SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF JAN YATRA AGAINST DRUG AT KHARAR, MOHALI ON MARCH 27, 2025.

खरड़ में नशे के विरुद्ध जन यात्रा के अवसर पर

माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 27.03.2025, गुरूवारसमयः सुबह 09:00 बजेस्थानः खरड़

     

नमस्कार!

आज मुझे श्री राम मंदिर ‘अज्ज सरोवर’ परिसर, खरड़ की इस पवित्र भूमि पर आने का अवसर मिला और यहाँ नशे के विरुद्ध जन यात्रा में भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस पुण्य स्थल पर आप सबकी उत्साहपूर्ण उपस्थिति यह प्रमाणित करती है कि पंजाब की जनता नशे जैसी सामाजिक बुराई के खि़लाफ़ एकजुट होकर खड़ी है।

भाइयो और बहनो, 

जिस धरती पर हम आज एकत्र हुए हैं वह ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। खरड़ का यह ‘अज्ज सरोवर’ महाराजा अज्ज की स्मृति से जुड़ा है, जो भगवान श्रीराम के पितामह थे। कहा जाता है कि महाराजा अज्ज ने इस सरोवर का निर्माण कराया था, और यह सरोवर हमारे महान रामायण-कालीन विरासत का साक्षी है। 

मुझे यह जानकर विशेष संतोष हुआ कि श्रीराम मंदिर महाराजा अज्ज सरोवर विकास परिषद के प्रधान श्री शशि पाल जैन ने वर्षों तक इस ऐतिहासिक सरोवर के संरक्षण एवं विकास के लिए अथक प्रयास किए। मैं श्री शशि पाल जैन और उनके सभी सहयोगियों को इस कार्य के लिए हृदय से बधाई एवं प्रशंसा अर्पित करता हूँ।

यहां मैं एक और विशेष बात का उल्लेख करना चाहता हूँ, और वो यह है कि इस स्थल से आज सभी धर्मों, सभी समुदायों, सभी राजनीतिक दलों, विभिन्न संगठनों और समाज के आम एवं विशिष्ट नागरिक जुड़े हुए हैं।

यह सहभागिता, यह एकजुटता भारत की सांस्कृतिक एकता और सहिष्णुता की प्रतीक है, जो इस मिट्टी के कण-कण में समाई हुई है। यही हमारी असली ताकत है, यही हमारी पहचान है।

साथियो,

नशे की समस्या आज पंजाब के सामने सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। यह ऐसी विकराल बुराई है जो हमारे युवा वर्ग को भीतर से खोखला कर रही है, परिवारों को तोड़ रही है और समाज की नींव को कमजोर कर रही है। 

नशा केवल पंजाब की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की समस्या है जो कई राज्यों को अपनी चपेट में ले चुका है। गांवों से लेकर महानगरों तक, विकासशील देशों से लेकर विकसित देशों तक, हर जगह यह एक चिंताजनक अनुपात में फैल रहा है।

आज जिस गति से इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी में तीव्र गति से प्रगति हो रही है, उसी गति से नशीले पदार्थों का उत्पादन, प्रसारण, वितरण और सेवन भी तीव्र गति से बढ़ रहा है। एक प्रकार से यह एक महामारी का रूप लेते हुए दिखाई दे रहा है।

यह भारत के लिए भी एक प्रमुख सामाजिक संकट और सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरा है, इससे घरेलू हिंसा, रक्तपात, गुंडागर्दी और तस्करी से लेकर देश की सीमाओं पर घुसपैठ और आतंकवाद को भी आश्रय मिल रहा है।

नशे की लत हमारे युवाओं की प्रतिभा और ऊर्जा को अंधकार की ओर धकेल देती है। जो हाथ राष्ट्र-निर्माण में लगने चाहिएं, वे यदि नशे की गिरफ्त में आ गए तो यह हमारे भविष्य के लिए घातक होगा। इसलिए इस संकट का समाधान करना हम सबका नैतिक कर्तव्य है।

