Speech of Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of inauguration of the Sewa Sadan, a commendable initiative by Sewa Bharati Chandigarh on May 1,2025.

पीजीआई में ‘सेवा सदन’ के उद्घाटन के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 30.04.2025, बुधवार

समयः सुबह 11:00 बजे

स्थानः चंडीगढ़

नमस्कार!

आज का यह पावन अवसर मेरे लिए अत्यंत गौरव का क्षण है। मैं ‘सेवा भारती चंडीगढ़’ द्वारा पुनरूद्धार किए गए इस सेवा सदन के उद्घाटन समारोह में आपके बीच उपस्थित होकर स्वयं को धन्य मानता हूँ।

आज हम केवल एक भवन का उद्घाटन नहीं कर रहे हैं, आज हम आशा, करुणा, और सेवा के एक नए द्वार का उद्घाटन कर रहे हैं।

‘‘नर सेवा नारायण सेवा’’, यह केवल एक विचार नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है और सेवा भारती इसी सिद्धांत को अपने कार्यों से जीवंत बनाए हुए है।

मैं समझता हूं कि सेवा भारती कोई साधारण संस्था नहीं है। यह एक मूक क्रांति है, एक ऐसा आंदोलन जो भारत के कोने-कोने में आत्मनिर्भरता, करुणा और सामाजिक समरसता का संदेश फैला रहा है।

वर्ष 1989 में स्थापित ‘राष्ट्रीय सेवा भारती’ के नेतृत्व में कार्यशील सेवा भारती के देशभर में आज 1 लाख 50 हजार से अधिक सेवा प्रकल्प संचालित हो रहे हैं। इसके लाखों स्वयंसेवक निस्वार्थ भाव से समाज के वंचित वर्गों के बीच कार्य कर रहे हैं।

सेवा भारती का कार्यक्षेत्र अत्यंत व्यापक और समर्पित है। यह संगठन न केवल संस्कार आधारित समाज निर्माण में जुटा है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, महिला सशक्तिकरण, बाल कल्याण और आपदा प्रबंधन जैसे अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रभावशाली योगदान दे रहा है। 

सेवा भारती का उद्देश्य केवल सहायता देना नहीं, बल्कि समाज के वंचित वर्गों को आत्मनिर्भर, सशक्त और गरिमामय जीवन की ओर अग्रसर करना है। यह संगठन देश के कोने-कोने में मानवीय संवेदना, सेवा भावना और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के संकल्प के साथ कार्यरत है।  

राष्ट्रीय सेवा भारती का मूल उद्देश्य बिना किसी भेदभाव के, निःस्वार्थ भाव से समाज के अंतिम व्यक्ति तक सेवा पहुँचाना है। देश के सुदूर आदिवासी क्षेत्रों से लेकर महानगरों की झुग्गी-झोंपड़ियों तक, सेवा भारती के कार्यकर्ता दिन-रात जुटे हुए हैं।

सेवा भारती चंडीगढ़, पंजाब सेवा भारती की एक सक्रिय इकाई है जो विशेष रूप से वंचित और उपेक्षित वर्गों के उत्थान के लिए कार्यरत है। सेवा भारती चंडीगढ़ द्वारा चलाए जा रहे प्रमुख कार्यों में निर्धन बच्चों के लिए शैक्षिक सहायता केंद्रों की स्थापना, महिलाओं के लिए सिलाई, कढ़ाई, कंप्यूटर जैसी कौशल आधारित वोकेशनल ट्रेनिंग, युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यशालाएं तथा आमजन के लिए निःशुल्क चिकित्सा शिविरों का आयोजन शामिल है। 

इन जनकल्याणकारी कार्यों के माध्यम से सेवा भारती चंडीगढ़ ने न केवल समाज के वंचित वर्गों तक अपनी पहुंच बनाई है, बल्कि हजारों परिवारों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी लाया है।

देवियो और सज्जनो,

आज जिस सेवा सदन का उद्घाटन हो रहा है, वह सेवा भारती चंडीगढ़ के अथक परिश्रम और दूरदर्शिता का प्रतीक है।

