SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF CAPACITY BUILDING TRAINING PROGRAM FOR SCHOOLS PRINCIPALS/COUNSELLORS OF UT CHANDIGARH AT CHANDIGARH ON MARCH 20, 2025.

सीसीपीसीआर द्वारा आयोजित क्षमता निर्माण कार्यक्रम के अवसर पर

माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 20.03.2025, गुरूवार      समयः सुबह 11:00 बजेस्थानः चंडीगढ़

 

नमस्कार!

आज चंडीगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग (Chandigarh Commission for Protection of Child Rights) के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित क्षमता निर्माण कार्यक्रम में आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत गौरव और प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। 

मैं वर्ष 2014 में स्थापित चंडीगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इसके सफलतापूर्वक 11 वर्षों की उल्लेखनीय यात्रा के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। मैं चंडीगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग के प्रति अपनी गहरी सराहना व्यक्त करता हूँ, जो बच्चों के अधिकारों और उनके कल्याण की रक्षा के लिए निरंतर समर्पित है।

बच्चे हमारे समाज की नींव हैं, और यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि वे एक सुरक्षित, पोषित और सशक्त वातावरण में बड़े हों।

गौरव का विषय है कि पिछले एक दशक से अधिक समय से, आयोग ने न केवल बाल अधिकारों को सशक्त बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं, बल्कि समाज में बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और मानसिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया है।

आयोग ने बच्चों के साथ होने वाले किसी भी प्रकार के शोषण, भेदभाव और अन्याय के खिलाफ सशक्त आवाज़ उठाई है और उन्हें एक सुरक्षित एवं सकारात्मक वातावरण उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

यह न केवल नीतियों के निर्माण में सहायक रहा है, बल्कि शिक्षा संस्थानों, सरकारी निकायों, समाजसेवी संगठनों और आम जनता के साथ मिलकर बाल अधिकारों को संरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए सराहनीय कार्य किया है।

आज, जब हम इस आयोग की 11 वर्षों की सफलता का जश्न मना रहे हैं, तब यह आवश्यक हो जाता है कि हम इसकी सार्थक उपलब्धियों को पहचानें और इस दिशा में आगे भी प्रभावी कदम उठाएँ। 

देवियो और सज्जनो,

आज का यह क्षमता निर्माण कार्यक्रम केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारे शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और परामर्शदाताओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, ताकि वे हमारे बच्चों के भविष्य को और अधिक उज्ज्वल बना सकें।

मुझे बताया गया है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के बारे में शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और परामर्शदाताओं को जागरूक करना और उनकी समझ को बढ़ाना है, ताकि बच्चों के लिए सुरक्षित और समावेशी शिक्षण वातावरण सुनिश्चित हो सके।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की बात करें तो यह नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक ऐतिहासिक परिवर्तन लाने का प्रयास है, जो 21वीं सदी की आवश्यकताओं और वैश्विक मानकों के अनुरूप है। यह केवल एक नीति नहीं, बल्कि भारत की नई शिक्षा प्रणाली का एक मजबूत आधार है, जो शिक्षा को अधिक समावेशी, बहुआयामी, लचीला और कौशल-आधारित बनाने की दिशा में अग्रसर है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। यह नीति हर विद्यार्थी को उसकी रुचि और क्षमता के अनुसार सीखने के अवसर देने, व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देने और रचनात्मकता को विकसित करने पर बल देती है।

इसके अलावा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम की बता करें तो, यह भारत के हर बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने का संवैधानिक अधिकार देता है। यह अधिनियम विशेष रूप से 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए सरकारी और मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करता है।

इस अधिनियम का उद्देश्य सिर्फ बच्चों को विद्यालय तक पहुँचाना ही नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना, भेदभाव को समाप्त करना, और एक समान शैक्षिक अवसर उपलब्ध कराना भी है।

शिक्षा केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली साधन है जो समाज को गरीबी, असमानता और अज्ञानता से मुक्त कर सकता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम हर बच्चे को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

