Speech ofPunjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of inauguration of the 3rd Gully Cricket Tournament in Chandigarh on April 19,2025.
- by Admin
- 2025-04-19 22:10
यू.टी. क्रिकेट एसोसिएशन के ‘गली क्रिकेट’ के शुभारंभ पर
राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 19.04.2025, शनिवार
समयः शाम 5:30 बजे
स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज इस सुंदर अवसर पर, ‘‘तीसरे गली क्रिकेट टूर्नामेंट’’ के उद्घाटन समारोह में आप सबके बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
मैं इस आयोजन के लिए यूटी क्रिकेट एसोसिएशन और चंडीगढ़ पुलिस सहित सभी सहयोगियों को हार्दिक बधाई देता हूँ, जिन्होंने न केवल खेल को बढ़ावा देने का कार्य किया है, बल्कि गली क्रिकेट जैसे जनप्रिय प्रारूप को एक संगठित मंच प्रदान कर खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी दिया है।
मैं मानता हूँ कि यह पहल समाज के वंचित और गरीब तबके के बच्चों के लिए एक अत्यंत सराहनीय और प्रभावशाली प्रयास है। यह एक ऐसा मंच है जो प्रतिभा को पहचान देता है और अवसरों के द्वार खोलता है। इस पहल के माध्यम से वे बच्चे, जिनके पास न संसाधन हैं और न ही पहुंच, अपने कौशल और जुनून को सामने ला सकते हैं।
यह टूर्नामेंट निस्संदेह यू.टी. क्रिकेट एसोसिएशन की पेशेवर क्रिकेट संरचना की ओर एक सशक्त प्रवेश द्वार है, जहाँ से निकलकर कोई भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी भविष्य में राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान बना सकता है।
इसके अतिरिक्त, युवाओं को नशे और असामाजिक गतिविधियों से दूर रखने तथा उन्हें खेल की सकारात्मक दिशा में प्रेरित करने के उद्देश्य से यू.टी. क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा इस टूर्नामेंट की शुरुआत एक अत्यंत सराहनीय और दूरदर्शी कदम है।
मुझे बताया गया है कि इस गली क्रिकेट टूर्नामेंट का पहला आयोजन वर्ष 2023 में किया गया था, जो न केवल चंडीगढ़ बल्कि पूरे देश में अपनी तरह का एक अनोखा और अग्रणी प्रयास था। इस टूर्नामेंट की अभूतपूर्व सफलता और व्यापक जनभागीदारी के चलते इसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी स्थान मिला, जो आयोजकों और प्रतिभागियों के सामूहिक प्रयास की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
मुझे यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ कि इस वर्ष टूर्नामेंट में कुल 512 बालक एवं 128 बालिका टीमें भाग ले रही हैं, जिनमें सम्मिलित 7,680 खिलाड़ी इस आयोजन की दिन-प्रतिदिन बढ़ती लोकप्रियता और प्रभाव को दर्शाते हैं। इन खिलाड़ियों में पेशेवर क्रिकेट खेलने वाले बच्चे शामिल नहीं हैं, बल्कि वे हैं जिन्होंने खेल को अपने जुनून और रुचि के रूप में अपनाया है।
चंडीगढ़ क्षेत्र के 14 से 18 वर्ष आयु वर्ग के उत्साही और जोशीले युवा खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में ‘‘बल्ला घुमाओ, नशा भगाओ’’ जैसे सशक्त और उद्देश्यपूर्ण आदर्श वाक्य के साथ न केवल खेल भावना का प्रदर्शन करेंगे, बल्कि समाज को नशा-मुक्ति की दिशा में एक प्रेरक संदेश भी देंगे।
देवियो और सज्जनो,
गली क्रिकेट केवल एक खेल नहीं, बल्कि भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है। गली क्रिकेट ने करोड़ों युवाओं को यह सपना देखने की ताक़त दी है कि वे भी एक दिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर सकते हैं।
गली क्रिकेट उस आत्मीयता का नाम है जहाँ खेल के लिए न किसी स्टेडियम की ज़रूरत होती है, न ब्रांडेड किट की। गली क्रिकेट का मैदान जहाँ जगह मिले, वहीं तैयार हो जाता है।
विकेट के लिए ईंटें, टिन के डिब्बे या फिर दीवार पर खींची लकीरें, एक साधारण बल्ला और एक बॉल, बस इतना ही काफी होता है। यहाँ कोई अंपायर नहीं होता, लेकिन ‘आउट है या नहीं’ पर बहस में खेल भावना, आत्म-निर्णय और निष्पक्षता जैसे मूल्यों की नींव रखी जाती है।
