SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF DLF IRON LADY AWARDS BY ROZANA SPOKESMAN & DLF CITY CENTRE AT CHANDIGARH ON MARCH 29, 2025.

‘आयरन लेडी अवार्ड 2025’ समारोह के अवसर पर

माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 29.03.2025, शनिवार

समयः शाम 5:00 बजे

स्थानः चंडीगढ़

नमस्कार!

आज DLF Iron Lady Awards 2025 में आप सबके बीच उपस्थित होना मेरे लिए अत्यंत सम्मान और गर्व का विषय है।     

आज का यह अवसर न केवल एक सम्मान समारोह है, बल्कि यह एक संदेश भी है, एक ऐसी प्रेरणा, जो समाज में बदलाव लाने वाली उन नारी शक्तियों को समर्पित है, जिन्होंने अपने अदम्य साहस, शिक्षा और उत्कृष्टता के माध्यम से समाज को नई दिशा दी है।

‘‘आयरन लेडी अवॉर्ड्स’’ सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि एक प्रमाण है कि जब महिलाएँ अपने संकल्प और परिश्रम से आगे बढ़ती हैं, तो वे न केवल स्वयं को, बल्कि पूरे समाज को ऊपर उठाती हैं।

यह प्रतिष्ठित आयोजन, Rozana Spokesman(पंजाबी भाषा का बहुत बड़ा समाचारपत्र और इनका रोज़ाना स्पोक्समैन के नाम से एक डिजिटल चैनल भी है जिसकी लाखों लोगों तक पहुंच है) द्वारा आयोजित किया गया है। मुझे बताया गया है कि अख़बार को श्रीमती जगजीत कौर संभालती हैं और चैनल का कामकाज इनकी बेटी और आज के इस आयोजन की मुख्य प्रबंधन श्रीमती निम्रत कौर देखती हैं।

आज का यह समारोह उन महिलाओं के अद्भुत योगदान, दृढ़ संकल्प और असाधारण उपलब्धियों का उत्सव है, जिन्होंने समाज को नया आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मुझे बताया गया है कि Rozana Spokesman सच्ची पत्रकारिता और सामाजिक चेतना को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है। इसके संस्थापक सरदार हुकुम सिंह जी और बाद में इस मिशन को आगे ले जाने वाले स्वर्गीय सरदार जोगिंदर सिंह और सरदारनी जगजीत कौर ने इसे एक ऐसे संस्थान की तरह स्थापित किया है, जो समाज में विचारशीलता, नैतिकता और जागरूकता के बीज बोने का कार्य कर रहा है।

खासकर गुरू नानक देव जी की शिक्षाओं को आधुनिक समाज तक पहुंचाने में इस मीडिया हाउस ने जो योगदान दिया है, वह अत्यंत सराहनीय है। मैं इस संस्था के सभी सदस्यों को उनके इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए धन्यवाद देता हूँ।

मैं DLF City Center Mall, Chandigarh का भी विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूंगा, जो इस आयोजन का मेजबान है। 

यह अत्यंत ही गर्व का विषय है कि Iron Lady Awards का उद्देश्य ऐसी महिलाओं को सम्मानित करना है जिन्होंने सामाजिक बंधनों को तोड़ा, नए प्रतिमान स्थापित किए और अपनी लगन व संकल्प शक्ति से एक अमिट छाप छोड़ी है। 

मुझे बताया गया है कि इस वर्ष इस सम्मान हेतु कुल 3 हजार से अधिक नामांकन प्राप्त हुए, जिनमें से आज 25 महिलाओं को सम्मानित किया गया है। मैं सभी नामांकितों और विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूँ।

देवियो और सज्जनो,

जब कोई महिला सफलता की ऊँचाइयों को छूती है, तो यह सिर्फ उसकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं होती, बल्कि यह समाज के उन अनगिनत सपनों को भी जागृत करती है, जो अब तक संसाधनों, अवसरों, या सामाजिक बाधाओं के कारण साकार नहीं हो सके। उसकी सफलता एक संदेश देती है कि यदि हौसला, मेहनत और संकल्प हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

