Speech of Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of Inauguration of 5 key reformative projects at Model Jail, Chandigarh today – including a modern Control Room, Conference Hall, Jeev Vatika, Nursery (M

बुड़ैल जेल में 5 परियोजनाओं के उद्घाटन समारोह के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

 

दिनांकः 02.05.2025, शुक्रवारसमयः शाम 5:00 बजेस्थानः चंडीगढ़

    

नमस्कार!

आज बुड़ैल जेल, चंडीगढ़ में कॉन्फ्रेंस हॉल, कंट्रोल रूम, जिम्नेज़ियम हॉल, नर्सरी (मनोहर वाटिका) और जीव वाटिका के उद्घाटन अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। 

यह न केवल एक नई शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि जेल प्रशासन की सुधारोन्मुख सोच और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

बुड़ैल जेल का इतिहास बताता है कि इसे वर्ष 1972 में एक उप-जेल के रूप में स्थापित किया गया था। यह प्रारंभिक रूप से सीमित क्षमताओं और सीमित दायित्वों के साथ कार्यरत रही। लेकिन समय के साथ जेल प्रबंधन और सुधारात्मक दृष्टिकोण में जो व्यापक बदलाव आए, उन्हें ध्यान में रखते हुए इस जेल की भूमिका और महत्त्व भी बढ़ता गया।

इन परिवर्तनों को देखते हुए जनवरी 1990 में इस जेल को एक केंद्रीय जेल के समकक्ष मॉडल जेल का दर्जा प्रदान किया गया। यह केवल एक प्रशासनिक परिवर्तन नहीं था, बल्कि एक विचारात्मक बदलाव भी था, जो दंड की बजाय सुधार और पुनर्वास की सोच को प्राथमिकता देता है।

मुझे यह जानकर अत्यंत संतोष हुआ है कि मॉडल जेल, चंडीगढ़ में कैदियों के कल्याण हेतु अनेक सुधारात्मक गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं। विशेष रूप से, विभिन्न क्षेत्रों में कौशल आधारित प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि वे जेल से रिहा होने के बाद सम्मानपूर्वक अपनी आजीविका चला सकें और समाज की मुख्यधारा में पुनः शामिल हो सकें।

जेल प्रशासन द्वारा ऐसे प्रयास निःसंदेह सराहनीय हैं, क्योंकि ये न केवल पुनर्वास की दिशा में एक सकारात्मक पहल हैं, बल्कि समाज में पुनः स्वीकार्यता और आत्मसम्मान के साथ जीवन जीने का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।

मुझे बताया गया है कि आज जिन 5 प्रमुख सुविधाओं का उद्घाटन हुआ है, वे सभी न केवल जेल प्रबंधन को आधुनिक बनाएंगी, बल्कि बंदियों के समग्र विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

कॉन्फ्रेंस हॉल

जेल परिसर में जो एक अत्याधुनिक कॉन्फ्रेंस हॉल की स्थापना की गई है, इसका उद्देश्य जेल प्रशासन की कार्यक्षमता को सुदृढ़ करना और विभिन्न स्तरों पर समन्वय को बेहतर बनाना है। इस सम्मेलन कक्ष का उपयोग आंतरिक समन्वय बैठकों और अंतरविभागीय बैठकों के आयोजन हेतु किया जाएगा। 

साथ ही, यह वर्चुअल कॉन्फ्रेंस, भौतिक प्रशिक्षण सत्रों एवं ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के संचालन में भी सहायक सिद्ध होगा। इस आधुनिक सुविधा की स्थापना पर अनुमानित 18 लाख रूपये की लागत आई है।

आधुनिक कंट्रोल रूम

इसके अलावा, जेल परिसर में जो एक आधुनिक कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है, वहाँ से सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से जेल की गतिविधियों पर चौबीसों घंटे निगरानी रखी जाएगी।

यह कंट्रोल रूम जेल की सुरक्षा सुनिश्चित करने, प्रशासनिक कार्यों की कुशलता बढ़ाने तथा कैदियों के पुनर्वास से जुड़ी गतिविधियों का प्रभावी रूप से समर्थन करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस उच्च तकनीकी सुविधा की स्थापना पर लगभग 1 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत आई है।

जिमनेज़ियम हॉल

साथ ही, कर्मचारियों की शारीरिक फिटनेस और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जेल परिसर में स्थित जिमनेज़ियम हॉल को अत्याधुनिक मशीनों और उपकरणों से सुसज्जित कर उन्नत किया गया है। 

इस जिम का उद्देश्य कर्मचारियों को बेहतर फिटनेस सुविधाएं प्रदान करना है, जिससे वे शारीरिक रूप से सक्षम और मानसिक रूप से संतुलित रह सकें। इस सुविधा को विकसित करने में लगभग 23 लाख रूपये की अनुमानित लागत आई है।

नर्सरी (मनोहर वाटिका)

इसके अलावा, जेल परिसर में नर्सरी (मनोहर वाटिका) की स्थापना एक सराहनीय पहल के रूप में की गई है, जहां विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे लगाए गए हैं। इस नर्सरी का उद्देश्य न केवल पर्यावरण को हरित बनाना है, बल्कि कैदियों को सजावटी और फलदार पौधों की देखभाल एवं उन्हें उगाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण देना भी है। 

इससे कैदियों में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता विकसित होती है और उनके पुनर्वास की दिशा में एक ठोस कदम उठाया जाता है। इस परियोजना पर लगभग 18 लाख रूपये की अनुमानित लागत आई है।

