Speech of Punjab Governor and Administrator, UT, Chandigarh, Shri Gulab Chand Kataria on the occasion of 11th International Day of Yoga, a special session was organised at Punjab Raj Bhavan on June 21, 2025.
- by Admin
- 2025-06-23 10:25
‘‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’’ के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधनदिनांकः 21.06.2025, शनिवार समयः सुबह 6:00 बजे स्थानः चंडीगढ़
नमस्कार!
आज 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर अद्भुत उत्साह तथा उमंग के साथ राष्ट्रीयता के प्रतीक इस तिरंगा पार्क में उपस्थित सभी योग प्रेमियों को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ। यह दिन योग की आध्यात्मिक और शारीरिक शक्ति का विश्व स्तर पर उत्सव मनाने का अवसर है।
आज चंडीगढ़ के विभिन्न शिक्षण संस्थानों, शासकीय कार्यालयों, पार्कों, सामुदायिक केंद्रों और आवासीय क्षेत्रों में योग सत्रों का आयोजन बड़े उत्साह और सहभागिता के साथ किया जा रहा है। प्रशासन, शैक्षणिक संस्थाएं, सामाजिक संगठन और नागरिक समाज, सभी इस प्रयास में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
यह देखकर गर्व होता है कि योग अब चंडीगढ़ में केवल स्वास्थ्य अभ्यास नहीं रहा, बल्कि एक व्यापक जनआंदोलन का रूप ले चुका है, जो ‘स्वस्थ नागरिक, सशक्त राष्ट्र’ की दिशा में सशक्त कदम है।
साथियो,
पिछले 10 वर्षों से हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में 21 जून का यह दिन, योग प्रेमियों के लिए एक त्योहार बन गया है।
आप सभी को याद होगा कि वर्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग के महत्व को रेखांकित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने का ऐतिहासिक प्रस्ताव रखा था। आज, उसी पहल के परिणामस्वरूप, योग केवल एक अभ्यास नहीं रहा, बल्कि एक वैश्विक चेतना, एक “ग्लोबल स्पिरिट” बन चुका है।
योग सदियों से भारतीय संस्कृति और जीवन पद्धति का अभिन्न अंग रहा है। इतिहासकारों और शोधकर्ताओं का मानना है कि योग की उत्पत्ति भारत में लगभग 3000 ईसा पूर्व हुई थी। इसके प्रमाण हमें सिंधु-सरस्वती सभ्यता की मुहरों पर अंकित योगासन मुद्रा में मिलते हैं, जो उस काल की आध्यात्मिक और शारीरिक साधना का प्रमाण हैं।
‘योग’ शब्द संस्कृत के मूल शब्द ‘युज’ से निकला है, जिसका अर्थ है ‘जुड़ना’, ‘एकता’ या ‘एकाकार होना’। योग, वास्तव में, आत्मा, मन और शरीर के बीच संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने की एक जीवन-शैली है। यह केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि आंतरिक चेतना और सार्वभौमिक ऊर्जा से जुड़ने का एक माध्यम है।
प्राचीन ग्रंथ ‘ऋग्वेद’ से लेकर उपनिषदों और भगवद गीता तक, योग को आत्मबोध और आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग बताया गया है। भगवद गीता में योग को अत्यंत सुंदर शब्दों में परिभाषित किया गया है, “योगः कर्मसु कौशलम्”, अर्थात् योग कार्यों में कुशलता है, और “योग स्वयं की, स्वयं के माध्यम से, स्वयं तक की यात्रा है।” (Yoga is the journey of the self, through the self, to the self.)
