SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF SCHOLARSHIP DISTRIBUTION TO STAFF OF PUNJAB RAJ BHAVAN CHANDIGARH ON MAY 21, 2025

पंजाब राजभवन के कर्मचारियों के होनहार बच्चों को सम्मान प्रदान करने के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 21.05.2025, बुधवार

समयः दोपहर 12:00 बजे

स्थानः पंजाब राजभवन

नमस्कार!

आज का यह अवसर मेरे लिए अत्यंत विशेष और हर्ष का विषय है, क्योंकि हम यहां पंजाब राज भवन के कर्मचारियों के कक्षा 10वीं और 12वीं के उन प्रतिभाशाली बच्चों को सम्मानित करने के लिए एकत्रित हुए हैं, जिन्होंने परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर न केवल अपने माता-पिता, बल्कि अपने स्कूल का भी गौरव बढ़ाया है।

मैं सभी सम्मानित विद्यार्थियों को इस सफलता के लिए हार्दिक बधाई देता हूं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। साथ ही, उनके माता-पिता और शिक्षकों को भी धन्यवाद देता हूं, जिनके मार्गदर्शन और समर्थन के बिना यह सफलता संभव नहीं हो पाती।

आपने कठिन परिश्रम, अनुशासन और आत्मविश्वास के बल पर जो सफलता प्राप्त की है, वह वास्तव में प्रशंसनीय है। यह केवल एक शैक्षणिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भविष्य के सुनहरे रास्ते की शुरुआत है।

आज हमने कुल 16 बच्चों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया है जिनमें से 7 बच्चे कक्षा 10वीं और 9 बच्चे कक्षा 12वीं के हैं। 

यह केवल प्रमाणपत्र नहीं हैं, बल्कि इन बच्चों की तपस्या, अनुशासन और उनके माता-पिता के त्याग और मार्गदर्शन का प्रतीक हैं। यह उपलब्धियाँ न केवल परिवार के लिए गौरव का विषय हैं, बल्कि समूचे राजभवन परिवार के लिए प्रेरणा भी हैं।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि ये विद्यार्थी भविष्य में भी इसी प्रकार परिश्रम करते हुए समाज और राष्ट्र के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

देवियो और सज्जनो,

मैं आपको बताना चाहता हूं कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पंजाब राजभवन में कार्यरत समूह ‘बी’, ‘सी’ और ‘डी’ कर्मचारियों के बच्चों को प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कार राशि प्रदान की गई है। 

यह सहायता पंजाब के राज्यपाल के विवेकाधीन अनुदान के अंतर्गत पाँच श्रेणियों में वितरित की गई, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धियों को प्रोत्साहित करना और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए सहयोग देना है। कुल पाँच श्रेणियों में इन विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया है जो कुछ इस प्रकार हैः

वे विद्यार्थी जिन्होंने शैक्षणिक सत्र 2023-24 में कक्षा 10वीं की परीक्षा में 70 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। ऐसे 7 विद्यार्थियों को 11 हजार रूपये प्रति छात्र की राशि दी गई है।

वे विद्यार्थी जिन्होंने शैक्षणिक सत्र 2023-24 में कक्षा 12वीं की परीक्षा में 70 प्रतिशत से अधिक अंक अर्जित किए हैं। ऐसे 9 विद्यार्थियों को 21 हजार रूपये प्रति छात्र की राशि दी गई है।

वे विद्यार्थी जो कक्षा 10वीं के बाद नीट (NEET) या जेईई (JEE) जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें कोचिंग फीस का 30 प्रतिशत अनुदान दिया गया है। ऐसे 3 विद्यार्थियों को 69 हजार 500 रूपये की कुल राशि प्रदान की गई है।

वे विद्यार्थी जो कक्षा 12वीं के बाद किसी व्यावसायिक पाठ्यक्रम (Professional Course) में अध्ययनरत हैं, उन्हें उनकी वार्षिक फीस का 30 प्रतिशत सहायता राशि के रूप में प्रदान किया गया है। इसके अन्तर्गत 14 विद्यार्थियों को 4 लाख 54 हजार 950 रूपये की कुल राशि प्रदान की गई है।

