Speech of Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of 5th Disha Indian Award ceremony by Disha Women Welfare Trust on April 30,2025.
- by Admin
- 2025-05-01 09:40
‘‘दिशा इंडियन अवार्ड’’ समारोह के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 29.04.2025, मंगलवार समयः शाम 5:00 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज “दिशा इंडियन अवॉर्ड” के इस 5वें संस्करण के गरिमामयी अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत गर्व, आनंद और प्रेरणा की अनुभूति हो रही है।
मैं इस आयोजन के लिए ‘दिशा वुमन वेलफेयर ट्रस्ट’ को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ, जिन्होंने इस सम्मान समारोह के माध्यम से सामाजिक कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक पहल की है।
आज विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उत्कृष्ट उपलब्धियों के माध्यम से सम्मान प्राप्त करने वाले सभी 22 प्रतिभाशाली एवं प्रेरणास्पद लोगों को मेरी ओर से हार्दिक बधाई और उनके उज्ज्वल, सफल एवं सशक्त भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।
मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि ‘दिशा वुमन वेलफेयर ट्रस्ट’ द्वारा पिछले चार वर्षों से स्वास्थ्य, समाज सेवा, शिक्षा, पत्रकारिता, उद्यमिता, साहित्य, कला और खेल जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को पहचान दिलाने और उन्हें सम्मानित करने का कार्य कर रही है।
मुझे बताया गया है कि दिशा वुमन वेलफेयर ट्रस्ट की स्थापना 2 दिसंबर 2011 को हुई थी। लेकिन स्थापना से पहले ही 2007 में कुछ महिलाएं इस संगठन में आकर समाज सेवा करने लगी थीं। समूह की इन महिलाओं को एक साथ लाने का श्रेय श्रीमती रजिंदर कौर और उनके पति सरदार जसवीर सिंह को जाता है, जो इस कार्यक्रम में भी मौजूद हैं।
सरदार जसवीर सिंह, जिनकी पृष्ठभूमि चिकित्सा पेशे से है, आज भी अपने घर आने वाले मरीजों की पूरी तरह से निःशुल्क मदद करते हैं। श्रीमती राजिंदर कौर, जिनका स्वास्थ्य इन दिनों कुछ खराब है, इस कारण वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकीं।
मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि वर्तमान में वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी श्रीमती हरदीप कौर इस ट्रस्ट की अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं जो समाज सेवा के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहकर संगठन को एक सशक्त नेतृत्व प्रदान कर रही हैं।
देवियो और सज्जनो,
जैसा कि हम सब जानते हैं, किसी भी समाज की प्रगति में महिलाओं का सशक्तिकरण एक अनिवार्य आधार है। इसी महान उद्देश्य को लेकर दिशा वुमन वेलफेयर ट्रस्ट कार्यरत है। अब तक ट्रस्ट ने 196 बेटियों को रोजगार दिलाकर उन्हें आत्मनर्भिर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह कार्य केवल एक संख्या नहीं, बल्कि अनेकों परिवारों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने का प्रतीक है।
इसके अतिरिक्त, ट्रस्ट ने लोगों के घरों में काम करने वाली 51 जरूरतमंद लड़कियों को साइकिल वितरित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रोत्साहित किया है।
उन बहादुर बेटियों को भी, जो तेजाब हमलों की पीड़ित रही हैं, ट्रस्ट ने सहारा दिया है। 11 बेटियों को 11,000 रुपये नकद सहायता, काउंसलिंग और पुनर्वास के प्रयास, एक संवेदनशील और जिम्मेदार समाज की मिसाल हैं।
साथ ही, ट्रस्ट द्वारा ‘‘दिशा शगुन स्कीम’’ के माध्यम से, ज़रूरतमंद परिवारों की बेटियों की शादी में सहयोग करते हुए अब तक 53 बेटियों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई है, जो मैं समझता हूं कि एक बड़ा ही नेक कार्य है।
