SPEECH OF PUNJAB GOVERNOR AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF FFAITH LAUNCH-CELEBRATING ROOTS, CONTRIBUTIONS AND UNITY AT CHANDIGARH ON JUNE 1, 2025.
- by Admin
- 2025-06-01 21:30
FFAITH संगठन की स्थापना के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 01.06.2025, रविवार समयः शाम 7:30 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज मैं FFAITH (Fazilka, Ferozepur Association in Tricity for Harmony) संस्था के स्थापना कार्यक्रम के इस विशेष अवसर पर उपस्थित होकर अत्यंत हर्षित अनुभव कर रहा हूँ। यह केवल एक संस्था की शुरुआत नहीं, बल्कि हमारी साझा विरासत, सांस्कृतिक मूल्यों और जड़ों से जुड़ाव का उत्सव है।
यह मेरे लिए अत्यंत हर्ष और गौरव का विषय है कि मैं आज आप सभी के बीच उपस्थित हूँ, आप सभी जो फ़ाज़िल्का, फिरोज़पुर, मुक्तसर और पंजाब की सामर्थ्यपूर्ण सीमा-भूमि से जुड़े हैं, और आज चंडीगढ़ ट्राइसिटी में एक संगठित, सशक्त और सुसंस्कृत समुदाय के रूप में मौजूद हैं।
मुझे बताया गया है कि इस संस्था की स्थापना उन हज़ारों परिवारों की आपसी एकता, साझा विरासत और सहयोग की भावना से प्रेरित होकर की गई है, जो फ़ाज़िल्का, फिरोज़पुर और आसपास के सीमावर्ती क्षेत्रों से आकर अब चंडीगढ़ ट्राइसिटी में बस चुके हैं।
यह संस्था केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक सेतु है, जो अपनी मिट्टी की महक, अपनी बोली-बानी, रीति-रिवाज और मूल्यों को सहेजने का कार्य करेगी।
मैं समझता हूं कि यह मंच न केवल आपसी सहयोग को मजबूती देगा, बल्कि एक परिवार की तरह हर सुख-दुख में साथ खड़े रहने का भरोसा भी देगा।
यह संस्था भावनात्मक जुड़ाव का, सामाजिक उत्तरदायित्व का, और एकजुट होकर विकास की दिशा में आगे बढ़ने का प्रतीक है।
देवियो और सज्जनो,
हमारे देश के सीमावर्ती क्षेत्र को यूँ ही नहीं ‘पहली रक्षा पंक्ति’ कहा जाता है। इस वीरभूमि ने न केवल अदम्य साहस वाले सपूतों और देशभक्तों को जन्म दिया है, बल्कि ऐसी प्रतिभाओं को भी गढ़ा है, जिन्होंने भारत के बौद्धिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक परिदृश्य को समृद्ध किया है।
क्रिकेट जगत के महानायक कपिल देव और युवा सितारे शुभमन गिल, इंडस्ट्री के अग्रणी नाम इंड स्विफ्ट और क्योरिएंट क्राफ्ट, साहित्य जगत के रत्न सुदर्शन फकीर और कंवर मोहिंदर सिंह बेदी, तथा न्यायपालिका के गौरव माननीय न्यायमूर्ति एम. एम. पुंछी (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, भारत), ये सभी प्रतिष्ठित व्यक्तित्व चंडीगढ़ ट्राइसिटी के निवासी हैं, जिनकी जड़ें फ़ाज़िल्का-फ़िरोज़पुर क्षेत्र से गहराई से जुड़ी हुई हैं।
हमारा यह क्षेत्र भारत को दो प्रतिष्ठित राज्यपाल भी दे चुका है, मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री बलराम जाखड़ और पुडुचेरी के पूर्व राज्यपाल श्री वीरेंद्र कटारिया।
इस साझा विरासत ने FFAITH को केवल भावनात्मक पुनर्मिलन का मंच नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक सहभागिता का माध्यम भी बनने के लिए प्रेरित किया है।
साथियो,
मैंने स्वयं सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया है और वहां के लोगों से सीधे संवाद कर उनकी ज़मीनी हकीकत को नज़दीक से जाना है। मैं भलीभांति परिचित हूं कि इस क्षेत्र को किन-किन विशेष और जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
सीमित औद्योगिक विकास, मौसमी पलायन, बार-बार आने वाली बाढ़, युद्धकालीन स्थितियों में आने वाले व्यवधान, और युवाओं में बढ़ती बेरोज़गारी, ये सब ऐसी समस्याएं हैं जो न केवल विकास की गति को बाधित करती हैं, बल्कि लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर भी गंभीर असर डालती हैं।
