Speech of Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of inauguration of the Disaster Preparedness & Response Training Programme for Civil Defence Volunteers in Chandigarh on June 21, 2025.
- by Admin
- 2025-06-23 10:20
‘‘सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम’’ के शुभारंभ के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 21.06.2025, शनिवार समयः सुबह 10:00 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
मुझे आज इस ‘‘आपदा तैयारी एवं प्रतिक्रिया प्रशिक्षण’’ कार्यक्रम के महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए गहरे संतोष और गर्व की अनुभूति हो रही है।
यह कार्यक्रम न केवल हमारी नागरिक सुरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि एक सशक्त, जागरूक और आत्मनिर्भर समाज की दिशा में उठाया गया ठोस कदम भी है।
आज का युग तकनीकी रूप से जितना उन्नत है, उतना ही अधिक संवेदनशील और असुरक्षित भी हो चला है। चाहे वह अत्यधिक मौसम की घटनाएँ हों या मानव-जनित संकट, हर परिस्थिति हमें यह स्मरण कराती है कि कोई भी शहर, चाहे वह कितना भी विकसित क्यों न हो, आपदाओं से अछूता नहीं है। फर्क केवल इस बात से पड़ता है कि हम कितने सजग हैं और हमारी प्रतिक्रिया कितनी त्वरित और प्रभावशाली है।
इस संदर्भ में टेलीफोन के आविष्कारक, अलेक्जेंडर बेल का यह कथन अत्यंत प्रासंगिक है, उन्होंने कहा था, ‘‘तैयारी, सफलता की कुंजी है।’’ और यही भावना इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के मूल में है।
मैं गर्व से कह सकता हूँ कि चंडीगढ़ प्रशासन इस दिशा में एक सकारात्मक और दूरदर्शी पहल कर रहा है। लेकिन उससे भी अधिक, मुझे हमारे युवा वॉलंटियर्स पर गर्व है, जिन्होंने इस अभियान का हिस्सा बनकर समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।
“साहस पर्याप्त नहीं, प्रशिक्षित साहस आवश्यक है।” यही इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मूल उद्देश्य है, ऐसे नागरिक तैयार करना जो न केवल साहसी हों, बल्कि संकट की घड़ी में प्रशिक्षित और संयमित होकर कार्य कर सकें।
साथियो,
इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए, मुझे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान का वह उल्लेखनीय क्षण याद आ रहा है, जब चंडीगढ़ प्रशासन ने टैगोर थिएटर में स्वयंसेवकों को आपात स्थिति में तैयार रहने के लिए बुलाया था।
सिर्फ़ कुछ घंटों में ही 7 हजार से अधिक युवाओं ने इस आह्वान का उत्तर दिया। उन्होंने अनिश्चितताओं के बावजूद प्राथमिक चिकित्सा, निकासी अभ्यास (evacuation drills) और भीड़ नियंत्रण जैसे विषयों में प्रारंभिक प्रशिक्षण लेकर सेवा के लिए स्वयं को प्रस्तुत किया।
यह सहभागिता उस भावना को दर्शाता है, जिसे मैं कहता हूँ, “तैयारी का साहस” यानी ”the courage of readiness”और आज हम उसी भावना को और अधिक संगठित व समर्पित रूप में आगे बढ़ा रहे हैं।
साथियो,
चंडीगढ़ की अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित रणनीतिक भौगोलिक स्थिति इसे प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ सुरक्षा संबंधी खतरों के प्रति भी संवेदनशील बनाती है। ऐसे में, केवल प्रशासनिक एजेंसियों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है; बल्कि सजग और प्रशिक्षित नागरिकों का आगे आना समय की मांग है।
हम सभी भली-भांति जानते हैं कि इस प्रशिक्षण का महत्व क्या है। यह केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि जीवन रक्षक तैयारी है। यह प्रशिक्षण इसलिए अत्यंत आवश्यक है क्योंकि आपदा या संकट के समय सिर्फ साहस नहीं, बल्कि प्रशिक्षित और सुनियोजित साहस ही वास्तव में प्रभावी सिद्ध होता है।
