Speech of Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of foundation day of Gujarat and Maharashtra at Punjab Raj Bhavan Chandigarh on May 1,2025.

महाराष्ट्र और गुजरात के स्थापना दिवस के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 01.05.2025, गुरूवार

समयः शाम 5ः00 बजे

स्थानः पंजाब राजभवन

नमस्कार!

आज हम सभी यहां ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’  की प्रेरणादायक भावना के अंतर्गत, हमारे देश के दो गौरवशाली राज्यों-गुजरात और महाराष्ट्र-का 66वां स्थापना दिवस को उत्साह और गर्व के साथ मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं।

मैं आप सभी को गुजरात और महाराष्ट्र राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। इस गौरवपूर्ण दिन पर, मैं गुजरात और महाराष्ट्र की जनता के साथ-साथ पूरे भारतवर्ष में बसे इन दोनों महान राज्यों के सभी लोगों को पंजाब और चंडीगढ़ की ओर से दिल से शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।

यह अवसर न केवल इन दोनों राज्यों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को सम्मान देने का है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत की विविधता में कितनी गहराई से एकता समाई हुई है।

‘’एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ पहल के माध्यम से हम देश के विभिन्न हिस्सों को एक-दूसरे के करीब लाने का जो प्रयास कर रहे हैं, वह आज के इस आयोजन में विशेष रूप से साकार होता है। गुजरात और महाराष्ट्र की भाषाएं, परंपराएं, कला, संगीत, भोजन और जीवनशैली भले ही भिन्न हों, लेकिन उनकी आत्मा भारतीयता से गहराई से जुड़ी हुई है।

यह भारत सरकार की एक अभिनव पहल है। मैं समझता हूं कि इस पहल से लोगों के बीच प्रेम, सामाजिक समरसता, एकता और बांधुत्व की भावना निरंतर मजबूत हो रही है। इससे प्रदेशवासियों को अन्य राज्यों की समृद्ध कला-संस्कृति, रहन-सहन, कौशल के बारे में जानने का अवसर प्राप्त हो रहा है।

देवियो और सज्जनो,

आज जब हम भारत के नक्शे पर गुजरात और महाराष्ट्र को देखते हैं, तो यह ध्यान में आता है कि आजादी के समय ये दोनों राज्य बॉम्बे राज्य का हिस्सा थे।

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, बॉम्बे राज्य में मराठी और गुजराती दोनों भाषाओं के लोगों की बड़ी आबादी थी। 1950 के दशक में गुजराती और मराठी भाषियों के बीच अपनी अलग पहचान बनाने के लिए राज्य की माँग उठी। दोनों समुदायों की अपनी सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर थी, जो एक संयुक्त राज्य में समाहित नहीं हो पा रही थी।

समय के साथ, संयुक्त महाराष्ट्र समिति ने मराठी राज्य की माँग की, और वहीं इंदुलाल याग्निक के नेतृत्व में गुजराती भाषियों ने भी अपनी अलग राज्य की बात की। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप 1 मई 1960 को गुजरात और महाराष्ट्र के रूप में दो नए राज्य बने।

यह दिन हमारे इतिहास में एक मील का पत्थर है, जिसने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की प्रक्रिया को आकार दिया। आज, इन दोनों राज्यों की प्रगति और समृद्धि हमें यह समझाने में मदद करती है कि उन संघर्षों का कितना महत्वपूर्ण परिणाम रहा।

देवियो और सज्जनो,

आज अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस भी है। इस अवसर पर, मैं पंजाब, चंडीगढ़ और पूरे देश के निर्माण एवं विकास में अपना अमूल्य योगदान देने वाले सभी श्रमिक भाइयों और बहनों को दिल से बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। आपकी कड़ी मेहनत, निष्ठा और समर्पण ही हमारे समाज की नींव हैं। चाहे खेत-खलिहान हों, कारखाने हों, सड़कें हों या इमारतें आपके श्रम के बिना राष्ट्र की प्रगति की कल्पना अधूरी है।

आज जब हम गुजरात और महाराष्ट्र का स्थापना दिवस मना रहे हैं, तो इन दोनों राज्यों की कुछ विशेषताओं से मैं आपको परिचित करवाना चाहूंगा।

गुजरात

अगर गुजरात की बात करें तो इसका इतिहास समृद्ध है, और यह सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक घटनाओं से भरपूर है। गुजरात सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख केंद्र रहा है, जहाँ से कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल प्राप्त हुए हैं। प्रमुख स्थलों में लोथल, धोलावीरा, सुरकोटड़ा, और गोला धोरो शामिल हैं।

