Speech of Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of Annual Convocation of MCM DAV College for Women, Chandigarh on April 20, 2025.

एमसीएम डीएवी महिला कॉलेज के दीक्षांत समारोह के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 20.04.2025,  रविवारसमयः दोपहर 12:15 बजेस्थानः चंडीगढ़

    

नमस्कार!

आज मुझे मेहर चंद महाजन डीएवी महिला महाविद्यालय के इस 53वें दीक्षांत समारोह में शामिल होकर अत्यंत हर्ष और गर्व की अनुभूति हो रही है। 

यह अत्यंत गर्व का विषय है कि इस वर्ष 1000 से अधिक स्नातक और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को उनकी डिग्रियाँ प्रदान की जा रही हैं। 

आज के इस गरिमामयी अवसर पर कुल 2 पूर्व छात्राओं, 7 शिक्षकों और 41 छात्राओं को उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए  सम्मानित किया जा रहा है।

इस अवसर पर छह संकाय सदस्यों को भी सम्मानित किया जा रहा है, जिन्हें इस वर्ष पीएच.डी की उपाधि प्राप्त हुई है। 

यह महाविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान और नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में वर्षों से जो उत्कृष्ट कार्य कर रहा है, वह अत्यंत सराहनीय है। यहाँ आकर मैं इस बात का साक्षात अनुभव कर रहा हूँ कि यह संस्थान न केवल ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि चरित्र निर्माण और नैतिक मूल्यों की नींव भी सुदृढ़ करता है।

मुझे बताया गया है कि महिला सशक्तिकरण हेतु इस महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 1968 में डी.ए.वी. कॉलेज प्रबंधन समिति, नई दिल्ली द्वारा भारत के तीसरे मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मेहर चंद महाजन द्वारा दी गई उत्कृष्ट सेवाओं की स्मृति में की गई थी। 

न्यायमूर्ति मेहर चंद महाजन एक प्रतिष्ठित कानूनविद, महान देशभक्त, उत्कृष्ट प्रशासक, प्रतिबद्ध शिक्षाविद्, समाज सुधारक और मानवतावादी थे।

नैक द्वारा ए-ग्रेड प्राप्त और वर्ष 2023 व 2024 में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में 101-150 बैंड में रैंक प्राप्त यह संस्थान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। 

गर्व का विषय है कि 41 बार ‘पंजाब यूनिवर्सिटी ओवरऑल विमेंस स्पोर्ट्स शील्ड’ जीतने वाले इस संस्थान को 2018 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ कैंपस रैंकिंग में देश का ‘सबसे स्वच्छ आवासीय कॉलेज’ होने का राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ है।

इसके अलावा इस कॉलेज ने 2019 में आवास और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण के ‘सर्वोत्तम नागरिक नेतृत्व पहल’ में अखिल भारतीय स्तर पर तीसरा रैंक हासिल किया है।

प्रिय छात्राओ,

आज का यह अवसर न केवल आपके लिए, बल्कि आपके माता-पिता, शिक्षकों और समस्त महाविद्यालय परिवार के लिए भी अत्यंत विशेष है। यह एक ऐसी मंज़िल है जहाँ से एक नई यात्रा की शुरुआत होती है - एक नई दिशा, नई चुनौतियाँ और नए अवसर।

जिस आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प और सकारात्मक सोच के साथ आप आज यहां उपस्थित हैं, वही आपको जीवन की प्रत्येक परीक्षा में सफल बनाएगा।

आप जिस किसी भी क्षेत्र में जाएं, वहां हमेशा ईमानदारी, परिश्रम और नैतिकता को अपना मार्गदर्शक बनाएं। याद रखें, एक सशक्त समाज का निर्माण तभी संभव है जब हमारी युवा पीढ़ी जागरूक, संवेदनशील और उत्तरदायित्वपूर्ण हो।

मैं आपसे यह अपेक्षा करता हूं कि आप न केवल अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राप्त करें, बल्कि समाज और देश की प्रगति में भी सक्रिय भूमिका निभाएं। 

