SPEECH OF HON’BLE GOVERNOR PUNJAB AND ADMINISTRATOR, UT CHANDIGARH, SHRI GULAB CHAND KATARIA ON THE OCCASION OF SANKALP LUDHIANA ANNUAL FELICITATION FUNCTION AT LUDHIANA ON JULY 6, 2025.

संकल्प लुधियाना द्वारा सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके अभ्यर्थियों हेतु आयोजित ‘सम्मान समारोह’ के अवसर पर

राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी का संबोधन

दिनांकः 06.07.2025,  रविवारसमयः सुबह 11:30 बजेस्थानः लुधियाना

         

नमस्कार!

यह मेरे लिए अत्यंत हर्ष और गर्व का विषय है कि आज मैं उन 18 प्रतिभाशाली युवाओं को सम्मानित करने हेतु इस समारोह में उपस्थित हूं, जिन्होंने कठिन परिश्रम, संकल्प और समर्पण के साथ देश की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की है।

मैं आप सभी सम्मानित अभ्यर्थियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। आप सभी ने केवल अपने परिवार का ही नहीं, बल्कि अपने प्रदेश और पूरे देश का मान बढ़ाया है।

मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि आज सम्मानित किए गये सभी 18 सफल अभ्यर्थियों ने संकल्प दिल्ली के मार्गदर्शन में दिन-रात कड़ी मेहनत करके संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रतिष्ठित परीक्षा पास की है। यह न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि आपके राज्य के लिए भी गर्व का विषय है।

इस संदर्भ में संकल्प संस्थान की भूमिका अत्यंत सराहनीय है जो वर्ष 1986 में अपनी स्थापना के बाद से ही निरंतर उत्कृष्टता के पथ पर अग्रसर रहा है। यह संस्थान उन युवाओं के लिए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य कर रहा है, जो सिविल सेवा जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में प्रवेश की आकांक्षा रखते हैं।

मुझे बताया गया है कि संकल्प के समर्पित सदस्य न केवल कक्षा में बैठाकर विद्यार्थियों को शिक्षित करते हैं, बल्कि उन्हें छात्रावास, पुस्तकालय, साक्षात्कार मार्गदर्शन और अन्य आवश्यक संसाधन भी उपलब्ध कराते हैं। संस्था के कार्यकर्ता तन-मन-धन से इस लक्ष्य में जुटे हैं कि प्रत्येक विद्यार्थी को उसके सपनों को साकार करने के लिए आवश्यक संबल प्राप्त हो।

यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि संकल्प से मार्गदर्शन प्राप्त करके हज़ारों अभ्यर्थी आज देशभर में विभिन्न प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत हैं और राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे हैं। 

मुझे बताया गया है कि वर्ष 2024 की संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा में पास हुए 1 हजार 9 अभ्यर्थियों में से 7 सौ 21 संकल्प से जुड़े हुए हैं, जो अपने आप में एक अत्यंत गौरवपूर्ण उपलब्धि है। इसके लिए मैं संकल्प की संपूर्ण टीम को हृदय से बधाई एवं साधुवाद देता हूँ।

देवियो और सज्जनो,

संकल्प लुधियाना केंद्र की बात करें तो यह वर्ष 2011 में श्री नरेन्द्र मित्तल जी के मार्गदर्शन में कार्यशील हुआ। लुधियाना केंद्र में भी पुस्तकालय, कक्षा शिक्षण एवं साक्षात्कार मार्गदर्शन जैसी सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। 

मुझे यह जानकर बेहद खुशी हुई कि ‘संकल्प लुधियाना’ द्वारा वर्ष 2024 में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को निःशुल्क एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और मार्गदर्शन उपलब्ध कराया गया। 

मैं समझता हूं कि यह पहल न केवल समाज के प्रतिभावान लेकिन संसाधन-विहीन युवाओं के सपनों को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह सामाजिक उत्तरदायित्व और जनसेवा के प्रति संस्था की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

हर्ष का विषय है कि इस केन्द्र से मार्गदर्शन लेकर अब तक 2 अभ्यर्थी संघ लोक सेवा आयोग और 5 अभ्यर्थी पंजाब लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करके आज राज्य एवं केंद्र की प्रशासनिक सेवाओं में सेवा दे रहे हैं। इसके लिए मैं संकल्प लुधियाना की समर्पित टीम को भी हार्दिक शुभकामनाएँ और साधुवाद प्रेषित करता हूँ।

 प्रिय सफल युवा अभ्यर्थियो, 

आज आप सभी एक ऐसे मुकाम पर खड़े हैं, जहाँ पहुँचने का सपना देश के हर परिवार में देखा जाता है। चाहे वह किसी भी सामाजिक, आर्थिक या व्यवसायिक पृष्ठभूमि से क्यों न हो। हर माता-पिता की एक आशा होती है कि उनका बेटा या बेटी आई.ए.एस. अधिकारी बने। और आज आप वह सपना साकार करने वाले सौभाग्यशाली युवा हैं।

आपका इस सेवा में चयन केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं है, यह एक ऐतिहासिक जिम्मेदारी है। यह न केवल आपके जीवन को आकार देगा, बल्कि कम से कम तीन पीढ़ियों तक आपके परिवार और समाज पर इसका प्रभाव पड़ेगा।

