SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF RAJASTHAN DIVAS AND SHYAM SANG HOLI MILAN SAMAROH AT CHANDIGARH ON MARCH 29, 2025.

‘राजस्थान दिवस एवं श्याम संग होली मिलन’के अवसर पर

माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 29.03.2025, शनिवार

समयः शाम 8:00 बजे

स्थानः चंडीगढ़

नमस्कार!

आज राजस्थान परिवार सेवा संस्था के राजस्थान दिवस की पूर्व संध्या पर इस श्री श्याम मिलन समारोह में आप सभी के बीच स्वयं को उपस्थित पाकर अभिभूत हूं, गौरवान्वित हूं।

मुझे बताया गया है कि राजस्थान के बहुत से प्रवासी लोग विभिन्न कार्यों के लिए चंडीगढ़, पंचकुला और मोहाली में रह रहे हैं जिनका आपस में बहुत कम संपर्क था। 

इसी संपर्क को बढ़ाने के लिए लम्बे समय से यहां रह रहे राजस्थान निवासी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष श्री पवन शर्मा जी ने क्षेत्र में रह रहे सभी राजस्थानी भाइयों को एक मंच पर लाकर राजस्थान की संस्कृति को चंडीगढ़ में प्रसारित करने के साथ-साथ समाज सेवा का एक अनूठा और सराहनीय काम किया है। 

इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए इन्होंने राजस्थान के भाइयों से सम्पर्क करना शुरू किया और लगभग 6 साल पहले श्री विक्रांत खंडेलवाल जी, संगठन मंत्री भारत विकास परिषद और डॉक्टर मनीराम शर्मा जी, वरिष्ठ आईएएस, हरियाणा सरकार के मार्गदर्शन में राजस्थान परिवार सेवा संस्था की नींव रखी गई। 

मुझे बताया गया है कि इस समय इस संस्था से लगभग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 2 हजार परिवार जुड़े हुए हैं और राजस्थान के सभी त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

 जब पूरा भारत कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा था, उस समय इस संस्था ने घर-घर सूखा राशन, मास्क, सेनिटाइजर और दवाइयां लोगों तक पहुंचाकर समाज सेवा का अनूठा उदाहरण पेश किया। 

इसके अलावा यह संस्थान समय-समय पर विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्य करता रहता है जिनमें रक्तदान शिविर, आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों की शादी, घर-घर से कपड़े इकट्ठे करके जरूरत मंदो तक पहुंचना, सर्दियों में जरूरतमंदो तक कंबल पहुंचाना, मेडिकल कैंप, युवाओं क़ो नशे से दूर रखने के लिए खेल प्रतियोगिता, नेत्र जाँच कैंप और फ्री में चश्मे वितरित करना आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।

देवियो और सज्जनो,

भारत की ‘विविधता में एकता’ की जो भावना हमारे संविधान में निहित है, उसे चंडीगढ़ पूर्ण रूप से दर्शाता है। यहाँ हर क्षेत्र, हर भाषा और हर धर्म के लोग एक साथ रहते हैं, बिना भेदभाव के, बिना किसी संकीर्ण मानसिकता के। 

यह एक ऐसा शहर है जो केवल इमारतों और सड़कों से नहीं, बल्कि यहाँ रहने वाले लोगों की सोच, भाईचारे और समरसता से महान बनता है।

चंडीगढ़ न केवल एक आधुनिक शहर है, बल्कि यह भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है। यहाँ हमें पूरे देश की झलक देखने को मिलती है, और यही इसे लघु भारत की सच्ची छवि बनाता है। 

यह शहर हमें सिखाता है कि किस तरह भिन्न-भिन्न पृष्ठभूमियों के लोग एक साथ रह सकते हैं, एक-दूसरे की संस्कृति का सम्मान कर सकते हैं और प्रगति की ओर अग्रसर हो सकते हैं। ‘‘विविधता में एकता’’ के इस सुंदर उदाहरण को सलाम!