जीव वाटिका

साथ ही, यहां स्थापित जीव वाटिका एक अनूठी और संवेदनशील पहल है, जहाँ खरगोश, बत्तख और गिनी मुर्गियां रखी गई हैं। इसका उद्देश्य कैदियों के पुनर्वास और उनके भावनात्मक उपचार को बढ़ावा देना है। 

मित्रो,

इस प्रकार की गतिविधियाँ कैदियों में करुणा, जिम्मेदारी और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को विकसित करती हैं। जीव वाटिका न केवल जेल के वातावरण को मानवीय बनाती है, बल्कि समाज और प्रकृति के प्रति कैदियों की जिम्मेदारियों का भी बोध कराती है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 6 लाख रूपये है।

मैं मॉडल जेल, चंडीगढ़ के कैदियों के लिए इस तरह की सुधारात्मक गतिविधियों को शुरू करने के लिए जेल विभाग, चंडीगढ़ को बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है कि कैदी भी जेल प्रशासन का सहयोग करेंगे और इस तरह की सुधारात्मक गतिविधियों का लाभ उठाएंगे।

जेलों का उद्देश्य केवल दंड देना नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्वास के माध्यम से व्यक्ति को एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में पुनः समाज की मुख्यधारा में शामिल करना भी है। हमारा संविधान, हमारी न्याय प्रणाली और हमारा समाज, सभी इस विश्वास पर टिके हैं कि हर व्यक्ति को एक दूसरा मौका मिलना चाहिए। दंड सुधार की दिशा में हो, न कि केवल प्रतिशोध की भावना में।

आज हम उसी सोच को मूर्त रूप दे रहे हैं। ये परियोजनाएं उन सभी कैदियों के लिए समाज की मुख्य धारा में लौटने का माध्यम बनेंगी, जो यहां रहते हुए अपने जीवन को फिर से संवारना चाहते हैं, अपने परिवार और समाज में एक बार फिर सम्मान के साथ जीना चाहते हैं।

साथियो,

मेरा मानना है कि जेल को केवल एक दंड स्थल नहीं, बल्कि एक सुधारगृह के रूप में कार्य करना चाहिए। इसका मुख्य उद्देश्य केवल अपराधियों को सजा देना नहीं, बल्कि उन्हें आत्मनिरीक्षण, पश्चाताप और पुनर्वास के अवसर प्रदान करना होना चाहिए। जेलों में बंद व्यक्ति भले ही किसी अपराध के कारण वहां पहुंचे हों, लेकिन उन्हें एक नया जीवन शुरू करने का मौका मिलना चाहिए।

यदि हम जेलों में कौशल विकास, शिक्षा, मानसिक और भावनात्मक परामर्श, तथा नैतिक मूल्यों की शिक्षा जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दें, तो यह न केवल उन व्यक्तियों के जीवन को बदल सकता है, बल्कि समाज में पुनः स्थापित होने की उनकी संभावनाओं को भी मजबूत बना सकता है। एक व्यक्ति जब आत्मनिर्भर बनकर जेल से बाहर आता है, तो वह अपराध के मार्ग से हटकर समाज के लिए एक उपयोगी नागरिक बन सकता है।

इसलिए, जेल व्यवस्था का पुनरुद्धार और उसमें मानवीय दृष्टिकोण का समावेश न केवल आवश्यक है, बल्कि यह हमारी न्याय प्रणाली की प्रभावशीलता को भी दर्शाता है। सुधार की भावना से प्रेरित जेल व्यवस्था ही सच्चे अर्थों में न्याय और मानवता की मिसाल बन सकती है।

जेल तंत्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कारावास के दौरान बंदियों के दुख-दर्द कम हों न की बढ़ें। हमें कैदियों को सुधारने और उन्हें समाज में ससम्मान वापस लाने की जरूरत है।

मित्रो,

पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा जेलों की स्थिति में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जैसे फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालतें, जिससे लंबित और विचाराधीन कैदियों की संख्या को कम करने में मदद मिली है और जेल तंत्र पर बढ़ता दबाव कम हुआ है।

मैं समझता हूं कि हम बंदियों की देखभाल और पुनर्वास की प्रक्रिया में गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज संगठनों को भी शामिल कर सकते हैं। इस क्षेत्र में समाज की भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए। कैदियों के सुधार की दिशा में प्रयासों को मजबूत करने के लिए सुधारात्मक सेवाओं में जनता की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है।

आइए, हम यह सुनिश्चित करें कि जिन लोगों ने समाज के प्रति अपना कर्ज चुका दिया है, वे अपने समुदायों में फिर से जुड़ जाएं। हम व्यवसायों के माध्यम से सज़ा काट चुके बंदियों को नौकरी प्रदान करके या फिर उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण संबंधी कार्यक्रमों में मदद करके अपनी भूमिका निभाएं।

हम सभी एक साथ मिलकर इस उद्देश्य के प्रति प्रयासरत हों तभी हम राष्ट्र के रूप में सभी के लिए स्वतंत्रता और न्याय के अपने संस्थापक आदर्श पर खरे उतर सकते हैं।

मैं अंत में यहां उपस्थित सभी कैदियों से एक विशेष आग्रह करना चाहता हूं कि आपकी गलतियों से बड़ा आपका भविष्य है। आज जिन पांच परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ है, आपके लिए एक अवसर है। इन्हें अपनाएं, इनका लाभ उठाएं, और जब आप बाहर जाएं, तो एक नए, सशक्त, और जिम्मेदार नागरिक के रूप में समाज में लौटें।

आप सबको शुभकामनाएँ।                 

धन्यवाद, 

जय हिंद!