Speech of Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of 12th Maa Samman Samaroh on Mother’s Day at Chandigarh on May 28, 2025.
- by Admin
- 2025-05-28 18:30
‘मां सम्मान समारोह’ के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 28.05.2025, बुधवार समयः सुबह 10:30 बजे स्थानः मोहाली
नमस्कार!
सबसे पहले मैं डॉ. जी.सी. मिश्रा मेमोरियल एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट एवं मानव मंगल स्मार्ट स्कूल को इस 12वें माँ सम्मान समारोह के आयोजन के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ।
इस प्रेरणादायक पहल के माध्यम से आप मातृत्व के उस त्याग, संघर्ष और शक्ति को सम्मानित कर रहे हैं, जो हर युग में समाज के निर्माण का आधार रही है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं, आज का यह ‘माँ सम्मान समारोह’ मूलतः मदर्स डे के अवसर पर आयोजित किया जाना था, परन्तु कुछ कारणों से मेरी अनुपस्थिति के चलते यह कार्यक्रम उस दिन संपन्न नहीं हो सका। इसलिए, आज यह आयोजन उसी भावना और श्रद्धा के साथ किया जा रहा है, जिससे हम मातृशक्ति को सम्मानित कर सकें और उनके त्याग, संघर्ष एवं स्नेह को नमन कर सकें।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि डॉ. जीसी मिश्रा मेमोरियल एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा मानव मंगल स्मार्ट स्कूल के सहयोग से पिछले 12 वर्षों से मदर्स डे पर ऐसी माताओं को सम्मानित किया जाता है जो असाधारण हैं।
ये वे माताएँ हैं जिन्होंने विषम परिस्थितियों के बावजूद अपने बच्चों के सपनों को साकार करने हेतु स्वयं को समर्पित कर दिया और मातृत्व के आदर्श को एक नई ऊँचाई प्रदान की।
मुझे बताया गया है कि ‘डॉ. जी.सी. मिश्रा मेमोरियल एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट’ की स्थापना वर्ष 2011 में वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध लेखक श्री मयंक मिश्रा जी द्वारा अपने पिता स्वर्गीय डॉ. गिरीश चंद्र मिश्रा की स्मृति में की गई थी जो एक उत्कृष्ट शिक्षक, प्रख्यात शिक्षाविद् और केमिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नाम थे।
मुझे बताया गया है कि ट्रस्ट द्वारा समय-समय पर रक्तदान शिविर, टीचर्स एक्सीलेंस अवॉर्ड और बेटी सम्मान समारोह जैसे आयोजन भी किए जाते हैं, जो सामाजिक सरोकार और जनकल्याण की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास हैं।
देवियो और सज्जनो,
मैं आज इस मंच पर सम्मानित सभी 10 माताओं को हृदय से बधाई और श्रद्धा-सहित नमन करता हूँ। आप न केवल अपने परिवार के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, बल्कि आपने पूरे समाज के लिए भी आदर्श प्रस्तुत किया है।
आपके त्याग, समर्पण और अथक परिश्रम ने यह सिद्ध कर दिया है कि एक माँ की ममता में वह शक्ति होती है, जो असंभव को भी संभव बना सकती है। आज का यह ‘माँ सम्मान समारोह’ वास्तव में मातृत्व की महानता और शक्ति को नमन करने का एक पावन अवसर है।
मुझे ज्ञात हुआ है कि आप सभी माताओं के संघर्ष के सफर की अलग अलग कहानी है। किसी ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने बेटे को डॉक्टर या स्कूल की प्रिंसिपल बनाया है, तो कोई अपनी बेटी के आईएएस बनने के सपने को साकार करने के लिए संघर्ष के पथ पर आगे बढ़ रही है। किसी ने संघर्ष करते हुए अपने बेटे को आईएएस बनाया तो किसी ने अनाथ बच्चों का सहारा बनकर उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाया है।
आप केवल सम्मान की पात्र नहीं हैं, बल्कि आप सामाजिक चेतना, आत्मबल और अडिग संकल्प की प्रतीक हैं। आपने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और अपने परिवार, समाज व स्वयं के जीवन को नई दिशा दी।
आपने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि नारी संकल्प कर ले, तो वह हर बाधा को पार कर सकती है और दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
देवियो और सज्जनो,