इन चुनौतियों का समाधान केवल सरकारी प्रयासों से नहीं, बल्कि समुदाय की भागीदारी और सहयोग से ही संभव है।
मुझे विश्वास है कि संगठित समुदाय के रूप में FFAITH अपने सदस्यों को शांति और आपातकाल दोनों परिस्थितियों में योगदान के लिए प्रेरित कर सकता है, चाहे वह युद्धकालीन समर्थन हो, आपदा प्रबंधन, शिक्षा के क्षेत्र में पहल हो या आधारभूत ढांचे के विकास में भागीदारी।
मैं FFAITH को न केवल एक सांस्कृतिक सेतु के रूप में देखता हूं, बल्कि एक नागरिक उत्प्रेरक के रूप में भी, जो सरकार और रक्षा बलों का सहयोग करते हुए सीमावर्ती समुदायों को सशक्त बनाएगा, लचीलापन विकसित करेगा और शांति व सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करेगा।
देवियो और सज्जनो,
आज हम केवल एक संस्था की स्थापना के साक्षी नहीं हैं, बल्कि हम एक विचार के उत्थान का उत्सव मना रहे हैं, वह विचार जो अपनी जड़ों से अटूट जुड़ाव में पला-बढ़ा है, और जो ‘विविधता में एकता’ की भारतीय परंपरा में पूरी तरह रचा-बसा है।
यह क्षण एक उज्ज्वल, सशक्त और सहयोगमय भविष्य की ओर सामूहिक संकल्प का है, जहाँ यह संस्था न केवल भावनाओं को जोड़ने का माध्यम बनेगी, बल्कि समाज को दिशा देने वाला एक प्रेरक मंच भी सिद्ध होगी।
मैं इस अवसर पर FFAITH की स्थापना करने वाले सभी संस्थापक सदस्यों और आयोजकों को हार्दिक बधाई देता हूँ। आपने न केवल विरासती जड़ों को मजबूत करने का कार्य किया है, बल्कि एक साझा भविष्य की मजबूत नींव भी रखी है।
संस्था के उद्देश्यों की बात करें तो इसका मूल लक्ष्य बॉर्डर इलाकों और चंडीगढ़ ट्राईसिटी के बीच न सिर्फ भौगोलिक, बल्कि सामाजिक और विकासात्मक दूरी को भी कम करना है।
यह संस्था स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार जैसे मूलभूत क्षेत्रों में सुविधाएं जुटाने के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों के छात्रों, प्रोफेशनल्स, विशेषकर बेटियों के लिए एक सशक्त ‘सेफ्टी नेट’ अर्थात एक सुरक्षित और सहयोगी दूसरे परिवार का कार्य करेगी।
इसके अतिरिक्त, यह संस्था सरकारी एवं निजी संस्थाओं के साथ संवाद स्थापित कर, लाभकारी योजनाओं और सुविधाओं को ज़रूरतमंदों तक पहुँचाने में एक सक्रिय सेतु की भूमिका निभाएगी। साथ ही, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और कृषि संकट जैसे सामूहिक सरोकारों पर साझा प्रयास कर, समावेशी और स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाएगी।
साथ ही यदि इसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों की बात करें तो यह संस्था बॉर्डर एरिया भवन की स्थापना कर, इलाज, शिक्षा और नौकरी के लिए शहर आने वालों को सहायता प्रदान करेगी।
यह युवाओं के लिए शिक्षा व करियर मार्गदर्शन शिविर आयोजित करेगी और लड़कियों-महिलाओं के लिए सुरक्षा व सहायता नेटवर्क तैयार करेगी।
साथ ही, पर्यावरण संरक्षण, किसान कल्याण और जल-संकट पर जनजागरूकता फैलाएगी। अंततः यह संस्था सीमावर्ती क्षेत्रों की कला, संस्कृति और गौरवशाली परंपराओं के संरक्षण व प्रचार-प्रसार का कार्य भी करेगी।
देवियो और सज्जनो,
आज विभिन्न क्षेत्रों से आए युवाओं का यह आत्मीय संगम इस सत्य का प्रतीक है कि भले ही आप गाँव की गलियों से दूर हो गए हों, पर गाँव की मिट्टी, उसकी स्मृतियाँ, और उसकी संस्कृति आज भी आपके मन में गहराई से रची-बसी है। सच ही है, आप गाँव से दूर हो सकते हैं, लेकिन गाँव आपसे कभी दूर नहीं होता।
मैं संस्था के संस्थापकों से कहना चाहूंगा कि आपने इस संस्था को जो FFAITH (फेथ) नाम दिया है, वह विश्वास, भरोसा, आस्था और एकजुटता की भावना को दर्शाता है।
इस नाम में वह भरोसा छिपा है, जो फ़ाज़िल्का, फ़िरोज़पुर, मुक्तसर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों से निकलकर चंडीगढ़ ट्राइसिटी में बसे हज़ारों परिवारों को एक डोर में बाँधता है।
देवियो और सज्जनो,
