Speech of Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of the 1st CU Scholar Summit 2025 at Chandigarh on June 6, 2025.

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के ‘स्कॉलर्स समिट 2025’ के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 06.06.2025, शुक्रवार

समयः सुबह 11:15 बजे

स्थानः मोहाली

नमस्कार!

सर्वप्रथम, मैं "Scholar Summit 2025" के इस तीन दिवसीय आयोजन हेतु चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के कुलपति, शिक्षकों, छात्रों और सभी आयोजकों को हार्दिक बधाई देता हूँ। 

यह आयोजन केवल छात्रवृत्तियों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उन अटूट संकल्पों और सपनों का उत्सव है, जिन्हें आर्थिक संसाधनों की कमी भी रोक नहीं पाई। 

यह उन विद्यार्थियों की जीत का प्रतीक है, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी शिक्षा के प्रति अपनी लगन और मेहनत से सफलता की राह बनाई। यह आयोजन उस विश्वास और सहयोग का उत्सव है, जो योग्य छात्रों को अवसर देने के लिए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों ने प्रदर्शित किया है।

मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी भारत की सबसे बड़ी छात्रवृत्ति योजना चलाने वाली संस्थाओं में अग्रणी है। यह योजना न केवल विद्यार्थियों की आर्थिक सहायता का माध्यम है, बल्कि उनके सपनों को उड़ान देने का भी सशक्त माध्यम है। 

मुझे बताया गया है कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा बीते 12 वर्षों में अब तक 1.92 लाख से अधिक विद्यार्थियों को विभिन्न श्रेणियों में छात्रवृत्तियाँ दी जा चुकी हैं, जिनमें से 64 हजार से अधिक बेटियाँ हैं, जो कुल छात्रवृत्तियों का 35 प्रतिशत से अधिक है। यह संख्या केवल एक आंकड़ा नहीं, यह उस सोच का प्रतीक है जो ‘‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ’’ को वास्तविकता में बदल रही है।

आज भारत में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभाव से उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (GER) 2014-15 में 23.7 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 28.4 प्रतिशत हो चुका है, और महिलाओं के लिए यह 28.5 प्रतिशत तक पहुँच गया है। इसमें चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी जैसी संस्थाओं के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

मुझे यह कहने में गर्व हो रहा है कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की यह योजना न केवल शिक्षा को प्रोत्साहित करती है, बल्कि दो प्रमुख राष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में भी योगदान देती है। पहला, 10$2 के बाद विद्यार्थियों का शिक्षा छोड़ने की प्रवृत्ति, और दूसरा, ब्रेन ड्रेन अर्थात योग्य भारतीय युवाओं का विदेश पलायन।

मुझे बताया गया है कि इस वर्ष भी CU-CET स्कॉलरशिप टेस्ट के माध्यम से 10$2 और स्नातक कर चुके कुल 25 हजार 758 विद्यार्थियों को 210 करोड़ रुपये की छात्रवृत्तियाँ दी जा रही हैं, जिनमें 4 हजार 267 बेटियाँ भी शामिल हैं। यह समाज की समावेशिता की दिशा में एक अत्यंत सशक्त कदम है।

आज हमने 10$2 पास और CU-CET स्कॉलरशिप टेस्ट की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले लगभग 700 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान की है, और आने वाले दो दिनों में शेष योग्य विद्यार्थियों को भी यह स्कॉलरशिप प्रदान कर दी जाएगी।

मैं समझता हूं कि स्कॉलरशिप केवल आर्थिक सहायता भर नहीं हैं, बल्कि ये विद्यार्थियों के आत्मबल, आत्मविश्वास और उनके सपनों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का माध्यम हैं।

यह एक प्रेरक संदेश है कि समाज और संस्थाएं ऐसे होनहार विद्यार्थियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं, उन्हें आगे बढ़ाने, उनका मार्ग प्रशस्त करने और उनके सपनों को साकार करने में सहभागी बनने के लिए सदैव तत्पर हैं। 

साथियो,

वर्ष 2012 में अपनी स्थापना के बाद से पिछले 13 वर्षों में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने जो मुकाम हासिल किया है, वह किसी भी शैक्षणिक संस्था के लिए प्रेरणादायक है। आज यह यूनिवर्सिटी QS Asia Rankings 2025 में भारत की नंबर 1 निजी यूनिवर्सिटी है।

इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी में इसकी वैश्विक रैंकिंग 231 है, और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में यह भारत की दूसरी सर्वश्रेष्ठ निजी यूनिवर्सिटी है। इसके अलावा, कंप्यूटर साइंस, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, मैनेजमेंट और केमिस्ट्री जैसे क्षेत्रों में भी चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी देश में शीर्ष स्थानों पर है।

NIRF (National Institutional Ranking Framework) Ranking 2024  की बात करें तो यह यूनिवर्सिटी भारत के सभी यूनिवर्सिटियों में 20वें स्थान पर है। 