और वे विद्यार्थी जिन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी प्रारंभ की है, उन्हें कोचिंग फीस का 30 प्रतिशत अनुदान स्वरूप प्रदान किया गया है। इसके अन्तर्गत 1 विद्यार्थी को 5 हजार 400 रूपये की राशि प्रदान की गई है।

इस प्रकार कुल 7 लाख 95 हजार 850 रूपये की राशि वितरित की गई।

देवियो और सज्जनो,

जब मैंने पंजाब के राज्यपाल के रूप में पदभार संभाला था, उस समय दीपावली से कुछ ही दिन पूर्व राजभवन परिसर में कर्मचारियों के लिए आयोजित एक उपहार वितरण समारोह में मेरी समस्त कर्मचारियों से एक आत्मीय बातचीत हुई थी। 

उसी अवसर पर मैंने यह विचार साझा किया था कि राजभवन जैसे प्रतिष्ठित और गरिमामय संस्थान में एक ऐसी परंपरा की शुरुआत होनी चाहिए, जिसमें न केवल यहाँ कार्यरत कर्मचारियों की कर्तव्यनिष्ठ सेवाओं को उचित मान्यता दी जाए, बल्कि उनके परिवारों, विशेषकर उनके बच्चों की शैक्षणिक उपलब्धियों को भी समान रूप से प्रोत्साहित किया जाए। 

इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, यह निर्णय लिया गया कि पंजाब राजभवन में कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों को, जिन्होंने परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, प्रशंसा-पत्रों और प्रोत्साहन राशि के माध्यम से सम्मानित किया जाएगा। 

यह पहल केवल पुरस्कार वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरक संदेश है कि राजभवन एक ऐसी संस्था है जो सेवा, समर्पण और शिक्षा, इन तीनों मूल्यों को समान रूप से महत्व देती है।

हमारा उद्देश्य न केवल प्रतिभा को पहचानना है, बल्कि एक ऐसी प्रेरणादायक परंपरा का निर्माण करना भी है, जो आने वाले वर्षों में और सशक्त बने, और यहाँ कार्यरत सभी कर्मचारियों के परिवारों में यह भावना जागृत करे कि शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ने का हर प्रयास यहाँ सराहा जाएगा और उसकी सराहना सार्वजनिक रूप से की जाएगी।

मैं समझता हूं कि जब किसी बच्चे की मेहनत को समाज की सराहना मिलती है, तो वह आत्मविश्वास और नये सपनों के साथ और ऊंची उड़ान भरता है।

देवियो और सज्जनो,

मेरा स्पष्ट मत रहा है कि शिक्षा किसी भी परिवार की सबसे बड़ी पूँजी होती है, और जब हमारे कर्मचारी अपने सीमित संसाधनों में भी अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर आगे बढ़ाते हैं, तो वह एक सच्ची सेवा भावना और भविष्य निर्माण की मिसाल बन जाती है। 

इसलिए मैंने यह सुझाव दिया था कि राजभवन के ऐसे मेधावी विद्यार्थियों को हर वर्ष सम्मानित किया जाए ताकि उन्हें आगे और बेहतर करने की प्रेरणा मिले और वे दूसरों के लिए भी एक उदाहरण बनें।

मेरा यह विश्वास है कि इस तरह की पहल न केवल विद्यार्थियों में आत्मविश्वास जगाती है, बल्कि समूचे राजभवन परिवार को एक साझा उद्देश्य से जोड़ती है, एक ऐसा उद्देश्य जो ज्ञान, परिश्रम और समर्पण के मूल्यों को सम्मान देता है। 

आज जब मैं इस मंच से इन बच्चों को प्रमाणपत्र सौंपते हुए देख रहा हूँ, तो मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है कि हमने उस विचार को एक सुंदर परंपरा में बदल दिया है।

