Speech of Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of Navkar Mahamantra Divas at Sector 27, Chandigarh on April 9, 2025.
- by Admin
- 2025-04-09 08:35
‘नवकार मंत्र’ जाप के अवसर पर
राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 09.04.2025, बुधवार
समयः सुबह 8:30 बजे
स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
यह मेरे लिए अत्यंत गौरव और आनंद का विषय है कि आज मैं जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन (JITO) द्वारा भगवान श्री 1008 महावीर स्वामी जन्म कल्याणक महोत्सव के अन्तर्गत आयोजित इस ‘‘महा नवकार दिवस’’ के पावन अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित हूँ। मैं इस पावन अवसर पर समस्त जैन समाज को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ।
सबसे पहले, मैं JITO का आभारी हूँ, जिन्होंने दुनियाभर में 1.08 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा मंत्र का जाप करने पर ‘महा नवकार दिवस’ का आयोजन किया।
मैं चाहता हूँ कि आप अपने उद्देश्य को प्राप्त करें और इतनी बड़ी संख्या में जैन और गैर-जैन लोगों द्वारा इस पवित्र मंत्र का जाप करने का रिकॉर्ड बनाकर अपना नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज कराएँ।
यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस पवित्र ‘महा नवकार दिवस’ में सम्मिलित होकर भगवान महावीर के सिद्धांतों, उनके आदर्शों और उनकी दिव्य शिक्षाओं का स्मरण करने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
भगवान महावीर के उपदेश केवल जैन समाज ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शक हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि त्याग, संयम और आत्मनियंत्रण से ही सच्ची शांति प्राप्त की जा सकती है।
जैन धर्म के अनुयायियों ने सदा से ही अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, तपस्या और करुणा जैसे मूल्यों को आत्मसात कर समाज में नैतिकता, शांति और सद्भाव को बढ़ावा दिया है।
इस पावन अवसर पर, मैं जैन समाज के प्रत्येक सदस्य से आशा करता हूँ कि वे अपने सत्कर्मों और नैतिकता से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
प्रिय भक्तजनो,
भगवान महावीर स्वामी केवल एक महान संत ही नहीं थे, बल्कि वे संपूर्ण मानवता के लिए एक प्रेरणास्रोत भी हैं। हमारे देश की आत्मज्ञान की गौरवशाली परंपरा में भगवान महावीर का एक प्रमुख स्थान है। अहिंसा, अनेकांत और अपरिग्रह के अपने दिव्य उपदेशों के माध्यम से उन्होंने लोगों के आध्यात्मिक उत्थान का लक्ष्य रखा।
उस समय के सामाजिक मुद्दों से गहराई से जुड़े भगवान महावीर ने ऐसे समाधान प्रस्तुत किए जिनसे जनसाधारण की समस्याओं को कम करने में मदद मिली।
भगवान महावीर स्वामी ने हमें पंच महाव्रतों का मार्ग दिखाया-
अहिंसाः किसी भी प्राणी को मन, वचन और कर्म से चोट न पहुंचाना।
सत्यः सत्य बोलना और सत्य का पालन करना।
अस्तेयः दूसरों की चीज़ों को बिना अनुमति के न लेना।
ब्रह्मचर्यः अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करना।
अपरिग्रहः आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह न करना।
भगवान महावीर के आध्यात्मिक पदचिह्नों का अनुसरण करते हुए, सदियों से समय-समय पर जैन आचार्यों की एक श्रृंखला सामने आई। उन्होंने मौलिक और अनंत मूल्यों के साथ भारतीय संस्कृति को पोषित करने में मदद की।
जैन धर्म का मुख्य उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति है। इसके लिए ध्यान, तप, और संयम को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया गया है। जैन धर्म न केवल हमें व्यक्तिगत जीवन में नैतिकता सिखाता है, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति भी हमारी जिम्मेदारियों का बोध कराता है।