यह अत्यंत ही गर्व का विषय है कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से आज 28 राज्यों, 8 केंद्र शासित प्रदेशों, और 60 देशों के लगभग 52 हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने पंजाब को उच्च शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनाने में अहम योगदान दिया है। 3,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों का यहां अध्ययन करना इसकी वैश्विक प्रतिष्ठा का प्रमाण है।

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने अनुसंधान और नवाचार में अग्रणी भूमिका निभाते हुए पिछले 7 वर्षों में 4,300 से अधिक पेटेंट फाइल किए हैं। वर्ष 2023-24 में ही 700 से अधिक पेटेंट दर्ज कर यूनिवर्सिटी देश की शीर्ष 5 संस्थानों में शामिल हो गई है, जो इसकी शोध क्षमता और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने सांस्कृतिक, शैक्षणिक और खेल क्षेत्रों में शानदार उपलब्धियाँ हासिल की हैं। यह देश की एकमात्र निजी यूनिवर्सिटी है जिसने लगातार तीन वर्षों तक एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज की ओवरऑल सांस्कृतिक चैंपियनशिप ट्रॉफी जीती। 

खेलों में, 2024 में यूनिवर्सिटी ने मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (MAKA) ट्रॉफी और खेलो इंडिया गेम्स की ओवरऑल ट्रॉफी भी अपने नाम की, जिससे यह स्पष्ट है कि यह संस्थान शिक्षा, संस्कृति और खेल, तीनों में अग्रणी है।

देवियो और सज्जनो,

हमारी शिक्षा प्रणाली की जड़ें हजारों वर्षों पुरानी हैं। यदि हम प्राचीन भारत की बात करें, तो हमें विश्वप्रसिद्ध गुरुकुल प्रणाली का स्मरण होता है। गुरुकुलों में शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह एक व्यापक जीवनशैली थी, जहाँ शिष्य नैतिकता, अनुशासन, आत्मनिर्भरता और जीवन कौशल सीखते थे।

तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान दुनिया के लिए ज्ञान के केंद्र थे। यहाँ न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी छात्र अध्ययन के लिए आते थे। यह वह समय था जब भारत विश्वगुरु कहलाता था और पूरी दुनिया यहाँ के ज्ञान से लाभान्वित होती थी।

लेकिन मध्यकालीन भारत में शिक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव आए। मुग़लों और अंग्रेजों के शासन के दौरान भारत की परंपरागत शिक्षा प्रणाली को कमजोर किया गया और पारंपरिक ज्ञान को हाशिए पर डाल दिया गया। 

हालाँकि, ब्रिटिश शासनकाल में ही भारतीय पुनर्जागरण की शुरुआत भी हुई, और राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, महात्मा फुले और अन्य समाज सुधारकों ने नारी शिक्षा और आधुनिक शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

देवियो और सज्जनो,

स्वतंत्रता के बाद भारत ने अपनी शिक्षा प्रणाली को नवाचार और वैज्ञानिक सोच के साथ विकसित करने का प्रयास किया है। 1968, 1986 और 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों ने शिक्षा प्रणाली में समानता, व्यावहारिकता और समावेशिता को बढ़ावा दिया।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ¼IITs½] भारतीय प्रबंधन संस्थान ¼IIMs½] अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ¼AIIMS½ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना हुई, जिससे भारत को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ मिलीं।

देवियो और सज्जनो,

आज भारत वैश्विक शिक्षा क्षेत्र में बड़ी ताकत है। फिर भी वैश्विक शैक्षणिक नेतृत्व के शिखर पर पहुंचने के लिए भारत को ढेर सारी चुनौतियों से निपटने की जरूरत है। 

करीब 15 लाख स्कूलों, 40 हजार से ज्यादा कॉलेजों और 1 हजार से ज्यादा विश्वविद्यालयों वाले भारत का शिक्षा तंत्र करीब 30 करोड़ छात्रों की जरूरत पूरी करता है। इस तरह वह विश्व के सबसे बड़े शैक्षणिक तंत्र में से एक है।

संयोग से शिक्षा और कौशल विकास में फिर से जान फूंकने का ब्लूप्रिंट राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के रूप में सामने है। यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा, संस्कृति और कौशल का सुमेल है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत सर्वांगीण शिक्षा, व्यावसायिक कौशल, मातृभाषा में शिक्षा और डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा दिया गया है, जिससे भविष्य में भारत को एक शक्तिशाली और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाया जा सके।

यदि हम उच्च शिक्षा के लिए केन्द्रीय बजट की बात करें तो यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि सरकार ने इस क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। 

वर्ष 2014-15 में उच्च शिक्षा के लिए 27,656 करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया गया था, जो अब वर्ष 2025-26 में बढ़कर 50,078 करोड़ रूपये हो गया है। यह लगभग 81 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है, जो इस बात का प्रमाण है कि केंद्र सरकार शिक्षा को सशक्तिकरण और समावेशिता का आधार मानते हुए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।