साथ ही अगर, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम की बात की जाए तो, यह अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को यौन शोषण, यौन उत्पीड़न और पोर्नाेग्राफी जैसे अपराधों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया एक सख्त कानून है। यह अधिनियम बच्चों को एक सुरक्षित वातावरण देने और उनके मूल अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक एवं प्रभावी पहल है।

जब तक हमारा समाज बच्चों के प्रति सुरक्षित नहीं होगा, तब तक हम एक प्रगतिशील राष्ट्र की कल्पना नहीं कर सकते। 

इसलिए, हम सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हर बच्चा सुरक्षित, सशक्त और भयमुक्त वातावरण में अपना बचपन व्यतीत कर सके।

देवियो और सज्जनो,

बच्चे हमारे समाज की सबसे मूल्यवान पूंजी हैं, और उनकी शिक्षा, सुरक्षा, मानसिक व भावनात्मक विकास हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। जब हम एक मजबूत शिक्षण और परामर्श तंत्र विकसित करते हैं, तो हम न केवल छात्रों को शिक्षित करते हैं, बल्कि उन्हें एक सशक्त, आत्मनिर्भर और नैतिक रूप से समृद्ध नागरिक बनने के लिए तैयार भी करते हैं। यह कार्यक्रम इसी उद्देश्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

हमारे विद्यार्थी देश के भविष्य के निर्माता हैं, और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी हमारे शिक्षकों और परामर्शदाताओं पर है। जब हम उन्हें नवीनतम शिक्षण तकनीकों, परामर्श कौशल और बाल अधिकारों की समझ से सशक्त करते हैं, तो हम एक सशक्त, आत्मनिर्भर और संवेदनशील समाज के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हैं।

चंडीगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गत वर्षों में बाल अधिकारों की सुरक्षा, जागरूकता और प्रवर्तन के लिए अनेक प्रभावी पहलें की हैं। बाल अधिकार केवल संरक्षण और सुरक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि उनके पूर्ण विकास और सशक्तिकरण से भी जुड़े हैं। 

यह आवश्यक है कि हर बच्चा शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और बौद्धिक रूप से स्वस्थ वातावरण में विकसित हो। हमारे शिक्षक और परामर्शदाता इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। आप केवल ज्ञान प्रदान करने वाले नहीं, बल्कि मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत और संरक्षक भी हैं, जो बच्चों को सही दिशा में आगे बढ़ने में सहायता करते हैं।

बचपन जीवन का सबसे कोमल, संवेदनशील और विकासशील चरण होता है। यह वह समय है जब एक बच्चा सीखता, समझता और अपने व्यक्तित्व का निर्माण करता है। एक खुशहाल बचपन केवल एक सुखद स्मृति नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की स्थिरता और उन्नति की नींव होता है। 

जब हम कहते हैं कि हर बच्चे को एक खुशहाल बचपन का अधिकार है, तो इसका अर्थ केवल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति तक सीमित नहीं, बल्कि इसके व्यापक पहलू हैं - शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, पोषण, मानसिक एवं भावनात्मक सशक्तिकरण, और समान अवसरों तक पहुंच।

देवियो और सज्जनो,

शिक्षा एक प्रगतिशील समाज की आधारशिला होती है, और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी होने के नाते, आप सभी छात्रों को ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो कल हमारे राष्ट्र का नेतृत्व करेंगे। 

शिक्षा केवल ज्ञान अर्जन का माध्यम नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण, नैतिकता और समग्र विकास का आधार भी है। एक शिक्षित समाज ही नवाचार, जागरूकता और प्रगति की दिशा में आगे बढ़ सकता है। जब हम शिक्षा को प्राथमिकता देते हैं, तो हम न केवल व्यक्तियों के जीवन को संवारते हैं, बल्कि राष्ट्र की उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।