भले ही 1960 में गुजरात एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आया, लेकिन इसका इतिहास लगभग 2000 साल पुराना है। सिंधु घाटी सभ्यता में भी गुजरात के कुछ स्थानों का जिक्र आता है। यहाँ अधिकांश समय गुर्जर जनजाति के लोगों ने राज किया है। यही कारण है कि पुराने समय में गुजरात को ‘‘गुर्जरत्रा’’  के नाम से जाना जाता था।

गिरनार पहाड़ियों में मिले शिलालेखों से यह पता चलता है कि मौर्य सम्राट अशोक ने लगभग 250 ईसा पूर्व में गुजरात तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया था। इसके पतन के बाद, इस क्षेत्र का नियंत्रण शक या सीथियन के हाथों में आ गया।

गुजरात की भूमि ने महात्मा गांधी, सरदार पटेल, दादा भाई नौरोजी, विक्रम साराभाई, धीरूभाई अंबानी और जमशेदजी टाटा जैसे महान व्यक्तित्वों को जन्म दिया, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम, विज्ञान, उद्योग, और सामाजिक सुधारों में अमूल्य योगदान देकर न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया।

इसके साथ ही, यह गर्व का विषय है कि आधुनिक भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भी गुजरात की ही धरती से हैं। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और निर्णायक नीतियों के परिणामस्वरूप आज भारत विकास की नई ऊँचाइयों को छू रहा है और वैश्विक मंच पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर रहा है।

गुजरात, खासकर सूरत शहर, को ‘‘हीरों की राजधानी’’ भी कहा जाता है। दुनिया में जितने हीरे बेचे जाते हैं, उनमें से लगभग 90 प्रतिशत से अधिक हीरों की कटाई और पॉलिशिंग गुजरात में होती है - विशेषकर सूरत में।

कच्छ का रण, गुजरात में स्थित एक विशाल और अद्भुत नमक मरुस्थल है, जो विश्व के सबसे बड़े खारे रेगिस्तानों में से एक माना जाता है। यह प्राकृतिक रूप से अनोखा क्षेत्र न केवल अपनी व्यापकता और सफेदी से मन को मोहता है, बल्कि अनेक दुर्लभ और विविध वन्यजीवों का भी आश्रय स्थल है।

गुजरात को ‘‘ज्वेल ऑफ वेस्ट’’ (Jewel of the West) कहा जाता है। यह उपाधि गुजरात को उसकी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, औद्योगिक विकास, पर्यटन स्थलों और व्यवसायिक अवसरों के कारण दी गई है।

गुजरात प्रमुख स्वतंत्रता आंदोलनों की भूमि रहा है - खेड़ा, बारडोली, बोरसाद में सत्याग्रह और नमक सत्याग्रह। महात्मा गांधी का साबरमति आश्रम यहां स्थित है।

गुजरात भारत में सबसे अधिक औद्योगीकृत राज्यों में से एक है और कई बड़े निगमों का घर है। राज्य अपने पेट्रोकेमिकल्स, फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा और इंजीनियरिंग उद्योगों के लिए जाना जाता है। अहमदाबाद शहर अपने कपड़ा उद्योग के कारण भारत के मैनचेस्टर के रूप में जाना जाता है।

गुजराती व्यंजन अपने मीठे और नमकीन व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है, और यह राज्य खाने के शौकीनों के लिए स्वर्ग है। कुछ लोकप्रिय व्यंजनों में ढोकला, खांडवी, जलेबी, थेपला और फाफड़ा शामिल हैं।

भारत की श्वेत क्रांति या दूध आधारित क्रांति गुजरात में हुई थी। यह एक ऐतिहासिक आंदोलन था जिसने भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया और विश्व में सबसे बड़े दूध उत्पादक देश के रूप में स्थापित किया।

गुजरात भारत में नमक का सबसे बड़ा उत्पादक है। देश में लगभग 80 प्रतिशत नमक गुजरात में ही उत्पादित किया जाता है।

गुजरात का सबसे बड़ा शहर अहमदाबाद भारत का पहला यूनेस्को विश्व धरोहर शहर है, जहाँ इतिहास, संस्कृति और आधुनिकता एक साथ सांस लेते हैं।