यह सत्य है कि हर माँ अपने बच्चों के जीवन की पहली गुरु होती है, उनकी सबसे बड़ी मार्गदर्शक और सबसे गहरा प्रेम देने वाली होती है। माँ ही वह हस्ती है जो न केवल अपने बच्चों को जीवन देती है, बल्कि उन्हें जीने का तरीका भी सिखाती है।
माँ की सबसे अनूठी बात यह होती है कि वह सदैव देती है, बिना किसी अपेक्षा के। उसका हर त्याग, हर आँसू, हर मुस्कान सिर्फ अपने बच्चों के लिए होती है। उसकी खुशी उसके बच्चों की खुशी में निहित होती है। माँ का प्रेम और देखभाल इस संसार की किसी भी चीज़ से तुलना करने योग्य नहीं है।
माँ बच्चों को केवल पालती-पोसती ही नहीं, उन्हें संस्कार देती है, सोचने का तरीका देती है, और जीवन के सही मूल्यों से परिचित कराती है। वह अपने परिवार को एक धागे में पिरोकर रखती है।
यह कहना उचित होगी कि माँ ही मानवता के भविष्य को आकार देती है। वह आने वाली पीढ़ियों की नींव रखती है, और वह भी बिना किसी प्रशंसा की अपेक्षा के।
वे बच्चे वास्तव में सौभाग्यशाली होते हैं जिन्हें अपनी माँ का साथ बचपन से मिलता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, हर किसी को यह आशीर्वाद नहीं मिलता। इसलिए यह हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम अपनी माँ के संघर्ष, त्याग और प्रेम की गहराई को समझें और उन्हें केवल मातृ दिवस जैसे अवसरों पर नहीं, हर दिन सम्मान और कृतज्ञता के साथ याद करें।
देवियो और सज्जनो,
पूरी दुनिया माँ के ऋण से अभिभूत है। यही कारण है कि हर धर्म, हर संस्कृति, और हर समाज में माँ को विशेष आदर और गरिमा का स्थान प्राप्त है। माँ न केवल जीवनदायिनी होती है, बल्कि वह जीवन को मूल्य, दिशा और उद्देश्य देने वाली भी होती है।
हिंदू धर्म में कहा गया है, ‘‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’’, अर्थात् माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं। यह उद्घोष माँ की महत्ता को दर्शाने वाला एक अत्यंत गूढ़ और गहन विचार है।
इस्लाम धर्म में पैगंबर मुहम्मद साहब ने फरमाया है, ‘‘अल जन्नतु ताहता अक़्दाम अल उम्माहत’’, अर्थात् स्वर्ग माँ के कदमों तले होता है। यह कथन इस बात का प्रमाण है कि माँ का स्थान कितना ऊँचा और पूजनीय है।
ईसाई धर्म में भी मातृत्व को एक पवित्र और उच्चतम दायित्व माना गया है। बाइबल में ‘‘माँ को बच्चों को ईश्वर द्वारा प्रदान एक आशीष, एक विरासत और उसका एक उपहार बताया गया है।’’
सिखों के पहले गुरू, श्री गुरू नानक देव जी ने भी नारी के सम्मान में कहा था, ‘‘सो क्यों मंदा आखिए, जित जम्मे राजान।’’
अर्थात् उस नारी को मंद या तुच्छ कैसे कहा जा सकता है, जिसके गर्भ से राजा जन्म लेते हैं।
यह पंक्ति केवल नारी सम्मान की नहीं, बल्कि उसके सृजनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व की गूढ़ अभिव्यक्ति है।
पुराणों में भी नारी शक्ति को लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा, काली और शुभद्रा के रूप में सम्मानित किया गया है। शक्ति का स्वरूप भी स्त्री के रूप में देखा गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों में माँ और नारी शक्ति को सर्वोपरी माना गया है।
महाभारत में भी भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर से कहा थाः
‘‘हे पृथ्वी के शासक! वह वंश जिसमें कन्याओं और बहुओं को अपमानित किया जाता है, वह वंश नष्ट हो जाता है। जब पीड़ित होकर वे महिलाएँ ऐसे कुल को शाप देती हैं, तो वह कुल अपने सौभाग्य, समृद्धि और शांति को खो देता है।’’
किसी ने ठीक ही कहा है कि ‘‘भगवान ने माँ को इसलिए बनाया क्योंकि वह खुद हर जगह मौजूद नहीं रह सकता’’।
हम सभी जानते हैं कि मानवता के भविष्य को आकार देने में माँ की भूमिका अपार है। अपने बच्चों और परिवार को बिना शर्त प्यार देने और उन्हें एक परिवार के रूप में एक साथ बांधे रखने के लिए प्रकृति ने उन्हें एक विशेष उपहार दिया है।
अपने समर्पण से वह घर की चार दीवारों को एक ऐसे घर में बदल देती है जहां प्यार, स्नेह, दूसरों के प्रति सम्मान, परिवार, समाज और देश के प्रति निस्वार्थ योगदान मौजूद रहता है।