लेकिन यह मंच केवल उपलब्धियों का उत्सव नहीं मनाता, बल्कि यह एक जिम्मेदारी भी सौंपता है, एक प्रतिबद्धता कि समाज हर महिला को वह सुरक्षा और सहयोग प्रदान करेगा, जिसकी उसे आवश्यकता है। महिलाएँ केवल सम्मान पाने की हकदार नहीं हैं, बल्कि उन्हें ऐसा माहौल भी चाहिए जहाँ वे निडर होकर अपने सपनों की ओर बढ़ सकें।

नारी-शक्ति हमारे समाज का एक अभिन्न अंग है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं के सम्मान को हमेशा से ही महत्व दिया जाता है। मेरा मानना है कि नारी-शक्ति की भूमिका परिवार निर्माण, समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण और इन तीनों के विकास में अतुलनीय है।

भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति का प्रतीक मानते हुए देवी दुर्गा, काली और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ये देवियां इस बात का प्रतीक हैं कि नारी केवल कोमलता और संवेदनशीलता का ही नहीं, बल्कि अदम्य शक्ति और साहस का भी स्वरूप है।

महिलाओं का सृजनात्मक पक्ष केवल जीवन निर्माण तक सीमित नहीं है; वे अपने कौशल, ज्ञान और नेतृत्व के माध्यम से समाज और देश को प्रगति के पथ पर ले जाती हैं। उनका योगदान साहित्य, कला, विज्ञान, और विभिन्न क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

हमारे देश की नारी शक्ति का सम्मान रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। माता सीता का धैर्य, द्रौपदी का साहस, गार्गी और मैत्रेयी का ज्ञान, रानी लक्ष्मीबाई का शौर्य-ये सभी इस बात के प्रमाण हैं कि भारतीय संस्कृति में नारी को सदैव एक प्रेरणादायक शक्ति के रूप में देखा गया है।

आज मैं यहाँ श्री गुरु नानक देव जी द्वारा महिलाओं के सम्मान में कहे गए कुछ प्रेरणादायक शब्दों को साझा करना चाहता हूं। उन्होंने कहा था, ‘‘सो क्यों मंदा आखिए, जित जम्मे राजान...’’ अर्थात, उन महिलाओं को क्यों कम आंका जाए जिन्होंने महान राजाओं को जन्म दिया। 

आज जब हम यहां एकत्रित हुए हैं, तो मैं दो महान वीरांगनाओं की चर्चा करना चाहूंगा, जिन्होंने अपने साहस, त्याग और दृढ़ निष्ठा से इतिहास में अमर स्थान बनाया है, माता गुजरी और माई भागो। ये दोनों ही स्त्री शक्ति और अदम्य साहस की प्रतीक हैं, जिन्हें सही मायनों में ‘‘आयरन लेडी’’ कहा जा सकता है।

एक ओर जहां माता गुजरी ने आनंदपुर साहिब की घेराबंदी के दौरान अपने पोतों, साहिबजादों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को धर्म पर अडिग रहने की शिक्षा दी, जिसके परिणामस्वरूप वे शहीद हुए, और स्वयं माता गुजरी ने भी ठंडे बुर्ज में अपने प्राण त्याग दिए। 

वहीं दूसरी ओर, माई भागो ने 1705 में 40 सिख योद्धाओं को उनकी भूल का एहसास कराते हुए युद्ध में वापस लाया। उन्होंने न केवल वीरता से युद्ध लड़ा, बल्कि गुरु गोबिंद सिंह जी की रक्षा करते हुए इतिहास में अमर हो गईं।

