SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF GREEN FUTURE LEADERSHIP SUMMIT-ACCELERATING TRANSITION TO CLEAR ENERGY ON JUNE 11, 2025.

पीएचडी चैंबर द्वारा आयोजित ‘ग्रीन फ्यूचर लीडरशिप समिट’ के अवसर पर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन
दिनांकः 11.06.2025,  बुधवारसमयः शाम 7:00 बजेस्थानः चंडीगढ़

 

नमस्कार!

मुझे ‘ग्रीन फ्यूचर लीडरशिप समिट’ जैसी दूरदर्शी और सार्थक पहल का हिस्सा बनकर गहरा संतोष और गौरव अनुभव हो रहा है। 

मैं इस आयोजन के लिए पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री को हार्दिक बधाई देता हूँ, जिन्होंने नीति-निर्माताओं, पर्यावरण विशेषज्ञों, नवाचार के अग्रदूतों और उद्योग जगत के दिग्गजों को एक ही मंच पर एकत्र कर ‘स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा’ जैसे समय की माँग वाले विषय पर विचार-विमर्श का उत्कृष्ट अवसर प्रदान किया है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पीएचडी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की स्थापना 1905 में हुई थी और तब से यह भारतीय उद्योग, व्यापार और अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

आज जब हम यहाँ एकत्रित हुए हैं, तब यह स्वीकार करना आवश्यक है कि जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर की चेतावनी नहीं, बल्कि हमारे जीवन, कार्य प्रणाली और उत्पादन व्यवस्था को प्रभावित करने वाली आज की वास्तविकता है। बढ़ते तापमान, अनिश्चित मानसून, गिरता भूजल स्तर और बढ़ती ऊर्जा की मांग हमें एक नई सोच और त्वरित निर्णयों के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

इस सम्मेलन की थीम "Accelerating Transition to Clean Energy" अत्यंत प्रासंगिक और समयोचित है। भारत की ऊर्जा आवश्यकता 2040 तक दोगुनी हो सकती है, और यदि हमने पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर रहना जारी रखा, तो कार्बन उत्सर्जन में भारी वृद्धि होगी। किन्तु भारत ने एक अलग राह चुनी है, और वह है महत्वाकांक्षा, नवाचार और नेतृत्व की राह।

मैं कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों और संकल्पों का उल्लेख करना चाहूंगा जो इस दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। अप्रैल 2025 तक, भारत 180 गीगावॉट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल कर चुका है, जो कि वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। 

‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ के तहत 1 करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे हर परिवार को प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान की जाएगी। 

इसके अतिरिक्त, ‘फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME)’ योजना, ‘राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ और बायो-एनर्जी व पम्प्ड हाइड्रो स्टोरेज जैसे कार्यक्रम हमारे दीर्घकालिक ऊर्जा रणनीति को दर्शाते हैं।

ये प्रयास केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दृष्टिकोण से प्रेरित सम्पूर्ण शासन व्यवस्था का प्रतिबिंब हैं, जिसमें जलवायु कार्यवाही को विकास के मूल में रखा गया है।

अब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की बारी है कि वे इस राष्ट्रीय दृष्टिकोण को स्थानीय नेतृत्व से सशक्त करें। पंजाब और चंडीगढ़ इस दिशा में विशेष संभावनाएं रखते हैं। पंजाब की समतल भूमि, धूप की भरपूर उपलब्धता, और कृषि अधोसंरचना इसे सौर ऊर्जा के लिए आदर्श बनाते हैं। जबकि चंडीगढ़ ने सोलर रूफटॉप प्रोग्राम में नगरीय ऊर्जा क्रांति का नेतृत्व कर एक मॉडल प्रस्तुत किया है।

आज हमने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ से चुनी गई सरकारी एजेंसियों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को हरित ऊर्जा, स्थिरता और पर्यावरणीय संरक्षण में उनके अनुकरणीय प्रयासों के लिए सम्मानित किया है। ये प्रयास केवल प्रशंसनीय ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत भी हैं।

मैं CREST (Chandigarh Renewal Energy and Science & Technology Promotion Society), HAREDA (Haryana Renewable Energy Development Agency), PEDA (Punjab Energy Development Agency) जैसे संस्थानों और PHDCCI (Progress, Harmony, and Development Chamber of Commerce and Industry) जैसे संगठनों की सराहना करता हूं, जो हरित परियोजनाओं को बढ़ावा देने, जन-जागरूकता फैलाने और सहयोगात्मक पहल को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

लेकिन हमें ईमानदारी से स्वीकार करना होगा कि चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा की अंतिम छोर तक पहुँच सुनिश्चित करना। इसके अतिरिक्त, सौर और पवन ऊर्जा के लिए भंडारण तथा ग्रिड एकीकरण से जुड़ी तकनीकी समस्याएँ भी हमारे सामने हैं। 