देवियो और सज्जनो,

आज भारत दुनिया में सबसे युवा देश है, और हमारे युवाओं को यदि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सही मार्गदर्शन मिले, तो हम विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बन सकते हैं। हमें शिक्षा को सिर्फ अंक और डिग्रियों तक सीमित नहीं रखना है, बल्कि इसे रचनात्मकता, नवाचार और शोध से जोड़ना होगा।

आज के स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलें तभी सफल होंगी, जब हमारी शिक्षा प्रणाली इन अभियानों का समर्थन करेगी।

साथियो, शिक्षा ही सशक्त समाज और सशक्त राष्ट्र की नींव है। हमारे पुराणों में कहा गया हैः

‘‘विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्।

पात्रत्वाद्धनमाप्नोति, धनाद्धर्मं ततः सुखम्।।’’

अर्थात्, विद्या से विनम्रता आती है, विनम्रता से योग्यता, योग्यता से धन और धन से धर्म व अंततः सुख प्राप्त होता है।

इस श्लोक का सार यह है कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन को संवारने, चरित्र निर्माण करने, और अंततः समाज व राष्ट्र की सेवा के लिए प्रेरित करने का एक साधन है।

यदि हम इस श्लोक को अपने जीवन में अपनाएं, तो हम न केवल व्यक्तिगत रूप से सफल होंगे, बल्कि एक सशक्त, संतुलित और समृद्ध समाज का निर्माण भी कर सकेंगे।

मित्रो,

आज जब मैं आप सभी ऊर्जावान और संभावनाओं से भरे युवाओं के बीच उपस्थित हूं, तो मैं नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के अत्यंत गंभीर विषय की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। यह प्रवृत्ति आज केवल एक व्यक्तिगत समस्या नहीं रही, बल्कि यह हमारे समाज, हमारे राज्य, हमारे शहर और अंततः हमारे राष्ट्र की जड़ों को भी कमजोर कर रही है।

आज के अनेक युवा भ्रम की स्थिति में हैं और नशे की लत का शिकार होते जा रहे हैं। यह लत न केवल उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य, ऊर्जा और प्रतिभा को भी निगल जाती है। नतीजा यह होता है कि समाज में अस्थिरता, निराशा और अपराध का स्तर बढ़ता है, और देश की प्रगति की गति धीमी पड़ जाती है।

यदि हम सचमुच माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा प्रस्तुत ‘‘विकसित भारत 2047’’ के सपने को साकार करना चाहते हैं, तो हमें सबसे पहले अपने युवाओं को इस विनाशकारी प्रवृत्ति से बचाना होगा। हमें जागरूक होना होगा, एकजुट होना होगा, और संकल्प लेना होगा कि हम स्वयं भी नशे से दूर रहेंगे और अपने आसपास के लोगों को भी इसके प्रति सतर्क करेंगे।

याद रखें, भारत का भविष्य हमारे युवाओं के हाथों में है, और यदि ये हाथ मजबूत, सशक्त और नशा-मुक्त होंगे, तभी हमारा राष्ट्र सशक्त, आत्मनिर्भर और विकसित बन सकेगा।

आइए, मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं, जहाँ युवा अपनी ऊर्जा को निर्माण, नवाचार और राष्ट्र सेवा में लगाएं, न कि विनाशकारी आदतों में। यही सच्चा योगदान होगा विकसित भारत के निर्माण में।

साथियो,

आज के इस स्कॉलरशिप समिट 2025 के आयोजन की मूल भावना ‘‘शिक्षा को अवसर में बदलने की संकल्पना’’ के एक अत्यंत प्रेरणादायक और दूरदर्शी दृष्टिकोण पर आधारित है। यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि उन अनगिनत संभावनाओं का उत्सव है जो शिक्षा के माध्यम से हमारे युवाओं के जीवन को दिशा और उद्देश्य देती हैं।

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी इस दृष्टि को केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्म के माध्यम से साकार कर रही है। यह संस्थान केवल एक शैक्षिक केंद्र नहीं, बल्कि सशक्तिकरण, समानता और समर्पण का एक जीवंत प्रतीक बन चुका है।

यह समिट उन हज़ारों विद्यार्थियों के सपनों को पंख देने का एक सशक्त माध्यम है, जो अपनी प्रतिभा से तो समृद्ध हैं, लेकिन संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी इस अंतर को भर रही है, और इस प्रकार शिक्षा को केवल जानकारी प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि जीवन बदलने का अवसर बना रही है।

मैं आशा करता हूँ कि यह यूनिवर्सिटी इसी प्रकार नई ऊँचाइयाँ छूता रहे, और हमारे युवाओं को उनके सपनों की उड़ान देने के लिए मजबूत पंख प्रदान करता रहे।

अंत में, मैं इस आयोजन में शामिल होने वाले सभी छात्रवृत्ति प्राप्त प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। आप सभी हमारे देश की पूँजी हैं, और आपके माध्यम से ही ‘‘विकसित भारत 2047’’ का सपना साकार होगा।

धन्यवाद, जय हिन्द!