मैं सभी अभिभावकों, शिक्षकों, और महाविद्यालय के कर्मचारियों का भी आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने आपके उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दिया है। 

प्रिय विद्यार्थियो,

ज्ञान केवल तथ्यों या सूचनाओं का संग्रह मात्र नहीं है, बल्कि यह वह आलोकित कुंजी है जो हमारी सोच के द्वार खोलती है, समझ को गहराई देती है और समग्र प्रगति की दिशा में मार्ग प्रशस्त करती है। यह वह शक्ति है जो व्यक्ति को न केवल आत्मनिर्भर बनाती है, बल्कि समाज, राष्ट्र और संपूर्ण मानवता के उत्थान का आधार भी बनती है।

आज के तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में, जहाँ तकनीक, अर्थव्यवस्था, और सामाजिक संरचनाएं निरंतर परिवर्तित हो रही हैं, वहाँ नवीनतम ज्ञान ही वह औज़ार है जो हमें हर चुनौती का सामना करने और हर अवसर का लाभ उठाने के लिए तैयार करता है।

ज्ञान एक ऐसा सेतु है जो हमारे गौरवशाली अतीत को वर्तमान से जोड़ता है और वर्तमान को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाता है। यह परंपरा की जड़ों से जुड़ते हुए नवाचार की शाखाओं को फैलाने का माध्यम है।

आप सभी छात्राओं के लिए यह आवश्यक है कि आप इस भव्य ज्ञान-परंपरा का सिर्फ हिस्सा न बनें, बल्कि इसकी मशालवाहक बनें। अपने भीतर जिज्ञासा, विवेक और निरंतर सीखने की भावना को जीवित रखें, क्योंकि यही वो विशेषताएँ हैं जो आपको एक जिम्मेदार नागरिक, एक संवेदनशील मानव और एक प्रेरणादायी नेतृत्वकर्ता बनाएंगी।

मुझे यहां डॉ. भीमराव अंबेडकर के दृष्टिकोण की याद आती है जिन्होंने कहा था कि ‘‘शिक्षा वह शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं।’’

स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘‘शिक्षा वह है जो हमें आत्मनिर्भर बनाए, अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाए।’’

शिक्षा द्वारा ही समाज को सही दिशा प्रदान की जा सकती है। शिक्षा केवल उपाधि प्राप्त करने तक सीमित नहीं है अपितु शिक्षा समाज के प्रति हमारे दायित्व बोध को इंगित करती है।

देवियो और सज्जनो,

महिलाओं को बराबरी का अधिकार और सम्मान देना तो भारतीयता का मूल-भाव रहा है। भारत में मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति इन सभी महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं विश्व के कई विकसित देशों की तुलना में पहले से ही आसीन रही हैं। 

नारी का सम्मान हमारी संस्कृति का आधार रहा है। ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’, यह हमारा सूत्र वाक्य रहा है। अर्थात् जहां स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।

समाज को ‘पढ़ो और बढ़ो’ की सोच के साथ बेटियों का साथ देना चाहिए। सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाली हमारी बेटियाँ अपनी इच्छा-शक्ति और कठिन परिश्रम के बल पर हर बाधा को तोड़ते हुए खेल, संगीत, कला, विज्ञान और रक्षा जैसे सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं।

हम सबको मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाना है, जहां सभी महिलाएं सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में पूरी तरह से भाग ले सकें और अपना भरपूर योगदान दे सकें।

प्रिय छात्राओ,

आप सभी भारत के उस उज्ज्वल भविष्य की प्रतिनिधि हैं जिसकी नींव आज आपके विचारों, आपके संकल्पों और आपके कर्मों पर आधारित है। जिस प्रकार दीपक स्वयं जलकर प्रकाश फैलाता है, उसी प्रकार एक शिक्षित और जागरूक नारी पूरे समाज को प्रगति के पथ पर ले जाने में सक्षम होती है।

रविन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था, ‘‘सच्ची शिक्षा वह है जो हमें सोचने की स्वतंत्रता दे, न कि केवल याद करने की क्षमता।’’