यह सामान्य नागरिकों को आपदा की घड़ी में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता बना देता है। यह केवल सैद्धांतिक अभ्यास नहीं है, बल्कि व्यावहारिक, तत्काल और जीवनरक्षक तैयारी है।
यह सरकारी तंत्र को समर्थन देता है और सुनिश्चित करता है कि हर वार्ड, हर बाजार, हर मोहल्ला संकट की घड़ी में सक्रिय रह सके, भले ही संचार या आधारभूत ढाँचे पर दबाव हो।
इसलिए, यह प्रशिक्षण केवल कुछ दिनों का अभ्यास नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक निवेश है, एक ऐसा निवेश जो एक ऐसे समाज का निर्माण करे, जो हर आपदा में, हर संकट में, खुद को संभाल सके, दूसरों की मदद कर सके, और आशा का संचार कर सके।
इसके अलावा, यह प्रशिक्षण केवल अभ्यासों या निर्देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक दृष्टिकोण और मानसिकता के निर्माण की प्रक्रिया है, एक ऐसी मानसिकता जो अराजकता में संयम, डर में दृढ़ संकल्प, और स्वार्थ के स्थान पर सामूहिक भलाई को प्राथमिकता देना सिखाती है।
जब कोई संकट आता है, तो शुरुआती क्षणों में की गई प्रतिक्रिया ही सबसे अधिक निर्णायक होती है। ऐसे में यदि हमारे पास ऐसे नागरिक हों जो प्राथमिक चिकित्सा, निकासी, अग्निशमन, भीड़ नियंत्रण जैसी महत्वपूर्ण क्षमताओं में दक्ष हों, तो कई अनमोल जीवन बचाए जा सकते हैं।
साथियो,
मैं मानता हूं कि यदि हमारे भारतीय युवा तकनीकी क्षेत्र में नवाचार कर सकते हैं, शैक्षणिक जगत में वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं, और खेलों में अंतरराष्ट्रीय पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ा सकते हैं, तो इसमें कोई संदेह नहीं कि आप जैसे समर्पित और जागरूक युवा देश में उत्पन्न किसी भी आपात स्थिति या संकट से निपटने में भी उतनी ही दक्षता और साहस के साथ आगे आ सकते हैं।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप न केवल प्रशिक्षित स्वयंसेवक बनेंगे, बल्कि अपने परिवार, मोहल्ले और शहर के लिए एक प्रेरणास्रोत बनेंगे, आपदा के समय पहले उत्तरदाता(First Responders) के रूप में। आप वह शक्ति हैं जो डर में आशा, अराजकता में दिशा और संकट में सहारा बन सकती है।
“भारत के युवा केवल भविष्य नहीं, वर्तमान की रीढ़ हैं।” और इस रीढ़ को जितना मजबूत और संगठित हम आज बनाएंगे, उतना ही सुरक्षित और सक्षम हमारा कल होगा।
इसलिए, मैं आप सभी वॉलंटियर्स से आग्रह करता हूँ कि इस प्रशिक्षण को केवल एक औपचारिक प्रक्रिया न मानें, बल्कि इसे जीवन की आदत बनाएं, संकट की घड़ी में त्वरित, शांत और समन्वित प्रतिक्रिया देने की आदत।
आप आज केवल प्रशिक्षु नहीं हैं, आप चंडीगढ़ की जुझारू आत्मा के प्रतिनिधि हैं, और एक आत्मनिर्भर समाज के अग्रदूत।
मैं सिविल डिफेंस निदेशालय को इस कार्यक्रम के कुशल आयोजन के लिए धन्यवाद देता हूँ और महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (एम.जी.एस.आइ.पी.ए.) को उनके तकनीकी सहयोग के लिए विशेष सराहना देता हूँ। यह संस्थागत सहयोग और नागरिक सहभागिता ही हमारे समाज को सशक्त और टिकाऊ बनाते हैं।
राज्यपाल और प्रशासक के रूप में, मैं आपको यह आश्वासन देता हूँ कि सतर्कता, एकजुटता और सहभागिता की यह भावना सदैव प्रशासनिक सहयोग पाती रहेगी।
मैं इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की सफलता की कामना करता हूँ और आप सभी का इस महत्वपूर्ण कदम के लिए हृदय से अभिनंदन करता हूँ।
धन्यवाद,
जय हिन्द!