SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF SANDOOR KA SANDESH-NA BHOOLENGE NA MAAPH KAREGAE AT CHANDIGARH ON JUNE 1, 2025.
- by Admin
- 2025-06-01 19:05
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़े कार्यक्रम के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 01.06.2025, रविवार समयः शाम 6:15 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज हम यहाँ एक अत्यंत महत्वपूर्ण और भावनात्मक अवसर पर एकत्रित हुए हैं एक ऐसे अभियान की सफलता का सम्मान करने के लिए, जो केवल सैन्य पराक्रम नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आत्मा की आवाज़ था और वह है, ‘ऑपरेशन सिंदूर’।
मैं सबसे पहले भारत की पराक्रमी सेनाओं को, सशस्त्र बलों को, हमारी खुफिया एजेंसियों को, हमारे वैज्ञानिकों को, हर भारतवासी की तरफ से सैल्यूट करता हूं और उन अमर शहीदों को भी नमन करता हूं जिन्होंने इस अभियान में अपने प्राण न्यौछावर किए।
हमारे वीर सैनिकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अद्वितीय शौर्य, अपार साहस और अदम्य पराक्रम का परिचय दिया। आज मैं उनके इस पराक्रम को भारत की हर माँ को, हर बहन को, और हर बेटी को समर्पित करता हूँ।
यह अभियान हमारे उन अपनों के लिए था, जिनकी मांग का सिंदूर निर्दयता से छीन लिया गया और जिनकी कोख ने अपने जिगर के टुकड़े खो दिए। ऑपरेशन सिंदूर, वास्तव में, देश की अस्मिता, न्याय और सुरक्षा के लिए उठाया गया एक निर्णायक कदम था - एक उत्तर, एक सन्देश, और एक संकल्प।
‘कर्तव्यनिष्ठ’ संस्था द्वारा आयोजित आज के इस कार्यक्रम का नाम ‘‘सिंदूर का संदेश - ना भूलेंगे, ना माफ़ करेंगे’’ केवल एक नारा नहीं, बल्कि हर भारतीय के हृदय की धड़कन है। यह उन घावों की स्मृति है जो हमारे सैनिकों पर, हमारे नागरिकों पर, और हमारी मातृभूमि पर किए गए। अब यह हम सबका संकल्प है कि हम उन बलिदानों को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
देवियो और सज्जनो,
आतंकवाद का न कोई धर्म होता है, न कोई जात, और न ही कोई मानवता। यह एक विकृत मानसिकता का परिणाम है, जो नफरत, भय और हिंसा के माध्यम से समाज की एकता और शांति को छिन्न-भिन्न करने का प्रयास करता है।
22 अप्रैल को पहलगाम में जो अमानवीय और बर्बर आतंकी हमला हुआ, उसने न केवल देश को, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। छुट्टियां मना रहे निर्दोष और मासूम नागरिकों को उनके ही परिवार और मासूम बच्चों के सामने बेरहमी से मौत के घाट उतार देना आतंकवाद का सबसे भयानक और क्रूर चेहरा था। मैं पहलगाम आतंकवादी हमले में मारे गये सभी 28 भारतीयों को नमन करता हूं।
मेरे लिए यह त्रासदी व्यक्तिगत रूप से अत्यंत पीड़ादायक रही। इस कायरतापूर्ण आतंकी कृत्य के बाद पूरा देश एक स्वर में आतंक के विरुद्ध कठोर और निर्णायक कार्रवाई की मांग के साथ खड़ा हुआ। यह हमारे राष्ट्रीय चरित्र की शक्ति है कि जब भी देश पर कोई संकट आता है, तो पूरा भारत एकजुट होकर उसका उत्तर देता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक नाम नहीं, बल्कि करोड़ों देशवासियों की भावनाओं का प्रतिबिंब है, यह न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है। 6 मई की रात और 7 मई की सुबह, भारत ने इस प्रतिज्ञा को कर्म में बदलते हुए आतंकवाद के खिलाफ ऐतिहासिक कदम उठाया। हमारी सेनाओं ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों और ट्रेनिंग सेंटरों पर सटीक और निर्णायक प्रहार किए।