साथ ही, छोटे उद्योगों और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए वित्तीय संसाधनों को सुलभ और किफायती बनाना आवश्यक है। और सबसे महत्वपूर्ण चुनौती है, हरित अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक कुशल मानव संसाधन का निर्माण करना। 

इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी, प्रौद्योगिकी नवाचार और ऐसे नियमों की आवश्यकता है जो दीर्घकालिक स्थिरता को प्रोत्साहित करें।

हमने जाने-अनजाने में अधिक कमाने के लालच में अपने प्राकृतिक संसाधनों को अंधाधुंध लूटा है।

मैं उद्योग प्रतिनिधियों से विशेष अनुरोध करता हूं कि वे स्वच्छ ऊर्जा को केवल एक कानूनी ज़रूरत नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखें, एक ऐसा अवसर जो न केवल उत्पादन लागत को घटा सकता है, बल्कि आपके उद्यम को अधिक प्रतिस्पर्धी, लचीला और भविष्य के लिए तैयार भी बना सकता है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था, ‘‘नवाचार वह है, जो कठिनाइयों में भी अवसर ढूंढ निकाले।’’

मैं समझता हूं कि चाहे कैप्टिव सोलर प्लांट्स हों, ऊर्जा दक्ष तकनीक हो या सस्टेनेबल लॉजिस्टिक्स, निजी क्षेत्र हरित ऊर्जा को मुख्यधारा में लाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

मैं युवा और स्टार्टअप इकोसिस्टम का विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूंगा। आज भारत में क्लीनटेक और एनर्जी इनोवेशन के क्षेत्र में अद्भुत काम हो रहा है, और हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन्हें संरक्षण और सहयोग प्रदान करें।

महात्मा गांधी जी ने कहा था, ‘‘भविष्य उन्हीं का होता है जो आज उसे तैयार करते हैं।’’

यह केवल एक प्रेरक विचार नहीं, बल्कि एक गहन सत्य है, जो हमें समय की महत्ता और हमारी जिम्मेदारी का बोध कराता है। हम जिस प्रकार से आज निर्णय लेते हैं, संसाधनों का उपयोग करते हैं, और अपने व्यवहार को ढालते हैं, उसी के आधार पर आने वाली पीढ़ियों का जीवन तय होता है।

पर्यावरण की रक्षा हो, ऊर्जा का संरक्षण हो या सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ना, हर कदम जो हम आज उठाते हैं, वही कल के भारत की नींव बनता है। यदि हम आज स्वच्छ ऊर्जा को अपनाते हैं, हरित तकनीकों में निवेश करते हैं, और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर विकास करते हैं, तो हम न केवल अपने लिए, बल्कि अपनी संतानों के लिए भी एक सुरक्षित, स्वस्थ और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करते हैं।

इसलिए, समय की पुकार है कि हम अपने आज को संजीदगी से जिएं और उसे इस प्रकार ढालें कि वह कल की चुनौतियों का समाधान बन सके। यही सच्ची दूरदर्शिता और जिम्मेदार नेतृत्व की पहचान है।

स्वामी विवेकानंद जी का कथन ‘‘प्रकृति मनुष्य की शिक्षिका है’’ यह स्पष्ट करता है कि प्रकृति हमें निरंतर सीखने का अवसर देती है। वृक्ष हमें निस्वार्थ सेवा, नदियाँ निरंतर प्रवाह, पहाड़ स्थिरता और मौसम अनुकूलन सिखाते हैं। प्रकृति बिना शब्दों के जीवन जीने की कला सिखाती है।

इसलिए हमें प्रकृति का सम्मान करते हुए उससे सीखना चाहिए, उसका संरक्षण करना चाहिए और एक संतुलित सह-अस्तित्व की भावना को अपनाना चाहिए।

प्रकृति से जुड़कर हम न केवल अपना जीवन समृद्ध कर सकते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक सुंदर, सुरक्षित और टिकाऊ संसार छोड़ सकते हैं।

अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बढ़ना केवल ईंधन के संसाधनों में बदलाव का मामला नहीं है, बल्कि यह विकास की पुनःकल्पना करने का अवसर है। यह उन विकल्पों को चुनने का प्रश्न है, जो आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य, सम्मान और समृद्धि की गारंटी दें।

मैं एक बार फिर पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और इसके सभी सहयोगी संगठनों को इस सारगर्भित सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि आज यहां जो विचार और संकल्प साझा किए गए हैं, वे न केवल पंजाब और चंडीगढ़ बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रभावशाली दिशा तय करेंगे।

आइए, हम सभी मिलकर एक हरित, स्वच्छ और सतत भारत के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध हों।

धन्यवाद,

जय हिन्द!