आज के समय में जब हिंसा और स्वार्थ चारों ओर व्याप्त है, जैन धर्म की शिक्षाएं हमें शांति और संतुलन की ओर ले जाने में मदद करती हैं।
यह धर्म हमें यह सिखाता है कि हमारे कर्म ही हमारे भविष्य को तय करते हैं, इसलिए अच्छे कर्म करें और हर प्राणी के प्रति दया का भाव रखें।
जैन धर्म की शिक्षाएं केवल जैन समाज के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए उपयोगी हैं। अगर हम सभी जैन धर्म के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं, तो एक सुखी, शांतिपूर्ण और संतुलित समाज का निर्माण संभव है।
भगवान महावीर के विचारों को केवल जैन धर्म के अनुयायियों तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि पूरे समाज को इन सिद्धांतों से लाभान्वित करना चाहिए। उनका संदेश संपूर्ण मानवता के लिए है। यदि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें, तो हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ सह-अस्तित्व, सहनशीलता, और नैतिक जागरूकता का भाव हो।
आज की युवा पीढ़ी को भगवान महावीर के आदर्शों से सीख लेकर अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ने की आवश्यकता है। यदि हम अपनी युवा शक्ति को सत्य, अहिंसा, और अपरिग्रह की भावना से प्रेरित करें, तो भारत एक सशक्त, आत्मनिर्भर और विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर होगा।
मैं आज के युवाओं से विशेष आग्रह करता हूँ कि भगवान महावीर का जीवन केवल इतिहास नहीं है, वह प्रेरणा है, दर्शन है, और दिशा है। आज हमें आवश्यकता है कि हम टेक्नोलॉजी के साथ साथ अध्यात्म को भी अपनाएं, ताकि हमारा विकास पूर्ण और संतुलित हो सके।
महावीर के सिद्धांतों को आधुनिक संदर्भों में समझना और उन्हें आचरण में उतारना ही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
देवियो और सज्जनो,
आज जब मैं महा नवकार दिवस पर आप सभी के बीच उपस्थित हूं तो मैं जैन धर्म में सबसे शक्तिशाली और पवित्र प्रार्थनाओं में से एक नवकार मंत्र के बारे में बोलने के लिए खुद को धन्य महसूस कर रहा हूँ।
नवकार मंत्र केवल एक धार्मिक प्रार्थना नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि, नम्रता, अहिंसा और आत्मज्ञान का अद्भुत संदेश है, जो समस्त मानवता के लिए पथप्रदर्शक है।
यह मंत्र आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है और यह सिर्फ एक प्रार्थना नहीं है, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है, जो हमें शांति, सकारात्मकता और मुक्ति की ओर ले जाता है।
नवकार मंत्र, जिसे नमोकार मंत्र के रूप में भी जाना जाता है, जैन धर्म में मूल प्रार्थना है। यह किसी विशिष्ट भगवान या देवता की प्रशंसा नहीं करता है, बल्कि पाँच सर्वोच्च प्राणियों - अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधुओं के प्रति गहरी श्रद्धा व्यक्त करता है। यह इसे एक सार्वभौमिक प्रार्थना बनाता है, जिसे कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी धार्मिक मान्यताएँ कुछ भी हों, जप सकता है।
आइए हम इस मंत्र का अर्थ चरण-दर-चरण समझते हैं:
नमो अरिहंताणं - मैं अरिहंतों को नमन करता हूँ, जो प्रबुद्ध प्राणी हैं, जिन्होंने अपनी आंतरिक कमजोरियों पर विजय प्राप्त की है और जो दूसरों को मोक्ष के मार्ग पर मार्गदर्शन करते हैं।
नमो सिद्धाणं - मैं सिद्धों को नमन करता हूँ, जो मुक्त आत्माएँ हैं, जिन्होंने मोक्ष प्राप्त कर लिया है और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हैं।
नमो अयरियाणं - मैं आचार्यों को नमन करता हूँ, जो आध्यात्मिक नेता हैं, जो साधकों को सही रास्ता दिखाते हैं।
नमो उवज्झायाणं - मैं उपाध्यायों को नमन करता हूँ, जो शिक्षकों को शास्त्रों का ज्ञान देते हैं।