पंजाब, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और जीवंत भावना के लिए जाना जाता है, आज मादक पदार्थों के सेवन के गंभीर संकट का सामना कर रहा है। इस संकट का एक प्रमुख कारण सीमापार से हो रही नशे की अवैध तस्करी है, जिसके माध्यम से पड़ोसी देश हमारी युवा पीढ़ी को कमजोर करने और समाज को खोखला करने का षड्यंत्र रच रहा है। 

इस कुप्रभाव को रोकने के लिए कड़ी सुरक्षा, जागरूकता और प्रभावी कानून प्रवर्तन की आवश्यकता है, ताकि पंजाब का भविष्य नशा मुक्त और सशक्त बन सके।

हाल के अध्ययनों के अनुसार, पंजाब में मादक पदार्थों के सेवन की व्यापकता राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। 2018 में The National Drug Dependence Treatment Centre (NDDTC), AIIMS, Delhi द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसारः 

  • पंजाब में हेरोइन, अफीम आदि जैसे नशीले पदार्थों का उपयोग 9.91 प्रतिशत है, यानी 21 लाख से अधिक लोग इसकी लत से जूझ रहे हैं। 
  • गांजा/चरस का सेवन 14.23 प्रतिशत, सेडेटिव्स (सुकून पहुंचाने वाले नशीले पदार्थों) का 4.61 प्रतिशत, कोकीन का 0.69 प्रतिशत, और इनहेलेंट्स (सूंघ कर नशा करने वाले पदार्थों) का 0.87 प्रतिशत है।

देवियो और सज्जनो,

मैं आपको बताना चाहता हूं कि भारत सरकार ने 15 अगस्त 2020 में युवाओं, महिलाओं और बच्चों पर विशेष ध्यान देते हुए ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ शुरू किया जो अब एक आशा और प्रेरणा का प्रतीक बन गया है। 

नशों के खिलाफ लड़ाई में हमारे माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी भी सक्रिय रूप से शामिल हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि नशे की तस्करी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। 

इसके लिए उन्होंने कई अहम कदम उठाए है, जिनमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को आधुनिक तकनीक और संसाधनों से लैस किया गया। नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए सीमा सुरक्षा कड़ी की गई है और बीते वर्षों में टनों की मात्रा में नशीले पदार्थों को जब्त कर नष्ट किया गया है।

इस दिशा में पंजाब सरकार भी अपनी ओर से भरपूर प्रयास कर रही है। इसके द्वारा शुरू किए गए ‘‘युद्ध नशियां विरूद्ध’’ अभियान के अन्तर्गत ड्रग तस्करों और नशे के कारोबारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जा रही है। 

हाल के महीनों में 75 बड़े नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। इस कारोबार में शामिल दोषियों की सम्पत्तियां भी जब्त की जा रही हैं। न्याय प्रणाली के प्रभावी क्रियान्वयन से नशे से जुड़े मामलों में 86 प्रतिशत तक की ऊँची दोषसिद्धि दर हासिल हुई है, जो दर्शाती है कि अपराधी बख्शे नहीं जा रहे हैं। 

साथ ही, प्रदेश में 100 से अधिक गैर-सरकारी संगठन सक्रिय रूप से नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने और पीड़ितों के पुनर्वास हेतु कार्य कर रहे हैं। इन प्रयासों से स्पष्ट संकेत मिलता है कि पंजाब को नशामुक्त बनाने के लिए प्रशासन और समाज मिलकर ठोस कदम उठा रहे हैं।

लेकिन मित्रों, केवल सरकारी प्रयत्न पर्याप्त नहीं हैं। नशे के विरुद्ध लड़ाई कोई अकेले सरकार या पुलिस की लड़ाई नहीं, बल्कि हम सभी की सामूहिक ज़िम्मेदारी है। हमें याद रखना होगा कि कानून अपना कार्य करेगा, अपराधियों को सज़ा देगा, परंतु इस समस्या को जड़ से मिटाने के लिए समाज को स्वयं आगे आना होगा। 

