SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF DISTRIBUTION OF STUDY MATERIAL TO THE 650 NEEDY AND DESERVING STUDENTS BY BHARAT VIKAS PARISHAD AT CHANDIGARH ON 05.05.2025.

भारत विकास परिषद द्वारा स्कूली विद्यार्थियों को अध्ययन सामग्री वितरण समारोह पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 05.05.2025, सोमवारसमयः सुबह 10:00 बजेस्थानः चंडीगढ़

 

नमस्कार!

मुझे अत्यंत प्रसन्नता और गर्व का अनुभव हो रहा है कि आज मैं भारत विकास परिषद् द्वारा संचालित ‘साक्षरता प्रकल्प’ के इस महत्वपूर्ण आयोजन का हिस्सा बना हूं। 

यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि समाज के उन नन्हें पुष्पों को भविष्य की रोशनी देने का एक पावन प्रयास है, जो अब तक संसाधनों के अभाव में शिक्षा से वंचित रहे हैं।

मैं भारत विकास परिषद् चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री अजय दत्ता, साक्षरता प्रोग्राम के निर्देशक श्री अशोक कुमार गोयल, भारत विकास परिषद् चण्डीगढ़ के अध्यक्ष श्री एम. के. विरमानी सहित अन्य सभी सदस्यों को इस सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूं।

मुझे ज्ञात हुआ है कि आज लगभग 600 जरुरतमंद स्कूली बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म, बैग, स्टेशनरी आदि सेवा भाव से वितरित की गई है, जो कि देश के साक्षरता कार्यक्रम को और अधिक मजबूती देने के लिये बहुत ही नेक कार्य है। 

मैं समझता हूं कि विकास परिषद चंडीगढ़ का यह प्रयास अवश्य सार्थक होगा। आप निष्काम और निस्वार्थ रुप से विगत 1987 से इस प्रकल्प के अंतर्गत हजारों जरुरतमंद विद्यार्थियों को उनकी पढ़ाई पूरी करवा कर, उनको सशक्त कर चुके हैं। 

मुझे बताया गया है कि इस प्रकल्प के माध्यम से कई छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर उच्च पदों पर आसीन होकर समाज एवं राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं।

आपके इस प्रयास से न केवल ये बच्चे आभारी रहेंगे किन्तु यह शहर भी आपका ऋणी है जिसकी साक्षरता दर पूरे देश में एक सम्मानजनक दृष्टि से देखी जाती है। आपके इस निरंतर योगदान से हम गौरव महसूस करते हैं।

देवियो और सज्जनो,

मैं परिषद की समाज-उपयोगी और राष्ट्रनिर्माण में संलग्न सेवाओं से भली-भांति परिचित हूं। स्वामी विवेकानंद जी के विचारों और दर्शन से प्रेरणा लेकर वर्ष 1963 में परिषद की स्थापना ऐसे ही कुछ समर्पित और दूरदृष्टि वाले देशभक्तों द्वारा की गई थी। 

1963 में दिल्ली से प्रारंभ हुई भारत विकास परिषद की एकमात्र शाखा आज विस्तार पाकर पूरे देश में लगभग 1600 शाखाओं का एक विशाल संगठन बन चुकी है, जिसमें लगभग 1 लाख 56 हजार समर्पित सदस्य निःस्वार्थ भाव से सेवा और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में सक्रिय रूप से जुटे हुए हैं।

चंडीगढ़ में परिषद् द्वारा संचालित चैरिटेबल डायग्नोस्टिक एंड मेडिकल सेंटर जहां प्रतिदिन 1500 से अधिक रोगियों की सेवा कर रहा है, वहीं महिला सशक्तिकरण के लिए 3 बाल विकास केंद्र और 1 सिलाई प्रशिक्षण केंद्र भी प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं। लेकिन आज का यह अध्ययन सामग्री का वितरण समारोह वास्तव में समाज के सबसे संवेदनशील और मौलिक क्षेत्र को स्पर्श करता है।

प्रिय साथियों,

बच्चों को स्कूल बैग, यूनिफॉर्म, स्टेशनरी आदि जैसी मूलभूत आवश्यकताएं प्रदान करना, केवल दान नहीं है, यह राष्ट्र निर्माण का बीजारोपण है। यह कार्य उन बच्चों के लिए आशा की किरण है, जो संसाधनों के अभाव में अपनी प्रतिभा को खो देते हैं। शिक्षा जीवन का दीप है, और जब यह दीप समाज के हर कोने में जलता है, तभी सच्चे अर्थों में विकास संभव होता है।

क्योंकि इस अवसर के माध्यम से मुझे यहां मौजूद बच्चों से बातचीत करने का अवसर मिल रहा है तो मैं बच्चों से कहना चाहूंगा कि स्कूली जीवन आपके जीवन की नींव है। 

आप आज जो सीखते हैं, वही कल आपके चरित्र, मूल्य और सफलता का आधार बनेगा। स्कूल में केवल पाठ्यपुस्तकों का ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन को समझने की दृष्टि भी प्राप्त होती है। अपने अध्यापकों से सीखिए कि सहयोग, सहानुभूति, अनुशासन और जिम्मेदारी क्या होती है।

समय का पालन, मेहनत, और लगन, ये आपके सबसे बड़े हथियार हैं। यह वही गुण हैं जो आपको न केवल अच्छे छात्र बल्कि जिम्मेदार नागरिक भी बनाएंगे।

शिक्षा की मजबूत नींव पर आपको अपना और अपने माता-पिता के साथ-साथ शहर का नाम भी रोशन करना है।