नमो लोए सव्वा साहूणं - मैं उन सभी साधुओं (भिक्षुओं और भिक्षुणियों) को नमन करता हूँ, जो अहिंसा, सादगी और सत्य का जीवन जीते हैं।
मंत्र की अंतिम पंक्तियाँ इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि इस प्रार्थना का जाप करने से सभी नकारात्मक कर्म नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में अपार शुभता आती है।
देवियो और सज्जनो,
नवकार मंत्र के जाप से कई आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ होते हैं। यह बुरे कर्मों को दूर करने और आत्मा को ऊपर उठाने में मदद करता है। यह तनाव, चिंता को कम करता है और मन को शांति से भर देता है।
इसके नियमित जाप से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है और बुद्धि तेज होती है। साथ ही, यह दैनिक जीवन में दया, अहिंसा और विनम्रता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और जीवन से बाधाओं को दूर करता है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो यह एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो हमें आत्म-अनुशासन, करूणा और परम मुक्ति की ओर ले जाती है। इसे नियमित रूप से जपने से हम अपने जीवन में शांति और सकारात्मकता को आमंत्रित करते हैं और अपने आध्यात्मिक लक्ष्यों के करीब पहुंचते हैं।
इसलिए, हमें चाहिए कि हम सभी नित्य नियमित रूप से इस दिव्य नवकार मंत्र का जाप करें, न केवल अपने आत्मिक शुद्धिकरण के लिए, बल्कि समस्त विश्व में शांति, करुणा और सकारात्मक ऊर्जा के प्रसार के लिए भी। जब अधिक से अधिक लोग इस मंत्र की शक्ति को अपने जीवन में उतारेंगे, तो निश्चित ही विश्व में शांति, अहिंसा और सहयोग की भावना प्रबल होगी।
देवियो और सज्जनो,
भारतवर्ष वह भूमि है जहाँ वेदों की ऋचाएँ गूंजती थीं, जहाँ मंत्रों की ध्वनि से प्रकृति और चेतना जागृत होती थी। हमारी संस्कृति में मंत्र केवल शब्द नहीं हैं, वे ध्वनि, ऊर्जा और चेतना का संगम हैं। वे विचार और ब्रह्म के बीच की कड़ी हैं।
‘‘शब्द ब्रह्म होता है’’, ऐसा हमारे शास्त्र कहते हैं। यह मंत्रों की शक्ति है जो पंचतत्वों को संतुलित कर, मन को स्थिर करती है और आत्मा को शुद्धि की ओर ले जाती है।
आधुनिक विज्ञान भी अब स्वीकार कर रहा है कि ध्वनि कंपन (Sound Vibrations) का गहरा प्रभाव हमारे मस्तिष्क, शरीर और वातावरण पर होता है। मंत्रों के उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि तरंगें न केवल मानसिक शांति देती हैं, बल्कि शरीर के भीतर एक ऊर्जात्मक संतुलन भी स्थापित करती हैं।
हमारे मंत्र केवल धार्मिक या परंपरागत उच्चारण मात्र नहीं हैं, बल्कि ये मानव चेतना के जागरण, मानसिक संतुलन, और आत्मिक विकास के सशक्त साधन हैं। प्राचीन ऋषियों ने इन्हें अनुभव और तपस्या से उत्पन्न किया था, ये ध्वनियाँ नहीं, ऊर्जा के सूत्र हैं, जो साधक को आत्म-साक्षात्कार की दिशा में अग्रसर करते हैं।
मंत्रों ने हमारी संस्कृति, संस्कार और समाज को आकार दिया है। संस्कारों से लेकर यज्ञ तक, जन्म से मृत्यु तक, भारतीय जीवन में मंत्रों की उपस्थिति निरंतर बनी रही है। चाहे वह विवाह संस्कार हो, गृह प्रवेश हो या दीपावली पर लक्ष्मी पूजन, हर अवसर मंत्रों के माध्यम से शुद्धता और आध्यात्मिकता प्राप्त करता है।
मैं आज के युवाओं से आग्रह करता हूँ कि वे इस प्राचीन मंत्र परंपरा को केवल परंपरा के रूप में न देखें, बल्कि इसे आत्मविकास और ध्यान का एक साधन समझें। इस आध्यात्मिक विज्ञान को अपनाएँ, और इसे अंधविश्वास नहीं, आत्मविश्वास के रूप में जीवन में उतारें।
आज, जब दुनिया तनाव, अशांति और भ्रम के दौर से गुज़र रही है, भारत का यह प्राचीन मंत्र विज्ञान विश्व के लिए शांति और संतुलन का रास्ता दिखा सकता है।
आइए, हम सब मिलकर इस धरोहर को पुनः जीवंत करें, और अपनी आने वाली पीढ़ियों को ध्वनि से शक्ति तक, मंत्र से मोक्ष तक की इस यात्रा से जोड़ें।
धन्यवाद,
जय हिन्द!