विश्व के मानकों पर यदि कोई परीक्षा सबसे कठिन मानी जाती है, तो वह भारतीय सिविल सेवा परीक्षा है। यह ज्ञान, धैर्य, आत्मनियंत्रण और निरंतर प्रयास की कसौटी पर परखी गई एक चुनौतीपूर्ण यात्रा है, जिसे आप पार करके यहाँ तक पहुँचे हैं। आप भारत माता की सेवा और मानवता के व्यापक कल्याण के लिए भाग्य और अपनी कड़ी मेहनत के बल पर चुने गए हैं।

प्रिय सफल युवा अभ्यर्थियो,

आपका चयन सिविल सेवा में होना केवल एक पेशेवर उपलब्धि नहीं है, यह एक राष्ट्रीय दायित्व और जीवनपर्यंत सेवा का संकल्प है। सिविल सेवा कोई साधारण नौकरी नहीं, बल्कि यह भारत माता की सेवा और करोड़ों देशवासियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सबसे प्रभावशाली माध्यम है।

इस सेवा के माध्यम से आपको जन-कल्याण, सामाजिक न्याय और समानता को साकार करने का अधिकार ही नहीं, बल्कि अवसर भी प्राप्त होता है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ से आप नीतियों का निर्माण करेंगे, समाज के अंतिम व्यक्ति तक शासन की पहुँच सुनिश्चित करेंगे, और अपने कार्यों के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को और गहरा करेंगे।

आपके सामने यह अवसर है कि आप भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक आदर्शों को आगे बढ़ाएँ। जिस रामराज्य और सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय की कल्पना हमारे ऋषियों और महापुरुषों ने की थी, उसे साकार करने का युगधर्म अब आपके कंधों पर है।

आप केवल एक प्रशासनिक पद प्राप्त करने वाले अधिकारी नहीं हैं, आप भारत के भविष्य के निर्माता हैं, जिनकी दृष्टि, निर्णय और संवेदनशीलता से राष्ट्र की दिशा निर्धारित होगी।

इसलिए, मैं आप सभी से यह अपेक्षा करता हूँ कि आप हर चुनौती को एक अवसर मानें, हर निर्णय में मानवीय दृष्टिकोण रखें, और हर कार्य में राष्ट्र प्रथम की भावना से प्रेरित रहें।

प्रिय युवाओ,

जैसा कि हम सभी जानते हैं, हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित, समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का स्पष्ट और दूरदर्शी लक्ष्य हमारे सामने रखा है। 

जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, तब आप सभी नीति निर्माण की धुरी पर होंगे। आप निर्णय लेने की प्रक्रिया का केंद्र होंगे। उस समय देश की दशा और दिशा, उसकी वैश्विक प्रतिष्ठा और सामाजिक संरचना में आपके विचारों, आपकी नीतियों और आपकी दृष्टि की निर्णायक भूमिका होगी।

मैं आप सबको “विकसित भारत 2047” का कर्मठ सिपाही मानता हूँ, क्योंकि जब हमारा राष्ट्र वैश्विक मंच पर एक सशक्त, समावेशी और संवेदनशील महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठित होगा, तब उस महान निर्माण-यज्ञ में आपकी ‘आहुति’ न केवल आवश्यक होगी, बल्कि निर्णायक भी सिद्ध होगी।

आपका करिश्मा, आपका कर्तव्य, आपकी संवेदनशीलता, यही वह परिवर्तनकारी शक्ति होगी जो आने वाले समय में एक नए भारत की नींव रखेगी।

इसलिए, मेरा आप सभी से आग्रह है कि अपने कर्तव्यों को केवल एक दायित्व न समझें, बल्कि उसे राष्ट्रसेवा के पुनीत अवसर के रूप में स्वीकार करें। जब आप ईमानदारी, संवेदनशीलता और दक्षता से कार्य करते हैं, तब केवल नीतियाँ लागू नहीं होतीं, बल्कि जनता का विश्वास मजबूत होता है, और यही विश्वास, विकसित भारत की नींव बनता है।

आप स्वयं न्याय, सेवा और निष्पक्षता के उदाहरण बनें। याद रखिए, जब आप किसी वृद्ध को समय पर पेंशन दिलवाते हैं, किसी बच्ची को स्कूल में दाखिला दिलवाते हैं, या किसी गरीब किसान की ज़मीन बचाते हैं, तब आप केवल एक प्रशासक नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा के संरक्षक बन जाते हैं।

अंत में, मैं आप सभी को इस सफलता के लिए पुनः हार्दिक बधाई देता हूँ। यह केवल एक परीक्षा की जीत नहीं, बल्कि राष्ट्र सेवा के एक उज्ज्वल अध्याय का प्रारंभ है। मुझे विश्वास है कि आप सभी अपने आचरण, निर्णय और व्यवहार से ‘सुशासन’, ‘सशक्त भारत’ और ‘समावेशी विकास’ के लक्ष्यों को यथार्थ रूप देंगे।

‘‘कर्म ही धर्म है’’, इस मंत्र को अपने जीवन का मूल आधार बनाइए और समाज के अंतिम व्यक्ति तक सेवा पहुँचाने का संकल्प लीजिए।

मैं एक बार फिर सभी चयनित अभ्यर्थियों, उनके माता-पिता, और ‘संकल्प’ के समर्पित मार्गदर्शकों, शिक्षकों एवं कार्यकर्ताओं को इस पुनीत कार्य के लिए अभिनंदन एवं शुभकामनाएँ देता हूँ।

धन्यवाद,

जय हिन्द!