इसके अलावा, ट्रस्ट ने 22 स्कूलों में स्टेशनेरी और किताबों का वितरण करके और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों के लिए अस्थायी स्कूल वैन के माध्यम से शिक्षा कार्यक्रम संचालित करके बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का प्रशंसनीय कार्य किया है।
ट्रस्ट ने बढ़ते यौन अपराधों के खिलाफ पीड़िताओं को कानूनी सहायता और काउंसलिंग प्रदान की है। इसके द्वारा बच्चों को यौन शोषण के प्रति जागरूक करने के लिए 36 स्कूलों में विशेष जागरूकता कैंप का आयोजन एक सराहनीय कदम है।
ऐसे अन्य और भी समाजसेवा से जुड़े कार्य हैं जो यह ट्रस्ट करता रहा है। मैं ‘दिशा वुमन वेलफेयर ट्रस्ट’ को सामाजिक कल्याण से जुड़े इसके सभी प्रयासों की हार्दिक सराहना करता हूं।
देवियो और सज्जनो,
महिला शक्ति के बिना एक सशक्त, समृद्ध और स्वस्थ समाज की कल्पना अधूरी है। महिलाएं न केवल परिवार और समाज की रीढ़ हैं, बल्कि संस्कारों, संस्कृति और सभ्यता की वाहक भी हैं। जिस समाज में महिलाओं को समान अवसर, सम्मान और सुरक्षा प्रदान की जाती है, वही समाज स्थायी विकास और वास्तविक प्रगति की ओर अग्रसर होता है।
हमारे पौराणिक ग्रंथों और भारतीय इतिहास में महिलाओं की शक्ति, साहस और दृढ़ संकल्प के अद्भुत उदाहरण भरे पड़े हैं। चाहे माता सीता की सहनशीलता और आदर्श नारीत्व हो, माँ दुर्गा का राक्षसों के विरुद्ध युद्धरत रूप हो, या फिर रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, सरोजनी नायडु, पंजाब की रानी जींद कौर और माई भागो जैसी वीरांगनाओं का शौर्य, हर युग में महिलाओं ने न केवल सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों का निर्वाह किया, बल्कि विपरीत परिस्थितियों में अदम्य साहस और नेतृत्व का परिचय भी दिया।
हमारे शास्त्रों में कहा गया है, “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते, सर्वं तत्राफलं कर्म।” अर्थात, जहां नारी की पूजा और सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं, और जहां नारी का सम्मान नहीं होता, वहां किए गए सभी अच्छे कर्म भी निष्फल हो जाते हैं। यह सूत्र हमें याद दिलाता है कि नारी के बिना समाज की प्रगति अधूरी है।
इसके अलावा, भारतीय संस्कृति में नारी को सदैव देवी स्वरूपा माना गया है। हमारे वेदों में स्पष्ट कहा गया है - ‘‘नारी तू नारायणी’’। वहीं पुरुषों के संदर्भ में कहा गया है - ‘‘नर करनी करे तो नारायण हो जाए’’।
यह एक अत्यंत सुंदर परिभाषा है। पुरुषों को अपने कर्मों द्वारा नारायण स्वरूप को प्राप्त करना होता है, जबकि महिलाओं को तो जन्म से ही ‘नारायणी’ का दर्जा प्राप्त है।
किन्तु केवल नारी को देवी कह देना या उसे पूजनीय मान लेना ही पर्याप्त नहीं है। वास्तविक सम्मान तभी होगा जब समाज उन्हें उनके अधिकार, स्वतंत्रता, शिक्षा, और आत्मनिर्भरता का वास्तविक अवसर प्रदान करे।
नारी का आदर केवल शब्दों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे समान अवसरों, सुरक्षा, और निर्णय लेने की स्वतंत्रता के रूप में व्यवहार में भी दिखना चाहिए। एक सशक्त समाज वही है, जो अपनी नारियों को सिर्फ़ पूज्य नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की यात्रा में समान भागीदार के रूप में भी देखे।
देवियो और सज्जनो,
महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, और सुरक्षित माहौल प्रदान करना। यह केवल नीतियों और योजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक मानसिकता में बदलाव लाने की भी आवश्यकता है।
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर लड़की को शिक्षा का अधिकार मिले, हर महिला को अपने सपनों को साकार करने का अवसर मिले, और हर मां को अपने बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य की उम्मीद मिले।
सरकार इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, सुकन्या समृद्धि योजना और उज्ज्वला योजना जैसे कार्यक्रम महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन इन योजनाओं का प्रभाव तभी पूर्ण होगा, जब समाज का प्रत्येक व्यक्ति इनके प्रति अपनी जिम्मेदारी समझेगा।