सभी जानते हैं कि पी.जी.आई. चंडीगढ़ जैसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान में देशभर से गंभीर रोगों के इलाज हेतु बड़ी संख्या में मरीज और उनके परिजन आते हैं। लेकिन उपचार के दौरान उन्हें सबसे बड़ी समस्या रहने की सुविधा को लेकर होती है। 

कई बार मरीजों के परिवारजन खुले आसमान के नीचे, फुटपाथों पर रातें गुज़ारने को मजबूर हो जाते हैं, तो कभी उन्हें महंगे होटलों का आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है, जो पहले से ही पीड़ा और तनाव में डूबे परिवारों के लिए और अधिक कठिनाई खड़ी कर देता है।

ऐसे में सेवा सदन का यह प्रयास इन जरूरतमंदों के लिए आशा की एक जीवंत किरण बनकर सामने आया है। यह न केवल स्वच्छ, सुरक्षित और सुसज्जित आवास प्रदान करेगा, बल्कि करुणा, सम्मान और सहानुभूति से भरी सेवा के माध्यम से उन्हें मानसिक और भावनात्मक सहारा भी देगा।

सेवा सदन एक ऐसी जगह है, जहाँ मरीजों के परिजनों को न केवल छत मिलेगी, बल्कि मुश्किल समय में परिवार जैसा सहारा भी मिलेगा। यह सेवा, पीड़ा की घड़ी में संवेदनशीलता और इंसानियत का एक सशक्त उदाहरण है। इस प्रकार सेवा सदन पी.जी.आई. जैसे संस्थानों में मानवता की एक मजबूत कड़ी के रूप में कार्य करेगा।

मैं सेवा भारती चंडीगढ़ के प्रत्येक कार्यकर्ता, दानदाता और शुभचिंतक को हृदय से नमन करता हूँ, जिन्होंने इस सपने को साकार किया।

अब मैं कुछ शब्द पी.जी.आई. चंडीगढ़ के विषय में कहना चाहूँगा, जो देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं का एक प्रतिष्ठित केंद्र है।

पीजीआई सिर्फ एक अस्पताल नहीं है, बल्कि यह जीवन की आशा का नाम है।

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, इन राज्यों के हजारों मरीज प्रतिदिन यहाँ आते हैं।

मैं समझता हूं कि पीजीआई एक सेवा और विज्ञान का आदर्श संगम है जहां अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएँ, श्रेष्ठ डॉक्टर्स और समर्पित नर्सिंग स्टाफ द्वारा उत्तम स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

लेकिन जब कोई परिवार दूर गाँव से इलाज के लिए आता है, तो चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ आवास की समस्या भी उनके दुःख को बढ़ा देती है।

इसी कमी को दूर करने का संकल्प लेकर सेवा भारती ने यह सेवा सदन स्थापित किया है।

यह पहल हमें सिखाती है कि जब पीजीआई जैसे चिकित्सा संस्थान और सेवा भारती जैसे सामाजिक संगठन एक साथ मिलकर कार्य करें, तो समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लिए भी चमत्कार संभव है।

मैं समझता हूं कि यह एक आदर्श मॉडल है, जिसे पूरे देश में अपनाया जा सकता है।

देवियो और सज्जनो,

हमारी भारतीय संस्कृति ने सदा से सेवा को सर्वोपरि स्थान दिया है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में ‘निष्काम कर्म’ का संदेश दिया अर्थात् बिना किसी स्वार्थ के कार्य करना। 

सिख धर्म में भी ‘कार सेवा’ और लंगर की परंपरा और सेवा की भावना इसी सिद्धांत को दर्शाती है।

हमारी संस्कृति में कहा गया है-

परं परोपकारार्थं योजीवति स जीवति ।

अर्थात् इस जीव लोक में स्वयं के लिए सभी जीते हैं, परंतु जो परोपकार के लिए जीता है, वही सच्चा जीवन जीता है।

परोपकार और उदारता हमारी भारतीय संस्कृति का आधार है। हमें जहां भी दर्द, पीड़ा एवं कठिनाइयां दिखाई पड़ती हैं, हम तुरंत निःस्वार्थ भाव से सेवा के लिए तत्पर हो जाते हैं।