विद्यालय विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का केंद्र होते हैं, जहाँ उन्हें बौद्धिक क्षमता के साथ-साथ नैतिक और सामाजिक मूल्यों से भी परिचित कराया जाता है। यहाँ वे केवल पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन नहीं करते, बल्कि समाज में अपने कर्तव्यों, जिम्मेदारियों और योगदान के महत्व को भी समझते हैं।

इसलिए, हमारे शिक्षकों और परामर्शदाताओं की क्षमताओं का विकास केवल उनके व्यक्तिगत या व्यावसायिक उन्नति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य में एक महत्वपूर्ण निवेश है। 

जब हम अपने शिक्षकों को नवीनतम शिक्षण पद्धतियों, आधुनिक तकनीकों और प्रभावी संचार कौशल से लैस करते हैं, तो वे न केवल छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर पाते हैं, बल्कि उन्हें एक सशक्त, जागरूक और आत्मनिर्भर नागरिक के रूप में भी विकसित करते हैं।

बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘किशोर न्याय अधिनियम’, ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम’ और ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ और अन्य प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के तहत उनका काम हर बच्चे के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

ये सभी कानून बच्चों को शारीरिक, मानसिक, यौन, भावनात्मक शोषण और भेदभाव से बचाने के लिए बनाए गए हैं। शिक्षकों और परामर्शदाताओं का दायित्व केवल पढ़ाई करवाने तक सीमित नहीं, बल्कि इन कानूनों की भावना के अनुरूप हर बच्चे के लिए एक सुरक्षित, समावेशी और सहायक वातावरण तैयार करना भी उनकी नैतिक और कानूनी ज़िम्मेदारी है।

देवियो और सज्जनो,

आज की तेजी से बदलती दुनिया में, जहां छात्रों को शैक्षणिक दबाव, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और सामाजिक अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है, इस दौड़ में आपकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। 

यही कारण है कि इस तरह के क्षमता निर्माण कार्यक्रम आवश्यक हैं, वे आपको शिक्षा में समकालीन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए नए दृष्टिकोण, रणनीतियों और पद्धतियों से जागरूक करते हैं।

छात्रों को केवल सूचनाओं से भर देना पर्याप्त नहीं, बल्कि उनमें आलोचनात्मक सोच, समस्या समाधान कौशल, भावनात्मक संतुलन और आत्मनिर्भरता विकसित करना आवश्यक है। यह कार्य तभी संभव हो सकता है जब हमारे शिक्षक और परामर्शदाता स्वयं सशक्त और प्रशिक्षित हों।

देवियो और सज्जनो,

चंडीगढ़ हमेशा से शिक्षा और बाल विकास के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। हमारे सरकारी और निजी विद्यालयों ने समय-समय पर नई शिक्षण पद्धतियों को अपनाया है और विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास के लिए नवाचार किए हैं। 

यह शहर अपने शिक्षा तंत्र की गुणवत्ता, नैतिक मूल्यों और आधुनिक दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। ऐसे में, इस तरह के कार्यक्रम हमें नई संभावनाओं से जोड़ते हैं और शिक्षा प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाते हैं।

मैं चंडीगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इस महत्वपूर्ण पहल के लिए बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी निरंतर आयोजित किए जाते रहेंगे। मैं यहाँ उपस्थित सभी शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और परामर्शदाताओं का आभार प्रकट करता हूँ, जो हमारे समाज के भविष्य, हमारे बच्चों के उज्ज्वल कल को आकार देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

अंत में, मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि हम मिलकर यह संकल्प लें कि हर बच्चे को एक सुरक्षित, समावेशी और उत्साहजनक वातावरण प्रदान करेंगे, जहाँ वह अपने सपनों को साकार कर सके। शिक्षक और परामर्शदाता केवल शिक्षा के वाहक नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण के आधार स्तंभ हैं। आपका योगदान आने वाली पीढ़ियों की दिशा और दशा तय करेगा।

मैं एक बार फिर इस आयोजन के लिए चंडीगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग को बधाई देता हूँ और इस कार्यक्रम के सफल आयोजन की कामना करता हूँ।

धन्यवाद,

जय हिन्द!