गली क्रिकेट का मैदान छोटा हो सकता है, लेकिन सपने हमेशा बड़े होते हैं। यही वजह है कि गली क्रिकेट से निकले कई खिलाड़ी आज भारत के शीर्ष क्रिकेटरों में गिने जाते हैं, चाहे वह एम.एस. धोनी हों, जसप्रीत बुमराह हों या हार्दिक पांड्या।
आज भले ही शहरीकरण और ट्रैफिक की बढ़ती भीड़ के कारण बच्चों को गलियों में क्रिकेट खेलने के मौके कम मिलते हैं, लेकिन गली क्रिकेट की रौनक और जुनून अभी भी जिंदा है।
यह नज़ारा आज भी किसी पार्क, खाली मैदान या मोहल्ले की किसी खुली जगह में देखने को मिल जाता है, जहाँ बच्चे बल्ला और गेंद लेकर पूरे जोश के साथ क्रिकेट खेलते दिखाई देते हैं।
गली क्रिकेट में कोई भेदभाव नहीं होता। न जाति का, न धर्म का, न आर्थिक हैसियत का। यह खेल सबको एक समान मंच देता है और दोस्ती, भाईचारे और सौहार्द का वातावरण तैयार करता है, यही इसकी सबसे बड़ी ताक़त है।
इसलिए, गली क्रिकेट को सिर्फ़ ‘छोटे स्तर का क्रिकेट’ समझना इसे कम आँकना होगा। यह भारत के हर बच्चे का पहला क्रिकेट स्कूल है, और यही भावना इसे भारत की आत्मा का क्रिकेट बनाती है।
आज जब हम ‘गली क्रिकेट’ जैसे आयोजनों को औपचारिक मंच दे रहे हैं, तो यह एक नई पीढ़ी के सपनों को उड़ान देने जैसा है।
यह टी10 फॉर्मेट युवा खिलाड़ियों के लिए ऊर्जा, चपलता और मानसिक सजगता का असली परीक्षण है। यह हमें सिखाता है कि कैसे सीमित समय और संसाधनों में भी उत्कृष्टता प्राप्त की जा सकती है।
देवियो और सज्जनों,
खेल पुरातन काल से ही भारतीय सभ्यता का हिस्सा रहे हैं। रामायण काल हो, महाभारत काल हो या वेदों-पुराणों का समय हो खेल प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से जनजीवन का हिस्सा रहे हैं। खेल केवल मनोरंजन के लिए नहीं खेले जाते थे बल्कि शारीरिक व मानसिक स्फूर्ति के विकास का साधन थे।
घुड़सवारी, तलवारबाजी, तिरंदाजी, कुश्ती, मल्लखम्भ, रथों की दौड़, तैराकी, चौसर इत्यादी खेलों का प्राचीन भारत में प्रचलन था। अर्जुन, एकलव्य, भीम, गुरू द्रोणाचार्य, कौन नहीं परिचित इन नामों से!
आधुनिक युग में तो खेलों का महत्व चरम पर पहुंच गया है, क्योंकि अब यह व्यक्तित्व विकास, स्वास्थ्य, करियर निर्माण और सामाजिक समरसता का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। आज के प्रतिस्पर्धात्मक और तनावपूर्ण जीवन में खेल तनावमुक्त रहने का एक प्रभावी उपाय है।
सरकार और विभिन्न संस्थाओं द्वारा खेल अवसंरचना, प्रशिक्षण और योजनाओं पर हो रहा निवेश यह दर्शाता है कि आज खेल केवल शौक नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बन चुके हैं। वास्तव में, आधुनिक युग में खेल एक ऐसे सार्थक आंदोलन का रूप ले चुके हैं, जो समाज को स्वास्थ्य, ऊर्जा और प्रगति की दिशा में अग्रसर कर रहा है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कई अवसरों पर कहा है, ‘‘खेल एक ऐसी सॉफ्ट पावर है, जो दुनिया का ध्यान भारत की ओर आकर्षित कर सकती है।’’ खेलों में वह शक्ति है, जो किसी भी राष्ट्र को वैश्विक मंच पर खेल महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठित कर सकती है।
देवियो और सज्जनो,
हर व्यक्ति के जीवन में खेल का अमूल्य महत्व होता है। खेल धर्म-जाति, ऊंच-नीच से ऊपर उठकर टीम भावना पैदा करता है। यह नेतृत्व कौशल, लक्ष्य निर्धारण और जोखिम लेने के लिए आत्म विश्वास बढ़ाता है। खेल हमारे देश के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। पिछले तकरीबन एक दशक में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं। साल 2014 के मुकाबले देश का खेल बजट लगभग 3 गुना बढ़ाया गया है।
खेलो इंडिया जैसी योजनाओं के तहत युवा खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण, सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। पूरे देश में आधुनिक हॉकी स्टेडियम और सिंथेटिक टर्फ तैयार किए जा रहे हैं, ताकि खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और वे अपनी प्रतिभा को निखार सकें।
खेलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बनाया गया है। खेल को उसी श्रेणी में रखा गया है जैसे विज्ञान, कॉमर्स, गणित या दूसरी पढ़ाई; अब वह अतिरिक्त गतिविधि नहीं माने जाएंगे बल्कि खेलों का उतना ही महत्व होगा जितना बाकी विषयों का।
चंडीगढ़ प्रशासन ने भी खेलों के प्रति सराहनीय कदम उठाए हैं जिसके तहत एक प्रगतिशील खेल नीति शुरू की है। इस खेल नीति के अनुसार, ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता को 6 करोड़ रूपए का नकद पुरस्कार, रजत पदक विजेताओं को 4 करोड़ रुपए और कांस्य पदक विजेताओं को 2.5 करोड़ रुपए मिलेंगे।
अब जब हम माननीय प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत 2047 की राह पर अग्रसर हैं तो मेरा पूर्ण विश्वास है कि 2047 तक हम खेल के क्षेत्र में भी विश्व गुरू बनेंगे और यह आप जैसे हमारे युवा खिलाड़ियों के संकल्प और समर्पण के चलते ही संभव हो पाएगा।
देवियो और सज्जनो,
हम सभी जानते हैं कि चंडीगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का उत्कृष्ट खेल बुनियादी ढांचा उपलब्ध है। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारा प्रयास है कि शहर में खेलों को और अधिक बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजनों का नियमित रूप से आयोजन किया जाए।
हमें गर्व है कि चंडीगढ़ ने देश को बहुत से विश्वप्रसिद्ध खिलाड़ी दिए हैं जिनमें हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर, फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह, क्रिकेटर कपिल देव, युवराज सिंह, चेतन शर्मा, गोल्फ खिलाड़ी जीव मिल्खा सिंह और निशानेबाजी में हमारे ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा शामिल हैं।
इसके अलावा, वर्तमान में चल रहे आईपीएल टूर्नामेंट में चंडीगढ़ से जुड़े खिलाड़ियों, राज अंगद बावा (मुंबई इंडियन्स) और संदीप शर्मा (राजस्थान रोयल्स) ने अपने उत्कृष्ट खेल से चंडीगढ़ की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया है।
साथ ही, चंडीगढ़ की होनहार क्रिकेटर काश्वी गौतम का भारतीय महिला क्रिकेट टीम में चयन इस बात का प्रमाण है कि चंडीगढ़ न केवल पुरुष क्रिकेटरों के लिए, बल्कि महिला खिलाड़ियों के लिए भी एक उभरता हुआ केंद्र बन चुका है। काश्वी का यह चयन आने वाली पीढ़ी की लड़कियों के लिए एक प्रेरणा है, जो क्रिकेट को अपना करियर बनाना चाहती हैं।
देवियो और सज्जनो,
मैं देख रहा हूँ कि यहाँ विभिन्न क्षेत्रों और पृष्ठभूमियों से आए युवा खिलाड़ी एक साथ खेल के माध्यम से भाईचारे और सौहार्द का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
मैं इस मंच से विशेष रूप से युवाओं से कहना चाहता हूँ कि खेल केवल जीत-हार की बात नहीं है, यह अनुशासन, टीम भावना, नेतृत्व, सहिष्णुता और मेहनत जैसे जीवन के बड़े मूल्यों का प्रशिक्षण है। जो खिलाड़ी मैदान में हार को स्वीकार करना सीखता है, वही जीवन में बड़ी सफलता पाने का सामर्थ्य रखता है।
चंडीगढ़ हमेशा से खेलों को प्रोत्साहित करने वाला शहर रहा है। मुझे यह जानकर खुशी है कि यूटी क्रिकेट एसोसिएशन और सदैव शहर की सुरक्षा में समर्पित चंडीगढ़ पुलिस गली क्रिकेट जैसे नवाचारों को औपचारिक और सम्मानजनक पहचान दे रहे हैं।
मेरी कामना है कि यह टूर्नामेंट न केवल एक रोमांचक प्रतियोगिता बने, बल्कि नए सितारों के उदय का भी माध्यम बने। मैं सभी खिलाड़ियों से आग्रह करता हूँ कि वे पूरे जोश, खेल भावना और सम्मान के साथ इस प्रतियोगिता में भाग लें। हार-जीत तो खेल का हिस्सा है, लेकिन असली जीत उस आत्मविश्वास और अनुशासन की होती है जो खेल हमें सिखाता है।
अंत में, मैं एक बार फिर यूटी क्रिकेट एसोसिएशन और चंडीगढ़ पुलिस सहित इस आयोजन से जुड़े सभी लोगों को इस सफल पहल के लिए बधाई देता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आने वाले वर्षों में यह टूर्नामेंट और भी ऊँचाइयों को छुएगा।
धन्यवाद,
जय हिन्द!