आतंकी संगठनों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि भारत इतनी ठोस कार्रवाई कर सकता है। लेकिन जब देश एकजुट होता है, राष्ट्र सर्वोपरि होता है, तब निर्णय भी फौलादी होते हैं और परिणाम भी स्पष्ट दिखाई देते हैं।
ये हमले एक स्पष्ट संदेश थे कि भारत अब सिर्फ सहन नहीं करेगा, बल्कि निर्णायक और सटीक जवाब देगा। आतंकवाद को पनाह देने वालों ने देखा कि भारत अब अपनी सीमाओं तक सीमित नहीं है, अब वह जहाँ से खतरा उठेगा, वहीं तक पहुंचने का सामर्थ्य रखता है।
साथियो,
इस अभियान में हमारे सैनिकों ने जो अदम्य साहस और अनुकरणीय धैर्य का परिचय दिया, वह केवल एक सैन्य रणनीति की सफलता नहीं, बल्कि यह हमारी सशस्त्र सेनाओं के भीतर बसे राष्ट्रप्रेम, कर्तव्यनिष्ठा और सर्वोच्च बलिदान की भावना का प्रमाण है।
भारत की तीनों सेनाएं, थलसेना, वायुसेना और नौसेना, हमारे अर्धसैनिक बल और सीमा सुरक्षा बल, आज पूरी सतर्कता और प्रतिबद्धता के साथ राष्ट्र की रक्षा में जुटे हैं।
हमें यह याद रखना चाहिए कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता हमारे सैनिकों के तप, त्याग और निष्ठा की नींव पर खड़ी है। वे अपने परिवारों से दूर रहते हैं, त्योहारों से वंचित रहते हैं, पर उनका चेहरा कभी शिकायती नहीं होता, क्योंकि उनके लिए सबसे बड़ा त्योहार, सबसे बड़ा आनंद, मातृभूमि की सेवा है।
हमारे सशस्त्र बलों की यह विजय इसलिए भी विशिष्ट है क्योंकि इसमें संयम और मानवता का अद्भुत संतुलन है। भारत एक ऐसा देश है जो कभी किसी पर आक्रमण नहीं करता, परंतु जब बात अपनी संप्रभुता की रक्षा की होती है, तो वह अपने पराक्रम से जवाब देना भी जानता है।
मैं समझता हूं कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता केवल सैनिकों की ही नहीं, यह उस हर नागरिक की सफलता है जो देश के लिए समर्पित है। यह उन वैज्ञानिकों की सफलता है जिन्होंने सैन्य तकनीक विकसित की, उन रणनीतिकारों की सफलता है जिन्होंने दूरदृष्टि से योजना बनाई, और उन नागरिकों की सफलता है जिन्होंने एकजुटता दिखाई।
देवियो और सज्जनो,
यह कोई पहला अवसर नहीं है जब भारत और पाकिस्तान आमने-सामने आए हों। इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान ने जब-जब भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की भूल की है, तब-तब उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है, चाहे वह 1947-48 का पहला युद्ध हो, 1965 की आक्रामकता हो, 1971 का ऐतिहासिक पराजय और बांग्लादेश का निर्माण हो, या फिर 1999 का कारगिल युद्ध।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पहले भी भारत ने स्पष्ट संकेत दिए थे कि हम अपनी सीमाओं और नागरिकों की सुरक्षा के प्रति किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेंगे। 2016 में उरी आतंकी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में पुलवामा हमले के जवाब में की गई बालाकोट एयर स्ट्राइक इस बात के ठोस प्रमाण हैं कि भारत अब आतंक के खिलाफ नीति और नीयत दोनों में स्पष्टता रखता है।
परंतु, दुर्भाग्यवश हमारा पड़ोसी देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति की बात करता है और पर्दे के पीछे आतंकवाद को पालता-पोसता है। लेकिन उसे यह समझ लेना चाहिए कि अब भारत बदल चुका है। अब भारत सहन नहीं करता,सटीक जवाब देता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसी बदले हुए भारत की नीति और संकल्प का प्रतीक है कि आतंक का जवाब निर्णायक होगा, और राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता।