हर्ष का विषय है कि दिशा वूमन वेलफेयर ट्रस्ट जैसे संगठन इस दिशा में एक सेतु का कार्य कर रहे हैं, जो सरकार व समाज को जोड़कर सशक्तिकरण के लक्ष्य को और सशक्त बना रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
वक्त के साथ-साथ समाज में महिलाओं के प्रति अन्याय और अत्याचार बढ़े। सदियों तक उन्हें सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बंधनों में जकड़ा गया। लेकिन समय ने करवट ली, और समाज में बदलाव की लहर आई। महिला अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी, और आज हम एक ऐसे युग में हैं जहां नारी शक्ति को न केवल पहचाना जा रहा है, बल्कि उसे सशक्त करने के लिए ठोस कदम भी उठाए जा रहे हैं।
हमारे संविधान ने महिलाओं को समान अधिकार और अवसर प्रदान किए, जो इस बदलाव का आधार बने। भारत उन गिने-चुने देशों में से है, जहां महिलाओं को मताधिकार अन्य देशों की तुलना में बहुत पहले प्राप्त हुआ। यह हमारे देश की प्रगतिशील सोच का प्रतीक है।
आज हमारी महिलाएं गांव की पंचायतों से लेकर देश की संसद तक, हर क्षेत्र में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। खेल के मैदानों से लेकर अंतरिक्ष के अभियानों तक, वे अपनी प्रतिभा और साहस से विश्व में भारत का नाम रोशन कर रही हैं।
फिर भी, हमें यह स्वीकार करना होगा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। महिला सुरक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर महिला को सुरक्षित माहौल में अपने सपनों को साकार करने का अवसर प्राप्त हो।
मैं समझता हूं कि महिला सशक्तिकरण केवल एक नैतिक दायित्व या सामाजिक न्याय का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक आर्थिक अनिवार्यता भी है। विश्व बैंक और अन्य वैश्विक अध्ययनों ने यह साबित किया है कि जब महिलाओं को समान अवसर दिए जाते हैं, तो अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ती है, सामाजिक समरसता मजबूत होती है, और समुदाय अधिक समृद्ध होते हैं।
यदि हम भारत को विश्व गुरु के रूप में देखना चाहते हैं, तो हमारी आधी आबादी, हमारी महिलाओं का पूर्ण योगदान अनिवार्य है।
मैं इस मंच से देश की समस्त महिलाओं से आग्रह करता हूं कि वे स्वयं पर विश्वास रखें। जैसा कि महात्मा गांधी जी ने कहा था, “महिलाओं को स्वयं को पुरुषों के अधीन या हीन नहीं समझना चाहिए। स्त्री पुरुष की हमराही है, समान मानसिक क्षमता से संपन्न है। यदि नैतिक शक्ति की बात करें, तो स्त्री पुरुष से अधिक श्रेष्ठ है।” यह विचार आज भी उतना ही प्रासंगिक है। महिलाएं न केवल पुरुषों के समकक्ष हैं, बल्कि अपनी करुणा, दृढ़ता और नेतृत्व क्षमता से समाज को नई दिशा दे सकती हैं।
मैं आज यहां उपस्थित सभी पुरस्कार विजेताओं को हृदय से बधाई देता हूं। आपकी कहानियां न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि समाज के लिए एक मार्गदर्शक भी हैं। आपने यह साबित कर दिया है कि चुनौतियां कितनी भी बड़ी क्यों न हों, दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण से उन्हें पार किया जा सकता है।
मैं यह भी आशा करता हूं कि देश का हर परिवार अपनी बहनों और बेटियों को प्रोत्साहित करेगा, उनका मनोबल बढ़ाएगा, ताकि उनकी उड़ान को पंख मिलें। जब हम अपनी बेटियों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की आजादी देंगे, तभी हम एक सशक्त और समृद्ध भारत का निर्माण कर पाएंगे।
अंत में, मैं दिशा वूमन वेलफेयर ट्रस्ट को उनके अथक प्रयासों और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद देता हूं।
आइए, हम सभी मिलकर यह संकल्प लें कि हम एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जहां नारी शक्ति राष्ट्र शक्ति बने, और हमारा देश खुशहाली की नई ऊंचाइयों को छूए।
इसी कामना के साथ, मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं।
धन्यवाद, जय हिंद!