 अब हमें यह सुनिश्चित करना है कि यह परंपरा न केवल बनी रहे, बल्कि हर वर्ष और भी अधिक मेधावी विद्यार्थियों को प्रेरित करे। शिक्षा की यह मशाल यूं ही जलती रहे।

प्रिय विद्यार्थियो,

आप भारत के भविष्य के कर्णधार हैं। आज जब हम ‘विश्व गुरु भारत’ के पुर्नतिष्ठा की बात करते हैं, तब हमें यह समझना होगा कि उसका आधार एक मजबूत और समावेशी शिक्षा व्यवस्था ही हो सकती है। 

भारत ने प्राचीन काल में तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों के माध्यम से विश्व को ज्ञान का प्रकाश दिया था। अब समय आ गया है कि हम आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से उसी गौरव को फिर से स्थापित करें।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हमें यह अवसर प्रदान किया है कि हम शिक्षा को केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम न मानें, बल्कि इसे जीवन को समझने, कौशल विकसित करने और चरित्र निर्माण का साधन बनाएँ। 

मैं समस्ता हूं कि टेक्नोलॉजी अब केवल एक विकल्प नहीं रही, बल्कि यह शिक्षा का अभिन्न अंग बन गई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स और ब्लॉकचेन, जैसी तकनीकों का प्रयोग अब स्कूल स्तर पर भी हो रहा है। 

प्यारे बच्चों! आप पूरे समर्पण, अनुशासन और आत्मविश्वास के साथ शिक्षा प्राप्त करें। आपके सपनों को साकार करना ही हमारे देश की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। 

मेरा आग्रह है कि आप शिक्षा को केवल एक जिम्मेदारी न मानें, बल्कि इसे एक अवसर समझें। ऐसा अवसर जो आपके जीवन को एक नई दिशा देगा और देश को विश्व में अग्रणी बनाएगा। आपकी सोच, आपका दृष्टिकोण, आपकी मेहनत- यही आने वाले भारत की तस्वीर तय करेगी।

जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा थाः

‘‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।’’

यह महान संदेश हम सभी, विशेषकर आप जैसे होनहार विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। जीवन में सफलता पाने के लिए सबसे आवश्यक है, आत्मविश्वास, संकल्प और निरंतर प्रयास। 

आप सबने अपनी मेहनत और लगन से यह सिद्ध कर दिया है कि कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। आज जो प्रमाणपत्र और सम्मान आपको प्राप्त हुआ है, वह केवल एक शुरुआत है, यह उस लंबे, उज्ज्वल और उद्देश्यपूर्ण सफर की पहली सीढ़ी है, जो आपको अपने सपनों की ऊँचाइयों तक ले जाएगा। 

अपने लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहें, और चुनौतियों से कभी मत डरें, क्योंकि प्रत्येक कठिनाई के पार ही सफलता की किरण छिपी होती है।

आज के वैश्विक युग में शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों, संवेदनशीलता और सामाजिक ज़िम्मेदारी की भी उतनी ही आवश्यकता है। मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि आप जीवन के हर क्षेत्र में ईमानदारी, समर्पण और सद्भावना के साथ आगे बढ़ें। यही आपके माता-पिता की सच्ची सेवा और समाज के प्रति आपका योगदान होगा।

अंत में, मैं आप सभी विद्यार्थियों को एक बार पुनः हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। यह सफलता आपके जीवन में एक प्रेरक मील का पत्थर बने और आप भविष्य में भी निरंतर उत्कृष्टता की ओर अग्रसर हों, यही मेरी कामना है।

आइए! हम सब मिलकर समृद्ध भारत, आत्मनिर्भर भारत और विश्व गुरु भारत के निर्माण में अपना-अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते हुए भारत के पुरातन वैभव को पुनः स्थापित करें।

इसी आकांक्षा, अपेक्षा और विश्वास के साथ मैं आप सभी को पुनः बधाई और शुभकामनाएँ देते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।

धन्यवाद,

जय हिंद!