इन दोनों महान स्त्रियों का जीवन हमें सिखाता है कि नारी केवल ममता और करुणा की मूर्ति ही नहीं होती, बल्कि जब आवश्यकता पड़ती है, तो वह अटूट साहस, निष्ठा और पराक्रम का प्रतीक भी बन जाती है।  

देवियो और सज्जनो,

हमारे देश के इतिहास में महिलाओं ने पारंपरिक बंधनों, सामाजिक रुढ़िवादिता और लैंगिक असमानता को चुनौती देते हुए न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि समाज के समग्र विकास में भी क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं।

रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ वीरता की मिसाल कायम की और महिलाओं में साहस तथा आत्मनिर्भरता का संदेश फैलाया। भारत की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले ने नारी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाए, जिससे न केवल महिलाओं को बल्कि समाज के पिछड़े वर्गों को भी समान अवसर मिलने लगे। 

स्वतंत्रता कार्यकर्त्ता और देश की पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू ने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भागीदारी से यह सिद्ध किया कि महिलाओं की शक्ति और प्रेरणा देश के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा भक्ति आंदोलन की प्रमुख कवयित्री और कृष्ण भक्त मीरा बाई, भारत में गरीबों और बीमारों की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाली मदर टेरेसा, देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और वर्तमान राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु और सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर आदि को कौन भुला सकता है।

साथ ही, हमारे सामने आधुनिक भारत की दो गौरवशाली अंतरिक्ष यात्री, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स, के प्रेरणादायक उदाहरण भी हैं। 

कल्पना चावला, भारत में जन्मी पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं, जिनकी अंतरिक्ष यात्रा दौरान हुई असामयिक मृत्यु ने पूरे विश्व को झकझोर दिया, लेकिन उनका योगदान और सपना आज भी अनगिनत लड़कियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

दूसरी ओर, भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में लगभग 9 महीने बिताने के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित लौट कर महिलाओं की क्षमता को एक नई ऊँचाई दी है।

इसके अलावा, आज भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी स्वयं एक प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। वह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व कर रहीं हैं। एक सामान्य जनजातीय पृष्ठभूमि के बावजूद दुनिया के दूसरी सबसे बड़ी सेना के सर्वोच्च कमांडर के रूप में काम कर रही हैं।

इन सभी महिलाओं के योगदान ने न केवल महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि समाज के हर वर्ग को यह प्रेरणा दी है कि परिवर्तन की शुरुआत स्वयं से होती है।

देवियो और सज्जनो,

जब हम इस मंच से महिलाओं को सम्मानित करते हैं, तो हमें इस बात को भी सुनिश्चित करना होगा कि महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। हर जिले में महिला सुरक्षा केंद्रों की स्थापना हो, ताकि जरूरतमंद महिलाओं को त्वरित सहायता मिल सके। 

साथ ही, साइबर सुरक्षा और कानूनी सहायता को अधिक सशक्त बनाया जाए, जिससे महिलाएँ डिजिटल युग में किसी भी प्रकार के शोषण से बच सकें। इसके अलावा, कार्यस्थलों और सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाना आवश्यक है, ताकि महिलाएँ बिना किसी भय के अपने कार्यों को सुचारू रूप से पूरा कर सकें।

महिला कल्याण के लिए शिक्षा और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। जब महिलाएँ शिक्षित और कुशल बनेंगी, तो वे न केवल आत्मनिर्भर होंगी, बल्कि समाज में आर्थिक और सामाजिक रूप से भी सशक्त बनकर उभरेंगी। 

इसके साथ ही, स्वास्थ्य सेवाओं, विशेष रूप से मातृत्व और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। मानसिक स्वास्थ्य अक्सर उपेक्षित रहता है, लेकिन यह महिलाओं के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आर्थिक सशक्तिकरण के लिए महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना होगा। महिलाओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए जाने चाहिए, ताकि वे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राजनीति, खेल और व्यवसाय जैसे विविध क्षेत्रों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें। 