देवियो और सज्जनो,

हमारे लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि हम अपने बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़े रखें, ताकि वे न केवल अपनी पारंपरिक संस्कृति और मूल्यों को समझें, बल्कि अपनी पहचान और विरासत पर गर्व भी कर सकें। आधुनिकता के इस दौर में जहां वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति ने जीवनशैली में बड़े बदलाव किए हैं, वहीं हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर कहीं पीछे न छूट जाए।

इसके लिए हमें पारंपरिक उत्सवों, रीति-रिवाजों और लोककला को न केवल संरक्षित करना होगा, बल्कि अपने बच्चों को भी इनसे परिचित कराना होगा। परिवार के भीतर बुजुर्गों की कहानियाँ, लोकगीत, पारंपरिक खान-पान और भाषायी विविधता बच्चों के मन में अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम और सम्मान विकसित कर सकती हैं।

साथ ही, शिक्षा प्रणाली में भी हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करने की आवश्यकता है। विद्यालयों में लोकसंगीत, नृत्य, इतिहास और हस्तशिल्प को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए, जिससे बच्चे अपनी संस्कृति से जुड़ाव महसूस करें।

यदि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को अगली पीढ़ी तक नहीं पहुँचाएँगे, तो धीरे-धीरे हमारी परंपराएँ लुप्त होती जाएँगी और हमारी सांस्कृतिक पहचान कमजोर पड़ सकती है। इसलिए, यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ें और उन्हें अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की महत्ता से अवगत कराएँ, ताकि वे इसे न केवल अपनाएँ, बल्कि आगे आने वाली पीढ़ियों तक भी पहुँचाएँ। 

मुझे गर्व है कि चंडीगढ़ में रहकर भी आप सभी ने राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत बनाए रखा है। यह देखकर अत्यंत हर्ष होता है कि राजस्थान परिवार सेवा संस्थान इस विरासत को संजोने और नई पीढ़ी को इससे जोड़ने का कार्य कर रही है। 

चंडीगढ़ में बसे राजस्थानी समाज ने न केवल इस शहर के विकास में योगदान दिया है, बल्कि अपने कठिन परिश्रम, व्यापारिक कौशल और सामाजिक एकता से इस शहर की आत्मा को भी समृद्ध किया है। इस शहर के सर्वांगीण विकास में कई समुदायों ने योगदान दिया है।

राजस्थान आज केवल ऐतिहासिक धरोहर और पर्यटन का केंद्र ही नहीं है, बल्कि यह आर्थिक और औद्योगिक रूप से भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, और स्टार्टअप्स के क्षेत्र में राजस्थान नई ऊँचाइयों को छू रहा है। 

जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, अजमेर और कोटा जैसे शहर आज आधुनिक विकास की नई इबारत लिख रहे हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर यहाँ के युवाओं को नए अवसर प्रदान कर रही हैं, जिससे राजस्थान आत्मनिर्भर और प्रगतिशील बन रहा है।

राजस्थान एक रंगीला राज्य है जहाँ बहुत त्यौहार हैं, उनको हमारे बच्चों तक पहुंचाना जरूरी है जो बड़े शहरों में आकर बस गये और कई कई दिनों तक गाँवों में नहीं जा पाते। इसके लिए समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते रहना चाहिए।

यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमारा राजस्थान, भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक राज्य है। यह राज्य अपनी सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक किलों, महलों, रेगिस्तानी इलाकों और लोक कला के लिए प्रसिद्ध है। 

राजस्थान की राजधानी जयपुर, जिसे ‘पिंक सिटी’ के नाम से भी जाना जाता है, देश और दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

राजस्थान का इतिहास समृद्ध और गौरवपूर्ण रहा है। यहां के राजपूत शासकों ने भारत के इतिहास में अपनी विशेष पहचान बनाई। महाराणा प्रताप, जयसिंह, और पृथ्वीराज चौहान जैसे महान योद्धाओं ने राजस्थान के गौरव को और भी ऊंचा किया।

राजस्थान की भूमि वह भूमि है जहाँ रेत के टीलों पर इतिहास की गूंज सुनाई देती है। यह वह प्रदेश है जिसने महाराणा प्रताप, वीर दुर्गादास राठौड और पन्ना धाय जैसे वीर योद्धाओं को जन्म दिया। यहाँ की मिट्टी में वीरता की गाथाओं की गूँज सुनाई देती है। 