जब हम भारतीय जीवन शैली की महानता की बात करते हैं तो हम हमेशा इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि हमारा परिवार ही हमारी भारतीय समाज की संरचना का मज़बूत आधार है और इस परिवार की नींव माँ होती है।
यह माँ ही है जो धैर्य और परिपक्वता के साथ परिवार के सदस्यों की देख-रेख, पोषण और मार्गदर्शन करती है। वह कठिनाई के समय में सांत्वना प्रदान करती है और हार के समय में हमारे भीतर साहस का संचार करती है। वह एक रक्षक, एक मित्र, एक मार्गदर्शक और एक रोल मॉडल है।
देवियो और सज्जनो,
हमारे प्राचीन भारत की बात करें, तो माँ के रूप में ऐसे अनगिनत उदाहरण हमारे सामने हैं जिन्होंने अपने संस्कारों और विचारों से इतिहास की दिशा बदल दी।
माँ कौशल्या - जिन्होंने भगवान राम को जन्म दिया और उन्हें धर्म, मर्यादा और कर्तव्य की सीख दी, जो आज भी आदर्श पुरुष के रूप में पूजनीय हैं।
माँ यशोदा - जिन्होंने माँ की ममता का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया। बाल गोपाल के साथ उनका प्रेम इस बात का प्रमाण है कि माँ सिर्फ जन्म देने वाली ही नहीं होती, पालने वाली भी उतनी ही महान होती है।
माँ भागीरथी बाई - जिन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई में बचपन से ही साहस और आत्मगौरव का बीज बोया।
माता जीजाबाई - जो एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाली राष्ट्रवादी माँ थीं। उन्होंने अपने पुत्र छत्रपति शिवाजी को ऐसा नेतृत्व, नीति और पराक्रम सिखाया कि वह हिंदवी स्वराज्य का स्वप्न साकार कर सके।
माता गुजरी - उन्होंने गुरू गोबिंद सिंह जी जैसे महान संत-योद्धा को जन्म दिया और उनका पालन-पोषण उच्च आध्यात्मिक मूल्यों, साहस और सेवा-भाव के साथ किया, जिन्होंने न केवल सिख धर्म की रक्षा की, बल्कि धर्म, न्याय और स्वतंत्रता के लिए अपने पूरे परिवार को बलिदान कर दिया। यह सब संभव हुआ, क्योंकि उनकी माँ, माता गुजरी जी, ने उन्हें संस्कारों, शौर्य और बलिदान की भावना से ओतप्रोत किया।
इसलिए माँ का सम्मान केवल एक भाव नहीं, बल्कि संस्कार और सभ्यता का दर्पण है। माँ न केवल जीवनदायिनी हैं, बल्कि समाज को संस्कारित करने वाली सबसे बड़ी शक्ति भी हैं।
देवियो और सज्जनो,
आज जब हम आधुनिकता की ओर अग्रसर हो रहे हैं, ऐसे समय में मातृत्व के मूल्यों का सम्मान करना अत्यंत आवश्यक हो गया है।
यह कार्यक्रम इस बात का प्रमाण है कि संस्कार और संवेदना आज भी हमारे समाज में जीवित हैं और उन्हें प्रोत्साहन देने वाले संस्थान व लोग भी हमारे बीच हैं। यह न केवल एक सम्मान समारोह है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक जागरण का भी प्रतीक है।
मैं आज सम्मानित होने वाली सभी माताओं को हृदय से नमन करता हूँ। आपने अपने जीवन में जो संघर्ष किए हैं, वे असंख्य महिलाओं और युवतियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे। आप सभी ने यह सिद्ध कर दिया कि मातृत्व केवल ममता नहीं, बल्कि नेतृत्व, धैर्य और आत्मविश्वास का भी नाम है।
मैं इस मंच से सभी शिक्षण संस्थानों, सामाजिक संगठनों और परिवारों से अपील करता हूँ कि वे महिलाओं को समान अवसर, सम्मान और सहयोग दें, ताकि वे अपने स्वप्नों को साकार कर सकें। जब हम माँ का सम्मान करते हैं, तब हम मानवता, सृजन और जीवन का सम्मान करते हैं।
आइए, आज के इस विशेष अवसर पर हम संकल्प लें कि हम अपनी माओं के योगदान को सच्चे मन से स्वीकार करेंगे, और उनके प्रति अपना प्रेम, आदर और कृतज्ञता हर दिन प्रकट करेंगे।
मैं ट्रस्ट के सदस्यों और स्कूल प्रबंधन को बहुत ही अनोखे तरीके से मदर्स डे मनाने के लिए बधाई देता हूं। मैं स्कूल के छात्रों को एक अद्भुत सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करने के लिए भी बधाई देता हूं जिसने एक मां के सच्चे बलिदान को दिखाया।
यहां उपस्थित सभी माओं को बहुत बहुत शुभकामनाएं।
धन्यवाद,
जय हिंद!