हम जिस धरती पर जन्म लेते हैं, जिस भाषा में पहला शब्द बोलते हैं, जिस लोकगीत को सुनकर बड़े होते हैं, और जिन संस्कारों से हमारा व्यक्तित्व आकार लेता है, वही हमारी संस्कृति है, वही हमारी जड़ें हैं।
महात्मा गांधी ने कहा थाः “किसी राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के हृदय और आत्मा में निवास करती है।”
आज के वैश्विक युग में, जब हम तकनीक और आधुनिकता की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं, यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि हम अपनी पहचान, अपनी परंपराओं और अपनी सांस्कृतिक विरासत को न भूलें।
मुझे यह देखकर गर्व होता है कि आज भी पंजाब की धरती पर लोक नृत्य, लोक संगीत, और पर्व-त्योहार उतने ही जीवंत हैं जितने वर्षों पहले थे। बोलियाँ, गिद्दा, भांगड़ा न केवल मनोरंजन के माध्यम हैं, बल्कि यह पीढ़ियों की कहानियों का जीवंत दस्तावेज़ भी हैं।
मेरे युवा साथियों,
आज जब आप देश-दुनिया में शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, मैं आपसे एक विनम्र आग्रह करना चाहता हूँ, जहाँ भी जाएं, अपनी मिट्टी की खुशबू साथ लेकर जाएं। अपनी मातृभाषा से, अपनी बोली से, अपने त्योहारों और लोक परंपराओं से जुड़ाव बनाए रखें।
क्योंकि कोई भी समाज तभी स्थिर और समृद्ध होता है, जब उसकी पीढ़ियाँ अपनी सांस्कृतिक पहचान को गर्व से आगे बढ़ाती हैं।
अंत में, मैं यही कहूँगा कि संस्कृति कोई बोझ नहीं, बल्कि हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। यही हमें जोड़ती है, यही हमें ऊँचा उठाती है, यही हमें भारतीय बनाती है।
आइए, हम सब मिलकर आधुनिकता और परंपरा के बीच सेतु बनाएं, ताकि हम न केवल भविष्य की ओर बढ़ें, बल्कि अपनी जड़ों को भी मज़बूत करें।
मुझे यह भी कहना है कि हमें अपने युवाओं के सामने खड़ी गंभीर चुनौतियों को नहीं भूलना चाहिए, विशेषकर नशाखोरी की विकराल समस्या, जो हमारे समाज की जड़ों को भीतर ही भीतर खोखला कर रही है। मैं आप सभी से, इस संगठन के माध्यम से, यह आह्वान करता हूँ कि आप इस चुनौती के विरुद्ध आशा के प्रहरी और जागरूकता के दूत बनें।
जब ऐसा समुदाय, जो बलिदान और संकल्प की भावना से भरपूर हो, एकजुट होकर किसी समस्या के विरुद्ध आवाज उठाता है, तब सबसे बड़ी चुनौती भी छोटी लगने लगती है।
अंत में, मैं बस यही कहना चाहूंगा कि मिलजुल कर रहना, एक-दूसरे का साथ देना, दुख-सुख में साथ खड़े होना, यही हमारी असली संस्कृति है। यही वो जीवन-मूल्य हैं, जो हमें पीढ़ियों से विरासत में मिले हैं और जिन्हें हमें आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है।
हमारी संस्कृति हमें ‘मैं’ से ‘हम’ की भावना सिखाती है। जब हम एक-दूसरे का हाथ थामते हैं, जब हम समाज के कमजोर वर्गों के लिए खड़े होते हैं, जब हम अपने पड़ोसी के सुख-दुख में भागीदार बनते हैं, तब हम न सिर्फ अच्छे नागरिक बनते हैं, बल्कि अपनी संस्कृति के सच्चे संवाहक भी बनते हैं।
हमारा भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना से बना है, यानी पूरा विश्व एक परिवार है। और परिवार में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता, कोई पराया नहीं होता।
इसलिए, आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि संस्कृति केवल उत्सवों तक सीमित न रहे, वह हमारे आचरण, व्यवहार और सोच में जीवित रहे।
यही हमारी असली पहचान है। यही हमारी जड़ें हैं। यही हमारा भारत है।
आइए, FFAITH को सिर्फ एक मंच नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन बनाएं, नशे के खिलाफ, शिक्षा के पक्ष में, और राष्ट्र-निर्माण के लिए।
एक बार पुनः, आप सभी को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं और अभिनंदन।
FFAITH सशक्त बने, समृद्ध हो, और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहे।
धन्यवाद,
जय हिन्द!