देवियो और सज्जनो,
हमें यह समझना होगा कि राष्ट्र की सुरक्षा केवल सीमा पर तैनात जवानों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सभी भी इसके प्रहरी हैं। हम जब अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते हैं, जब हम समाज में सद्भाव बनाए रखते हैं, जब हम युवाओं को सही दिशा दिखाते हैं तब हम भी एक सैनिक की तरह राष्ट्र सेवा कर रहे होते हैं।
इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए 10 मई 2025 को ‘सिविल डिफेंस वॉलंटियर’ बनने के लिए चंडीगढ़ के युवाओं को दिए गए आह्वान पर अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली। हजारों युवाओं ने आगे आकर देश सेवा का संकल्प लिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि आज की युवा पीढ़ी न केवल अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है, बल्कि अपने कर्तव्यों के प्रति भी समर्पित और अनुशासित है।
9 मई 2025 को रेड क्रॉस द्वारा चंडीगढ़ और पंजाब के सभी जिलों में आयोजित रक्तदान शिविरों में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लेकर यह सिद्ध किया कि हमारे नागरिक संकट की घड़ी में भी संवेदनशीलता, सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना से पूर्ण हैं। यही भावना समाज की असली शक्ति है।
मैं इस मंच से एक आग्रह करना चाहता हूँ - आइए, हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करें कि हमारे आने वाले पीढ़ी के बच्चे वीरता, कर्तव्य और देशभक्ति की कहानियाँ केवल किताबों में न पढ़ें, बल्कि उन्हें अपने आसपास जीते-जागते आदर्श रूप में देखें। हमारी जीवनशैली, हमारी भाषा, हमारे कर्म - सबमें देश के प्रति समर्पण झलकना चाहिए।
मैं समझता हूं कि हमारे दुश्मन देश द्वारा पंजाब की सैकड़ों किलोमीटर लंबी अतंर्राष्ट्रीय सीमा से की जाने वाली नशों की तस्करी भी आतंकवादी हमला है जो ने केवल हमारे प्रदेश बल्कि पूरे देश की कमज़ोर करने की साजिश का एक हिस्सा है।
इस अवसर पर मैं हमारे युवाओं से विशेष रूप से आग्रह करता हूं कि केवल नशे से दूर रहना ही पर्याप्त नहीं है, हमें उन साथियों की भी मदद करनी है जो इस दलदल में फँस चुके हैं। जब हम एक-दूसरे का हाथ थामेंगे, तभी समाज और राष्ट्र दोनों को सशक्त बना पाएंगे।
आज जब हम ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का सम्मान कर रहे हैं, तो यह आवश्यक है कि हम इस अभियान को एक चेतना, एक दिशा और एक प्रेरणा के रूप में देखें।
मैं भारत के सशस्त्र बलों को, उनकी रणनीतिक क्षमता, अनुशासन और पराक्रम के लिए कोटि-कोटि नमन करता हूँ। मैं उन परिवारों को हृदय से प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने अपने लाल खोए, और फिर भी राष्ट्र के लिए गर्व से सिर ऊँचा रखा।
आज मैं यहाँ एक प्रार्थना और संकल्प के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ - ‘‘हम शांति के पक्षधर हैं, पर कमज़ोर नहीं। हम क्षमाशील हैं, पर विस्मरणशील नहीं। और जब बात देश की सुरक्षा, मान और मातृत्व की हो, तो भारत कभी पीछे नहीं हटता।’’
आइए, हम सब भारतवासी यह प्रतिज्ञा करें कि राष्ट्र की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए हम हर परिस्थिति में तैयार रहेंगे। हम अपने आचरण से, अपने विचारों से और अपने कार्यों से भारत को विश्व में एक सशक्त, शांतिप्रिय और गौरवशाली राष्ट्र बनाएंगे।
जय जवान! जय किसान!
जय भारत! वंदे मातरम्!
धन्यवाद,
जय हिंद!