प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने मोहल्ले, गाँव और शहर को नशामुक्त बनाने में सहयोग दे। यदि कहीं भी नशे का प्रसार होता दिखे, तो चुप न रहें, तत्काल स्थानीय प्रशासन को सूचित करें, प्रभावित व्यक्ति को समझाएँ और उसे सही राह पर लौटने में मदद करें।

इस संघर्ष में माता-पिता और परिवारों की भूमिका भी सबसे अहम है। हमारे बच्चे किस दिशा में जा रहे हैं, इस पर पहली नज़र माता-पिता की ही होती है। उन्हें चाहिए कि वे अपने बच्चों को बचपन से ही नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाएँ, उनकी मित्र-मंडली और गतिविधियों पर सतर्क दृष्टि रखें तथा उनके साथ विश्वासपूर्ण संवाद बनाए रखें। 

देवियो और सज्जनो,

यह संकट केवल पुरुषों तक ही सीमित नहीं है। भारतीय परिवार की फर्स्ट लाईन ऑफ डिफेंस कही जाने वाली हमारी महिलाएं भी इसके दुष्प्रभाव से अछूती नहीं हैं।

महिलाएं, जो अक्सर इस महामारी के साये में छिपी रहती हैं, परन्तु कई रूपों में सजा भोगती हैं। जहां कुछ महिलाएं सीधे तौर पर मादक पदार्थों की लत से जूझती हैं, वहीं कई महिलाएं, मां, पत्नी और बेटियों के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होती हैं। 

अध्ययन बताते हैं कि पंजाब में इस समस्या से जूझ रही कई महिलाओं को अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसे काम करने पर मजबूर होना पड़ता है, जो उनके सम्मान और सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

यह स्थिति एक दुष्चक्र को जन्म देती है, जिसमें गरीबी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, और सामाजिक अलगाव निरंतर बना रहता है। इस तरह की परिस्थितियां न केवल महिलाओं की जीवन गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं, बल्कि समाज के संतुलन व प्रगति पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

इसके अलावा, जो महिलाएं सीधे तौर पर नशीले पदार्थों की आदी होती हैं, उन्हें दोहरे भेदभाव का सामना करना पड़ता है-पहला, नशीले पदार्थों का सेवन करने वाली महिलाओं के रूप में और दूसरा, सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन करने वाली महिलाओं के रूप में। यह दोहरा धब्बा अक्सर उन्हें अकेला कर देता है और मदद मांगने से रोकता है, और उन्हें निर्भरता और निराशा के चक्र में फंसा देता है।

इसके अलावा, मादक पदार्थों से प्रभावित परिवारों में बच्चे अक्सर उपेक्षा, दुर्व्यवहार, और अस्थिरता के माहौल में बड़े होते हैं। ऐसे माहौल में बच्चों को प्यार, समर्थन, और सुरक्षित परिवेश का अभाव झेलना पड़ता है, जिससे उनके मानसिक, शारीरिक, और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

भाइयो और बहनो,

अब मैं विशेष रूप से अपनी युवा पीढ़ी को संबोधित करना चाहता हूँ, मुझे गर्व है कि आज के इस अभियान में पंजाब के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से जुड़े सैकड़ों छात्र-छात्राएँ इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित हैं। 

चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, रयात-बाहरा विश्वविद्यालय और आर्यन्स ग्रुप जैसे संस्थानों के युवा साथियों ने यहाँ आकर स्पष्ट कर दिया है कि पंजाब का नौजवान नशे के खि़लाफ़ कमर कस चुका है। आप सबका यह जोश और उत्साह हम सबके लिए आशा की किरण है।

मेरे युवा साथियो, 

आपसे मेरा आह्वान है कि जीवन में कभी भी नशे को हाथ न लगाने का दृढ़ संकल्प लें। नशे को ‘ना’ और जीवन को ‘हाँ’ कहें। अपनी मित्र-मंडली में एक-दूसरे पर सकारात्मक निगरानी रखें। यदि कोई साथी ग़लत राह पर जाता दिखे, तो प्रेमपूर्वक उसे समझाएँ। उसका साथ न छोड़ें, बल्कि उसे नशे से दूर ले जाने में मदद करें।

