर और दुर्लभ बीमारियों के इलाज की लागत कम होगी।
• निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में भारत को वैश्विक चिकित्सा गंतव्य बनाने के लिए वीज़ा प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा रहा है और उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इन प्रयासों से भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र मजबूत होगा, रोगियों की वित्तीय बाधाएँ कम होंगी और चिकित्सा सेवाओं की पहुँच व्यापक होगी।
इसके अलावा, भारत तेजी से चिकित्सा पर्यटन के एक उभरते केंद्र के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है। अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएँ, उच्च गुणवत्ता वाले उपचार और कम लागत में इलाज, भारतीय अस्पतालों में नवीनतम तकनीक, उन्नत उपकरण और कुशल डॉक्टरों की विशेषज्ञता ने इसे विश्वभर के मरीजों के लिए आकर्षक बनाया है। सरकारी नीतियाँ जैसे ‘आयुष्मान भारत’ और ‘मेड इन इंडिया’ ने इस क्षेत्र में निवेश बढ़ा कर चिकित्सा मानकों में सुधार किया है।
साथ ही, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविधता और मेहमाननवाज़ी की परंपरा भी चिकित्सा पर्यटन को एक अनूठा अनुभव प्रदान करती है। मरीज न केवल इलाज के लिए आते हैं, बल्कि यहाँ की सांस्कृतिक छटा, परंपराएं, और पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार का अनुभव भी करते हैं, जो उनकी यात्रा को संपूर्ण और यादगार बना देता है।
इन सभी पहलुओं ने मिलकर भारत को चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में एक वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बना दिया है, और इसके आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं।
हम अमृत काल में हैं और विकसित भारत 2047 की दिशा में एक ऐतिहासिक यात्रा पर अग्रसर हैं। ‘फिट इंडिया’ का सपना तभी पूरा होगा जब चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हमारे कुशल और समर्पित स्वास्थ्य कर्मी अपनी पूरी क्षमता और प्रतिबद्धता के साथ 24X7 इस लक्ष्य को प्राप्त करने में जुटे रहेंगे।
आपके योगदान से ही हम स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, नवाचारों को अपनाने, और रोगों की रोकथाम में सफल हो सकते हैं। इस यात्रा में सरकार, चिकित्सा संस्थान, टेक्नोलॉजी, अनुसंधान और सामाजिक सहभागिता की महत्वपूर्ण भूमिका है।
आइए, हम सभी मिलकर इस लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ें और यह सुनिश्चित करें कि 2047 का भारत न केवल आर्थिक और तकनीकी रूप से विकसित हो, बल्कि एक स्वास्थ्य-संपन्न, जागरूक और सशक्त राष्ट्र के रूप में भी स्थापित हो।
प्रिय छात्रो,
अब आप व्यावसायिक दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप हमेशा यहां सिखाए गए मूल्यों को याद रखें। जीवनभर सीखने वाले बनें, क्योंकि स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में ज्ञान लगातार विकसित हो रहा है।
इस प्रतिष्ठित संस्थान के संकाय सदस्यों और प्रशासन को मैं अपनी गहरी प्रशंसा प्रकट करता हूं, जिन्होंने इन युवा स्नातकों के मस्तिष्क और आत्मा को पोषित किया है। आपके प्रयासों ने उन्हें केवल सफल करियर के लिए ही नहीं, बल्कि सेवा और नेतृत्व के अर्थपूर्ण जीवन के लिए भी तैयार किया है।
आज यहां उपस्थित सभी परिवारों और प्रियजनों को मैं हृदय से बधाई देता हूं और आपके गर्व व खुशी में सहभागी हूं।
अंत में, मैं स्नातक वर्ग से कहना चाहूंगा कि आप सभी के सामने असीम संभावनाओं से भरा उज्ज्वल भविष्य खुला खड़ा है। आत्मविश्वास, विनम्रता और उद्देश्य के साथ आगे बढ़ें। यात्रा में चुनौतियां होंगी, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि आप उन्हें उसी दृढ़ संकल्प के साथ पार करेंगे जिसने आपको इस मील के पत्थर तक पहुंचाया है।
आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ। आप अपने जीवन में अपार सफलता प्राप्त करें और अपने परिवार, समाज और इस प्रतिष्ठित संस्थान का नाम रोशन करें।
धन्यवाद,
जय हिन्द!