गुजरात का गिरनार पर्वत, 800 से अधिक प्राचीन जैन मंदिरों का पवित्र निवास स्थल है, जो श्रद्धा, इतिहास और स्थापत्य कला का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। वहीं, सोमनाथ, अक्षरधाम, द्वारकाधीश और यहां के अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में हर साल लाखों लोग दर्शन करने आते हैं।

नवरात्रों के दिनों में गुजरात में मनाए जाने वाले डांडिया उत्सव की देश-विदेश में धूम रहती है।

गुजरात में स्थित 182 मीटर ऊँची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा है, जो लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है।

गुजरात के पास भारत के राज्यों में सबसे लंबी तटरेखा है, जो 1,600 किलोमीटर तक फैली हुई है। यहां 41 बंदरगाह हैं, जिनमें 1 प्रमुख, 11 मध्यवर्ती और 29 छोटे बंदरगाह शामिल हैं।

गरबा नृत्य गुजरात की आध्यात्मिक अभिव्यक्ति है और पारंपरिक त्योहारों की उत्सव भावना विश्वभर में फैल चुकी है।

गुजरात के शिल्प उत्पादों की कारीगरी दुनिया भर में लोकप्रिय है, जो राज्य की जीवंत संस्कृति को प्रतिबिंबित करते हैं।

दुनिया में एशियाई शेरों का एकमात्र प्राकृतिक आवास गुजरात राज्य के सासन-गिर जंगल (Sasan-Gir Forest) में स्थित है। यह स्थल गिर नेशनल पार्क और सैंक्चुरी के नाम से भी जाना जाता है।

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र की बात करें तो इसका नाम संस्कृत के दो शब्दों ‘‘महा’’ और ‘‘राष्ट्र’’  से मिलकर बना है। ‘‘महा’’  का अर्थ है ‘‘महान’’ और ‘‘राष्ट्र’’ का अर्थ है ‘‘देश’’ । इसलिए, ‘‘महाराष्ट्र’’  का अर्थ है ‘‘महान देश’’।

महाराष्ट्र वह भूमि है जहाँ संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, संत एकनाथ और छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महान व्यक्तित्वों ने जन्म लिया। छत्रपति शिवाजी महाराज ने न्याय, साहस और धर्म के आदर्शों पर आधारित एक सशक्त और जनहितकारी शासन की नींव रखी। उनका नेतृत्व आज भी प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

आज़ादी के समय वर्तमान महाराष्ट्र राज्य ‘‘बॉम्बे स्टेट’’ के नाम से जाना जाता था। उस समय यह एक व्यापक प्रांत था, जिसमें आज के महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक के कुछ भाग शामिल थे।

स्वतंत्रता संग्राम में महाराष्ट्र सबसे आगे था। गांधीजी ने भी अपने आंदोलन का केंद्र महाराष्ट्र को बनाया था और गांधी युग में राष्ट्रवादी देश की राजधानी सेवाग्राम थी।

महाराष्ट्र क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है और यह भारत का एक प्रमुख औद्योगिक राज्य भी है।

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी भी कहलाती है और वहीं महाराष्ट्र की पर्यटन राजधानी छत्रपति संभाजीनगर (पहले औरंगाबाद के नाम से जाना जाता था) है।

मुंबई विश्व के प्रमुख महानगरों में से एक है। यहाँ शेयर बाजार, फिल्म उद्योग ‘बॉलीवुड’, अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह और विश्वस्तरीय संस्थान राज्य की पहचान को मजबूती देते हैं।

अन्य राज्यों के मुकाबले महाराष्ट्र में सबसे अधिक 6 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल स्थित है- छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, अजन्ता की गुफाएँ, एलिफेंटा की गुफाएं, एलोरा की गुफाएँ, पश्चिमी घाट और मुंबई का विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको एन्सेम्बल।

महाराष्ट्र को भारत का सर्वाधिक किलों वाला राज्य कहा जाता है, जहाँ लगभग 350 से अधिक प्राचीन और ऐतिहासिक किले स्थित हैं।

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित लोनार झील एक अधिसूचित राष्ट्रीय भौगोलिक धरोहर स्मारक है जो अपने अद्वितीय उल्कापिंडीय उद्गम के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

महाराष्ट्र अपनी समृद्ध और जीवंत संगीत एवं नृत्य परंपराओं के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। लावणी, राज्य की एक प्रमुख पारंपरिक लोकनृत्य और गायन शैली है। वहीं, तमाशा एक लोकप्रिय लोकनाट्य रूप है, जिसमें नृत्य, संगीत और संवादों का समावेश होता है, और लावणी गीत इसमें केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।