प्राचीन भारतीय ऋषि-परंपरा की देन योग निःसंदेह मानवता को मिला एक अमूल्य उपहार है। यह केवल शरीर को स्वस्थ रखने की पद्धति नहीं, बल्कि मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करने का एक समग्र और वैज्ञानिक तरीका है।
आज जब पूरी दुनिया जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों, तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं से जूझ रही है, तब योग एक सहज, सुलभ और विश्वसनीय समाधान के रूप में उभरकर सामने आया है।
योग के आसन, प्राणायाम, ध्यान और यम-नियम जैसे विभिन्न अंग, हमें एक ऐसा जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं, जिसमें आंतरिक शुद्धता, अनुशासन, सह-अस्तित्व और करुणा जैसे गुण विकसित होते हैं। यह केवल शरीर को लचीला या बलशाली नहीं बनाता, बल्कि चेतना को जाग्रत कर हमें एक उत्कृष्ट और दिव्य जीवन की ओर प्रेरित करता है।
योग आज के युग में न केवल भारत की सांस्कृतिक पहचान है, बल्कि वैश्विक मानवता के लिए कल्याण का एक विश्वसनीय और चिरस्थायी मार्ग बन चुका है।
साथियो,
आज, हम 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को ‘‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य हेतु योग’’ की थीम के साथ मना रहे हैं, जो इस महत्वपूर्ण सत्य को प्रतिध्वनित करता है कि हमारा व्यक्तिगत कल्याण और हमारे गृह पृथ्वी का स्वास्थ्य, ये दोनों वस्तुतः अविभाज्य रूप से जुड़े हुए हैं। और यही वैश्विक चेतना हमें स्वस्थ और अधिक स्थायी जीवन शैली चुनने की प्रेरणा देती है।
जब हम अपना ध्यान रखने के साथ अपने देश का ध्यान रखते हैं, तथा देश के साथ-साथ पूरे विश्व के उत्तरदायित्व का वहन करते हैं तो यह भारतीय आदर्श ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात विश्व एक परिवार है’’ के भाव को दर्शाता है।
साथियो,
मेरा दृढ़ विश्वास है कि योग के अभ्यास से विकसित होने वाला आत्मसंयम और सहनशीलता का गुण हमें न केवल व्यक्तिगत रूप से संतुलित बनाता है, बल्कि एक शांतिपूर्ण, सहयोगी और सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण में भी सहायक सिद्ध हो सकता है।
आज की तेज़ रफ्तार और दबावपूर्ण जीवनशैली में, चंद मिनट का ध्यान और योगाभ्यास न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि हमारी कार्यक्षमता और उत्पादकता को भी कई गुना बढ़ा देता है।
मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि आप सभी इस वैश्विक योग आंदोलन का सक्रिय हिस्सा बने हैं। विशेष रूप से चंडीगढ़ के नागरिकों की फिटनेस के प्रति जागरूकता सराहनीय है। यहाँ हर सुबह और शाम सुखना झील व विभिन्न पार्कों में लोग योग, वॉक और व्यायाम करते नज़र आते हैं। यह संस्कृति चंडीगढ़ को एक ‘फिटनेस फ्रेंडली सिटी’ बनाती है।
इसलिए, हमें केवल योग को जीवन की दिनचर्या तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे जीवन जीने की एक सम्पूर्ण और संतुलित शैली के रूप में अपनाना चाहिए। यही रास्ता हमें स्वस्थ, संतुलित और प्रसन्न जीवन की ओर ले जाता है।
साथियो,
आज पूरा विश्व एक अभूतपूर्व योग प्रदर्शन का साक्षी बनने जा रहा है, जो देशभर के लाखों स्थानों पर एक साथ आयोजित होगा। यह क्षण भारत के स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता का एक ऐतिहासिक प्रतीक बनेगा।
इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन की सबसे प्रभावशाली प्रस्तुति आज विशाखापत्तनम में हो रही है, जहाँ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 5 लाख से अधिक योग साधकों के साथ सामान्य योग प्रोटोकॉल का नेतृत्व करेंगे।
इस वर्ष का योग संगम अब तक के सबसे विशाल और संगठित योग आयोजनों में से एक बनने जा रहा है, जिसमें लाखों संस्थान, संगठन और समुदाय एक साथ योग मैट बिछाकर सामूहिक साधना में भाग ले रहे हैं।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रति सम्पूर्ण विश्व को एक साथ लाने और इस प्राचीन भारतीय परंपरा को दुनिया के हर कोने में ले जाने के उनके प्रयासों के लिए अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूं।
मैं उन सभी लोगों के उत्साह और जोश की भी सराहना करता हूं जो आज यहां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उत्सव के लिए एकत्रित हुए हैं।
मैं आप सभी से विनम्र अनुरोध करता हूँ कि आप अपनी व्यस्त दिनचर्या में से प्रतिदिन कुछ समय स्वयं के लिए अवश्य निकालें और नियमित रूप से योग का अभ्यास करें।
स्वस्थ भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब प्रत्येक नागरिक स्वयं को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाए, और यह शक्ति योग के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।
मैं चाहता हूं कि योग केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि हमारी दैनिक जीवनशैली का स्थायी हिस्सा बने।
मैं समझता हूं कि “योग एकता का संदेश देता है, शरीर, मन, समाज और विश्व की एकता का।”
आइए, हम सब मिलकर इस योग दिवस पर ‘योग से सहयोग’ की भावना को और मजबूत करें।
अंत में, मैं सभी के उत्तम स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आत्मिक समृद्धि से भरपूर एक सुखद, संतुलित एवं दिव्य जीवन की मंगलकामना करता हूँ।
आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!