इसके अलावा, राजनीति, प्रशासन, और न्याय व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब महिलाएँ निर्णय लेने वाले पदों पर पहुँचती हैं, तो वे समाज के हर वर्ग के हित में काम करती हैं। इसलिए, हमें महिलाओं को पंचायतों से लेकर संसद तक अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व देने की दिशा में कार्य करना चाहिए, जिससे वे समाज के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

देवियो और सज्जनो,

महिला सशक्तिकरण केवल एक आदर्श नहीं, बल्कि यह समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। कोई भी राष्ट्र तब तक पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो सकता, जब तक उसकी आधी आबादी यानी महिलाएँ समान अवसरों और संसाधनों से वंचित हों।

केन्द्र और राज्य सरकारें महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएँ चला रही हैं जैसे, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, उज्ज्वला योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया, और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली अन्य पहलें। लेकिन इन योजनाओं की सफलता तभी होगी जब समाज की मानसिकता भी बदलेगी।

समाज की मानसिकता में बदलाव लाना उतना ही आवश्यक है, जितना कि इन योजनाओं का क्रियान्वयन। जब तक समाज महिलाओं को समान अवसर, स्वतंत्रता और सम्मान नहीं देगा, तब तक सशक्तिकरण अधूरा रहेगा। महिलाओं को केवल घर की चारदीवारी तक सीमित रखने की पुरानी सोच को छोड़कर, उन्हें शिक्षा, रोजगार और नेतृत्व के अवसरों में आगे बढ़ाने की मानसिकता विकसित करनी होगी।

हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जहाँ महिलाएँ आत्मनिर्भर बनें, जहाँ उनकी उपलब्धियों को सराहा जाए, और जहाँ वे बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ सकें। परिवार की भूमिका इसमें सबसे महत्वपूर्ण होती है। माता-पिता को अपनी बेटियों को समान अवसर देने होंगे, उन्हें प्रोत्साहित करना होगा और यह विश्वास जगाना होगा कि वे किसी से कम नहीं हैं।

देवियो और सज्जनो,

हमने आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन यह केवल तभी संभव होगा जब देश की हर महिला आत्मनिर्भर और सशक्त हो।

मैं दृढ़ता से मानता हूँ कि महिला सशक्तिकरण और कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी से सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति में अद्वितीय योगदान मिलता है। कोई भी राष्ट्र अपनी आधी आबादी की उपेक्षा करके प्रगतिशील नहीं हो सकता, क्योंकि महिलाओं का सहयोग ही किसी देश की विकास यात्रा का मूल आधार है। 

यदि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर होती है, तो यह न केवल सामाजिक न्याय का प्रतीक होगा, बल्कि इससे देश की जीडीपी में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी, जिससे समग्र आर्थिक विकास को मजबूती मिलेगी। अच्छी बात यह है कि भारत इस दिशा में असीम प्रगति कर रहा है।

आज, जब हम इस मंच से उन महिलाओं का सम्मान कर रहे हैं, जिन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया है, तो यह केवल उनका नहीं, बल्कि समाज के हर उस व्यक्ति का भी सम्मान है जो महिलाओं की प्रगति और सशक्तिकरण का समर्थन करता है। यह कार्यक्रम एक नए युग की शुरुआत है, जहाँ सफलता की कहानियाँ न केवल प्रेरणा बनेंगी, बल्कि वे समाज में स्थायी बदलाव लाने का माध्यम भी बनेंगी।

आज जब हम यहाँ मौजूद हैं, तो हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम एक ऐसा समाज बनाएं, जहां हर महिला को समान अवसर मिले, वह अपने सपनों को पूरा कर सके और नेतृत्व कर सके।

आइए, हम नारी शक्ति को नमन करें और यह सुनिश्चित करें कि हर महिला को सम्मान, सुरक्षा और आगे बढ़ने के अवसर मिलें।

आप सभी को पुनः बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

धन्यवाद,

जय हिन्द!