आप सभी युवा अपनी ऊर्जा शिक्षा, खेल-कूद, कला, संगीत जैसी रचनात्मक गतिविधियों में लगाएँ और दूसरों को भी प्रेरित करें। जब पंजाब का हर युवक-युवती नशे से मुक्त रहने का प्रण ले लेगा, तो निश्चय ही हमारा प्रदेश पूर्णतः नशामुक्त होगा।

मैं चाहता हूं कि पंजाब के समस्त उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र अपने साथियों और समुदायों को मादक पदार्थों के सेवन के खतरों के बारे में शिक्षित करने के लिए अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग करें। कार्यक्रम आयोजित करें, जानकारीपूर्ण सामग्री बनाएं और संदेश फैलाने के लिए सोशल मीडिया का लाभ उठाएं।

महिलाओं और समाज पर इसके प्रभाव को समझने, हस्तक्षेप के प्रभावी उपायों की पहचान करने, और साक्ष्य-आधारित नीतियों को तैयार करने में छात्रों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण हो सकती है।

शिक्षण संस्थानों के छात्र अपने ज्ञान, ऊर्जा और सामाजिक उत्तरदायित्व का उपयोग करते हुए उन परिवारों तक पहुंच बनाएं जो मादक पदार्थों के सेवन से प्रभावित हैं। 

उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र, यदि इस दिशा में पहल करें, तो वे अपने साथी छात्रों के बीच सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। फिटनेस शिविर, खेल कार्यक्रम, और कल्याण कार्यशालाएँ न केवल एक स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करेंगी, बल्कि छात्रों को अपने जीवन के प्रति जिम्मेदार और जागरूक बनाएंगी। 

इसके अलावा, हमें स्कूलों और कॉलेजों में कौशल शिक्षा के साथ-साथ स्वयं के ज्ञान की शिक्षा पर भी जोर देना चाहिए। युवाओं को तनाव प्रबंधन के साथ-साथ निर्णय लेने और मुकाबला करने की रणनीतियों के बारे में पढ़ाना, मादक पदार्थों के सेवन के खिलाफ एक निवारक उपाय के रूप में काम कर सकता है।

प्रिय साथियो, 

पंजाब गुरुओं, वीरों और शहीदों की भूमि है। इस पवित्र भूमि को नशे के अंधकार से मुक्त करना हम सबका साझा दायित्व है। आज ‘अज्ज सरोवर’ की ऐतिहासिक भूमि से हम जो संदेश लेकर जा रहे हैं, वह पूरे प्रदेश में जागृति का प्रकाश फैलाएगा, ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है। 

जिस प्रकार हम सभी धर्म, जाति और वर्ग के लोग एकजुट होकर यहाँ उपस्थित हुए हैं, उसी तरह की एकजुटता पूरे पंजाब में नशे के ख़िलाफ़ इस जंग को अंजाम तक पहुँचाएगी।

हम सब मिलकर संकल्प लें किः हम स्वयं नशा नहीं करेंगे, किसी को नशा नहीं करने देंगे, समाज में जागरूकता फैलाएँगे, और इस अभियान को जन-आंदोलन बनाएँगे।

मैं इस पुनीत आयोजन के सभी आयोजकों, प्रतिभागियों और स्वयंसेवी संस्थाओं का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ। यह जन यात्रा केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक क्रांति है, पंजाब को नशामुक्त करने की क्रांति।

अंत में, मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि हम मिलकर नशे के खिलाफ इस लड़ाई में सहभागी बनें, अपने समाज को इस बुराई से मुक्त करें, और एक स्वस्थ, समृद्ध, और ‘रंगला पंजाब’ की ओर अग्रसर हों।

धन्यवाद,

जय हिन्द!