हमारे इतिहास और पुराण परोपकार, त्याग और बलिदान की अनुपम गाथाओं से समृद्ध हैं। जब-जब मानवता संकट में पड़ी है, तब-तब किसी न किसी महापुरुष ने अपने जीवन को समर्पित कर एक नई दिशा दी है। 

महर्षि दधीचि ने मानव और देवकल्याण हेतु अपनी हड्डियाँ तक दान कर दीं, जिनसे इन्द्र ने वज्र का निर्माण किया और वृत्रासुर जैसे भयावह असुर का अंत कर मानवता की रक्षा की।

राजा हरिश्चन्द्र सत्य और परोपकार के प्रतीक बने, जिन्होंने हर कठिनाई सहकर भी अपना धर्म नहीं छोड़ा। राजा शिवि ने एक कबूतर की प्राणरक्षा के लिए अपना मांस तक दे दिया। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने धर्म और न्याय की रक्षा हेतु अपने चारों पुत्रों का सर्वोच्च बलिदान दिया, फिर भी अडिग रहे।

महादानी कर्ण ने शत्रु को भी अपने कवच-कुंडल दान में देकर दानशीलता की पराकाष्ठा दिखाई। वहीं, स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों - चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई और अनेक वीर सेनानियों ने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

यह परंपरा हमें सिखाती है कि सच्चा परोपकार केवल दूसरों की सहायता नहीं, बल्कि अपने कर्तव्य, नैतिकता और साहस के साथ खड़े रहने का नाम है। यह धरोहर आज भी हमें प्रेरणा देती है कि हम समाज और राष्ट्रहित में आगे बढ़कर कार्य करें।

परोपकार मुनष्य को सवार्थहीन बनाता है। परोपकार की भावना ही जीवन को महान बनाती है। बुद्ध, महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद जी जैसी महान विभूतियों ने परोपकार को ही सबसे महत्वपूर्ण जीवन का अंग माना। परोपकार करके हम एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण कर सकते हैं।

सेवा का प्रभाव दूरगामी होता है। यह समाज में समरसता, एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है। आज के समय में, जब समाज आर्थिक असमानता, स्वार्थ व लोभ और स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों का समाना कर रहा है, सेवा के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

मित्रों,

आज जब हम इस सेवा सदन का उद्घाटन कर रहे हैं, तो हमारा संकल्प केवल एक इमारत तक सीमित नहीं रहना चाहिए। हमें एक ऐसे भारत की कल्पना करनी चाहिए, जहाँ इलाज के लिए आने वाला कोई भी मरीज या परिजन खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर न हो, जहाँ सेवा केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि हमारे जीवन का मूल मंत्र बने।

आज का यह अवसर हमें यह भी याद दिलाता है कि सेवा करने के लिए बड़े साधन नहीं, बड़ा हृदय चाहिए।

आइए, हम सब मिलकर सेवा भारती के इस अभियान में अपने सामर्थ्य के अनुसार सहयोग करें, फिर चाहे वह समय हो, कौशल हो, या आर्थिक संसाधन।

अंत में, मैं सेवा भारती चंडीगढ़ व पंजाब के समर्पित कार्यकर्ताओं, राष्ट्रीय सेवा भारती के नेतृत्व, और इस पुनीत कार्य में योगदान देने वाले सभी दानदाताओं व शुभचिंतकों को हार्दिक बधाई और साधुवाद देता हूँ।

आपने जो कार्य किया है, वह केवल एक भवन निर्माण नहीं है, बल्कि आपने सैकड़ों परिवारों के आँसू पोंछने का माध्यम खड़ा किया है।

यह सेवा सदन आने वाले वर्षों में संवेदना, समर्पण और साहस का प्रतीक बने, यही मेरी ईश्वर से प्रार्थना है।

आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि हम अपने जीवन में सेवा को सर्वोच्च स्थान देंगे।

धन्यवाद, 

जय हिंद!