प्रिय विद्यार्थियो,

शिक्षा सिर्फ परीक्षा पास करने या अंक लाने तक सीमित नहीं है। यह एक सोच है, एक दृष्टिकोण है, जो आपको जीवन के हर पड़ाव पर निर्णय लेने में मदद करता है। 

जो विद्यार्थी आज कक्षा में मन लगाकर पढ़ाई करते हैं, वही कल जिम्मेदार डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, नेता, शिक्षक और नागरिक बनते हैं। उनका व्यक्तित्व, उनकी सोच, और उनकी कार्यशैली पूरे समाज को प्रभावित करती है।

अभिभावकों और शिक्षकों से मैं यही कहना चाहूंगा कि बच्चों को शिक्षा को एक दीर्घकालिक निवेश के रूप में देखने की अहमियत समझाएं। उन्हें अंकों की दौड़ में मत झोंकिए, बल्कि ज्ञान की गहराई में उतरने की प्रेरणा दीजिए। जब शिक्षा आत्मसात होती है, तभी वह चरित्र निर्माण का आधार बनती है।

मैं सभी अभिभावकों और शिक्षकों से आग्रह करता हूं कि वे इन बच्चों को एक पेड़ की तरह सींचें, जैसे गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर ने कहा था, ‘‘शिक्षक को माली की तरह होना चाहिए, जो पौधों को उनके स्वाभाविक रूप से विकसित होने में सहायता करता है।’’

भारत विकास परिषद् की चंडीगढ़ शाखा इस विचार को पिछले कई वर्षों से मूर्त रूप दे रही है। आपने हजारों विद्यार्थियों को शिक्षा की दिशा में न केवल प्रोत्साहित किया है बल्कि उन्हें सशक्त भी किया है। यह निःस्वार्थ सेवा समाज के प्रति आपकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

तमिल कवि महाकवि सुब्रमण्य भारती के शब्दों में कहूं तो, “एक बच्चे को शिक्षित करना, हजार मंदिरों का निर्माण करने से बड़ा पुण्य है।”

देवियो और सज्जनो,

हमारे जीवन में बहुत सी चीजें होती हैं जो तुरंत लाभ देती हैं, जैसे कोई पुरस्कार, कोई सराहना, या किसी प्रतियोगिता की जीत। लेकिन शिक्षा ऐसी पूंजी है जो धीरे-धीरे, परन्तु बहुत गहराई से हमारे जीवन को संवारती है। 

अच्छी पढ़ाई एक ऐसा निवेश है जिसका प्रतिफल समय के साथ मिलता है, जब विद्यार्थी स्वयं समाज की जिम्मेदारी लेने लगते हैं, अपने परिवार का सहारा बनते हैं और देश के निर्माण में भागीदार बनते हैं।

कहा गया है, “विद्या धनं सर्वधनप्रधानम्।”

अर्थात विद्या ही सबसे बड़ा धन है। यह न चुराई जा सकती है, न घटती है, और न ही बाँटने से कम होती है।

देवियो और सज्जनो,

हमारे समाज में आज भी अनेक ऐसे बच्चे हैं जो आर्थिक तंगी, सामाजिक असमानता और दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। ये बच्चे प्रतिभाशाली होते हुए भी अपनी पूरी क्षमता को नहीं पहचान पाते, क्योंकि उनके पास आवश्यक संसाधन नहीं होते।

जब कोई बच्चा ऐसी कठिनाइयों से घिरा होता है, तो उसके लिए पढ़ाई की सामग्री खरीदना एक असंभव सपना बन जाता है। परिणामस्वरूप, वह या तो स्कूल जाना छोड़ देता है या पढ़ाई में पीछे रह जाता है। इससे न केवल उसकी व्यक्तिगत उन्नति रुक जाती है, बल्कि समाज को भी एक सम्भावित प्रतिभा खोनी पड़ती है।

ऐसे में, जब हम किसी ज़रूरतमंद बच्चे को अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराते हैं, तो हम केवल उसे एक वस्तु नहीं दे रहे होते, बल्कि हम उसे एक अवसर दे रहे होते हैं, एक नया भविष्य बनाने का, आत्मविश्वास से जीवन जीने का, और अपने सपनों को साकार करने का। यह एक बीज की तरह होता है, जिसे अगर सही समय पर सींचा जाए, तो वह एक मजबूत, फलदायक वृक्ष बन सकता है।

इसलिए, छात्रों को अध्ययन सामग्री वितरित करना केवल एक साधारण सहायता का कार्य नहीं है, बल्कि यह एक दूरदर्शी और राष्ट्र निर्माण से जुड़ा हुआ अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। 

यह केवल परोपकार की भावना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सच्चे अर्थों में देशसेवा है, मातृभूमि के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में एक सशक्त भागीदारी है।

क्योंकि जब किसी बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आवश्यक साधन मिलते हैं, तो वह न केवल ज्ञान अर्जित करता है, बल्कि आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी विकसित करता है।

यदि किसी विद्यार्थी की स्कूली शिक्षा की नींव मजबूत होगी, उसके पास पुस्तकें, यूनिफॉर्म, स्टेशनरी और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध होगी, तो वह पूरी लगन और ध्यान से पढ़ाई कर पाएगा। और जब वह सफल होगा, तो न केवल उसका जीवन बदलेगा, बल्कि उसके परिवार, समाज और देश की दिशा भी बदल सकती है।

इसलिए, यह प्रयास केवल एक बच्चे तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह एक पूरे राष्ट्र के भविष्य को संवारने की प्रक्रिया का हिस्सा बन जाता है।

आप इस नेक कार्य में जुटे रहें और बच्चों, आप भी अपने पढ़ाई रुपी कर्तव्य के प्रति समर्पित रहें और देश के विकास में अपना योगदान दें।

धन्यवाद,

जय हिंद!