इस राज्य के किले जैसे कुम्भलगढ़, चित्तौड़गढ़, और जैसलमेर विश्व धरोहर के रूप में प्रसिद्ध हैं।

राजस्थान की सांस्कृतिक धारा भी बहुत विस्तृत और विविध है। यहाँ की लोक कला, संगीत, नृत्य, और वेशभूषा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां के लोक गीत, घूमर नृत्य और कालबेलिया जैसे पारंपरिक नृत्य आज भी मन को मोहते हैं। राज्य की विशेषता इसके लोक उत्सवों, जैसे कि ‘नागौर मेला’, ‘उदयपुर फेस्टिवल’ और ‘तीरथ महोत्सव’ में देखने को मिलती है।

इसके अलावा, राजस्थान का भोजन भी एक प्रमुख आकर्षण है। यहां के पकवान जैसे दाल बाटी चूरमा, गट्टे की सब्जी, और केर सांगरी दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। रेगिस्तान में उगने वाली विशेष वनस्पतियां और मसाले भी यहां के खानपान में एक अद्भुत स्वाद जोड़ते हैं।

राजस्थान का भूगोल भी विविधतापूर्ण है। जहां एक ओर थार रेगिस्तान की धारा फैली हुई है, वहीं दूसरी ओर अरावली पर्वतों की श्रृंखलाएँ इस राज्य को खूबसूरत बनाती हैं। इस राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरणीय विविधता ने इसे एक अद्वितीय स्थान बनाया है।

देवियो और सज्जनो,

राजस्थान आज एक विकसित और आधुनिक राज्य बनने की दिशा में निरंतर प्रगति कर रहा है। यहाँ की सड़कों, बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार सुधार हो रहा है। औद्योगीकरण और स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियाँ बनाई जा रही हैं, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

इसके बावजूद, राजस्थान अपनी सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक जीवनशैली को संजोए हुए है। यहाँ के मेले, त्यौहार और परंपराएँ आज भी लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।

राजस्थान के लोग सादगी, मेहनत और अपनी संस्कृति पर गर्व करने वाले होते हैं। उनकी जीवटता और संघर्षशीलता ने इस प्रदेश को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। यह राज्य आधुनिकता और परंपरा के सुंदर संतुलन का प्रतीक है, जहाँ तकनीकी विकास के साथ-साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी संजोकर रखा गया है।

देवियो और सज्जनो,

आज इस पावन अवसर पर श्री श्याम मिलन समारोह का आयोजन हमें राजस्थान के अध्यात्म और श्रद्धा से भी जोड़ता है। खाटू श्याम जी, जिन्हें कलयुग का अवतार कहा जाता है, उनकी कृपा हम सभी पर बनी रहे। उनकी भक्ति हमें न केवल आत्मिक शांति देती है, बल्कि समाज सेवा और परोपकार की प्रेरणा भी देती है।

आज जब हम यह समारोह मना रहे हैं, तो हमें इस पर भी विचार करना होगा कि कैसे हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाएँ और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाएँ। राजस्थान के लोग अपनी मेहनत, आत्मनिर्भरता और सेवा भावना के लिए जाने जाते हैं। हमें इस भावना को और अधिक मजबूत करना होगा।

राजस्थान की परंपरा हमें सिखाती है कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ा जा सकता है। मरुप्रदेश में जीवन जीने की चाहत और संघर्ष से मिली सफलता ही राजस्थान की असली पहचान है। राजस्थान के लोग दुनिया में कहीं भी जाएँ, वे अपनी मेहनत, ईमानदारी और संस्कृति से अपनी अलग पहचान बनाते हैं।

मैं राजस्थान परिवार सेवा संस्थान को इस भव्य आयोजन के लिए बधाई देता हूँ और आप सभी को राजस्थान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। 

आइए, हम सब मिलकर राजस्थान की समृद्धि, संस्कृति और स्वाभिमान को बनाए रखने का संकल्प लें और चंडीगढ़ में भी अपनी परंपराओं को जीवंत रखें।

मैं भविष्य में भी उम्मीद करता हूँ की ये संस्था ऐसे ही राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत क़ो अगली पीढ़ियों तक पहुंचाएगी और समाज सेवा करती रहेगी।

धन्यवाद,

जय हिन्द!