इसलिए आज के समय में, जब दुनिया तेज़ी से बदल रही है, टैगोर का यह संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है, हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है जो बच्चों में विचारशीलता, नवाचार और स्वतंत्र चिंतन की भावना विकसित करे, ताकि वे न केवल अपने लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए कुछ सार्थक कर सकें।

आज जब देश विज्ञान, तकनीक, रक्षा, खेल और प्रशासन के हर क्षेत्र में महिला शक्ति का स्वागत कर रहा है, तब यह अत्यंत आवश्यक है कि आप अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखें और आगे बढ़ने से कभी न डरें।

प्रिय छात्राओ,

आप भारत की शक्ति हैं। आज का भारत एक ऐसे युग में प्रवेश कर चुका है जहाँ उसकी पहचान एक युवा और उभरती हुई ताकत के रूप में हो रही है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘विकसित भारत 2047’ का जो सपना देखा है, उसे साकार करने में युवाओं की भूमिका सबसे अधिक है।

हमारे देश में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है। इसके तहत उच्च शिक्षा संस्थानों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है जिनमें शिक्षा-केंद्रित विश्वविद्यालय, शोध-केंद्रित विश्वविद्यालय और स्वायत्त कॉलेज शामिल हैं। सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को 2040 तक बहु-विषयक संस्थानों के रूप में विकसित किया जाएगा।

देवियो और सज्जनो, 

हमारे सामने देश को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प है और इसके लिए हमें अपनी पूरी मेहनत, लगन और एकजुटता के साथ आगे बढ़ना होगा। यह लक्ष्य केवल एक आर्थिक या तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि इसके लिए समाज में सामाजिक समरसता, आर्थिक समृद्धि, राजनीतिक परिपक्वता और सांस्कृतिक उत्थान का संतुलित मिश्रण आवश्यक है। 

जब हम शिक्षा, विज्ञान, तकनीकी उन्नति, आर्थिक उद्यमिता और सामाजिक समरसता में संतुलित विकास को सुनिश्चित करते हैं, तो हम न केवल अपने देश की आंतरिक संरचना को मजबूत करते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा भी ऊंची करते हैं। 

आधुनिक चुनौतियों जैसे सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, सूचना-विस्फोट तथा सीखने की प्रक्रिया में अंतर्विषयक ज्ञान आदि पर जोर देना जैसी वास्तविकताओं का सामना करने में वेदों से लेकर महर्षि दयानंद के दर्शन की अनमोल शिक्षाएँ हमारे मार्गदर्शन में प्रमुख भूमिका निभा सकती है।

प्रिय छात्राओ, 

मुझे पूरा विश्वास है कि इस प्रतिष्ठित महाविद्यालय ने आपको जो मार्गदर्शन और दिशा दी है, वह आपके जीवन में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाएगी और इस प्रतिस्पर्धात्मक विश्व में आने वाली संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए आपको पूरी तरह से तैयार करेगी। 

समाज और मातृभूमि के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं के साथ-साथ आपको अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में भी संतुलन लाना होगा। यदि यह सामंजस्य स्थापित हो जाता है तो हम अपने सपनों के अनुरूप एक प्रगतिशील राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। यह जिम्मेदारी आपके युवा कंधों पर है।

वार्षिक दीक्षांत समारोह के इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर, मैं मेहर चंद महाजन डीएवी महिला महाविद्यालय को इसकी बेमिसाल यात्रा में अर्जित अहम उपलब्धियों पर बधाई देता हूँ और कामना करता हूँ कि यह संस्थान उत्कृष्टता की अपनी खोज को जारी रखे तथा उल्लेखनीय सफलताओं के अंतिम सोपान तक पहुँचे। 

मैं महाविद्यालय की प्राचार्या, समस्त संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को भी बधाई देना चाहता हूँ, जिन्होंने विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अंत में, मैं सभी विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूँ। आप पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें, सपने देखें, और उन्हें साकार करें। 

धन्यवाद,

जय हिन्द!