ये दोनों लोक कलाएँ मनोरंजन के साथ-साथ समाज के विभिन्न पहलुओं को व्यंग्य और प्रभावशाली प्रस्तुति के माध्यम से दर्शाने का कार्य करती हैं।

यह राज्य स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक, समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर, समाजसेवी नानाजी देशमुख, महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और कई अन्य प्रमुख हस्तियों की जन्मभूमि और कर्मभूमि है। इन महान व्यक्तित्वों ने न केवल महाराष्ट्र बल्कि समग्र भारत को प्रभावित किया है, और उनके योगदान से आज भी देशवासियों को प्रेरणा मिलती है।

महाराष्ट्र प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण कई प्रमुख हिल स्टेशनों का भी गौरवशाली केंद्र है, जिनमें माथेरान, लोनावला, पंचगनी और महाबलेश्वर जैसे लोकप्रिय स्थल शामिल हैं, जो हर साल हजारों सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वहीं, मुंबई स्थित जुहू बीच देश ही नहीं, दुनिया भर में अपनी लोकप्रियता और जीवंत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।

महाराष्ट्र अपने अनूठे व्यंजनों के लिए जाना जाता है, जिसमें कई प्रसिद्ध व्यंजन जैसे वड़ा पाव, मिसल पाव और पूरन पोली राज्य से उत्पन्न होते हैं। राज्य पाव भाजी और भेल पुरी जैसे कई प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड का घर है, जो स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच समान रूप से लोकप्रिय हैं।

इसी तरह, महाराष्ट्र में भव्य पैमाने पर आयोजित जन्माष्टमी पर दही हांडी तोड़ने की परंपरा और गणेश चतुर्थी का उत्सव, गणपति बप्पा मोरया का वो जयघोष महाराष्ट्र तो क्या पूरे देश को हर्षोल्लास से सराबोर कर देता है। ये अब केवल महाराष्ट्र के ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पर्व हैं।

महाराष्ट्र गेटवे ऑफ इंडिया और हाजी अली दरगाह जैसे कई प्रतिष्ठित स्थलों का घर है। राज्य में सिद्धिविनायक मंदिर, शिरडी साईं बाबा मंदिर, तख्त श्री हजूर साहिब और शनि शिंगणापुर जैसे कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो पूरे भारत के भक्तों को आकर्षित करते हैं।

महाराष्ट्र का पंजाब से एक बहुत ही पवित्र नाता है। आप में से कुछ लोग शायद जानते हों कि संत नामदेव जी महाराष्ट्र से सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर पंजाब के जिला गुरदासपुर के गाँव घुमान पहुँचे थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि वह यहां 20 साल से अधिक समय तक रहे।

संत नामदेव के 62 अभंगों को गुरु ग्रंथ साहिब में ‘नामदेवजी की मुखबानी’  के रूप में शामिल किया गया है।

देवियो और सज्जनो,

हमारे देश के ये दोनों ही राज्य इतिहास, संस्कृति, परंपरा, विकास और विविधताओं का ऐसा भव्य संगम हैं कि इन्हें पूरी तरह से शब्दों में समेट पाना आसान नहीं है।

इनकी महानता और विशेषताओं की सूची इतनी लंबी है कि उसे संक्षिप्त समय में साझा करना वास्तव में एक चुनौती है।

इस प्रकार, इन दोनों राज्यों की अपनी विशेषता, संस्कृति और इतिहास है, और यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि इन राज्यों की यात्रा ने न केवल अपने निवासियों को सशक्त किया, बल्कि पूरे देश को एकता, विविधता और समृद्धि की दिशा में प्रगति करने की प्रेरणा दी। ये राज्य हमारे देश के गौरव का हिस्सा हैं, और इनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

इन दोनों राज्यों का स्थापना दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारी विविधता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। अलग-अलग भाषाओं, परंपराओं, और संस्कृतियों के बावजूद, हम सभी एक भारत के नागरिक हैं।

मैं इन दोनों राज्यों के युवाओं से विशेष रूप से अपील करता हूँ कि वे अपनी संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखें और अपनी ऊर्जा का उपयोग भारत के विकास और समृद्धि में करें।

इस अवसर पर, आइए हम सभी यह संकल्प लें कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हुए एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देंगे।

अंत में, मैं आप सभी को पुनः शुभकामनाएँ देता हूँ और गुजरात व महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।

धन्यवाद,

जय हिन्द!